हज़रत सय्यद शाह आले मुहम्मद मारहरवी रहमतुल्लाह अलैह की ज़िन्दगी

हज़रत सय्यद शाह आले मुहम्मद मारहरवी रहमतुल्लाह अलैह की ज़िन्दगी

हुब्बे अहले बैत दे आले मुहम्मद के लिए
कर शहीदे इश्के हमज़ाह पेशवा के वास्ते

विलादत शरीफ

हज़रत सय्यद शाह आले मुहम्मद मारहरवी रहमतुल्लाह अलैह की पैदाइश अठ्ठारह 18, रमज़ानुल मुबारक 1111, हिजरी बरोज़ जुमेरात को बिलगिराम शरीफ ज़िला हरदोई यूपी हिन्द में हुई।

इस्मे गिरामी

आप का नामे मुबारक अबुल बरकात “सय्यद शाह आले मुहम्मद” और आप का लक़ब “सरकारे कलां” है कुद्दीसा सिररुहुन नूरानी, आप ही की निस्बत से आज मौजूदा खानवादा “बड़ी सरकार” के नाम से जाना जाता है।

आप के वालिद माजिद

सुल्तानुल आशिक़ीन हज़रत सय्यद शाह बरकतुल्लाह मारहरवी रदियल्लाहु अन्हु हैं।

तालीमो तरबीयत

आप हज़रत सय्यद शाह आले मुहम्मद मारहरवी रहमतुल्लाह अलैह की तालीमो तरबीयत वालिद मुहतरम की आगोश में हुई और वालिद मुहतरम से ही शरफ़े बैअत खिलाफ़तो इजाज़त हासिल थी, और साथ ही में आप को सय्यदुल आरफीन मीर शाह लुत्फुल्लाह लुध्धा बिलगिरामि कुद्दीसा सिररुहुन नूरानी ने भी खिलाफ़तो इजाज़त से आप को सरफ़राज़ किया था।

आप के फ़ज़ाइलो कमालात

कुद वतुल आरफीन, उस्वतुल वासलीन, आलिमे कामिल, हज़रत सय्यद शाह आले मुहम्मद मारहरवी रहमतुल्लाह अलैह आप सिलसिलए आलिया क़दीरिया रज़विया के चौतीसवें 34, वे इमाम व शैख़े तरीकत हैं, आप अपने वालिद मुहतरम के निहायत चहीते फ़रज़न्द थे, वालिद माजिद को आप की जुदाई शाक अजीरन गुज़रती थी, आप की पूरी उमर बुज़ुरगों के ज़ेरे साए में गुज़री और फियूज़ो बरकात से मुस्तफ़ीज़ हुए, इबादतों रियाज़त और तकवाओ तहारत में आप दर्जाए कमाल पर थे, और अख़लाक़ो आदात में अपने अस्लाफ के सही तर्जुमान थे, वालिद माजिद ने अपनी हयात मुबारक में ही आप को अपना मुकम्मल जानशीन बना दिया था, और जब कोई तालिब आप के वालिद सय्यद शाह बरकतुल्लाह मारहरवी रदियल्लाहु अन्हु की बारगाह में पहुँचता तो आप इरशाद फरमाते के आले मुहम्मद के पास जाओ, उसने मेरे सर से बहुत सा बोझ हल्का कर दिया है और राहत बख्शी है, फिर वालिद गिरामी ने तमाम खिदमात राहे सुलूक व मारफत आप को ही सौंप दीं, और आप का बेश्तर वक़्त क़ुतुब तसव्वुफ़ ख़ुसूसन वालिद मुहतरम की किताबों के मुताले में गुज़रता था।

आप की शाने इबादतों रियाज़त

आप हज़रत सय्यद शाह आले मुहम्मद मारहरवी रहमतुल्लाह अलैह! इबादते इलाही में हमा तन मसरूफ रहते थे, अठ्ठारा 18, साल तक रियाज़त में मसरूफ रहे और “पूरे तीन साल तक एतिकाफ में खल्वत गुज़ीं रहे” और जों की रोटी से इफ्तार करते थे, इन दिनों में आमाल व औराद व मुराकिबा और अज़्कारो अशग़ाल हर तरीके के जारी रहे, जिससे फ़ज़ल व अनवारे तजल्लियात बेशुमार हासिल हुए, फिर हब्से नफ़्स की तरफ आप मुतवज्जेह हुए, और इस को दर्जाए कमाल तक पहुंचाया, इन अय्याम में तीन महीने तक एक रुपये के बराबर पानी पीते और बाजरे की सूखी रोटी तनावुल फरमाते, बयान किया गया है के रियाज़त की वजह से आप के सर मुबारक में गढ्ढा सा पड़ गया था और तालू तक गिर गया था, यहाँ तक के हब्से नफ़्स के सुलूक मुश्किला को भी पूरा फ़रमाया।

दरसे सुलूक

वालिद मुहतरम ने तालबाने सालिक की खिदमात व तालीम व तअल्लुम आप के हवाले कर दिया था, आप की खिदमत में जो शख्स आता, उस को ज़ाहिरो बातिन में पूरा पूरा शरीअते मुतह्हिरा से आरास्ता पैरास्ता होने की वसीयत फरमाते और ना ख्वांदह मुब्तदी को अलिफ़ से शुरू करा कर सबक बातनि का हमराज़ भी बना देते थे यही नहीं बल्के एक की सफाई ज़मीर पर रौशनी भी मालूम कर के उस को मंज़िले मक़सूद तक पहुंचाते थे और किताब “मासिरुल किराम” में है के हज़रत सय्यद शाह अबुल बरकात आले मुहम्मद मारहरवी रदियल्लाहु अन्हु अमराज़े कलबी के इज़ाला में शाने मसीहाई रखते थे।

शाने बेनियाज़ी

आप की शाने बेनियाज़ी व इस्तिगना का ये आलम था के बादशाहों और नवाबों से अक्सर दूर रहते और उनको अपने पास तक आने नहीं देते चुनांचे नवाब नजीबुद दौला व नवाब अली खान, नवाब ग़ाज़ीउद्दीन खान, इमादुल मलिक और नवाब अब्दुल मंसूर खान सफ़दर जंग शहाने अहिद ने हर चंद कोशिश की के इन्हें कदम बोसी या कम से कम नज़राने भेजने की इजाज़त मिलो जाए, मगर आप साफ़ कह देते थे, फ़क़ीर यहीं से दुआ कर रहा है आने की ज़रूरत नहीं नवाब अहमद खान, ग़ालिब जंग वाली फर्रखाबाद आप की बारगाहे आली से ही फ़ैज़याफ्ता व दुआ कराने में कामयाब हो गए । आप के चंद अहम कारनामे बताओ :-
आप तालिबों को उलूमे ज़ाहिर व बातिन से आरास्ता करते थे, हुज़ूर साह्बुल बरकात के मुता वस्सिलीन के मुजाहिदों की तकमील करते थे, आप ही की दुआ से नवाब अहमद खान फर्रखाबाद का हाकिम बना, आप ने पूरे 18, साल तक मुजाहिदा किया और तीन साल तक बराबर मोतकिफ़ यानि एतिकाफ में रहे,

आप की दुआ से बादशाही मिल गई

आप अपनी खिदमत में किसी भी हाकिम या नवाब को आने का मौका नहीं देते ता हम नवाब अहमद खान ग़ालिब जंग वाली फर्रखाबाद इस के बादशाह होने का किसी को गुमान तक नहीं था, एक मर्तबा वो हज़ार कोशिश आप की खिदमत में हाज़िर हो कर दुआ कराने में कामयाब हो गया, हज़रत सय्यद शाह आले मुहम्मद मारहरवी रहमतुल्लाह अलैह ने नवाब मज़कूर के हक में दुआ फ़रमाई जिस दुआ के असर से वो हाकिमे फर्रखाबाद हुआ, अहमद खान ग़ालिब जंग ने 1175, हिजरी में शानदार दरगाह और खानकाह तामीर कराई और बारह मुस्लिम गाऊं खानकाह के इख़राजात के लिए वक़्फ़ कर दिए और मज़ीद चार सो सालाना नज़राना भी मुकर्रर कर दिया 1189, हिजरी में शाही आलम बादशाह ने अपनी तरफ से पांच और गाऊं बढ़ा कर के नज़राना पेशा किया, गरज़ 25, गाऊं मुख्तलिफ औकात में सलातीन व सरदार ने नज़राने पेश किए, ताके इन की आमदनी से दरगाह खानकाह शरीफ के इख़राजात पूरे हों और उमूरे दीनिया की अंजाम दही में मुआशी दुश्वारियां हाइल न हों।

आप की तसानीफ़

आप की तसानीफ़ के मुतअल्लिक़ हज़रत अल्लामा सय्यद शाह मुहम्मद मियां क़ादरी मारहरवी कुद्दीसा सिररुहुन नूरानी तहरीर फरमाते हैं के हज़रत सय्यद शाह आले मुहम्मद मारहरवी रहमतुल्लाह अलैह की तस्नीफ़ से फ़क़ीर ने कोई किताब न देखि ना सुनी, सिर्फ आप के दस्ते कलम की तहरीर फ़रमाई हुई दो दुआएं फ़क़ीर के पास हैं और हज़रत शाह हमज़ाह ऐनी कुद्दीसा सिररुहुन नूरानी ने आप की मुअल्लिफ़ एक बयाज़ का “बयाज़े दिल्ली” के नाम से हवाला दिया है और इस के आमाल वगैरा अपने मजमुआए अमल में नकल फरमाएं हैं जो हज़रत वालिद माजिद कुद्दीसा सिररुहुन नूरानी के कुतब खाने मो मौजूद है।

आप की औलादे किराम

हज़रत सय्यद शाह आले मुहम्मद मारहरवी रहमतुल्लाह अलैह का निकाह अपने चचा हज़रत सय्यद शाह अज़्मतुल्लाह साहब की साहब ज़ादी गनीमत फातिमा! से हुआ, आप के बतन से दो साहब ज़ादे और एक साहब ज़ादी हुईं जिन के अस्मा ये हैं: (1) हज़रत सय्यद शाह हमज़ाह ऐनी कुद्दीसा सिररुहुन नूरानी, (2) हज़रत सय्यद शाह हक्कानी कुद्दीसा सिररुहुन नूरानी आप की पैदाइश 1145, हिजरी में हुई और विसाल सत्तरह हिजरी में हुआ, आप को ईमारत और बाग़ का बहुत शोक था, आप ने इल्मी व तस्नीफी खिदमात भी अंजाम दीं चुनांचे आप की तस्नीफ़ में तफ़्सीरे कुरआन उर्दू मुसम्मा “इनायतेँ रसूल” और तर्जुमा उर्दू अल अख़बार मुसम्मा, और एक बयाज़ फवाइद मुतफ़र्रिका हज़रत शाह मुहम्मद मियां मारहरवी कुद्दीसा सिररुहुन नूरानी के क़ुतुब खाने में मौजूद है, आप ने शादी नहीं की थी, (3) एक साहबज़ादी थीं जिन का निकाह आप के हमशीर ज़ादा हाफ़िज़ सय्यद मुहम्मद रज़ा बिन सय्यद अमानुल्लाह बिन कबीला बहता से हहआ, जिन की औलाद आरा कोआत, बिलगिराम, मारहरा, में है।

आप के खुलफाए किराम

आप के मशाहीर खुलफाए किराम के नाम ये हैं:

  1. हज़रत क़ुत्बुल कामिलीन सय्यद शाह हमज़ाह ऐनी,
  2. हज़रत शाह ज़हूरुल्लाह कश्मीरी
  3. हज़रत शाह वासिल
  4. हज़रत शाह अब्दुल हादी
  5. हज़रत शाह शाहनवाज़ कम्बोह सम्भली
  6. हज़रत शाह फखरुद्दीन अहमद मुलक्क्ब शाह बाकी बिल्लाह पंजाबी
  7. हज़रत शाह फ़क़ीरुल्लाह उर्फ़ शाह आरिफ़े बिल्लाह
  8. हज़रत शाह बुज़रुग मारहरवी
  9. हज़रत शाह मकन
  10. हज़रत शाह अनवर
  11. हज़रत शाह रहमतुल्लाह
  12. हज़रत शाह मौलवी गुलाम अली उतरोलवी
  13. हज़रत शाह हफीज़ुल्लाह
  14. हज़रत शाह असरारुल्लाह
  15. हज़रत शाह नादिरूल अस्र
  16. हज़रत शाह बैरंग मजज़ूब
  17. हज़रत शाह रफीक
  18. हज़रत शाह शैदा
  19. हज़रत शाह बू अली
  20. हज़रत शाह फ़ज़्लुल्लाह
  21. हज़रत शाह महबूबुल्लाह शाह
  22. हज़रत शाह मुफ़्ती जलालुद्दीन
  23. हज़रत शाह मुहम्मद शाकिर मुसन्निफ़ कासिमिया रिद्वानुल्लाही तआला अलैहिम अजमईन।

विसाले पुर मलाल व उर्स

हज़रत सय्यद शाह आले मुहम्मद मारहरवी रहमतुल्लाह अलैह का विसाल 16, रमज़ानुल मुबारक 1164, हिजरी को विसाल फ़रमाया।

मज़ार शरीफ

आप का मज़ार मुबारक मारहरा शरीफ ज़िला एटा यूपी इण्डिया में मरजए खलाइक है,

“अल्लाह रब्बुल इज़्ज़त की उन पर बेशुमार रहमत हो और उन के सदके में हमारी मगफिरत हो”

Share Zaroor Kare’n JazaKallh Khaira

रेफरेन्स हवाला

(1) तज़किराए मशाइखे क़ादिरिया बरकातिया रज़विया
(2) तज़किराए मशाइखे मारहरा
(3) खानदाने बरकात
(4) बरकाती कोइज़

Share this post