विलादत शरीफ
आप की विलादत 7, रमज़ानुल मुबारक 1248, हिजरी में हुई।
वालिद माजिद
आप ख़ातिमुल अस्लाफ हज़रत सय्यद शाह औलादे रसूल रहमतुल्लाह अलैह! के बड़े साहबज़ादे थे, और आप के दादा जान का नाम हज़रत सय्यद शाह आले बरकात सुथरे मियां रहमतुल्लाह अलैह! और आप के पर दादा का नामे नामी इस्मे गिरामी हज़रत सय्यद शाह हमज़ाह ऐनी मारहरवी रहमतुल्लाह अलैह हैं, और आप के जद्दे अमजद हज़रत सय्यद शाह आले मुहम्मद मारहरवी रहमतुल्लाह अलैह हैं।
तालीमों तरबियत
हज़रत सय्यद शाह मुहम्मद सादिक कादरी मारहरवी रहमतुल्लाह अलैह ने तालीमों तरबियत अपने वालिद माजिद से हासिल की, अपने बुज़ुर्गों के ज़ाहिरी व बातनि कमालात के सच्चे वारिस थे, होश संभालने से ले कर आखरी उमर तक अपने वालिद माजिद और अपने ताऊ हज़रत सय्यद शाह आले रसूल अहमदी से और कुछ फन्ने तिब हिकमत हज़रत सैफ़ुल्लाहुल मसलूल हज़रत अल्लामा शाह फ़ज़्ले रसूल बदायूनी रहमतुल्लाह अलैह से हासिल की, ज़िला सीतापुर में तकरीबन में 45, साल आप ने क़याम फ़रमाया।
इजाज़तो खिलाफत
बैअतो खिलाफत अपने चाचा जान हज़रत सय्यद शाह गुलाम मुहीयुद्दीन अमीर आलम रहमतुल्लाह अलैह से हासिल थी, और अपने ताऊ हज़रत सय्यद शाह आले रसूल अहमदी रहमतुल्लाह अलैह और वालिद माजिद से सिलसिलए आलिया कादिरिया बरकातिया में इजाज़तो खिलाफत हासिल थी, अपने बुज़ुर्गों के ज़ाहिरी व बातनि कमालात के सच्चे वारिस थे।
आप के चंद अहम् कार नामे
हज़रत सय्यद शाह मुहम्मद सादिक कादरी मारहरवी रहमतुल्लाह अलैह की ज़िन्दगी में उन के दीनी दुनियावी करामातों की एक लंबी फहरिस्त है, आप को तामीरात का बहुत शोक था, खास कर पीने के पानी के लिए बहुत कुँए खुदवाया करते थे, साथ ही ज़मीनो को फसल के लिए पानी देने के वास्ते बहुत कुँए बनवाए थे, बहुत से बाग़ लगाए, बहुत सी जाएदादे नई खरीदीं, सीतापुर में आप ने मकानात ख़रीदे, मारहरा शरीफ में महल सराए, हवेली सज्जादगी, नए सिरे से तामीर कराइ, दरगाह शरीफ व खानकाह की बहुत सी मरम्मतें कराई,
हज़रत सय्यद शाह मुहम्मद सादिक कादरी मारहरवी रहमतुल्लाह अलैह के साहबज़ादे हज़रत सय्यद शाह अबुल कासिम मुहम्मद इस्माईल हसन रहमतुल्लाह अलैह (साहिबे उर्से कास्मि) ने जब कुरआन शरीफ हिफ़्ज़ कर लिया तो इस ख़ुशी में आप ने शुक्राने के तौर पर एक खूबसूरत आलिशान मस्जिद तामीर कराइ जो आज भी दूर दूर तक मशहूर है, आप ने दीनी क़ुतुब की इशाअत के लिए “मतबा सुबह सादिक” सीतापुर में काइम किया जिस ने मज़हबी और मस्लकी किताबों की इशाअत में अहम् किरदार अदा किया, आप सूरतो सीरत में अपने अजदाद किराम का नमूना थे, बहुत सादा नरम मिजाज़ गलतियों को दरगुज़र करने वाले तमाम दौलत, हुकूमत, इक्तिदार इल्म के हासिल होने के बावजूद दुरवेशाना और फकीराना मिजाज़ पाया था, हकीमो और अमीरों से बहुत दूरी रखते, हर वक़्त गरीबों और मिस्कीनों को अपने आस पास पा कर खुश हुआ करते थे।
आप का निकाह
हज़रत सय्यद शाह मुहम्मद सादिक कादरी मारहरवी रहमतुल्लाह अलैह का निकाह अपने चचा व मुर्शिद हज़रत सय्यद शाह गुलाम मोहियुद्दीन अमीर आलम! की साहबज़ादी सकीना बेगम से हुआ, दो साहबज़ादे (1) हज़रत सय्यद शाह अबुल कासिम मुहम्मद इस्माईल हसन उर्फ़ शाह जी मियां रहमतुल्लाह अलैह (साहिबे उर्से कास्मि) (2) हज़रत सय्यद शाह अबुल काज़िम मुहम्मद इदरीस हसन सुथरे मियां और पांच साहबज़ादियाँ (1) इमदाद फातिमा हैदरी बेगम, (2) तुफैल फातिमा अबरार बेगम, (3) एहतिशाम फातिमा, (4) सय्यदह बेगम, (5) उम्मतुल फातिमा और इन्तिज़ार फातिमा थीं।
आप के खुलफ़ा
आप के खुलफाए किराम में सिर्फ दो शख्सीयात के नाम मिलते हैं: हज़रत सय्यद शाह अबुल कासिम मुहम्मद इस्माईल हसन उर्फ़ शाह जी मियां रहमतुल्लाह अलैह (साहिबे उर्से कास्मि) और हज़रत सय्यद शाह इदरीस हसन रहमतुल्लाह अलैहिम।
इन्तिक़ाले पुरमलाल
हज़रत सय्यद शाह मुहम्मद सादिक कादरी मारहरवी रहमतुल्लाह अलैह का विसाल जुमेरात की रात 24/ शव्वालुल मुकर्रम 1326/ हिजरी में सीतापुर में हुआ, मज़ार मुबारक सीतापुर में है, हाल ही में हज़रत सय्यद अमीने मिल्लत ने दरगाह शरीफ को नए सिरे से तामीर कराया।
मज़ार शरीफ
आप का मज़ार मुकद्द्स ज़िला सीतापुर यूपी हिन्द में ज़ियारत गाहे खलाइक है,
“अल्लाह रब्बुल इज़्ज़त की उन पर बेशुमार रहमत हो और उन के सदके में हमारी मगफिरत हो”
Share Zaroor Karen Jazakallah
रेफरेन्स हवाला
- बरकाती कोइज़
- तारीखे खानदाने बरकात
- तज़किरा मशाइखे मारहरा