हज़रत ख्वाजा शैख़ मीर हसन अला संजरी चिश्ती रहमतुल्लाह अलैह की ज़िन्दगी

हज़रत ख्वाजा शैख़ मीर हसन अला संजरी चिश्ती रहमतुल्लाह अलैह की ज़िन्दगी

नाम मुबारक

हज़रत ख्वाजा शैख़ मीर हसन अला संजरी चिश्ती खुल्दाबादी रहमतुल्लाह अलैह आप का नाम मुबारक “अमीर नजमुद्दीन” था, और तखल्लुस “हसन” था, लेकिन आप “ख्वाजा मीर हसन अला संजरी” के नाम से मश्हूरो मारूफ हैं,
आप का आबाई वतन सीस्तान था, बाज़ हज़रात कहते हैं के आप सादाते किराम से थे, आप की पैदाइश बदायूं शरीफ में हुई, अभी आप का बचपन ही था के वालिद माजिद बदायूं से सुकूनत रिहाइश तर्क कर के दिल्ली चले गए, और दिल्ली में ही आप ने नशो नुमा तालीमों तरबियत पाई।

बैअतो खिलाफत

सुल्तानुल मशाइख सरकार महबूबे इलाही निज़ामुद्दीन औलिया देहलवी रहमतुल्लाह अलैह! के मक़बूले हक हज़रत ख्वाजा शैख़ मीर हसन अला संजरी चिश्ती रहमतुल्लाह अलैह! तमाम फ़ज़ाइल इंसानी से आरास्ता पेरास्ता थे, आप का शुमार सरकार महबूबे इलाही निज़ामुद्दीन औलिया देहलवी रहमतुल्लाह अलैह! के खास मुरीदीन और आप असहाब व मोतक़िदीन मुतावस्सिलिन में शुमार होते हैं, और बाज़ हज़रात का कहना है के आप सरकार महबूबे इलाही निज़ामुद्दीन औलिया देहलवी रहमतुल्लाह अलैह! के खलीफा भी हैं के आप को सरकार महबूबे इलाही निज़ामुद्दीन औलिया देहलवी रहमतुल्लाह अलैह! ने खिलाफत! भी अता फ़रमाई थी,
आप अपने अहिद के उल्माए किराम व फुज़्ला और शुआरा में मुक़्तदर और मुमताज़ माने जाते थे, मुआशिरे में बड़ी इज़्ज़त और क़द्र से देखे जाते थे, आप को सरकार महबूबे इलाही निज़ामुद्दीन औलिया देहलवी रहमतुल्लाह अलैह! के मुरीदों में ख़ास मकाम हासिल था, आप ने गियासुद्दीन और खान शहीद के हक में बड़े ज़ोरदार मुरस्सआ क़साइद लिखें, और आप अपने इन क़साइद की वजह से शुआराए वक़्त से सबक़त ले गए,
हज़रत ख्वाजा मीर हसन अला संजरी चिश्ती रहमतुल्लाह अलैह! बहुत थोड़े वक़्त में आला मनसब पर फ़ाइज़ हो गए, सरकार महबूबे इलाही निज़ामुद्दीन औलिया देहलवी रहमतुल्लाह अलैह! के मलफ़ूज़ात आप ही ने जमा फरमाए थे, जो “फवाईदुल फवाइद” के नाम से मशहूर हैं, जो आपने तरतीब दिए लिखें हैं, ये किताब हज़रत की खिदमत में पेश की गई तो आप ने उसे बहुत पसंद फ़रमाय।

करामत

मन्क़ूल है के आप के अकीदत मंद जो बच्चे कुंद ज़हन गबी होते हैं उन तालिबे इल्मो को ले कर आते हैं आप के मज़ार शरीफ पर, और कुछ शकर चीनी आप की मज़ार मुबारक पर रखते हैं और थोड़ी देर बाद उस चीनी को उठा कर इन बच्चों को चटाते हैं जिससे इन बच्चों का ज़हन हाफ़िज़ा दिमाग तेज़ हो जाता है।

विसाले पुरमलाल

बादशाह सुल्तान मुहम्मद तुगलक के हुक्म से जब सब लोगों को देओगीर! जाने का हुक्म दिया तो दिल्ली की रियाया देओगीर! गई तो आप को भी वहां जाना पड़ा, और आप भी तशरीफ़ ले गए देओगीर! का नया नाम खुल्दाबाद शरीफ है, और खुल्दाबाद शरीफ में आप का 738, हिजरी में इन्तिकाल हुआ।

मज़ार मुबारक

आप का मज़ार मुबारक खुल्दाबाद शरीफ ज़िला औरंगाबाद महराष्ट्र! में हस्सानुल हिन्द हज़रत अल्लामा मीर सय्यद गुलाम अली आज़ाद बिलगिरामि रहमतुल्लाह अलैह के बराबर में ही मरजए खलाइक है।

“अल्लाह रब्बुल इज़्ज़त की उन पर बेशुमार रहमत हो और उन के सदके में हमारी मगफिरत हो”

रेफरेन्स हवाला

  • ख़ज़ीनतुल असफिया
  • मिरातुल असरार
  • मर्दाने खुदा

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