हज़रत सय्यद शाह आले बरकात सुथरे मियां कादरी मारहरवी रहमतुल्लाह अलैह

हज़रत सय्यद शाह आले बरकात सुथरे मियां कादरी मारहरवी रहमतुल्लाह अलैह

दिल को अच्छा तन को सुथरा जान को पुर नूर कर
अच्छे प्यारे शमशुद्दीं बदरुल उला के वास्ते

विलादत शरीफ

सनादुल कामिलीन हज़रत सय्यद शाह आले बरकात सुथरे मियां मारहरवी रहमतुल्लाह अलैह! सय्यदुल आरफीन हज़रत शाह हमज़ाह ऐनी मारहरवी रदियल्लाहु अन्हु के मंझले शहज़ादे हैं, और आप की पैदाइश 10/ रजाबुल मुरज्जब 1163,हिजरी को मारहरा शरीफ ज़िला ऐटा में हुई।

वालिद माजिद

आप के वालिद माजिद का नाम मुबारक सय्यदुल आरफीन हज़रत शाह हमज़ाह ऐनी मारहरवी रदियल्लाहु अन्हु है, और आप के दादा जान हज़रत सय्यद शाह आले मुहम्मद कादरी बरकाती मारहरवी रदियल्लाहु अन्हु, और आप के पर दादा का नामे नामी इस्मे गिरामी साहिबुल बरकात सुल्तानुल आशिक़ीन हज़रत “सय्यद शाह बरकतुल्लाह इश्कि” मरहरवी रहमतुल्लाह अलैह है।

इजाज़तो खिलाफत

आप के वालिद माजिद ने आप की नशो नुमा (परवरिश) तालीमों तरबियत दूसरे इल्मो फ़न के साथ फन्ने तिब यानि हिकमत भी हासिल की, आप वालिद माजिद हज़रत सय्यद हमज़ाह ऐनी रहमतुल्लाह अलैह! के हाथ पर बैअत मुरीद हुए, और खिलाफत हासिल की, इस के अलावा शमशे मारहरा हज़रत सय्यद शाह आले अहमद अच्छे मियां मारहरवी कुद्दीसा सिररुहुन नूरानी ने भी खिलाफत अता फ़रमाई थी, हज़रत सय्यद शाह आले बरकात सुथरे मियां रहमतुल्लाह अलैह! बहुत कम मुरीद फरमाते थे अपने साहबज़ादों के अलावा सिर्फ क़ुत्बे गवालियर हज़रत हाफ़िज़ नसीरुद्दीन रहमतुल्लाह अलैह को खिलाफत अता फ़रमाई, आप कलाम गुफ्तुगू बहुत कम फरमाते थे, अक्सर औरादो वज़ाइफ़ में मशगूल रहते थे।

आप की इबादतों रियाज़त

आप की फ़ज़ीलत का ये आलम था के 12, साल की उमर से लेकर नव्वे 90, साल की उमर तक अमाल व औरादो वज़ाइफ़ में मसरूफ रहे, क़ुरआने पाक की तिलावत का ये आलम था के हज़ारों नहीं लाखों बार कुरआन शरीफ मुकम्मल किए, दुआए हिर्ज़े यमानी (सैफ़ी) लाखों बार पढ़ी, हज़रत सय्यद शाह आले बरकात सुथरे मियां रहमतुल्लाह अलैह! अपनी शहादत की ऊँगली पर पट्टी बांधे रहते थे, एक दिन आप के छोटे साहबज़ादे हज़रत गुलाम मुहीयुद्दीन अमीर आलम रहमतुल्लाह अलैह! ने इन की ऊगली पर पट्टी देख कर पूछा के आप की ऊगली में क्या हो गया?

तो हज़रत ने फ़रमाया: कुछ नहीं, इस पर आप के साहबज़ादे ने वो पट्टी आप के नाखून से खींच ली तो देखा के नाखून पर अल्लाह लिखा हुआ है, जब आप के साहबज़ादे ने इन से पूछा ये कैसे हुआ? तो आप ने इरशाद फ़रमाया के हर नमाज़ में जब ये ऊँगली अल्लाह पाक की वहदानियत की गवाही देती है तो अगर इस पर इतना भी असर ना आए तो दिल पर कैसे असर होगा, ये था हज़रत सय्यद शाह आले बरकात सुथरे मियां रहमतुल्लाह अलैह! की इबादतों रियाज़त का आलम, और आप का तक्वा भी अज़ीम था के आप को मस्जिद में नमाज़ पढ़ने और यादे इलाही का बहुत शोक था मारहरा शरीफ में रहते हुए सख्त बिमारी के सबब सिर्फ तीन रोज़ आप मस्जिद में ना जा सके जिस का उमर भर कलक गम रहा।

शायरी से शग़फ़

आप शायरी से भी शग़फ़ रखते थे अच्छे शायर थे, और “अशोफ्ता” तखल्लुस रखते थे।

आप का अक़्द मस्नून

आप ने दो निकाह किए, एक सय्यद मुहम्मद अहसान साहब की साहबज़ादी से हुआ, जिससे हज़रत सय्यद शाह आले इमाम जुम्मा मियां पैदा हुए, दूसरा निकाह बाराबंकी के सादात में क़ाज़ी सय्यद गुलाम शाह हुसैन साहब बिलगिरामी की साहबज़ादी से “फ़ज़्ल फातिमा” से हुआ, (1) जिन से ख़ातिमुल अकाबिर सय्यद शाह आले रसूल अहमदी, (आप ही हुज़ूर आला हज़रत के पीरो मुर्शिद हैं) (2) हज़रत सय्यद शाह औलादे रसूल, (3) हज़रत सय्यद शाह गुलाम मुहीयुद्दीन अमीर आलम रिद्वानुल्लाही तआला अलैहिम अजमईन।

बादे विसाल की करामत

हज़रत सय्यद शाह आले बरकात सुथरे मियां रहमतुल्लाह अलैह! के विसाल से कुछ साल पहले आप ने वसीयत की थी के मुझे हज़रत हमज़ाह ऐनी और हज़रत सय्यद आले मुहम्मद! के दरमियान दफ़न किया जाए, विसाल के बाद जब कबर खोदने की तय्यारी हुई तो वहां इतनी जगह दरमियान में ना थी के कबर बन सके, नाचार दूसरी जगह कबर के लिए तय्यारी हुई, जब दरगाह में आप को दफ़न करने के लिए जा ही रहे थे के हज़रत सय्यद शाह अले रसूल इस जगह पर गए जहाँ हज़रत सय्यद शाह आले बरकात सुथरे मियां रहमतुल्लाह अलैह! ने वसीयत फ़रमाई थी तो देखा के इन दोनों मज़ारों के पीछे अच्छी खासी जगह मौजूद है,

ख़ातिमुल अकाबिर हज़रत सय्यद शाह आले रसूल अहमदी रहमतुल्लाह अलैह ने ये करामत तमाम हाज़रीन को दिखलाई, जिससे साफ़ मालूम हुआ के हज़रत सय्यद आले मुहम्मद रहमतुल्लाह अलैह का मज़ार अपनी जगह से पूरब की जानिब सरक गया है और अपने लख्ते जिगर राहते जान हज़रत सुथरे मियाँ रहमतुल्लाह अलैह! के लिए अपने और अपने फ़रज़न्द हज़रत सय्यद शाह हमज़ाह ऐनी रहमतुल्लाह अलैह! के दरमियान में जगह कर दी है, हाज़रीन इस करामत को देख कर बहुत तअज्जुब में पड़े और फिर हज़रत सय्यद शाह आले बरकात सुथरे मियां रहमतुल्लाह अलैह! हज़रत सय्यद शाह हमज़ाह ऐनी रहमतुल्लाह अलैह! और हज़रत सय्यद शाह आले मुहम्मद रहमतुल्लाह अलैह के मज़ार के बीच में दफ़न किए गए।

आप के खुलफाए किराम

हज़रत सय्यद शाह आले बरकात सुथरे मियां रहमतुल्लाह अलैह! ने खानदान से बाहर बहुत कम लोगों को खिलाफत से नवाज़ा, इस लिए दीगर मशाइखे इज़ाम की बा निस्बत आप के खुलफ़ा की तादाद कम है, आप के खुलफ़ा में,
(1) ख़ातिमुल अकाबिर हज़रत सय्यद शाह आले रसूल अहमदी
(2) हज़रत सय्यद शाह औलादे रसूल
(3) हज़रत सय्यद शाह गुलाम मुहीयुद्दीन अमीर आलम
(4) हज़रत हाफ़िज़ नसीरुद्दीन रिद्वानुल्लाही तआला अलैहिम अजमईन।

इन्तिक़ाले पुरमलाल

26/ रमज़ानुल मुबारक बरोज़ सनीचर 1251/ हिजरी ज़ोहर के वक़्त मारहरा शरीफ में हुआ।

मज़ार शरीफ

आप का मज़ार मुबारक मारहरा शरीफ ज़िला एटा यूपी इण्डिया में मरजए खलाइक है,

“अल्लाह रब्बुल इज़्ज़त की उन पर बेशुमार रहमत हो और उन के सदके में हमारी मगफिरत हो”

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रेफरेन्स हवाला बरकाती कोइज़
तारीखे खानदाने बरकात

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