हज़रत ख्वाजा सय्यद अरब बुखारी चिश्ती बदायूनी रहमतुल्लाह अलैह की ज़िन्दगी

हज़रत ख्वाजा सय्यद अरब बुखारी चिश्ती बदायूनी रहमतुल्लाह अलैह की ज़िन्दगी

सीरतो ख़साइल

आप सुल्तानुल मशाइख सरकार महबूबे इलाही निज़ामुद्दीन औलिया देहलवी रहमतुल्लाह अलैह! के नाना जान! हैं, आप के वालिद माजिद का इस्मे गिरामी ख्वाजा सय्यद मुहम्मद था, और दादा का नाम सय्यद हुसैन बिन अली बे बाज़ू था, हज़रत सय्यद जाफ़र सानी की औलाद में थे, हज़रत ख्वाजा सय्यद अली बुखारी के रिश्ते के चचा ज़ाद भाई थे, आप के आबाओ अजदाद का वतन मुल्के उज़्बेकिस्तान, का शहर बुखारा! था, बाद में वहां से सुकूनत रिहाइश तर्क कर के शहर गज़नी चले आए थे, सिलसिलए नसब हज़रत सय्यदना जाफर सानी रदियल्लाहु अन्हु तक पहुंच जाता है, हज़रत ख्वाजा सय्यद अरब बुखारी चिश्ती बदायूनी रहमतुल्लाह अलैह अपने वतन अफगानिस्तान का शहर गज़नी! को खेर बाद कह कर कुतबुद्दीन ऐबक, के दौरे सल्तनत में पाकिस्तान के शहर लाहौर में क़याम किया, फिर इस के बाद 606/ हिजरी में हिंदुस्तान के सूबा यूपी के मशहूर शहर बदायूं! तशरीफ़ लाए, और मोहल्ला सोथा! में मुस्तकिल सुकूनत इख़्तियार फ़रमाई।

बैअतो खिलाफत

हज़रत ख्वाजा सय्यद अरब बुखारी चिश्ती बदायूनी रहमतुल्लाह अलैह सिलसिलए चिश्तिया में शैख़े कामिल हज़रत सय्यदना ख्वाजा उस्मान हारूनी रहमतुल्लाह अलैह से मुरीद व खिलाफत हासिल थी, और सिलसिलए कादिरिया में आप अपने वालिद माजिद सय्यद मुहम्मद बिन हसन बुखारी के मुरीद व खलीफा थे, और आप के वालिद माजिद ने शहरे विलायत इमामुल औलिया हज़रत शैख़ अब्दुल क़ादिर जिलानी गौसे आज़म बगदादी रदियल्लाहु अन्हु! से खिरकाए खिलाफत हासिल किया था, इल्मो फ़ज़्ल, ज़ुहदो तक़वा और करामात में यगानए रोज़गार थे, 618/ हिजरी में वासिले बहक हुए, मज़ार शरीफ बदायूं में है।

नाना जान

आप सुल्तानुल मशाइख सरकार महबूबे इलाही निज़ामुद्दीन औलिया देहलवी रहमतुल्लाह अलैह! के नाना जान हैं।

दो साहबज़ादे

हज़रत ख्वाजा सय्यद अरब बुखारी चिश्ती बदायूनी रहमतुल्लाह अलैह के साथ आप के दो साहबज़ादे आली वकार हज़रत ख्वाजा सय्यद अब्दुल्लाह बुखारी और ख्वाजा सय्यद महमूद बुखारी! (सरकार महबूबे इलाही रहमतुल्लाह अलैह के मामू) भी तशरीफ़ लाए थे, ये दोनों हज़रात अपने वालिद माजिद ही के मुरीदो खलीफा और इल्मो फ़ज़्ल में इनका परतो थे, अव्वल का विसाल 637/ हिजरी और दूसरे का 641/ हिजरी में हुआ, आप दोनों के मज़ारात मुबारक सागर ताल! बदायूं में मौजूद हैं,
मज़्कूरह मशाइखे कादिरिया के बाद जो दौर आता है इन कादिरी बुज़ुर्गों का जिन की हिंदुस्तान आमद की सही तारिख दस्तियाब नहीं मगर सिराहत ज़रूर मिलती है के इन का तअल्लुक सुल्तान शमशुद्दीन अल्तमश के दौरे हुकूमत से है, और सुल्तान शमशुद्दीन अल्तमश का दौरे हुकूमत 607/ हिजरी से 633/ तक था।

इन्तिक़ाले पुरमलाल

13/ शव्वालुल मुकर्रम 618/ हिजरी को आप का इन्तिकाल हुआ।

मज़ार शरीफ

आप का मज़ार मुबारक यूपी के ज़िला बदायूं शरीफ में मरजए खलाइक है।

“अल्लाह रब्बुल इज़्ज़त की उन पर बेशुमार रहमत हो और उन के सदके में हमारी मगफिरत हो”

रेफरेन्स हवाला

(1) मरदाने खुदा
(2) तज़किरतुल वासिलीन

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