विलादत शरीफ
आप सिराजुल उलमा हज़रत सय्यद शाह गुलाम मुहीयुद्दीन अमीर आलम कादरी मारहरवी रहमतुल्लाह अलैह की विलादत 1223, हिजरी में हुई।
वालिद माजिद
आप हज़रत सय्यद शाह आले बरकात सुथरे मियां रहमतुल्लाह अलैह! के छोटे साहबज़ादे हैं, और आप के दादा जान सय्यदुल आरफीन हज़रत शाह हमज़ाह ऐनी मारहरवी रदियल्लाहु अन्हु है, और आप के पर दादा का नामे नामी इस्मे गिरामी हज़रत सय्यद शाह आले मुहम्मद मारहरवी रहमतुल्लाह अलैह! है, और आप के जद्दे अमजद साहिबुल बरकात सुल्तानुल आशिक़ीन हज़रत “सय्यद शाह बरकतुल्लाह इश्कि” मारहरवी रहमतुल्लाह अलैह है।
तालीमों तरबियत
हज़रत सय्यद शाह गुलाम मुहीयुद्दीन अमीर आलम कादरी रहमतुल्लाह अलैह आप अपने ताया शमशे मारहरा हज़रत सय्यद शाह आले अहमद अच्छे मियां मारहरवी कुद्दीसा सिररुहुन नूरानी के बड़े नूरे नज़र थे, इब्तिदाई तालीम हज़रत मौलाना शाह अब्दुल मजीद बदायूनी रहमतुल्लाह अलैह और मौलाना सलामतुल्लाह कश्फी से हासिल की, बातनि उलूम की तकमील अपने चचा हुज़ूर शमशे मारहरा और वालिद माजिद से हासिल की।
इजाज़तो खिलाफत
आप को इजाज़तो खिलाफत हुज़ूर शमशे मारहरा हज़रत सय्यद शाह आले अहमद अच्छे मियां मारहरवी कुद्दीसा सिररुहुन नूरानी और अपने वालिद माजिद दोनों से हासिल थी, अपने वालिद माजिद के विसाल के बाद अपने दोनों हकीकी भाइयों हज़रत सय्यद शाह आले रसूल अहमदी! और सय्यद शाह औलादे रसूल के साथ सज्जादए गौसिया आले अहमदिया पर जलवा अफ़रोज़ हुए, हज़रत सय्यद शाह गुलाम मुहीयुद्दीन अमीर आलम कादरी रहमतुल्लाह अलैह नवाब वज़ीर वालिये ऊध के यहाँ नाइब वज़ीर थे, इस मनसब के बावजूद ज़िक्रे खुदा वन्दी विरदो वज़ाइफ़ के पाबंद थे, कभी इबादत में कोई नागा ना होता, फन्ने तकसीर में कमाल का हुनर रखते थे,
आप अपने वालिद माजिद हज़रत सय्यद सुथरे मियां रहमतुल्लाह अलैह और ताया यानि हुज़ूर शमशे मारहरा के बड़े चहीते थे, हुज़ूर शमशे मारहरा आप से इमामुल औलिया हज़रत शैख़ अब्दुल क़ादिर जिलानी गौसे आज़म बगदादी रदियल्लाहु अन्हु! के नाम की निस्बत से बहुत मुहब्बत फरमाते पहले आप को खाना खिलाते फिर खुद खाते, हुज़ूर शमशे मारहरा हज़रत सय्यद शाह आले अहमद अच्छे मियां मारहरवी कुद्दीसा सिररुहुन नूरानी की बारगाह में बहुत नाज़ वाले और शोख थे।
आप का निकाह
आप का निकाह सय्यद सआदत अली साहब! इब्ने सय्यद मुन्तख़ब हुसैन बिलगिरामी की साहबज़ादी दियानत फातिमा! से बिलगिराम में हुआ, आप के तीन साहबज़ादगान हुए, (1) हज़रत सय्यद शाह नूरुल हुसैन, (2) हज़रत सय्यद शाह नूरुल हसन, (3) हज़रत सय्यद शाह नूरुल मुस्तफा, और एक साहबज़ादी सकीना फातिमा थीं।
इन्तिक़ाले पुरमलाल
आप का विसाल 5/ शाबानुल मुअज़्ज़म बरोज़ बुद्ध 1286/ हिजरी को लखनऊ में हुआ, वसीयत के मुताबिक मारहरा में तद्फीन हुई।
मज़ार शरीफ
आप का मज़ार मुकद्द्स मारहरा शरीफ ज़िला एटा यूपी हिन्द में ज़ियारत गाहे खलाइक है,
“अल्लाह रब्बुल इज़्ज़त की उन पर बेशुमार रहमत हो और उन के सदके में हमारी मगफिरत हो”
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रेफरेन्स हवाला
- बरकाती कोइज़
- तारीखे खानदाने बरकात
- तज़किरा मशाइखे मारहरा