हज़रत सय्यद शाह औलादे रसूल मुहम्मद मियां मारहरवी कुद्दीसा सिररुहुन नूरानी की ज़िन्दगी

हज़रत सय्यद शाह औलादे रसूल मुहम्मद मियां मारहरवी कुद्दीसा सिररुहुन नूरानी की ज़िन्दगी

विलादत बसआदत

मुअर्रीख़े खानदाने बरकात, ताजुल उलमा, सिराजुल उर्फा, ताजुल उलमा हज़रत सय्यद शाह औलादे रसूल मुहम्मद मियां मारहरवी कुद्दीसा सिररुहुन नूरानी! मुजद्दिदे बरकातियत हज़रत सय्यद शाह अबुल कासिम इस्माईल हसन कुद्दीसा सिररुहुन नूरानी! के फ़रज़न्द (बेटे) हैं, और आप की विलादत 23, रमज़ानुल मुबारक 1309, हिजरी को ज़िला सीतापुर यूपी में हुई, और आप को “ताजुल उलमा” के लक़ब से याद किया जाता है और इसी नाम से मशहूर हैं।

वालिद माजिद

आप के वालिद माजिद का नाम मुबारक मुजद्दिदे बरकातियत हज़रत सय्यद शाह अबुल कासिम इस्माईल हसन उर्फ़ शाहजी मियां कुद्दीसा सिररुहुन नूरानी! है, और आप के दादा जान “हज़रत सय्यद शाह मुहम्मद सादिक मारहरवी रहमतुल्लाह अलैह, हैं, और परदादा का नाम हज़रत सय्यद शाह औलादे रसूल मारहरवी रहमतुल्लाह अलैह, हैं, और आप के जद्दे अमजद “हज़रत सय्यद शाह आले बरकात सुथरे मियां मारहरवी रहमतुल्लाह अलैह, हैं, और आप के मूरिसे आला सय्यदुल आरफीन हज़रत सय्यद शाह हमज़ाह ऐनी मारहरवी रहमतुल्लाह अलैह, हैं।

तालीमों तरबियत

हज़रत सय्यद शाह औलादे रसूल मुहम्मद मियां मारहरवी कुद्दीसा सिररुहुन नूरानी! कुरआन शरीफ, इल्मे तफ़्सीर, इल्मे हदीस, मंतिक, फलसफा, इल्मे फ़िक़्ह, व उसूले फ़िक़्ह, सर्फ़ व नहो, की तालीम अपने वालिद माजिद हज़रत सय्यद शाह अबुल कासिम इस्माईल हसन उर्फ़ शाहजी मियां! हज़रत अल्लामा व मौलाना शाह अब्दुल मुक्तदिर बदायूनी, हज़रत मौलाना हैदर शाह पिशावरी, हज़रत हाफ़िज़ अमीरुल्लाह साहब बरेलवी, हज़रत मौलाना गुलाम रहमानी विलायती रिदवानुल्लाही तआला अलैहिम अजमईन,

सीरतो ख़ासाइल

हज़रत सय्यद शाह औलादे रसूल मुहम्मद मियां मारहरवी कुद्दीसा सिररुहुन नूरानी! की शक्लो सूरत हज़रत सय्यद शाह अबुल हुसैन अहमदे नूरी मियां रहमतुल्लाह अलैह से काफी मुशाबहत मिलती जुलती थी, हज़रत सय्यद शाह औलादे रसूल मुहम्मद मियां मारहरवी कुद्दीसा सिररुहुन नूरानी! बेहतरीन जय्यद आलिमे दीन, मुफ़्ती, मुहद्दिस, मुफ़स्सिर, थे, आप को किताबें पढ़ने का बहुत शोक था, याददाश्त इतनी अच्छी थी के जो पढ़ते फ़ौरन याद हो जात। हज़रत सय्यद शाह औलादे रसूल मुहम्मद मियां मारहरवी कुद्दीसा सिररुहुन नूरानी! का दीन पर मज़बूती से काइम रहना शरीअत के उसूलों पे पाबंद रहना, और अपने चाहने वालों को भी इस रास्ते पर चलने की हिदायत देना एक काबिले तक़लीद अमल है,

हज़रत सय्यद शाह औलादे रसूल मुहम्मद मियां मारहरवी कुद्दीसा सिररुहुन नूरानी की ज़िन्दगी नज़्मो ज़ब्त से इबारत थी, सफर में ज़रूरी सामान का हमेशा साथ रखना, किसी को ज़हमत तकलीफ ना देना, ये सब आप की ख़ास आदतों में से था, एक मर्तबा आप के खास मुरीद हज़रत मौलाना मज़हर साहब! बदायूनी ने आप को पंखे से हवा करना चाही तो आप ने फ़रमाया के आइन्दाह ऐसा ना करना, कुदरत ने हमें दो हाथ अपना काम करने को अता फरमाए, आप की खास आदात थी न किसी की बुराई सुनते, ना करते, कोई ग़ीबत करता तो उस को फ़ौरन मना करते।


इमाम अहमद रज़ा फाज़ले बरेलवी से मुहब्बत

हज़रत सय्यद शाह औलादे रसूल मुहम्मद मियां मारहरवी कुद्दीसा सिररुहुन नूरानी! एक ऐसे महिरबान मुर्शिद थे जो अपने दोस्त अहबाब की बेकसी और परेशानी में बहुत मददगार और फर्याद सुनकर फ़ौरन हाजत रवाई फरमाते, मुजद्दिदे आज़म आला हज़रत इमाम अहमद रज़ा मुहद्दिसे बरेलवी रदियल्लाहु अन्हु! से आप के तअल्लुक़ात बहुत गहरे और मुहब्बत वाले थे, हालांके मुजद्दिदे आज़म आला हज़रत इमाम अहमद रज़ा मुहद्दिसे बरेलवी रदियल्लाहु अन्हु! उमर में हज़रत सय्यद शाह औलादे रसूल मुहम्मद मियां मारहरवी रहमतुल्लाह अलैह! से बहुत बड़े थे, लेकिन सय्यद ज़ादे पीरज़ादगी की निस्बत से मुजद्दिदे आज़म आला हज़रत इमाम अहमद रज़ा मुहद्दिसे बरेलवी रदियल्लाहु अन्हु! हज़रत सय्यद शाह औलादे रसूल मुहम्मद मियां मारहरवी कुद्दीसा सिररुहुन नूरानी! का बहुत एहतिराम फरमाते थे, मुजद्दिदे आज़म आला हज़रत इमाम अहमद रज़ा मुहद्दिसे बरेलवी रदियल्लाहु अन्हु! आप को “वारिसुल अकाबिर अल असियाद बिल इस तेहकाकुल इंफिराद” जैसे अल काब से मुख़ातब करते, और हुज़ूर ताजुल उलमा तो इन पर दीनी की खिदमात की वजह से जाँनिसार! थे, हज़रत ताजुल उलमा औलादे रसूल मुहम्मद मियां कुद्दीसा सिररुहु! फरमाते थे के फ़कीर इन को अपने पेश्तर असातिज़ाए किराम से बेहतर मानता है, इन की तहरीरों और तकरीरों दोनों ही से फ़कीर ने तालिबे इल्म की तरह फायदा हासिल किया है, लिहाज़ा फ़कीर अपनी वुसअत के मुताबिक इन के तरीके की पैरवी करता है,

हज़रत सय्यद शाह औलादे रसूल मुहम्मद मियां मारहरवी कुद्दीसा सिररुहुन नूरानी! का सब से बड़ा कार नाम अपने दोनों हमशीर ज़ादों सय्यदैन यानि हज़रत सय्यदुल उलमा! हज़रत अहसनुल उलमा! की तरबियत है, जिस की वजह से आज खानदाने बरकात का नाम तमाम दुनिया में रोशन है, हज़रत सय्यद शाह औलादे रसूल मुहम्मद मियां मारहरवी कुद्दीसा सिररुहुन नूरानी! ने अपने दौर में खानकाह शरीफ के पूरे निज़ाम में अपनी मेहनत और पुरखुलूस अमल के ज़रिए बे मिसाल तब्दीलियां कीं, शरीअतो तरीकत दोनों को नाफ़िज़ किया, अपने सारे घराने को इल्मे दीन से आरास्ता पेरास्ता किया, खानकाही इन्तिज़ामो इनसिराम को अपने इल्मो अमल, अख़लाक़, ख़ुलूस किरदार से मज़बूती बख्शी ही नहीं, बल्कि खानकाह के मिशन को मज़बूत से मज़बूत करने में अपनी पूरी ज़िन्दगी वक़्फ़ करदी।

आप के अहम् कार नामे

तक़सीमे हिन्द के मोके पर जब हिंदुस्तान के मुस्लमान मुसीबत के हालात से गुज़र रहे थे, खानकाहों, मदरसों, दरगाहों, मस्जिदों के तहफ़्फ़ुज़ का सवाल खड़ा था, साथ ही साथ मुसलमानो के माली हालात भी बद से बदतर हो रहे थे ऐसे में खानकाहे बरकातिया ने हज़रत सय्यद शाह औलादे रसूल मुहम्मद मियां मारहरवी रहमतुल्लाह अलैह! की निगरानी में “जमाअते अहले सुन्नत” नामी एक तंज़ीम का पलेट फार्म सुन्नी मुसलमानो को दिया जिस के मुबल्लिगों ने अपनी तमाम ताकत दीन इस्लाम के पैगाम को सही तौर से पहुंचाने में लगा दी, शुधी तहरीक के खिलाफ काम कर के मुसलमानो के ईमान की हिफाज़त की गई, हज़रत सय्यद शाह औलादे रसूल मुहम्मद मियां मारहरवी कुद्दीसा सिररुहुन नूरानी! ने ना सिर्फ मैदाने अमल में फतह के परचम लहराए बल्के इल्मी तौर से भी बेदार करने और उस वक़्त के हालात से आगाह करने के लिए “अहले सुन्नत की आवाज़” नाम का रिसाला अपनी सरपरस्ती और सय्यादैन मारहरा की इदारत में निकाला, यही वो रिसाला था जो पहले अहले सुन्नत वल जमात को उस बिगड़े दौर में शरीअत के मुताबिक ज़िन्दगी गुज़ारने और हर फसाद से दूर रहने की हिदायत दे रहा था, औलियाए किराम की मुहब्बत और अकीदत की हिफाज़त का ज़िम्मेदार था,

आज भी ये सालाना रिसाला इल्मो आगाही के जाम लोगों को बदस्तूर पिला रहा है,
हज़रत सय्यद शाह औलादे रसूल मुहम्मद मियां मारहरवी कुद्दीसा सिररुहुन नूरानी! ने अपने तमाम दीनी, दुनियावी, खानकाही ज़िम्मेदारियों के बावजूद कोमी नज़रिये को लोगों तक पहुंचाया, जंगे आज़ादी हो या तरके मवालात, खिलाफत मोमेंट हो या इस्लामी कॉम का बिगड़ते हुए दौर में अवाम को जगाने का काम हो, हज़रत सय्यद शाह औलादे रसूल मुहम्मद मियां मारहरवी कुद्दीसा सिररुहुन नूरानी! ने अपनी मुख्लिस खिदमात अंजाम दीं, जब बर्रे सगीर के मुस्लमान उस दौर में जोश जज़्बात और अंजाम को सोचे समझे बगैर सियासत में आगे आगे रहने की ना काम कोशिश कर रहे थे ऐसे में हज़रत ताजुल उलमा औलादे रसूल मुहम्मद मियां कुद्दीसा सिररुहु! जमाअते अंसारुल इस्लाम, जमात रज़ाए मुस्तफा जैसी तंज़ीमों की सरपरस्ती फरमा कर कॉम को राहे हिदायत पर चलाते रहे।

अक़्द मस्नून

आप का निकाह “मंज़ूर फातिमा” नो मुहल्लाह के सादाता बरैल से हुआ, जो सय्यद वजीहुद्दीन अहमद साहब नकवी बरेलवी की बेटी थीं, आप के एक साहबज़ादे हुए जिन का बचपन ही में इन्तिकाल हो गया।

इजाज़तो खिलाफत

आप को बैअतो खिलाफत अपने वालिद माजिद हज़रत सय्यद शाह अबुल कासिम मुहम्मद इस्माईल हसन शाहजी मियां रहमतुल्लाह अलैह से और नाना जान हज़रत सय्यद शाह अबुल हुसैन अहमदे नूरी मारहरवी रहमतुल्लाह अलैह! से हासिल थी,

आप के चंद नामवर खुलफ़ा

(1) सय्यदुल उलमा हज़रत सय्यद शाह आले मुस्तफा
(2) हज़रत सय्यद शाह मुस्तफा हैदर हसन मियां
(3) पिरोफ़ैसर सय्यद शाह अमीन मियां बरकाती वगेरा

इन्तिक़ाले पुरमलाल

24/ जमादिउल उखरा 1375/ हिजरी मुताबिक 7, फ़रवरी 1956, ईसवी बाद नमाज़े हुआ।

मज़ार शरीफ

आप का मज़ार मुकद्द्स मारहरा शरीफ ज़िला एटा यूपी हिन्द में ज़ियारत गाहे खलाइक है,

“अल्लाह रब्बुल इज़्ज़त की उन पर बेशुमार रहमत हो और उन के सदके में हमारी मगफिरत हो”

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रेफरेन्स हवाला

  • बरकाती कोइज़
  • तारीखे खानदाने बरकात
  • तज़किरा मशाइखे मारहरा

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