सीरतो ख़साइल
मुआरिफ़े हक़ाइक़ मर्दे खुदा, हज़रत ख्वाजा शादी मुकरी बदायूनी रहमतुल्लाह अलैह का नाम “ख्वाजा शादी” था, हज़रत ख्वाजा मुकरी! के गुलाम थे, लाहौर में रहा करते थे, अपने आका से कुरआन मजीद पढ़ा था, सातों किरात के कारी थे, कुब्बतुल इस्लाम का चर्चा सुन कर बदायूं तशरीफ़ लाए, लड़को को कुरआन मजीद पढ़ाते थे, इस लिए मुकरी कहलाते थे, मर्दे खुदा सर चश्माए हक़ाइक़ व मआरिफ़ और साहिबे करामत थे, हाफिज़े कुरआन भी थे और ज़बरदस्त लियाकत रखते थे, आप से जो भी बच्चा कुरआन शरीफ का एक सफा पढ़ लेता था, अल्लाह पाक के करम से वो पूरा कुरआन शरीफ सेहत के साथ सीख लेता,
सुल्तानुल मशाइख सरकार महबूबे इलाही निज़ामुद्दीन औलिया रहमतुल्लाह अलैह! से मन्क़ूल है, के बदायूं में एक शख्स,
निहायत साहिबे करामत रहते थे, कुरआन शरीफ उनको सातों किरात के साथ याद था, उन का नाम शादी मुकरी था, जो शख्स भी उन से एक तख्ती पढ़ लेता था, तो अल्लाह पाक के करम से उस को पूरा कुरआन शरीफ हिफ़्ज़ हो जाता, ये करामत उनकी मशहूर थी, में ने भी हज़रत ख्वाजा शादी मुकरी बदायूनी रहमतुल्लाह अलैह से एक पारा पढ़ा था, हज़रत ख्वाजा शादी बदायूनी! रहमतुल्लाह अलैह हज़रत ख्वाजा मुकरी! के शागिर्द थे, और हज़रत ख्वाजा मुकरी लाहौर में रहते थे, अज़ीम बुज़रुग थे, एक शख्स लाहौर से आया हज़रत ख्वाजा शादी मुकरी बदायूनी रहमतुल्लाह अलैह उससे मिलने गए और अपने उस्ताज़ की खरियत पूछी, अगरचे ख्वाजा मुकरी का इन्तिकाल हो गया था, लेकिन आने वाले ने कहा बा खैरियत हैं, हज़रत ख्वाजा शादी मुकरी बदायूनी रहमतुल्लाह अलैह ने लाहौर का हाल पूछा? उसने कहा वहां बारिश बहुत ज़ियादा हुई, सैंकड़ों मकानों और जानवरों को नुक्सान पंहुचा, ये सुनते ही शादी मुकरी! रोने लगे, और फ़रमाया मालूम होता है मेरे आका इस वाकिए से क़ब्ल इन्तिकाल फ़रमा गए, तब उसने कहा बेशक उनका विसाल हो गया।
इन्तिक़ाले पुरमलाल
27/ रजाबुल मुरज्जब 639/ हिजरी को आप का इन्तिकाल हुआ।
मज़ार शरीफ
हज़रत सुल्तानुल आरफीन रहमतुल्लाह अलैह की मरकद मुबारक के आस पास में ही आप का मज़ार मुबारक यूपी के ज़िला बदायूं शरीफ में मरजए खलाइक है।
“अल्लाह रब्बुल इज़्ज़त की उन पर बेशुमार रहमत हो और उन के सदके में हमारी मगफिरत हो”
रेफरेन्स हवाला
(1) मरदाने खुदा
(2) तज़किरतुल वासिलीन
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