ताजुश्शरिया मुफ़्ती मुहम्मद अख्तर रज़ा खान क़ादरी बरेलवी की ज़िन्दगी

ताजुश्शरिया मुफ़्ती मुहम्मद अख्तर रज़ा खान क़ादरी बरेलवी की ज़िन्दगी (पार्ट- 3)

बा शरआ कर बा शरआ रख बा शरआ हम को उठा
हज़रते “ताजुश्शरिया” बा सफा के वास्ते
ऐ खुदा मसलके अहमद रज़ा पे रख सदा
मेरे मुर्शिद सय्यदी अख्तर रज़ा के वास्ते

अकीदत औलियाए किराम

अल्लाह वाले महबूबे इलाही से बड़ी अक़ीदतो मुहब्बत रखते हैं, उनका अदब करते हैं, उन की बारगाह में हाज़रियाँ देते हैं, उन के वसीले से दुआएं मांगते हैं, उन की रविश को अपनाते हैं, उन का ज़माने भर में खुत्बा पढ़ते हैं, उन के दरसे वाबस्तगी दीनो दुनिया के लिए कामयाबी का ज़रिया समझते हैं, गरज़ के एक अल्लाह वाले को अल्लाह वाले से बड़ी उनसीयत होती है, अक़ीदतों मुहब्बत रही है, हज़रत ताजुश्शरिया वली इब्ने वली, वली इब्ने वली हैं!, के उन्हें देखने से खुदा याद आता है लिहाज़ा उन के अंदर औलियाए किराम की, मशाइखे इज़ाम, उल्माए ज़विल एहतिराम के मज़ारात पर हाज़री दी है, बरैली शरीफ, में सिटी कब्रिस्तान में आराम फ़रमा खानवादा रज़विया के अफ़राद बिलख़ुसूस इमामुल उलमा हज़रत अल्लामा रज़ा अली, रईसुल मुताकल्लिमीन हज़रत अल्लामा मुफ़्ती नक़ी अली खान, उस्ताज़े ज़मन हज़रत अल्लामा हसन रज़ा, दरगाहे आला हज़रत, दरगाह शाह दाना वली, दरगाह सदरुल उलमा अल्लामा मुफ़्ती तहसीन रज़ा खान, रिद्वानुल्लाही तआला अलैहिम अजमईन में जब भी मौका मिलता है हाज़री दिया करते हैं,

बदायूं शरीफ! में हज़रत ख्वाजा शैख़ हसन शाही, व हज़रत ख्वाजा अबू बक्र बदरुद्दीन मूयेताब उर्फ़ छोटे बड़े सरकार, सुल्तानुल मशाइख सरकार महबूबे इलाही निज़ामुद्दीन औलिया बदायूनी सुम्मा देहलवी, के वालिद माजिद हज़रत सय्यद अहमद बुखारी, मारहरा मुक़द्दसा के बुज़ुर्गाने दीन, बिलगीराम शरीफ के बुज़ुर्गाने दीन, सादाते किराम कालपी शरीफ,, सद रुश्शरिया अमजद अली, हज़रत हाफिज़े मिल्लत, बिलख़ुसूस क़ुत्बुल अक्ताब हज़रत ख्वाजा क़ुतबुद्दीन बख्तियार काकी!, मुजद्दिदे वक़्त हज़रत शैख़ अब्दुल हक मुहद्दिसे देहलवी, सरकार महबूबे इलाही निज़ामुद्दीन औलिया बदायूनी सुम्मा देहलवी, बुज़ुर्गाने देहली! बुज़ुर्गाने मुंबई बुज़ुर्गाने अहमद आबाद, सय्यदना रिज़्क़ुल्लाह शाह दाता!, कोढ़िनार! अजमेर मुअल्ला में सुल्तानुल हिन्द हज़रत ख्वाजाए ख्वाजगान ख्वाज़ा गरीब नवाज़ मुईनुद्दीन चिश्ती अजमेरी रहमतुल्लाह अलैह!, की बारगाहों में हाज़री दिया करते थे, आप ने बुज़ुर्गाने पाकिस्तान, बुज़ुर्गाने मिस्र, बुज़ुर्गाने दामिश्क़, जॉर्डन, उर्दन, ईराक, बिल ख़ुसूस बड़े पीर इमामुल औलिया शैख़ अब्दुल क़ादिर जिलानी रदियल्लाहु अन्हु!, इमामुल अइम्मा सिराजुल उम्माह हज़रते सय्यदना इमामे आज़म अबू हनीफा कर्बला शरीफ व मक्का मुअज़्ज़मा मदीना मुनव्वरा ज़ादा हल्लाहु शरफऊं व तअज़ीमा के बुज़ुर्गों की बारगाह में हाज़री दिया करते थे, रिद्वानुल्लाही तआला अलैहिम अजमईन।

आप का तक्वा शीआरी

आज कल पीर, फकीरी, आलिमो, के इर्द गिर्द औरतों का हुजूम लगा रहता है ये सब काम आम होते जा रहे हैं, जहां देखिये मुँह खोले चलती फिरती नज़र आएँगी, हया नाम की कोई चीज़ ही नहीं, मगर जानशीने मुफ्तिए आज़म हज़रत ताजुश्शरिया कुद्दीसा सिररुहुन नूरानी,की “तक्वा शिआरी” मुलाहिज़ा फरमाएं, 1407/ हिजरी की बात है के ज़नान खाना में औरतें ज़ियारत और बैअत के लिए हाज़िर हैं, जब आप ज़नान खाना में तशरीफ़ ले गए तो चंद औरतों के निकाब उलटे और मुँह खुले हुए थे, आप ने फ़ौरन अपनी आँखें दूसरी जानिब फेर लीं और फ़रमाया पर्दा करो, बगैर हिजाब मत घूमना, फिरना, सख्त मना है, निकाब डालो, फ़ौरन आप ने लाहौल शरीफ पढ़ा।

सब औरतों ने पर्दा किया फिर बैअत फ़रमाया, शरीअत की पासदरी हो तो ऐसा हो, सफर चाहे जैसा हो, हवाई जहाज़ से हो या ट्रेन या गाड़ी से नमाज़ का वक़्त होते ही नमाज़ की अदाएगी के लिए बे चैन हो जाते, अक्सर “मौलाना शहाबुद्दीन रज़वी” को हुक्म फरमाते के मुसल्ला बिछाओ, नमाज़ पढूंगा, चाहे ईयर पोर्ट हो या स्टेशन नमाज़ तो क़ज़ा नहीं होती, नमाज़ पढ़ने की सभी को ताकीद फरमाते, हज़रत राकिम से अक्सर पूछते के नमाज़ पढ़ी के नहीं अगर मालूम हो गया के नमाज़ नहीं पढ़ी तो सख्त नाराज़ होते मुझे खूब याद है के 1991/ ईसवी से 2006/ तक तकरीबन 15, साल तक में ने हज़रत के साथ पूरे मुल्क का सफर किया मगर नमाज़ हज़रत की कोई क़ज़ा नहीं हुई, अल्लाहु अकबर।

तादाद मुरीदीन मोतक़िदीन

हज़रत ताजुश्शरिया मुफ़्ती मुहम्मद अख्तर रज़ा कुद्दीसा सिररुहुन नूरानी के मुरीदीन हिंदुस्तान, पाकिस्तान, मदीना मुनव्वरा ज़ादा हल्लाहु शरफऊं व तअज़ीमा, मक्का मुअज़्ज़मा, बँगला देश, मोरिशष, सीरी लंका, बर्तानिया, होलेंड, जुनूबी अफ्रीका, अमरीका, ईराक, ईरान, तुर्की, मलावी, जर्मन, मुत्तहदा अरब इमारात, कोयत, लेबनान, काहिरा मिस्र, मुल्के शाम, कांडा, वगेरा ममालिक में लाखों की तादाद में फैले हुए हैं, मुरीदीन में बड़े बड़े उलमा, मशाइख, सुल्हा शुआरा, अदिब्बा, मुफक्किर, क़ाइदीन, मुसन्निफीन, रिसर्च इस्कोलर, पिरो फेसर, डॉक्टर, मुहक़्क़िक़ीन, हैं, जो आप की गुलामी पर फख्र करते हैं,

हज़रत मुफ्तिए आज़म हिन्द मुस्तफा रज़ा नूरी रहमतुल्लाह अलैह अपने सामने लोगों को आप के हाथ पर बैअत करने के लिए हुकम फरमाते, यहाँ तक ही नहीं बलके हज़रत मुफ्तिए आज़म हिन्द मुस्तफा रज़ा नूरी रहमतुल्लाह अलैह ने अपने सामने लोगों की कसीर तादाद को “हज़रत ताजुश्शरिया कुद्दीसा सिररुहुन नूरानी” के हाथ पर बैअत! करवाया, और बहुत से मक़ामात पर अपना जानशीन और कायम मकाम बना कर रवाना किया, मजमे के मजमे ने आप के दस्ते मुबारक पर बैअत! कबूल की सिलसिलए आलिया कादिरिया, बरकातिया, रजविया, के सब से ज़ियादा हज़रत मुफ्तिए आज़म हिन्द मुस्तफा रज़ा नूरी रहमतुल्लाह अलैह के बाद अगर किसी पीरे तरीकत के मुरीदीन व मोतक़िदीन हैं, तो सिर्फ “हज़रत ताजुश्शरिया कुद्दीसा सिररुहुन नूरानी” के हैं, एक अंदाज़े के मुताबिक 2, करोड़ मुरीदीन! हैं हिंदुस्तान का कोनसा ऐसा गोशा, कस्बा, या शहर है जहाँ पर हज़ारों की तादाद में मुरीदीन नहीं, राकिम ने पूरे मुल्क का हज़रत के साथ सफर किया है, जलसों में ये हाल रहता है के एक लाख का मजमा पूरा का पूरा दाखिले सिलसिला हो जाता है, इन दो बुज़ुर्गों ने हुजुए गौसे आज़म शैख़ अब्दुल कादिर जिलानी रदियल्लाहु अन्हु के सिलसिले कादीरिया को वसी से वसी तर कर दिया।

आप के खुलफाए किराम

हज़रत ताजुश्शरिया कुद्दीसा सिररुहुन नूरानी के खुलफ़ा! की तादाद बहुत तवील है हम कुछ हज़रात के नाम लिखते हैं:

  1. फ़ज़ीलतुष शैख़ हज़रत अल्लामा शैख़ अबू बक्र बिन अहमद मसलियार, “अस्सक़ाफ़तुस सुन्निय” काली कट केरला,
  2. मुहक्किके अस्र हज़रत मौलाना मुफ़्ती सय्यद शाहिद अली रज़वी नाज़िमे आला शैखुल हदीस! अल जामियातुल इस्लामिया रामपुर
  3. मुफ़्ती अनवर अली रज़वी सदर आले कर्नाटक उलमा बोर्ड बेंगलोर,
  4. मौलाना असगर अली रज़वी, इमाम व खतीब जामा मस्जिद रामनगर कर्नाटक,
  5. मौलाना सगीर अहमद जोखनपुरी, मोहतमिम जामिया कादिरिया रिछा बरैली शरीफ,
  6. मौलाना मुहम्मद हुसैन सिद्दीकी अब्हुल हक्कानी शैखुल हदीस दारुल उलूम फैज़ुल गुरबा, आरा,
  7. कारी अबुल मुहामिद हामिद अली शाह पूरी शैखुत तजवीद! दारुल उलूम मन्ज़रे इस्लाम,
  8. हज़रत हाफ़िज़ शाह लईक अहमद खान जमाली, सज्जादा नशीन आस्ताना आलिया जमालिया नक्शबंदिया
    मुजद्दिदीय रामपुर,
  9. मुफ़्ती अज़ीज़ अहसन रज़वी, शैखुल हदीस दारुल उलूम गौसे आज़म पुरबंदर गुजरात,
  10. शहज़ादे हज़रत मौलाना मुहम्मद असजद रज़ा खान कादरी सदर ऑल इण्डिया जमात रज़ाए मुस्तफा,
    बरैली शरीफ,
  11. मौलाना सूफी मज़हर हसन कादरी बरकाती, मोहल्ला नागरां बदायूं शरीफ,
  12. कारी अलाउद्दीन अजमालि सम्भली, नाज़िमे आला मदरसा ख़लीलुल उलूम ज़िला सम्भल यूपी,
  13. हज़रत मौलाना मुफ़्ती अशफाक हुसैन कादरी कोमी सदर ऑल इण्डिया तंज़ीम उल्माए इस्लाम कादरी
    मस्जिद शास्त्री पार्क दिल्ली,
  14. मौलाना डॉक्टर अब्दुल जब्बार रज़वी, पलामू बिहार,
  15. मौलाना मसरूर रहमान रज़वी सीतामढ़ी,
  16. अदीबे शहीर जनाब ज़िया जलवि एडिटर माह नामा पासबान इलाह आबाद,
  17. मौलाना सूफी लाल मुहम्मद सज्जादा नशीन, चमन शाह खतूरी ज़िला बाराबंकी,
  18. हज़रत मौलाना गुलाम मुहम्मद हबीबी सज्जादा नशीन अस्ताना कादिरिया हबीबिया धाम नगर शरीफ
    उड़ीसा,
  19. अल्लामा मुफ़्ती मुजीब अली रज़वी हैदराबाद दक्कन,
  20. हम दर्द कोमो मिल्लत मौलाना अल हाज मुहम्मद सईद नूरी चेयर में रज़ा अकेडमी मुंबई,
  21. अल्लामा मौलाना सिद्दीक कादरी मोहतमिम दारुल फ़िक्र दरगाह रोड बहराइच शरीफ,
  22. मौलाना मुख्तार अहमद उत्तर दीनाजपुर,
  23. मौलाना मुफ़्ती यूनुस रज़ा ओवैसी पिरन्सिपल जमीयतुर रज़ा! बरैली शरीफ,
  24. हज़रत अल्लामा मुफ़्ती काज़ी शहीद आलम रज़वी, दारुल इफ्ता जामिया नूरिया बाकर गंज बरैली शरीफ,
  25. मौलमा सय्यद मसऊद अली नूरी नैनीताल उत्तरा खंड,
  26. मौलाना मुफ़्ती मेराजुल कादरी उस्ताज़ अल जामियातुल अशरफिया मुबारकपुर
  27. अल्लामा मौलाना अशरफ कादरी ठाकुरदुआरा मुरादाबाद,
  28. मौलाना कमाल अख्तर मुदर्रिस दारुल उलूम नुरुल हक़ चिरह मुहम्मद पुर ज़िला फैज़ाबाद
  29. मौलाना क़ाज़ी मुहम्मद अकरम उस्मानी क़ाज़ी शहर मेरटा सिटी राजिस्थान,
  30. मौलाना अनीस आलम सीवानी लखनऊ,
  31. मुफ़्ती अब्दुल कदीर कादरी विजय वाड़ा अंधरा प्रदेश,
  32. मुफ़्ती अख्तर हुसैन अलीमी उस्ताज़ दारुल उलूम जमदाशाही ज़िला बस्ती,
  33. मुसन्निफे कुतुबे कसीरा हज़रत अल्लामा मुहम्मद अब्दुल हकीम अख्तर शाहजहां पूरी बानी मर्कज़
    मजलिस इमामे आज़म लाहौर पाकिस्तान,
  34. मौलाना सय्यद मुहम्मद कलीम रज़ा कादरी पाकिस्तान,
  35. मौलाना पीर सय्यद ज़ियाउल हसन जिलानी हैदराबाद सिंध,
  36. मौलाना यूनुस खतरी पाकिस्तान,
  37. मौलाना शाह हाफ़िज़ आलम नईमी बिन सुल्तान अहमद चाट गाम बांग्ला देश,
  38. अल हाज हाफ़िज़ मुहम्मद एहसान पटेल रज़वी सीरी लंका,
  39. मौलाना वसी अहमद बर्मिंग्म,
  40. जनाब अल हाज सय्यद इब्राहीम कादरी साउथ अफ्रीका,
  41. हज़रत शैख़ अहमद महमूद लबनान,
  42. फ़ज़ीलतुष शैख़ हज़रत अल्लामा मुहम्मद उमर सलीम हनफ़ी बाग्दाद् शरीफ इराक,
  43. मौलाना अल हाज मुहम्मद आकिब फरीद अबू ज़हबी अरब इमारत,
  44. मुफ़्ती अब्दुल मजीद कादरी मॉरीशस,
  45. मौलाना कारी अल हाज अहमद रज़ा कादरी हरारे ज़िम्बाब्वे,

आप की लिखी हुई क़ुतुब

(1) शरह हदीसे नियत(2) हिजरते रसूल, (3) असारे कयामत, (4) सुनो चुप रहो, टाई का मसला, (5) तीन तलाकों का शरई हुक्म, (6) तस्वीरों का हुक्म, (7) दिफ़ाए कंज़ुल ईमान, अल हक्कुल मुबीन, (8) टी, वि, और वीडियो का शरई हुक्म व ऑपरेशन, (9) हज़रत इब्राहीम अलैहिस्सलाम के वालिद तारिख़ या आज़र, (10) क्या दीन की मुहिम पूरी हो चुकी, (11) जश्ने ईद मिलादुन्नबी, मुतअद्दिद फ़िक़्ही मकालात, (12) सऊदी मज़ालिम की कहानी अख्तर रज़ा की ज़बानी, (13) शरह हदीसुल इखलास, (14) सफ़ीनाए बख्शिश दीवान, (15) अल मोतमादुल मुंतक़द मआ मोतमादुल मुस्तनद तर्जुमा उर्दू, (16) मलफ़ूज़ाते ताजुश्शरिया, (17) हाजिज़ुल बहरैन, (18) सुब्हानस सुब्बूह, (19) चलती ट्रेन पर नमाज़ का हुक्म, (20) अफ़ज़लियत सिद्दीकी अकबर व फ़ारूके आज़म,

हज़रत ताजुश्शरिया कुद्दीसा सिररुहुन नूरानी की ज़रूरी हिदायत

(1) मजहब अहले सुन्नत व जमात पर क़ायम रहे जिस पर उल्माए अहले सुन्नत व जमात है, सुन्नियों के जितने मुखालिफ मसलन वहाबी, देवबंदी, राफ्ज़ी तब्लीगी, मौदूदी, नदवी, नीचरी, गैर मुकल्लिद कादयानी वगैरा सब से जुदा रहें, और सब को अपना दुश्मन और मुखालिफ जाने, इन की बात ना सुने, इन के पास ना बैठे, इन की कोई तहरीर ना देखें कि शैतान को मआज़ अल्लाह दिल में वसवसे डालते कुछ ज्यादा देर नहीं लगती, आदमी को जहां माल या आबरू का अंदेशा हो हरगिज़ न जाएगा, दीन व ईमान सब से ज्यादा अज़ीज़ चीज़ है इनकी मुहाफ़िज़त में हद से ज्यादा कोशिश फ़र्ज़ है, माल और दुनिया की इज़्ज़त दुनिया की जिंदगी दुनिया तक है, दीन व ईमान से हमेशगी के घर में काम पड़ता है इन की फिकर सब से ज्यादा लाज़िम है,
(2) नमाज़ पंजगाना की पाबंदी निहायत ज़रूरी है मर्दों को मस्जिद व जमात का इल्तिज़ाम भी वाजिब है, बे नमाज़ी मुसलमान गोया तस्वीर का आदमी है कि ज़ाहिरी सूरत इंसान की मगर इंसान का काम कुछ नहीं है, बे नमाज़ी वही नहीं है जो कभी ना पढ़े बल्कि वो जो एक वक्त की भी कस्दन खो दे बे नमाज़ी है, किसी की नौकरी या मुलाज़िमत ख़्वाह तिजारत वगैरह की हाजत के सबब नमाज़ क़ज़ा कर देनी सख्त ना शुक्री और परले सिरे की नादानी है, कोई आका यहां तक कि काफिर का भी कोई नौकर हो अपने मुलाज़िम को नमाज़ से बाज नहीं रख सकता, और अगर माना करे तो ऐसी नौकरी हराम कताई है, और कोई वसीला रिज़्क़ नमाज़ खो कर बरकत नहीं ला सकता, रिज़्क़ तो उस के हाथ में है जिस ने नमाज़ फ़र्ज़ की है और उस के तर्क पर गज़ब फरमाता है, मआज़ अल्लाह!

(3) जितनी नमाज़े क़ज़ा हो गईं हैं सब का ऐसा हिसाब तख़मीने में बाकी ना रह जाएं, ज़ियादा हो जाएं तो हर्ज नहीं और वो सब बा क़द्रे ताकत रफ्ता रफ्ता निहायत जल्द अदा करें, काहिली ना करें के मोत का वक़्त मालूम नहीं और जब तक फ़र्ज़ ज़िम्मे बाकी होता है कोई नफ़ल कबूल नहीं होता, क़ज़ा नमाज़ें जब मुतअद्दिद हो जाएं, मसलन /100/ बार की फजर क़ज़ा है तो हर बार यूं नियत करें के सब में पहली वो फजर जो मुझ से क़ज़ा हुई यानी जब एक अदा हुई तो बाकियों में सब से पहली है, इसी तरह ज़ोहर वगेरा हर नमाज़ में नियत करें, क़ज़ा में फक्त फ़र्ज़ और वित्र यानि हर दिन और रात की 20/ रकअत अदा की जाती हैं,

(4) जितने रोज़े भी क़ज़ा हुए हों दूसरा रमजान आने से पहले अदा कर लिए जाएं के हदीस शरीफ में है जब तक पिछले रमजान के रोज़ों की क़ज़ा ना करली जाए अगले रोज़े कबूल नहीं होते,

(5) जो साहिबे माल हैं ज़कात भी दें जितने बरसों की ना दी हो फ़ौरन हिसाब कर के अदा करें हर साल की ज़कात साल तमाम होने से पहले दे दिया करें साल तमाम होने के बाद देर लगाना गुनाह है,

(6) साहिबे इस्तिताअत पर हज भी फ़र्ज़े आज़म है अल्लाह रब्बुल इज़्ज़त ने उस की फर्ज़ीयत कुरआन शरीफ! में बयान फ़रमाई है: हुज़ूर नबी करीम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम फरमाते हैं जो हज ना करे वो यहूदी हो कर मरे या नसरानी हो कर मआज़ अल्लाह,

(7) किज़्ब झूट, फ़हिश, चुगली, ग़ीबत, ज़िना लिवातित, ज़ुल्म खियानत, रिया, तकब्बुर, दाढ़ी मुंडाना, या क़तर वाना, फासिकों की वज़अ पहिनना हर बुरी खसलत से बचें जो इन सात बातों का हामिल रहेगा अल्लाहो रसूल के वादे से उस के लिए जन्नत है|

मज़ार शरीफ

आप का मज़ार मुबारक आस्ताना आलिया रज़विया मज़ार मुबारक आला हज़रत से मुत्तसिल अज़हरी हॉस्टल में है, मुहल्लाह सौदागिरान ज़िला बरैली शरीफ यूपी मुल्के हिंदुस्तान में मरजए खलाइक है, आप के मज़ार मुबारक पर हर रोज़ ज़ईरीन आते हैं और फैज़ पाते हैं|

“अल्लाह रब्बुल इज़्ज़त की उन पर बेशुमार रहमत हो और उन के सदके में हमारी मगफिरत हो”

रेफरेन्स हवाला

  • मुफ्तिए आज़म हिन्द और उन के खुलफ़ा
  • सवानेह ताजुश्शरिया
  • तजल्लियाते ताजुश्शरिया
  • हयाते ताजुश्शरिया
  • अनवारे ताजुश्शरिया
  • करामाते ताजुश्शरिया

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