हज़रते सय्यदना शैख़ अब्दुल क़ादिर जीलानी रदियल्लाहु अन्हु की ज़िन्दगी

हज़रते सय्यदना शैख़ अब्दुल क़ादिर जीलानी रदियल्लाहु अन्हु की ज़िन्दगी (पार्ट- 4)

क़ादरी कर कादरी रख क़दरियों में उठा
क़द्र अब्दुल क़ादिरे कुदरत नुमा के वास्ते

रूए ज़मीन के तीन सो 313, औलिया अल्लाह का गर्दनें झुका देना

हज़रत शैख़ लू लू अरमनी रहमतुल्लाह अलैह बयान करते हैं के हज़रत शैख़ अबुल खैर अता मिसरी कुद्दीसा सिररुहुन नूरानी ने जब मेरा मुजाहिदा व इज्तिहाद देखा तो मुझ से कहने लगे के में औलिया अल्लाह में से किस तरफ मंसूब हूँ? तो उस वक़्त में ने उन से कहा के मेरे शैख़ इमामुल औलिया शैख़ अब्दुल क़ादिर जिलानी रदियल्लाहु अन्हु, हैं के जिन्हो ने “मेरा ये कदम हर वली की गर्दन पर है” इस का ऐलान फ़रमाया है और जब आप ने ये ऐलान फ़रमाया तो उस वक़्त रूए ज़मीन के “तीन सो 313, औलिया अल्लाह” ने अपनी गर्दनें झुकाईं, जिस की तफ्सील दर्ज ज़ैल है, के सत्तरह हरमैन शरीफ़ैन में, और साठ इराक में, और चालीस अज्म में, और तीस मुल्के शाम में, और बीस मिस्र में, और सत्ताईस मगरिब में, और ग्यारह हब्शा में, और ग्यारह याजूज माजूज में, और सात बियाबान सर अन्दीप में, और सैंतालीस कोहे काफ़ में, और चौबीस जज़ाइरे बहरे मुहीत में, और कसीर तादाद औलियाए इज़ाम मसलन हज़रत शैख़ अदि बिन मुसाफिर, हज़रत शैख़ अबू सईद कील्वी, हज़रत शैख़ अली बिन हीती, हज़रत शैख़ अहमद बिन रिफाई, हज़रत शैख़ अबुल कासिम बसरी, हज़रत शैख़ हयात अल हरानी रिद्वानुल्लाही तआला अलैहिम अजमईन वगैरा ने इस बात की शहादत दी है के आप “मेरा ये कदम हर वली की गर्दन पर है” ये कान्हे पर मामूर थे, इस के बाद जो कोई इस का इंकार करे आप को इस के मअज़ूल करने का भी इख़्तियार दिया गया था ।

हज़रत ख़्वाजा मुईनुद्दीन चिश्ती कुद्दीसा सिररुहुन नूरानी

जब इमामुल औलिया शैख़ अब्दुल क़ादिर जिलानी रदियल्लाहु अन्हु ने “मेरा ये कदम हर वाली की गर्दन पर है” इरशाद फ़रमाया उस वक़्त ख्वाजाए ख्वाजगान, सुल्तानुल हिन्द, ख्वाजा मुईनुल मिल्लत वददीन चिश्ती अजमेरी रहमतुल्लाह अलैह खुरासान की पहाड़ियों और गारों में मुजाहिदों और रियाज़तों में मशगूल थे, आप ने इमामुल औलिया शैख़ अब्दुल क़ादिर जिलानी रदियल्लाहु अन्हु का ये ऐलान सुनते ही अपना सर मुबारक ज़मीन पर रख दिया और ज़बाने हाल से अर्ज़ किया हुज़ूर गर्दन पर किया बल्के मेरे सर पर आप का कदम मुबारक है ।

हज़रत ख़्वाजा बहाउद्दीन नक्शबंदी रहमतुल्लाह अलैह

हज़रत ख़्वाजा बहाउद्दीन नक्शबंदी रहमतुल्लाह अलैह से इमामुल औलिया शैख़ अब्दुल क़ादिर जिलानी रदियल्लाहु अन्हु के कौल “मेरा ये कदम हर वली की गर्दन पर है” इस के मुतअल्लिक़ पूछा गया तो आप ने इरशाद फ़रमाया गर्दन तो दरकिनार आप का कदम मुबारक मेरी आँखों पर भी है ।

हज़रत शैख़ अबू मदयन मगरिबी कुद्दीसा सिररुहुन नूरानी

एक दिन हज़रत शैख़ अबू मदयन मगरिबी कुद्दीसा सिररुहुन नूरानी ने मगरिब के शहर में अपनी गर्दन को नीचे करते हुए कहा, “ऐ अल्लाह में तुझ को और तेरे फरिश्तों को गवाह बनाता हूँ के में ने तेरा हुक्म सुना और इताअत फरमा बरदारी की” आप के मुरीदीन ने आप से इन अल्फ़ाज़ के कहने का सबब पूछा तो आप ने इरशाद फ़रमाया के “शैख़ अब्दुल क़ादिर जिलानी कुद्दीसा सिररुहुन नूरानी” ने आज बग़दाद शरीफ में फ़रमाया है “मेरा ये कदम हर वली की गर्दन पर है” इस के कुछ अरसे बाद “शैख़ अब्दुल क़ादिर जिलानी कुद्दीसा सिररुहुन नूरानी” के मुरीदीन बग़दाद शरीफ से वापस आए तो हज़रत शैख़ अबू मदयन मगरिबी कुद्दीसा सिररुहुन नूरानी के मुरीदीन ने वो दिन और वो वक़्त बताया जब हज़रत शैख़ अबू मदयन मगरिबी कुद्दीसा सिररुहुन नूरानी ने अपनी गर्दन को नीचे किया था तो “शैख़ अब्दुल क़ादिर जिलानी कुद्दीसा सिररुहुन नूरानी” के मुरीदीन ने तस्दीक करते हुए कहा के उसी रोज़ उसी वक़्त तो “शैख़ अब्दुल क़ादिर जिलानी कुद्दीसा सिररुहुन नूरानी” ने बग़दाद शरीफ में “मेरा ये कदम हर वली की गर्दन पर है” ये ऐलान फ़रमाया था ।

मजलिस में रिजालुल ग़ैब का हाज़िर होना

हाफ़िज़ अबू ज़रआ ताहिर बिन मुहम्मद ज़ाहिर अल मुक़द्दसी अद्दारी कुद्दीसा सिररुहुन नूरानी फरमाते हैं के एक मर्तबा में इमामुल औलिया शैख़ अब्दुल क़ादिर जिलानी रदियल्लाहु अन्हु की “मजलिसे वाइज़” में हाज़िर था, तो आप ने इरशाद फ़रमाया के मेरा कलाम रिजालुल ग़ैब से होता है जो के “कोहे काफ” से मेरी मजलिस में शिरकत के लिए हाज़िर होते हैं, बाद में आप के फ़रज़न्दे अर्जमन्द हज़रत शैख़ अब्दुर रज़्ज़ाक रहमतुल्लाह अलैह से उस वक़्त का हाल पूछा गया तो आप ने इरशाद फ़रमाया के हुज़ूर के इस फरमान के वक़्त जब में ने नज़र उठा कर देखा तो हवा में “रिजाजुल ग़ैब” की सफों की सफें नज़र आयीं और उन से तमाम उफ़क (ऊपर का हिस्सा) भर पुर था, और ये लोग अपने सरों को झुकाए हुए इमामुल औलिया शैख़ अब्दुल क़ादिर जिलानी रदियल्लाहु अन्हु, का कलाम मुबारक सुन रहे थे, हज़रत शैख़ अबुल गनाइम हुसैनी कुद्दीसा सिररुहुन नूरानी: फरमाते हैं के एक दिन मगरिब और ईशा के दरमियान आप के मदरसे की छत पर बैठा था, और मेरे करीब ही इमामुल औलिया शैख़ अब्दुल क़ादिर जिलानी रदियल्लाहु अन्हु क़िब्ले की तरफ रुख कर के जलवा फरमा थे, उस वक़्त में ने हवा में एक शख्स को उड़ता हुआ देखा, उस का लिबास सफ़ेद था, सर निहायत ही उम्दा अमामा बंधा हुआ था, वो जब आप के सामने आया तो उतर कर अदब के साथ सामने बैठ गया, और आप की खिदमते अक़दस में सलाम अर्ज़ कर के चला गया, तो में ने खड़े हो कर हज़रत के मुबारक हाथ को बोसा दिया, और अर्ज़ की गरीब नवाज़! ये कौन शख्स था? तो आप ने फ़रमाया “रिजालुल ग़ैब” से था जो के हमेशा फिरते रहते हैं ।

ठहर जाओ और मुहम्मदी का “कलाम” सुनो

एक दिन इमामुल औलिया शैख़ अब्दुल क़ादिर जिलानी रदियल्लाहु अन्हु मिम्बर पर जलवा अफ़रोज़ हो कर उलूमो मआरिफ़, पर बयान फरमा रहे थे, वाइज़ तकरीर के दौरान आप उठ कर चंद कदम हवा में चले, और ज़बान मुबारक से फ़रमाया: ऐ इसराइली ठ्हर जाओ और मुहम्मदी का कलाम सुनो, आप से पूछा गया के ये क्या वाकिअ था? तो आप ने इरशाद फ़रमाया के हज़रते ख़िज़र अलैहिस्सलाम यहाँ से गुज़र रहे थे तो में उन को अपना कलाम सुनाने के लिए ठहर गया था, तो आप भी ठहर गए ।

आप के हुक्म पर अमल करने वालों के दरजात में बरकत

कुदवतुल आरफीन हज़रत शैख़ हयात बिन क़ैस अल हराफी रदियल्लाहु अन्हु ने ,तीन 3, रमज़ानुल मुबारक 599, हिजरी में जामा मस्जिद में इरशाद फ़रमाया के जब इमामुल औलिया शैख़ अब्दुल क़ादिर जिलानी रदियल्लाहु अन्हु ने “मेरा ये कदम हर वली की गर्दन पर है” इस का ऐलान फ़रमाया: तो अल्लाह पाक ने तमाम औलिया अल्लाह के दिलों को आप के इरशाद की तामील पर गर्दनें झुकाने की बरकत से मुनव्वर फरमा दिया, उन के उलूम, और हाल व अहवाल, में इसी बरकत से ज़ियादती और तरक्की अता फ़रमाई |

आप के हुक्म की कोताही करने वालों का हाल

कसीर तादाद बुज़ुरगों मसलन हज़रत शैख़ अदि बिन मुसाफिर, हज़रत शैख़ अबू सईद कील्वी, हज़रत शैख़ अली बिन हीती, हज़रत शैख़ अहमद बिन रिफाई, हज़रत शैख़ अबुल कासिम बसरी, हज़रत शैख़ हयात हराफी, रिद्वानुल्लाही तआला अलैहिम अजमईन, ने इस हकीकत की शहादत दी है, के आप “मेरा ये कदम हर वली की गर्दन पर है” कहने पर मामूर थे, नीज़ आप को उस शख्स को विलायत से मअज़ूल करने का इख़्तियार दिया गया है जो आप के इरशाद का इंकार करे, हज़रत शैख़ लू लू अरमनी रहमतुल्लाह अलैह फरमाते हैं के में ने आप के इरशाद पर मशरिक और मगरिब में औलियाए इज़ाम को अपनी गर्दनें झुकाते हुए देखा और में ने एक शख्स को देखा के उस ने अपनी गर्दन न झुकाई तो उस का हाल दिगर गू, हो गया |

“मेरा ये कदम हर वली की गर्दन पर है” इस के क्या माना है?

बयान किया गया है के “कदम” के यहाँ पर हकीकी माना मुराद नहीं बल्के यहाँ पर मजाज़ी माना मुराद हैं चुनांचे शाने अदब भी इसी का मुताकाज़ी है, मजाज़न तरीका भी मुराद होता है, जैसा के कहा जाता है, के फुला शख्स क़दम हमीद पर है यानि तरीक़ए हमीद पर है या इबादते अज़ीमा या अदब जमील पर गरज़! करीब करीब इसी किस्म के माना मुराद होते हैं तो अब आप के कौल “मेरा ये कदम हर वली की गर्दन पर है” इस के माना वाज़ेह हो गए यानि आप का कदम मुबारक हर एक वली की गर्दन पर है यानि आप का तरीका आप के फुतूहात से आला व अरफ़ा बुलंद है, यानि इंतिहाई कमाल को पंहुचा हुआ है, और कदम के हकीकी माना तो अल्लाह पाक ही खूब जनता है के मुराद है या नहीं इस के हकीकी माना कई वुजुहात से मक़ाम के मुनासिब भी नहीं हैं,

अव्वल: ये के रियायत अदब मलहूज़ रखना एक ज़रूरी अम्र है क्यूंकि तरीकत इसी पर मब्नी है जैसा के सय्यदुत ताइफ़ा हज़रते जुनैद बगदादी कुद्दीसा सिररुहुन नूरानी वगैरा ने इसी की तरफ इशारा किया है,

दोम: ये के ये बात ज़ियादा मुनासिब है के आप जैसे आरिफो कामिल के कलाम को फ़साहतो बलाग़त के आला नमूने पर महमूल करना चाहिए जैसा के हम और तकरीर कर आए हैं बाज़ लोगों ने कदमी के कादमी, वगैरा कहा है सो इस के माना खुदा को ही मालूम हैं जो माना के ज़ाहिर व मुताबादिल थे वो हमने बयान किए हैं बाकी खुफ़ियात व किनायात को खुदा, ही खूब जानता है ।

हज़रत शैख़ अहमद रिफाई रहमतुल्लाह अलैह

हज़रत शैख़ अब्दुल बताहि रहमतुल्लाह बयान करते हैं के इमामुल औलिया शैख़ अब्दुल क़ादिर जिलानी रदियल्लाहु अन्हु की हयाते बा बरकात में मुझे हज़रत शैख़ अहमद रिफाई रहमतुल्लाह अलैह की खिदमत में हाज़िर होने का इत्तिफाक हुआ तो में जा कर आप ही के नज़दीक ठहरा और कई रोज़ तक ठहरा रहा, एक रोज़ आप ने मुझ से फ़रमाया: के आप कुछ इमामुल औलिया शैख़ अब्दुल क़ादिर जिलानी रदियल्लाहु अन्हु के हालात जो कुछ जो के आप को मालूम हों बयान करें, में आप के हालात बयान कर रहा था, के इतने में एक शख्स आया “शैख़ अहमद रिफाई रहमतुल्लाह अलैह” की तरफ इशारा कर के मुझ से कहने लगा: के तुम हमारे सामने आप के सिवा और किसी का ज़िक्र न करो तो आप ने निहायत गुस्सा हो कर उस शख्स की तफ देखा और फ़ौरन ये शख्स गिर कर मर गया फिर आप ने फ़रमाया: इमामुल औलिया शैख़ अब्दुल क़ादिर जिलानी रदियल्लाहु अन्हु के मरातिब को कौन पहुंच सकता है? आप वो शख्स हैं के बहरे शरीअत जिस की दाहिनी तरफ, और बहरे हकीकत बाएं तरफ, जिस में से चाहें पानी भरलें इस बात में आप का कोई जवाब नहीं । नीज़ में ने आप से सुना के इस वक़्त आप अपने भतीजों शैख़ इब्राहीम और उन के बिरादरान अबुल फराह अब्दुर रहमान व नजमुद्दीन अहमद औलाद शैख़ रिफाई (उस वक़्त आप एक शख्स को जो बग़दाद जाने वाले थे रुखसत कर रहे थे) इस बात की वसीयत की के जब तुम बग़दाद पहुचों तो इमामुल औलिया शैख़ अब्दुल क़ादिर जिलानी रदियल्लाहु अन्हु से पहले अगर आप ज़िंदह हों तो और किसी के पास न जाना और अगर वफ़ात पा गए हों तो आप की कब्र से पहले और किसी की ज़ियारत न करना क्यूंकि आप के लिए अहिद लिया जा चुका है जो साहिबे हाल के बग़दाद जाए और आप से मुलाकात न करे तो उससे उस का हाल सल्ब हो जाएगा उस पर अफ़सोस है के जिस ने आप से मुलाकात न की हो रदियल्लाहु अन्हु ।

हज़रत खिज़र अलैहिस्सलाम का कौल

हज़रत शैख़ अबू मदयन बिन शोएब मगरिबी कुद्दीसा सिररुहुन नूरानी बयान फरमाते हैं के हज़रत खिज़र अलैहिस्सलाम से मेरी मुलाकात हुई तो में ने आप से मशाइखे मशरिक व मगरिब का हाल दरयाफ्त करते हुए इमामुल औलिया शैख़ अब्दुल क़ादिर जिलानी रदियल्लाहु अन्हु का भी हाल पूछ लिया तो आप ने फ़रमाया: के वो इमामुस सिद्दीक, व हुज्जतुल आरफीन, वो रहे मारफ़त हैं, तमाम औलिया अल्लाह के दरमियान उन्हें तक़र्रूब हासिल है, रिद्वानुल्लाही तआला अलैहिम अजमईन ।

हज़रत शैख़ जागीर कुद्दीसा सिररुहुन नूरानी का आप की शान में कौल

शैखुल आरफीन हज़रत शैख़ मसऊद अल हारसी कुद्दीसा सिररुहुन नूरानी बयान फरमाते हैं के में एक वक़्त हज़रत शैख़ जागीर अली बिन इदरीस रदियल्लाहु अन्हुमा की बारगाह में हाज़िर हुआ, ये दोनों बुज़रुग उस वक़्त एक ही जगह तशरीफ़ रखते हुए मशाइखे अस्लाफ रदियल्लाहु अन्हुम का ज़िक्रे खेर कर रहे थे इसी दौरान में हज़रत शैख़ जागीर कुद्दीसा सिररुहुन नूरानी ने ये भी फ़रमाया: के वुजूद में ताजुल आरफीन अबुल वफ़ा, जैसा कोई ज़ाहिर हुआ है और न इमामुल औलिया शैख़ अब्दुल क़ादिर जिलानी रदियल्लाहु अन्हु जैसा कोई कामिल तसर्रुफ़ और कामिलुल वस्फ़, साहिबे मरातिब, व मनासिब, व मक़ामाते आलिया गुज़रा और अब आप के बाद कुतबीयत “सय्यदी अली बिन हीती रदियल्लाहु अन्हु” की तरफ मुन्तक़िल हो गई, इस के बाद आप ने फ़रमाया: के इमामुल औलिया शैख़ अब्दुल क़ादिर जिलानी रदियल्लाहु अन्हु वो बुज़रुग हैं के जिन्हें अहवाले कुतबीयत, मक़ामाते आलिया, और इस्तग़राक में भी आला मदारिज रुतबे, हासिल थे गरज़ जहाँ तक हमे इल्म है आप जैसे मरातिब व मनासिब दीगर मशाइख़ीन में से और किसी को हासिल नहीं हुए ।

हज़रत शैख़ अबू नसीर कुद्दीसा सिररुहुन नूरानी

हज़रत शैख़ उमर सुल्हाजी कुद्दीसा सिररुहुन नूरानी बयान करते हैं के हमारे बाज़ अहबाब में से एक बुज़रुग हज़रत शैख़ अबू नसीर कुद्दीसा सिररुहुन नूरानी की बारगाह में आप से इजाज़त चाहने की गरज़ से हाज़िर हुए ये बुज़रुग उस वक़्त बग़दाद शरीफ जा रहे थे तो आप ने इन से फ़रमाया: के तुम बग़दाद शरीफ जा कर इमामुल औलिया शैख़ अब्दुल क़ादिर जिलानी रदियल्लाहु अन्हु से ज़रूर मिलना और आप को मेरा सलाम कहना और मेरी तरफ से कह देना के “अबू नसीर” के लिए दुआए खेर कीजिए और इसे भी अपने दिल में जगह दीजिये इस के बाद आप ने इन से फ़रमाया के आप ऐसे बुज़रुग हैं के अज्म में आप अपना नज़ीर सानी, नहीं रखते तुम मुल्के इराक में जा कर देखोगे के वहां पर आप का कोई जवाब नहीं मिलेगा आप अपनी शराफत इल्मी व नसबी दोनों की वजह से तमाम औलियाए किराम से मुमताज़ हैं ।

मशाइख़ीन, सूफ़ियाए किराम रदियालहु अन्हुम का आप की तअज़ीम व अदब करना

हज़रत शैख़ उमर अल बज़ाज़ रहमतुल्लाह अलैह बयान करते हैं के मुझे एक वक़्त हज़रत शैख़ अदि बिन मुसाफिर रहमतुल्लाह अलैह की ज़ियारत करने का निहायत इश्तियाक हुआ में ने आप से इन की खिदमत में हाज़िर होने की इजाज़त चाहि आप ने मुझ को शैख़ की खिदमत में जाने की इजाज़त दी जब शैख़ की ज़ियारत करने के लिए में जबले हक्कार आया और शैख़ की खिदमत में हाज़िर हुआ तो आप ने मेरी खातिर तवाज़ोह करने और मेरी खेरो आफ़ियत पूछने के बाद मुझ से फ़रमाया: के उमर! दरिया को छोड़ कर नहर, पर आए हो इस वक़्त इमामुल औलिया शैख़ अब्दुल क़ादिर जिलानी रदियल्लाहु अन्हु “तमाम वलियों के अफसर हैं” और तमाम औलिया अल्लाह की बाग़ लगाम, आप ही के हाथ में है, कुदवतुल आरफीन शैख़ अली बिन वहब अल शिबानी अल बीई अल मूसवी संजारी रहमतुल्लाह अलैह ने आप की निस्बत की तरफ फ़रमाया है के इमामुल औलिया शैख़ अब्दुल क़ादिर जिलानी रदियल्लाहु अन्हु “अकाबिर बड़े बड़े औलिया” से हैं बड़ी खुश नसीबी की बात है जो कोई के आप की खिदमत में हाज़िर हो या अपने दिल में आप की अज़मत रखे, हज़रत शैख़ मूसा बिन हामान अज़ ज़ूली या बकौल बाज़ माहीन अज़ ज़ूली रहमतुल्लाह अलैह ने बयान किया है के इमामुल औलिया शैख़ अब्दुल क़ादिर जिलानी रदियल्लाहु अन्हु इस वक़्त खैरुन नास यानि यानि बेहतरीन मर्द, व सुल्तानुल औलिया, सय्यदुल आरफीन हैं, में ऐसे शख्स का के फ़रिश्ते जिस का अदब करते हैं क्यूँकर अदब न करूँ रदियल्लाहु अन्हु, शैखुस सूफ़िया हज़रत शैख़ शहाबुद्दीन उमर सोहरवर्दी रहमतुल्लाह अलैह फरमाते हैं के 506, हिजरी में मेरे चाचा मुहतरम शैख़ अबू नजीब अब्दुल काहिर शोहरवर्दी रहमतुल्लाह अलैह इमामुल औलिया शैख़ अब्दुल क़ादिर जिलानी रदियल्लाहु अन्हु की खिदमत में तशरीफ़ लाए में भी उस वक़्त आप के साथ था मेरे चचा मुहतरम जब आप की खिदमत में बैठे रहे उस वक़्त आप निहायत खामोश अदब के साथ आप का कलाम सुनते रहे फिर जब हम आप से रुखसत हो कर मदरसा निज़ामिया को जाने लगे तो में ने रास्ते में आप से इस की वजह मालूम की तो आप ने फ़रमाया: के में आप का क्यूँकर अदब न करूँ हालां के आप को वुजूदे ताम और “कामिल तसर्रुफ़” अता किया गया है और आलिमे मलाकूत में आप पर फर्ख किया जाता है आलमे कौन में आप इस वक़्त मुनफ़रिद हैं, में ऐसे शख्स का क्यूँकर अदब न करूँ के जिस को अल्लाह पाक ने मेरे और तमाम “मशाइख़ीन, सूफ़ियाए किराम रदियालहु अन्हुम” के दिल, और उन के हाल व अहवाल पर काबू दिया है के अगर आप चाहें तो उन्हें रोक लें और चाहें तो उन्हें छोड़ दें ।

                                               आप की कशफो करामात

बारह 12, साल बाद डूबी बरात को ज़िंदह निकालना

मन्क़ूल: है के इमामुल औलिया शैख़ अब्दुल क़ादिर जिलानी रदियल्लाहु अन्हु एक बार दरियाए दजला के पास से गुज़र रहे थे के इस दौरान चंद औरतें पानी भरने के लिए आयीं और वापस जाने लगीं, लेकिन एक बुढ़िया ने अपना बर्तन भर कर ज़मीन पर रख दिया और दरिया के किनारे खड़े हो कर रोने लगी, आप ने इस की हालत देखि और इस का हाल दरयाफ्त किया, इस ने बताया के इस का एक बेटा था जिस की शादी कर के बरात के साथ वापस आ रही थी के दरिया में भंवर आ गया और कश्ती तमाम बारातियों के साथ डूब गई, सिवाए इस बूढ़ी के और कोई ज़िंदा न निकला, इस वाकिए को बारह 12, साल हो गए थे, इमामुल औलिया शैख़ अब्दुल क़ादिर जिलानी रदियल्लाहु अन्हु ने फ़रमाया तेरा लड़का बा मआ अपनी दुल्हन और बारातियों के ज़िंदह हो कर आ जाएगा, आप के ये फरमाते ही अचानक दरिया में तुग़यानी पैदा हुई और इस जगह से कश्ती नमूदार हुई जिस जगह डूबी थी और इस बुढ़िया का बेटा बा मआ अपनी बीवी और बारातियों के इसी शानो शौकत के साथ सही सालिम बाहर निकल आया, ये करामत देख कर सब हैरान रह गए, इस के बाद दूलह आप का मुरीद हो गया और खिलाफत भी हासिल की, इन का मज़ार गुजरात में है और “शाह दूलाह दरियाई” के नाम से मशहूर है । (तफ़्सीर नईमी हिस्सा दोम, पारा सात 7, दर ज़िम्न आयत नंबर 110, सूरह माइदा हज़रत अल्लामा मुफ़्ती अहमद यार खान रहमतुल्लाह अलैह)

मुसलमान और ईसाई के झगड़े पर मुर्दे को ज़िंदा करना

एक रोज़ इमामुल औलिया शैख़ अब्दुल क़ादिर जिलानी रदियल्लाहु अन्हु एक मोहल्ले से गुज़ारे तो देखा के एक मुस्लमान और एक ईसाई आ पस में झगड़ रहे थे, आप ने इस की वजह मालूम की तो मुस्लमान ने कहा ये ईसाई कहता है के हज़रते ईसा अलैहिस्सलाम तुम्हारे नबी करीम हुज़ूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम से अफ़ज़ल हैं, इमामुल औलिया शैख़ अब्दुल क़ादिर जिलानी रदियल्लाहु अन्हु ने ईसाई से दरयाफ्त किया के तुम किस वजह से हज़रते ईसा अलैहिस्सलाम को अफ़ज़ल कहते हो? उस ने कहा के हज़रते ईसा अलैहिस्सलाम मुर्दों को ज़िंदा किया करते थे, आप ने फ़रमाया के में सय्यदे आलम हुज़ूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम का उम्मती हूँ अगर में मुर्दे को ज़िंदा कर दूँ फिर तू हुज़ूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम की अफ़ज़लियत को तस्लीम कर लेगा, उस ने कहा ज़रूर, फिर आप ने उससे कहा के कब्रिस्तान में कोई पुरानी कब्र बता जिस के मुरदे को में ज़िंदा करूँ और मुर्दा जो दुनिया में पेशा किया करता था उस का इज़हार करता हुआ उठे, चुनांचे उस ने एक पुरानी कब्र की तरफ इशारा किया इमामुल औलिया शैख़ अब्दुल क़ादिर जिलानी रदियल्लाहु अन्हु ने फ़रमाया “कुम बी इज़ निल्लाह” पस कब्र शक हुई और मुर्दा ज़िंदा हो कर गाता हुआ बाहर निकला ये करामत देख कर ईसाई मुस्लमान हो गया ।

पाकी हुई मुरग़ी ज़िंदा हो गई

हज़रत शैख़ अब्दुल्लाह मुहम्मद बिन अबिल मुआली बिन क़ाइद आवानी कुद्दीसा सिररुहुन नूरानी से मन्क़ूल: है के आप ने फ़रमाया के एक औरत इमामुल औलिया शैख़ अब्दुल क़ादिर जिलानी रदियल्लाहु अन्हु की खिदमत में अपना लड़का लाइ और कहने लगी के में इस लड़के का दिल देखती हूँ के आप से बहुत लगाओ रखता है में अल्लाह पाक के लिए और आप के लिए खिदमत में पेश करती हूँ, आप ने इस को कबूल किया और इस को मुजाहिदा और रियाज़त नफ़्स कुशी करने का हुक्म दिया, फिर एक रोज़ उस की वालिदा अपने बेटे से मिलने आई तो देखा के वो भूक और बेदारी की वजह से ज़र्द रंग का हो रहा है, और “जों” की रोटी खा रहा है, फिर वो इमामुल औलिया शैख़ अब्दुल क़ादिर जिलानी रदियल्लाहु अन्हु की बारगाह में हाज़िर हुई तो आप के सामने भुनी पाकी, हुई मुरग़ी की हड्डियां पड़ीं थीं जो के आप अभी खा कर फारिग हुए थे उस ने कहा ऐ मेरे सरदार! आप खुद तो मुरग़ी खाते हैं और मेरा बेटा “जों” की रोटी खता है, तब आप ने अपना दस्ते मुबारक इन हड्डियों पर रखा और फ़रमाया के उस अल्लाह के हुक्म से खड़ी हो जा जो के उन हड्डियों को ज़िंदा करेगा जो के बोसीदा हो चुकी होंगी उसी वक़्त मुरग़ी ज़िंदा हो कर खड़ी हो गई, तब इमामुल औलिया शैख़ अब्दुल क़ादिर जिलानी रदियल्लाहु अन्हु ने फ़रमाया जब तेरा बेटा इस दर्जे को पहुंच जाएगा तो जो चाहे खायेगा ।

अंधे, जुज़ामी (कोढ़ी) और फालिज वाले को तंदुरुस्त करना

हज़रत शैख़ अबुल हसन करशी कुद्दीसा सिररुहुन नूरानी से मन्क़ूल: है के इमामुल औलिया शैख़ अब्दुल क़ादिर जिलानी रदियल्लाहु अन्हु की खिदमत में इन के मदरसा में जो बाबुल अज़ जज़ के पास था, तब आप के पास अबू ग़ालिब फ़ज़्लुल्लाह बिन इस्माईल सौदागर हाज़िर हुआ और आप से अर्ज़ करने लगा के ऐ मेरे सरदार! आप के नाना रसूले करीम हुज़ूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया के जो शख्स किसी दावत में बुलाया जाए उस को दावत कबूल करनी चाहिए, में हाज़िर हूँ के आप मेरे गरीब खाने पर दावत के लिए तशरीफ़ ले चलें, हम आप के साथ उस के घर गए जहाँ बाग्दाद् शरीफ के उल्माए किराम और मशाइखे इज़ाम सभ ही इकठ्ठा थे और दस्तर ख्वान बिछाया गया जिस में तमाम शीरीं और तुर्श अशिया मौजूद थीं और एक बड़ा संदूक लाया गया जो के सर बामुहर था, दो आदमी उस को उठा कर लाए उस को दस्तर ख्वान के एक तरफ रख दिया गया, तब अबू ग़ालिब ने कहा बिस्मिल्लाह इजाज़त है! इस बीच में इमामुल औलिया शैख़ अब्दुल क़ादिर जिलानी रदियल्लाहु अन्हु मुराकीबे में थे, न आप ने खाया और न खाने की इजाज़त दी और न किसी और ने खाया, अहले मजलिस का ये हाल था के आप की हैबत की वजह से गोया उन के सरों पर परिंदे बैठे हुए हैं, फिर इमामुल औलिया शैख़ अब्दुल क़ादिर जिलानी रदियल्लाहु अन्हु ने मुझ को और हज़रते सय्यदना शैख़ अली बिन हीती कुद्दीसा सिररुहुन नूरानी को इशारा फ़रमाया के वो संदूक उठा लाएं, हम ने उस संदूक को उठाया तो वो वज़नी था, हम ने उस को आप के सामने ला कर रख दिया, आप ने हुक्म दिया के इस को खोलो, हम ने उस को खोला तो उस में अबू ग़ालिब का लड़का मोजूद था, जो के मादर ज़ाद अँधा था, जुज़ामी और फालिज ज़दह था, तब इमामुल औलिया शैख़ अब्दुल क़ादिर जिलानी रदियल्लाहु अन्हु ने फ़रमाया अल्लाह पाक के हुक्म से तन्दुरुत हो कर खड़ा हो जा, हम ने देखा के के वो लड़का बिलकुल तंदुरुस्त हो कर खड़ा हो गया, और दौड़ने लगा, ये देख कर मजलिस में शोर मच गया और इसी हालत में हम लोग बाहर निकल आए और कुछ न खाया, इस के बाद हज़रत शैख़ अबू सईद किल्वी रदियल्लाहु अन्हु की खिदमत हाज़िर हुए और तमाम हाल बयान किया, उन्होंने कहा इमामुल औलिया शैख़ अब्दुल क़ादिर जिलानी रदियल्लाहु अन्हु मादर ज़ाद अंधों को, बर्स और जोज़ाम वालों को अच्छा करते हैं और मुर्दों को अल्लाह पाक के हुक्म से ज़िंदह करते हैं ।

ताऊन के मरीज़ों को शिफा देना

एक मर्तबा बग़दाद शरीफ में ताऊन की बिमारी इस कसरत से फ़ैल गई के रोज़ाना हज़ारों लोग मरने लगे, लोगों ने आप से इस बात की शिकायत की, आप ने फ़रमाया हमारे मदरसे की घास कूट कर मरीज़ों को खिलाई जाए अल्लाह पाक इस की बरकत से शिफा देगा और ताऊन की बीमारी जाती रहेगी लोगों ने आप के हुक्म की तामील की, मरीज़ शिफा पाने लगे, मरीज़ों की कसरत की वजह से आप ने फ़रमाया जो हमारे मदरसे का एक क़तरा पानी पीलेगा उसे भी शिफा होगी, लोगों ने आप के मदरसे का पानी पी कर शिफाये कामिला हासिल की और ताऊन का मर्ज़ जाता रहा और आप के ज़माने में ये वबा दोबारा नही आई ।

ताजिर (बिजनिस मेन) को नुकसान और मोत से बचाना

हज़रत शैख़ अबू मसऊद रहमतुल्लाह अलैह से मन्क़ूल है के अबुल मुज़फ्फर हसन बिन नजम बिन अहमद ताजिर बगदादी हज़रत शैख़ अह्म्माद दब्बास रहमतुल्लाह अलैह की खिदमत में हाज़िर हुए और इन से कहने लगे के ऐ मेरे सरदार में मुल्के शाम की तरफ काफिले के साथ तिजारत के लिए तय्यारी की है, और सात सौ दीनार का माल है, हज़रत शैख़ हम्माद दब्बास रहमतुल्लाह अलैह ने कहा के अगर तुम इस साल सफर करोगे तो क़त्ल हो जाओगे और तुम्हारा माल भी छिन जाएगा, तब वो इन के पास से रंजीदा हो कर निकले और इमामुल औलिया शैख़ अब्दुल क़ादिर जिलानी रदियल्लाहु अन्हु की बारगाह में हाज़िर हुए और वही बात की जो हज़रत शैख़ हम्माद दब्बास रहमतुल्लाह अलैह से की तब इन से इमामुल औलिया शैख़ अब्दुल क़ादिर जिलानी रदियल्लाहु अन्हु ने फ़रमाया के तुम सफर करो, तुम सही सलामत माल और मुनाफा ले कर वापस आओगे, में इस का ज़ामिन (गारंटर, ज़िम्मेदार) हूँ, तब वो मुल्के शाम की तरफ रवाना हुए और हज़ार दीनार में माल बेच दिया, एक दिन हलब के सराए में ठहरे और वहां के इस्तंजा खाने में दाखिल हुए और हज़ार दीनार ताक में रख कर भूल गए और बाहर निकल आए, अपने डेरे पर सो गए, ख्वाब में क्या देखते हैं के गोया वो काफिले में हैं जिस पर डाकू लूटने को दौड़े और सब का माल लूट कर ले गए और सब लोगों को कत्ल भी कर दिया, इन में से एक ने आ कर इन को भी क़त्ल कर दिया, तभी घबरा कर नींद से उठ खड़े हुए, खून का असर गर्दन पर पाया और दर्द महसूस किया, इन को अपना माल याद आया तो जल्दी से खड़े हुए और इस्तंजा खाने में जा कर देखा तो ताक में इन की रकम मौजूद थी, इस को लिया और बग़दाद की तरफ सफर कर के आए, हज़रत शैख़ ह्म्माद दब्बास रहमतुल्लाह अलैह इन को सुल्तानी बाज़ार में मिले और कहने लगे ऐ अबुल मुज़फ्फर, इमामुल औलिया शैख़ अब्दुल क़ादिर जिलानी रदियल्लाहु अन्हु की खिदमत में जाओ क्यूंकि वो अल्लाह पाक के महबूब हैं, उन्होंने तुम्हारे बारे में अल्लाह पाक से सत्तरह 17, दफा दुआ मांगी है हत्ता के जो अल्लाह पाक ने तुम्हारे लिए बेदारी में लिखा था उस को ख्वाब में कर दिया, वो फिर इमामुल औलिया शैख़ अब्दुल क़ादिर जिलानी रदियल्लाहु अन्हु की खिदमते अक़दस में हाज़िर हुए तो आप ने पहले ही फ़रमाया के तुम को हज़रत शैख़ ह्म्माद दब्बास रहमतुल्लाह अलैह ने कहा के में ने तुम्हारे लिए सत्तरह मर्तबा अल्लाह पाक से दुआ की है मुझे अपने रब की कसम में ने तुम्हारे लिए सत्तरह 17, बार दुआ मांगी है यहाँ तक के जो क़त्ल तुम्हारे लिए बेदारी में लिखा था वो ख्वाब में तब्दील कर दिया गया और जो माल लुटना था वो निसयान और भूल में कर दिया गया ।

रेफरेन्स हवाला
  • बहजतुल असरार उर्दू मआदिनुल अनवार,
  • तबक़ातुल कुबरा जिल्द 1, शआरानी,
  • कलाईदुल जवाहिर,
  • हयाते गौसुलवरा,
  • सीरते गौसे आज़म,
  • ख़ज़ीनतुल असफिया जिल्द अव्वल,
  • अख़बारूल अखियार फ़ारसी व उर्दू,
  • मसालिकुस्सलिकीन जिल्द अव्वल,
  • अवारिफुल मआरिफ़,
  • तज़किराए मशाइखे इज़ाम जिल्द अव्वल,
  • सैरुल अखियार महफिले औलिया,
  • हक़ीकते गुलज़ारे साबरी,
  • जामे करामाते औलिया जिल्द 1,
  • अल्लाह के मशहूर वली,
  • तज़किराए मशाइख़े क़ादिरया बरकातिया रज़विया,
  • सीरते गौसुस सक़लैन,
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