हज़रत ख्वाजा सय्यद अहमद बुखारी चिश्ती बदायूनी रहमतुल्लाह अलैह

हज़रत ख्वाजा सय्यद अहमद बुखारी चिश्ती बदायूनी रहमतुल्लाह अलैह

नाम व लक़ब

हज़रत सुल्तानुल मशाइख सरकार महबूबे इलाही निज़ामुद्दीन औलिया रहमतुल्लाह अलैह! के वालिद माजिद! शैख़े तरीकत हज़रत सय्यद अहमद बुखारी चिश्ती बदायूनी रहमतुल्लाह अलैह अपने ज़माने के आलिमो के पेशवा व रहनुमा थे, बाज़ तज़किरो में आप का नाम अहमद दानियाल लिखा है, मगर ये नाम गैर मुस्तनद है, सही नाम आप का “अहमद” था, मकबूल बारगाहे खुदा वन्दी थे तक़र्रुबे यज़दानी हासिल था।

वालिद माजिद

बाज़ तज़किरों में आप के वालिद माजिद का नाम दानियाल लिखा है, और बाज़ में मुहम्मद तहरीर है, मगर मुजद्दिदे वक़्त हज़रत शैख़ अब्दुल हक मुहद्दिसे देहलवी रहमतुल्लाह अलैह ने “अख़बारूल अखियार” में सय्यद अली! लिखा है, और यही नाम ज़ियादा बेहतर है, हज़रत ख्वाजा मीर अली बुखारी ग़ज़नवी की औलाद में थे, आप का आबाई वतन मुल्के उज़्बेकिस्तान का शहर बुखारा! था।

अकद मस्नून

आप का निकाह हज़रत ख्वाजा सय्यद अरब! की साहबज़ादी हज़रत बीबी ज़ुलैख़ा रहमतुल्लाह अलैहा! के साथ हुआ, इन के बतन से दो औलादें हुईं, एक साहबज़ादे सुल्तानुल मशाइख सरकार महबूबे इलाही निज़ामुद्दीन औलिया रहमतुल्लाह अलैह! दूसरी साहबज़ादी बीबी ज़ैनब! और सरकार महबूबे इलाही निज़ामुद्दीन औलिया रहमतुल्लाह अलैह! ने शादी नहीं की थी, अलबत्ता बीबी ज़ैनब की शादी हुई थी।

इजाज़तो खिलाफत

हज़रत सय्यद अहमद बुखारी चिश्ती बदायूनी रहमतुल्लाह अलैह की इल्मी लियाकत काबिलियत को देखते हुए सुल्तान शम्सुद्दीन अल्तमश ने आप को काज़ी का उहदा दिया था आप ने अठ्ठ साल तक कारे मंसबी को बा हुस्ने खूबी अंजाम देने के बाद आप ने अस्तीफा दे दिया, आप चूंके गोशा नशीन बुज़रुग थे और दुनिया की तरफ मैलान नहीं था, हज़रत सय्यद अहमद बुखारी चिश्ती बदायूनी रहमतुल्लाह अलैह अपने वालिद माजिद हज़रत ख्वाजा सय्यद अली रहमतुल्लाह अलैह के दस्ते मुबारक पर मुरीद बैअत हुए, हज़रत ख्वाजा सय्यद अली रहमतुल्लाह अलैह! और हज़रत ख्वाजा सय्यद अरब रहमतुल्लाह अलैह! और आफ़ताबे विलायत हज़रत ख्वाजा उस्मान हारूनी चिश्ती रहमतुल्लाह अलैह! के दस्ते हक़ परस्त पर सिलसिलए चिश्तिया में बैअत हुए थे, हज़रत सय्यद अहमद बुखारी चिश्ती बदायूनी रहमतुल्लाह अलैह मुरीद होने के बाद गोशा नशीन हो गए।

वफ़ात

हज़रत ख्वाजा सय्यद अहमद बुखारी चिश्ती बदायूनी रहमतुल्लाह अलैह का विसाल 6/ शव्वाल 635/ हिजरी को हुआ।

मज़ार शरीफ

आप का मज़ार मुबारक यूपी के ज़िला बदायूं शरीफ के मुहल्लाह सागर ताल के किनारे जुनूब पर एक वसी पुरफ़िज़ा अली शान गुंबद में मरजए खलाइक है।

“अल्लाह रब्बुल इज़्ज़त की उन पर बेशुमार रहमत हो और उन के सदके में हमारी मगफिरत हो”

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रेफरेन्स हवाला

(1) मरदाने खुदा
(2) तज़किरतुल वासिलीन

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