विलादत बसआदत
नबीरए ख़ातिमुल अकाबिर, हज़रत सय्यद शाह मेंहदी हसन मियां कादरी मारहरवी रहीमाहुल्लाह, हज़रत ख़ातिमुल अकाबिर हज़रत सय्यद शाह आले रसूल अहमदी रहमतुल्लाह अलैह, के दूसरे साहबज़ादे हज़रत सय्यद ज़हूर हुसैन उर्फ़ छोटू मियां साहब! की दूसरी बीवी “खातून फातिमा” से थे, आप की पैदाइश जुमादीयुल ऊला 1287, हिजरी की है, अपने वालिद माजिद के इन्तिकाल के बाद खानकाहे बरकातिया के सज्जादा नशीन हुए, बादशाहों का सा मिजाज़ पाया था, तबियत में सादगी कूट कूट कर भरी थी, अपनी ज़िंदह दिली के लिए दूर दूर तक मश्हूरो मारूफ थे, फय्याज़ियो सखावत में बेनज़ीर थे, तबियत में जज़्ब ग़ालिब था, और आप हज़रत सय्यद शाह आले रसूल अहमदी रहमतुल्लाह अलैह, के पोते हैं।
वालिद माजिद
आप के वालिद माजिद का नाम मुबारक हज़रत सय्यद ज़हूर हुसैन उर्फ़ छोटू मियां साहब! है, और आप के दादा जान “हज़रत ख़ातिमुल अकाबिर हज़रत सय्यद शाह आले रसूल अहमदी रहमतुल्लाह अलैह, हैं, और परदादा का नाम हज़रत सय्यद शाह आले बरकात सुथरे मियां मारहरवी रहमतुल्लाह अलैह, हैं, और आप के जद्दे अमजद “सय्यदुल आरफीन हज़रत सय्यद शाह हमज़ाह ऐनी मारहरवी रहमतुल्लाह अलैह, हैं, और आप के मूरिसे आला हज़रत सय्यद शाह आले मुहम्मद मारहरवी रहमतुल्लाह अलैह, हैं।
खानकाहे बरकातिया
हज़रत सय्यद शाह मेंहदी हसन मियां मारहरवी रहमतुल्लाह अलैह के दौर में खानकाहे बरकातिया! का राब्ता अवाम से बड़े पैमाने पर वसी हुआ, बड़े बड़े उमरा, रुऊसा, अमीर कबीर, नवाब सरदार, मारहरा की डियोड़ी चौखट पर हज़रत सय्यद शाह मेंहदी हसन मियां कादरी मारहरवी रहीमाहुल्लाह के तवस्सुत से हाज़िर होने लगे, हज़रत सय्यद शाह मेंहदी हसन मियां मारहरवी रहमतुल्लाह अलैह के तअल्लुक़ात के पेशे नज़र उर्स शरीफ शाह बरकतुल्लाह! में दिन बा दिन इज़ाफ़ा होता गया, ऐसे आला पैमाने पर उर्स मुनअकिद करते के उस का कहना ही क्या, महफिले समा का रिवाज उस दौर में काफी था, कसीर मजमा उर्स में शिरकत करता, अहले बदायूं पर हज़रत सय्यद शाह मेंहदी हसन मियां कादरी मारहरवी रहीमाहुल्लाह की खास नज़र थी, सरकार नूरी मियां के तमाम अकीदतमंद हज़रात हुज़ूर नूरी मियां साहब! के विसाल के बाद हज़रत सय्यद शाह मेंहदी हसन मियां कादरी मारहरवी रहीमाहुल्लाह को अपने मरकज़े अकीदत मानते थे,
हज़रत सय्यद शाह मेंहदी हसन मियां मारहरवी रहमतुल्लाह अलैह बदायूं तशरीफ़ भी खूब लाते और बदायूं गुलामो को खूब नवाज़ते, अपने साथ तोहफे तहाईफ़ बदायूं से ले जा रहे होते, तो रास्ते में कोई गरीब दिखाई देता फ़ौरन उस को खाना खिलाया करते थे और अपना कीमती सामान उस को अता फरमा देते, विसाल से क़ब्ल बदायूं तशरीफ़ लाए और कसीर तादाद में लोगों को मुरीद किया, उस दौर में हज़रत सय्यद शाह मेंहदी हसन मियां मारहरवी रहमतुल्लाह अलैह से मेरे वालिद माजिद को भी सरकार मेंहदी मियां ने बहुत ही कम उमर में बैअत से मुशर्रफ फ़रमाया, आप ने अपनी ज़िन्दगी ही में सय्यदुल उलमा हज़रत सय्यद शाह आले मुस्तफा सय्यद मियां रहमतुल्लाह अलैह, को अपना वसी व जानशीन बना दिया था।
आप का अकद मस्नून
आप का पहला निकाह “बुनियादी बेगम” बिन्ते सय्यद हुसैन इब्ने सय्यद दिलदार हैदर से हुआ, कोई औलाद इन बीवी से ना हुई, दूसरा निकाह “सज्जादि बेगम” बिन्ते सय्यद इस्माईल हसन साहब! से हुआ, इन से कई औलादें हुईं मगर कम उमर में ही इन्तिकाल कर गईं।
आप का विसाल
आप की वफ़ात मुख्तलिफ तारीखी शवाहिद से ये मालूम होता है के 1815/ ईसवी में आप की वफ़ात हुई।
Share Zaroor Karen Jazakallah
मज़ार शरीफ
आप का मज़ार मुकद्द्स मारहरा शरीफ ज़िला एटा यूपी हिन्द में ज़ियारत गाहे खलाइक है.
“अल्लाह रब्बुल इज़्ज़त की उन पर बेशुमार रहमत हो और उन के सदके में हमारी मगफिरत हो”
Share Zaroor Karen Jazakallah
रेफरेन्स हवाला
- बरकाती कोइज़
- तारीखे खानदाने बरकात
- तज़किरा मशाइखे मारहरा