सवाल :- हज़रत याक़ूब अहलैहिस्सलाम का असली नाम क्या है?
जवाब :- आपका असली नाम “इसराइल” था | ये इब्रानी लफ्ज़ है जिसके माने हैं अब्दुल्लाह |इसरा के माने अब्द हैं और ईल के माने रब्बे तआला का नाम है|
(तफ़्सीर नईमी)
सवाल :- हज़रत याक़ूब अलैहिस्सलाम का लक़ब “याक़ूब” क्यों हुआ?
जवाब :- याक़ूब अक़ब से बना है जिसके माने हैं ऐड़ी | क्योकि आप अपने भाई ऐसू (या ऐस) के साथ इस तरह पैदा हुए की आपके दोनों हाथ उनकी ऐड़ी से लगे हुए थे | इसी मुनासिबत से आपका लक़ब याक़ूब हुआ
सवाल :- हज़रत याक़ूब अलैहिस्सलाम के दादा और दादी का नाम क्या है?
जवाब :- आपके जद्दे अमजद इब्राहीम अलैहिस्सलाम और दादी मुहतरमा हज़रत सारा रदियल्लाहु अन्हा|
सवाल :- हज़रत याक़ूब अलैहिस्सलाम के नाना का नाम क्या है?
जवाब :- आपके नाना का नाम हज़रत लूत अलैहिस्सलाम है
सवाल :- हज़रत याक़ूब अलैहिस्सलाम ने कितनी शादियां कीं?
जवाब :- आपने चार निकाह किये और चारों बीवियां आपके मामू लायान की बेटियां थीं जो एक बाद दूसरी आपके निकाह में आयीं |
आप निहायत मुश्किल तंगदस्ती की ज़िन्दगी गुज़ार रहे थे अपनी वालिदा माजिदा की सलाह फलाह से अपने मामू के यहां आ गए थे जो मालदार लोगों में से थे वो आपके आने से बहुत खुश हुए और कुछ दिनों बाद अपनी बड़ी बेटी (लिया) से आपका निकाह कर दिया जिनसे आपके चार बेटे हुए | उसके बाद आपकी ये बीवी इन्तिक़ाल कर गयीं | फिर आपके मामू लायान से अपनी दूसरी बेटी से आपका निकाह कर दिया | उनसे दो बच्चे पैदा हुए और ये भी दारुल बक़ा को कूच कर गयीं | फिर लायान से अपनी चौथी नेक बेटी राहील को आपके निकाह में दे दिया | उनसे युसूफ अलैहिस्सलाम पैदा हुए | अल्लाह के हुक्म से यहां से आप किनआन तब्लीग अंजार के लिए तशरीफ़ ले गए | किनआन में बिनयामीन की विलादत हुई और विलादत के वक़्त राहील का इन्तिक़ाल हो गया | लायान ने जब ये वाक़िआ सुना तो अपनी सबसे छोटी बेटी का निकाह भी आपसे कर दिया | आपकी इसी बीवी ने युसूफ अलैहिस्सलाम और बिनयामीन की परवरिश की
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सवाल :- हज़रत याक़ूब अलैहिस्सलाम के कितने बेटे हैं और उनके नाम क्या हैं?
जवाब :- आपके बाराह बेटे थे जिनके नामो में कुछ इख्तिलाफ है:
रोबील
शमऊन
लावा
यहूदा
जबूलौंन
यशजर
दान
नफताली
जाव
आशर
युसूफ
बिनयामीन
अल्लामा जलालुद्दीन सीयूती रहमतुल्लाह अलैह ने उनके नाम इस तरह गिनाए हैं
युसूफ अलैहिस्सलाम
रौबील
शमऊन
लावा
दानी
यहूदा
तफ्तानी
काद
याशीर
एशाजर
रायलोन
बिनयामीन
तफ़्सीर नईमी में इन बेटों के नाम इस तरह हैं
रोबील
शमऊन
लावा
यहूदा
अस्कार
जबलून
दान
तगताली
जद
अशर
युसूफ
बिनयामीन |
और तफ़्सीर नईमी में ही दूसरी जगह इस तरह मज़कूर हैं
रोबील
शमऊन
लावा
यहूदा
युसूफ अलैहिस्सलाम
बिनयामीन
जैतून
यशाखर
वान
नगलानी
काद
अंतराकिया
सवाल :- हज़रत याक़ूब अलैहिस्सलाम के सबसे बड़े बेटे का नाम क्या है ?
जवाब :- सबसे बड़े बेटे शमऊन या रोबील थे (अल त्तिकान)
बाज ने ये कहा की उम्र के ऐतिबार से सबसे बड़ा रोबील था अक़्ल व समझ के ऐतिबार से सबसे बड़ा यहूदा था (हाशिया जलालेंन)
सवाल :- हज़रत याक़ूब अलैहिस्सलाम, युसूफ अलैहिस्सलाम के फ़िराक में कितने बरस रोते रहे?
जवाब :- इस बारे में अइम्मा तफ़्सीर व तारिख लिखने वालों के मुख्तलिफ क़ौल हैं
हज़रत हसन रदियल्लाहु अन्हु फरमाते हैं अस्सी बरस रोए इस क़द्र की आँखों की सियाही धुल गयी और बिनाई ज़ईफ़ हो गई |
चालीस साल रोए |
अठ्ठारा साल रोए |
बक़ौल क़तादा रदियल्लाहु अन्हु तिरप्पन साल |
तिरासी साल | (इब्ने कसीर)
और एक रिवायत पैंतीस साल की भी है |
सवाल :- हज़रत याक़ूब अलैहिस्सलाम को युसूफ अलैहिस्सलाम की मौजूदगी की खबर सबसे पहले किसने सुनाई और मिस्र से कमीज़े युसूफ लेकर कौन आया था ?
जवाब :- ये खबर पुरमुसर्रत सबसे पहले आपको यहूदा ने आकर सुनाई | जब मिस्र से सब भाई कमीज़ लेकर चले तो यहूदा ने भाइयों से कहा वालिद माजिद के पास खून आलूदा कमीज़ भी में ही लेकर गया था मेने ही कहा था कि युसूफ को भेड़िया खा गया | मेने ही वालिद माजिद को गमगीन और रंजीदा किया था| आज कुरता भी में ही लेकर जाऊंगा और हज़रत युसूफ अलैहिस्सलाम की ज़िन्दगी की फरहत अंगेज़ खबर भी में ही सुनाऊंगा ताकि पिछले जुर्म की भरपाई कर सकूं |
चुनाँचे यहूदा ने नग्गा सर और नग्गे पैर कुरता लेकर मिस्र से किनआन तक अस्सी फरसंग की मुसाफत को बराबर दौड़ते हुए तय किया | रास्ते में खाने के लिए सात रोटियां साथ लाया था मगर शौक़ का ये आलम की उनको भी रास्ते में खाकर निपटा न सका |
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सवाल :- हज़रत याक़ूब अलैहिस्सलाम ने कमीज़े युसूफ की खुशबू कितनी दूर से महसूस की थी ?
जवाब :- यहूदा कमीज़े युसूफ लेकर मिस्र की तरफ रवाना हआ | मिस्र की ईमारत से निकलकर रेगिस्तान की फ़िज़ा में आया | अभी वो किनआन से अस्सी फरसख के फासले पर था जो की उस वक़्त आठ रोज़ कि मुसाफत थी कि नसीम सुबह ने खूशबूये कमीज़े युसूफ से हज़रत याक़ूब अलैहिस्सलाम के दिमाग को मुअत्तर कर दिया | (इब्ने कसीर)
सवाल :- हज़रत याक़ूब अलैहिस्सलाम जब मिस्र के लिए सफर का इरादा किया तो आपके साथ कुल कितने लोग थे ?
जवाब :- इस बारे में कई क़ौल हैं:
जब आपने मिस्र का इरादा फ़रमाया तो अपने अहिल को जमा किया | कुल मर्द और औरत बहत्तर थे |
हज़रत अब्दुल्लाह इब्ने मसऊद रदियल्लाहु अन्हु फरमाते हैं कि कुल तिरेसठ थे |
मसरूक़ का क़ौल है कि कुल लोग तीन सो नव्वे थे |
अब्दुल्लाह बिन शद्दाद कहते हैं कि अहले याक़ूब छियासी थे
सत्तर दो सौ चार सौ अफ़राद कि भी अक़वाल वारिद हैं |
सवाल :- हज़रत याक़ूब अलैहिस्सलाम मिस्र में युसूफ अलैहिस्सलाम के पास कितने साल रहे ?
जवाब :- आप अपने फ़रज़न्द युसूफ अलैहिस्सलाम के पास मिस्र में चौबीस साल बेहतरीन ऐश व आराम से खुशहाली के साथ रहे | इसके बाद अपनी जान जाने आफरीन के सुपुर्द की
दूसरा क़ौल ये है की आप मिस्र में सत्तरह साल रहे
सवाल :- हज़रत याक़ूब अलैहिस्सलाम को इन्तिक़ाल फरमा जाने के कितने दिनों के बाद दफ़न किया गया ?
जवाब :- आपने जब इन्तिक़ाल फ़रमाया तो हज़रत युसूफ अलैहिस्सलाम के लिए फ़िराक़े गम नाकाबिल बर्दाश्त हुआ | उन्होंने हकीम व तबीबों को बुलाया | जिन्होंने दवाओं के ज़रिये चालीस दिनों तक आपके जनाज़े को रोके रखा | उसके बाद आपका दफ़न अमल में आया |
सवाल :- हज़रत याक़ूब अलैहिस्सलाम और हज़रत इब्राहीम अलैहिस्सला के दरमियान कितने साल का फासला रहा?
जवाब :- नौ सौ पैसठ साल का |
सवाल :- हज़रत याक़ूब अलैहिस्सलाम की क़ब्र कहाँ है?
जवाब :- क़रीब वफ़ात आपने युसूफ अलैहिस्सलाम को वसीयत की कि आपको मुल्के शाम में अर्ज़े मुक़द्दस (बैतुल मुक़्क़दस) में अपने वालिद माजिद हज़रत इस्हाक़ अलैहिस्सलाम की क़ब्र शरीफ के पास दफ़न किया जाये | इस वसीयत की तामील की गई और बादे विसाल सालकी लकड़ी के ताबूत में आपका जस्दे अतहर शाम लाया गया और दफ़न किया गया |
एक दूसरे क़ौल के मुताबिक़ आपकी क़ब्र शरीफ जबरून में है | यहीं आपके बड़े हज़रत इब्राहीम, हज़रत इस्माइल और इस्हाक़ अलैहिस्सलाम दफ़न हुए |
सवाल :- हज़रत याक़ूब अलैहिस्सलाम की उम्र कितनी हुई?
जवाब :- आपकी उम्र शरीफ एक सौ पैतालीस साल हुई |
सवाल :- हज़रत याक़ूब अलैहिस्सलाम के उस भाई का नाम कया है जो आपके साथ पैदा हुआ और साथ ही इन्तिक़ाल भी फ़रमाया और एक ही क़ब्र में दफ़न भी हुआ?
जवाब :- आपके इस भाई का नाम ऐस है|
हवाला – तफ़्सीर नईमी जिल्द अव्वल इस्लामी हैरत अंगेज़ मालूमात
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