हुज़ूर नबी करीम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम की ज़िन्दगी (Part- 13)

हुज़ूर नबी करीम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम की ज़िन्दगी (Part- 13)

वाकिअए इफ्क

इसी ग़ज़वे से जब हुज़ूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम मदीना वापस आने लगे तो एक मंज़िल पर रात में पड़ाव किया, हज़रते आइशा रदियल्लाहु अन्हा एक बंद हौदज में सवार हो कर सफर करती थी और चंद ख़ास आदमी उस होदज को ऊँट पर  लादने और उतारने के लिए मुकर्रर थे, हज़रते बीबी आइशा रदियल्लाहु अन्हा लश्कर की रवानगी से कुछ पहले लश्कर से बाहर रफए हाजत के लिए तशरीफ़ ले गईं जब वापस हुईं तो देख की उन के गले का हार कहीं टूट कर गिर पड़ा है वो दोबारा उस हार की तलाश में लश्कर से बाहर चली गईं इस मर्तबा वापसी में कुछ देर लग गई और लश्कर रवाना हो गया आप का हौदज लादने वालों ने ये ख्याल कर के की उम्मुल मोमिनीन हज़रते बीबी आइशा रदियल्लाहु अन्हा हौदज के अंदर तशरीफ़ फरमा हैं हौदज को ऊँट पर लाद दिया और पूरा काफिला मंज़िल से रवाना हो गया जब हज़रते आइशा रदियल्लाहु अन्हा मंज़िल पे वापस आईं तो यहाँ कोई आदमी मौजूद नहीं था | तन्हाई से घबराई अँधेरी रात में अकेले चलना भी खतरनाक था इस लिए वो ये सोच कर वहीँ लेट गईं की जब अगली मंज़िल पर लोग मुझे न पायेंगें तो ज़रूर ही मेरी तलाश में यहां आएंगें, वो लेटी लेटी सो गईं एक सहाबी जिन का नाम हज़रते सफ़वान बिन मुअत्तल रदियल्लाहु अन्हु था वो हमेशा लश्कर के पीछे पीछे इस ख्याल से चला करते थे ताकि लश्कर का गिरा पड़ा सामान उठाते चलें वो जब इस मंज़िल पे पहुचें तो हज़रते आइशा रदियल्लाहु अन्हा को देखा और चूँकि परदे की आयत नाज़िल होने से पहले वो कई बार उम्मुल मोमिनी हज़रते आइशा रदियल्लाहु अन्हा को देख चुके थे इस लिए देखते ही पहचान लिया और उन्हें मुर्दा समझ कर “इन्ना लिल्लाहि व इन्ना इलैहि राजिऊन” पढ़ा | इस आवाज़ से वो जाग उठीं हज़रते सफ़वान बिन मुअत्तल सुलमि रदियल्लाहु अन्हु ने फ़ौरन ही उन को अपने ऊँट पे सवार किया और खुद ऊँट पकड़ कर पैदल चलते हुए अगली मंज़िल पर हुज़ूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम के पास पहुंच गए |

मुनाफिकों के सरदार अब्दुल्लाह बिन उबय्य ने इस वाकिए को हज़रते बीबी आइशा रदियल्लाहु अन्हा पर तोहमत लगाने का ज़रीआ बना लिया और खूब खूब इस तोहमत का चर्चा किया यहाँ तक की मदीने में उस मुनाफिक ने इस शर्मनाक तोहमत को इस क़द्र उछाला और इतना शोरो गुल मचाया की मदीने में हर तरफ इस इफ़्तिरा और तोहमत का चर्चा होने लगा कुछ मुसलमान मसलन हज़रते हस्सान बिन साबित और हज़रते मिस्तह बिन असासा और हज़रते हमने बिन्ते जहश रदियल्लाहु अन्हुम ने भी इस तोहमत को फ़ैलाने में कुछ हिस्सा लिया, हुज़ूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम को इस शर अंगेज़ तोहमत से बेहद रंज व सदमा पंहुचा और मुख्लिस मुसलमानो को भी इंतिहाई रंजो गम हुआ | 

हज़रते बीबी आइशा रदियल्लाहु अन्हा मदीने पहुचंते ही सख्त बीमार हो गईं, पर्दा नशीन तो थीं ही साहिबे फिऱाश हो गईं और उन्हें इस तुहमत तराशी की बिलकुल खबर ही नहीं हुई की हुज़ूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम को हज़रते बीबी आइशा रदियल्लाहु अन्हा की पाक दामनी का पूरा पूरा इल्म व यकीन था मगर चूँकि अपनी बीवी का मुआमला था इस लिए आप सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने अपनी तरफ से अपनी बीवी की बराअत और पाक दामनी का ऐलान करना मुनासिब नहीं समझा और वहिऐ इलाही का इन्तिज़ार फरमाने लगे इस बीच में आप सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम अपने मुख्लिस सहाबा से इस मुआमले में मश्वरा फरमाते रहे ताकि इन लोगों के ख्यालात का पता चल सके |   

चुनान्चे हज़रते उमर रदियल्लाहु अन्हु से जब आप ने सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने इस तोहमत के बारे में गुफ्तुगू फ़रमाई तो उन्हों ने अर्ज़ किया की या रसूलल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ! ये मुनाफिक यक़ीनन झूठे हैं इस लिए की जब अल्लाह पाक को ये गवारा नहीं है की आप सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम के जिसमे अतहर पर एक मख्खी भी बैठ जाए क्यूं की मख्खी नजासतों पर बैठती है तो भला जो औरत ऐसी बुराई की मुर्तकिब हो अल्लाह पाक कब और कैसे बर्दाश्त फरमाएगा की वो आप सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम की ज़ौजियत में रह सके |

हज़रते उस्माने गनी रदियल्लाहु अन्हु ने कहा की या रसूलल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ! जब अल्लाह पाक ने आप के साए को ज़मीन पर नहीं पड़ने दिया ताकि उस पर किसी का पाऊं न पड़ सके तो भला उस माबूदे बर हक़ अल्लाह पाक की गैरत कब ये गवारा करेगी की कोई इंसान आप सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम की ज़ौजए मुहतरमा के साथ ऐसी कबाहत का मुर्तकिब हो सके |

हज़रते अली रदियल्लाहु अन्हु ने ये गुज़ारिश की, या रसूलल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ! एक बार आप नालैन मुक़द्दस में नजासत लग गई थी तो अल्लाह पाक ने हज़रते जिब्राइल अलैहिस्सलाम को भेज कर आप सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम को खबर दी की आप अपनी नालैन अक़दस को उतार दें इस लिए हज़रते बीबी आइशा रदियल्लाहु अन्हा (माज़ अल्लाह) अगर ऐसी होतीं तो ज़रूर अल्लाह पाक आप सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम पर वही नाज़िल फरमा देता की “आप इन को अपनी ज़ौजियत से निकाल दें” 

हज़रते अबू अय्यूब अंसारी रदियल्लाहु अन्हु ने जब इस तोहमत की खबर सुनी तो उन्हों ने अपनी बीवी से कहा की ऐ बीवी ! तू सच बता ! अगर हज़रते सफ़वान बिन मुअत्तल रदियल्लाहु अन्हु की जगह में होता तो क्या तू ये गुनाम कर सकती थी की में हुज़ूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम की हरमे पाक के साथ ऐसा कर सकता था ? तू उन की बीवी ने जवाब दिया की अगर हज़रते बीबी आइशा रदियल्लाहु अन्हा की जगह में हुज़ूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम की बीवी होती तो खुदा की कसम ! में कभी ऐसी खियानत नहीं कर सकती थी तू फिर हज़रते आइशा रदियल्लाहु अन्हा जो मुझ से लाख दर्जे अच्छी हैं और हज़रते सफ़वान बिन मुअत्तल रदियल्लाहु अन्हु जो जो तुम से बहुत बेहतर हैं भला क्यूं कर मुमकिन है की ये दोनों ऐसी खियानत कर सकते हैं | 

बुखारी शरीफ की रिवायत है की हुज़ूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने इस मुआमले में हज़रते अली और उसामा रदियल्लाहु अन्हु से जब मश्वरा तलब फ़रमाया तू हज़रते उसामा रदियल्लाहु अन्हु ने बरजस्ता कहा की या रसूलल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ! वो आप की बीवी हैं और हम उन्हें अच्छी तरह जानते हैं, और हज़रते अली रदियल्लाहु अन्हु ने ये जवाब दिया की या रसूलल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ! अल्लाह पाक ने आप पर कोई तंगी नहीं डाली औरतें इन के सिवा बहुत हैं और आप सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम उन के बारे में उन की लोंडी बरेरा से पूछ लो वो आप से सच मुच कह देगी | 

हज़रते बरेरा रदियल्लाहु अन्हा से जब आप सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने सवाल फ़रमाया तो उन्हों ने अर्ज़ किया की या रसूलल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ! उस जाते पाक की कसम जिस ने आप को रसूले बरहक़ बना कर भेजा है की मेने हज़रते बीबी आइशा रदियल्लाहु अन्हा में कोई ऐब नहीं देखा, हाँ इतनी बात ज़रूर है की वो कम सिन लड़की हैं वो गुंधा हुआ आटा छोड़ कर सो जाती हैं और बकरी आ कर खा जाती है |

फिर हुज़ूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने अपनी ज़ौजए मुहतरमा हज़रते ज़ैनब बिनते जहश रदियल्लाहु अन्हा से मालूम किया जो हुस्नो जमाल में हज़रते बीबी आइशा रदियल्लाहु अन्हा के मिस्ल थीं तो उन्होंने कसम खा कर ये अर्ज़ किया की या रसूलल्लाह  सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ! में अपने कान और आँख की हिफाज़त करती हूँ खुदा की कसम ! में तो हज़रते बीबी आइशा रदियल्लाहु अन्हा को अच्छी तरह जानती हूँ |

इस के बाद हुज़ूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने एक दिन मिम्बर पे खड़े हो कर मुसलमानो से फ़रमाया की उस शख्स की तरफ से मुझे कोन माज़ूर समझेगा, या मेरी मदद करेगा जिस ने मेरी बीवी पर बोहतान तराशी कर के मेरी दिल आज़ारी की है खुदा की कसम ! में अपनी बीवी को हर तरह की अच्छी ही जनता हूँ | और उन लोगों (मुनाफिकों) ने इस बोहतान में एक ऐसे मर्द (सफ़वान बिन मुअत्तल) का ज़िक्र किया है जिस को में बिलकुल अच्छा ही जनता हूँ | 

हुज़ूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम की बर सरे मिम्बर इस तकरीर से मालूम हुआ की हुज़ूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम को दोनों की बराअत व तहारत और इफ़्फ़त व पाक दामनी का पूरा पूरा इल्म और यकीन था और वही नाज़िल होने से पहले ही आप सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम को यकीनी तौर पर मालूम था की मुनाफिक झूठे और हज़रते बीबी आइशा रदियल्लाहु अन्हा पाक दामन है वरना आप बर सरे मिम्बर कसम खा कर इन दोनों की अच्छे का मजमए आम में हरगिज़ ऐलान न फरमाते मगर पहले ही ऐलान न फरमाने की वजह यही थी की अपनी बीवी की पाक दामनी का अपनी ज़बान से ऐलान करना हुज़ूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम मुनासिब नहीं समझते थे जब हद से ज़ियादा मुनाफिक़ीन ने शोरो गोगा शुरू कर दिया तो हुज़ूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने मिम्बर पर अपने ख़याले अक़दस का इज़हार फरमा दिया मगर अब भी ऐलान आम के लिए आप को वहींए इलाही का इन्तिज़ार ही रहा | 

ये पहले तहरीर किया जा चुका है की उम्मुल मोमिनीन हज़रते आइशा रदियल्लाहु अन्हा सफर से आते ही बीमार हो कर साहिबे फिऱाश हो गईं थीं इस लिए वो इस बोहतान के तूफान से बिकुल ही बे खबर थीं जब उन्हें मर्ज़ से कुछ सिहत हासिल हुई और वो एक रात हज़रते उम्मेह मिस्तह सहबिया रदियल्लाहु अन्हा के साथ रफे हाजत के लिए सहरा में तशरीफ़ ले गईं तो उन की ज़बानी उन्होंने इस दिल खराश और रूह फरसा खबर को सुना | जिससे उन को बड़ा धचका लगा और वो शिद्दते रंजो गम से निढाल हो गईं चुनान्चे उन की बीमारी में मज़ीद इज़ाफ़ा हो गया और वो दिन रात बिलक बिलक के रोती रहीं आखिर जब उन से ये सदमा बर्दाश्त न हो सका तो वो हुज़ूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम से इजाज़त ले कर अपनी वालिदा के घर चली गईं और इस मनहूस खबर का तज़किराह अपनी वालिदा को बताया, माँ ने काफी तसल्ली व तशफ्फी दी मगर ये बराबर लगातार रोती ही रहीं | इसी हालत में अचानक हुज़ूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम तशरीफ़ लाए और फ़रमाया की ऐ आइशा ! तुम्हारे बारे में ऐसी ऐसी खबर उड़ाई गई है अगर तुम पाक दामन हो और ये खबर झूटी है तो अन करीब अल्लाह पाक तुम्हारी बराअत का बा ज़रिए वही ऐलान फरमा देगा | वरना तुम तौबा व इस्तगफार कर लो क्यूं की जब कोई बंदा अल्लाह पाक से तौबा करता है और बख्शिश मांगता है तो अल्लाह पाक उस के गुनाहों को माफ़ फरमा देता है | हुज़ूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम की ये गुफ्तुगू सुन कर हज़रते आइशा रदियल्लाहु अन्हा के आंसू बिकुल रुक गए और उन्हों ने अपने वालिद हज़रते अबू बकर सिद्दीक रदियल्लाहु अन्हु से कहा की आप हुज़ूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम का जवाब दीजिये | तो उन्होंने फ़रमाया की खुदा की कसम ! में नहीं जनता की हुज़ूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम को क्या जवाब दूँ? फिर उन्हों ने माँ से जवाब देने की दरख्वास्त की तो उन की माँ ने भी यही कहा फिर खुद हज़रते आइशा रदियल्लाहु अन्हा ने हुज़ूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम को ये जवाब दिया की लोगों ने जो एक बे बुनियाद बात उड़ाई है और ये लोगों के दिलों में बैठ चुकी है और कुछ लोग इस को सच समझ चुके हैं इस सूरत में अगर में ये कहूँ की में पाक दामन हूँ तो लोग इस की भी तस्दीक नहीं करेंगें और अगर में इस बुराई का इकरार कर लूँ तो सब मान लेंगें हांलाकि अल्लाह पाक जनता है की में इस इलज़ाम से बरी और पाक दामन हूँ इस वक़्त मेरी मिसाल हज़रते युसूफ अलैहिस्सलाम के बाप हज़रते याक़ूब अलैहिस्सलाम जैसी है लिहाज़ा में भी वही करती हूँ जो उनहोंने कहा था यानि अल्लाह पाक क़ुरान शरीफ पारा 11, सूरह युसूफ आयत 18, में फरमाता है:

तर्जुमा कंज़ुल ईमान :- तो सब्र अच्छा और अल्लाह पाक ही से मदद चाहता हूँ उन बातों पर जो तुम बता रहे हो |

यह कहते हुए उन्हों ने करवट बदल कर मुँह फेर लिया और कहा की अल्लाह पाक जनता है की में इस तोहमत से बरी और पाक दामन हूँ और मुझे यकीन है की अल्लाह पाक ज़रूर मेरी बराअत को ज़ाहिर फ़रमा देगा |

हज़रते आइशा रदियल्लाहु अन्हा का जवाब सुन कर अभी हुज़ूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम अपनी जगह से उठे भी न थे और हर शख्स अपनी अपनी जगह पर बैठा ही हुआ था की अचानत हुज़ूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम पर “वाई” नाज़िल होने लगी और आप पर नुज़ूले वही के वक़्त की बेचैनी शुरू हो गई और बा वजूदे की शदीद सर्दी का वक़्त था मगर पसीने के क़तरात मोतियों की तरह आप के बदन से टपकने लगे जब वही उतर चुकी तो हँसते हुए हुज़ूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया की ऐ आइशा रदियल्लाहु अन्हा ! तुम खुदा का शुक्र अदा करते हुए उस की हम्द करो की उस ने तुम्हारी बराअत और पाक दामनी का ऐलान फरमा दिया है और फिर आप सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने कुरआन शरीफ की सूरह नूर में से दस आयात की तिलावत फ़रमाई |

इन आयात के नाज़िल हो जाने के बाद मुनाफिकों का मुँह कला हो गया और हज़रते उम्मुल मोमिनीन हज़रते आइशा रदियल्लाहु अन्हा की पाक दामनी का आफताब अपनी पूरी आबो ताब के साथ इस तरह चमक उठा की कयामत तक आने वाले मुसलमानो के दिलों की दुनिया में नूरे ईमान से उजाला हो गया |

हज़रते अबू बकर सिद्दीक रदियल्लाहु अन्हु को हज़रते मिस्तह बिन असासा पर बड़ा गुस्सा आया ये आप के खाला ज़ाद भाई थे और बचपन ही में इन के वालिद फवात पा गए थे तो हज़रते अबू बकर सिद्दीक रदियल्लाहु अन्हु ने इन की परवरिश भी की थी और इन की मुफलिसी की वजह से हमेशा आप इन की माली मदद फरमाते रहते थे मगर इस के बा वजूद हज़रते मिस्तह बिन असासा रदियल्लाहु अन्हु ने भी इस तोहमत तराशी और इस का चर्चा करने में कुछ हिस्सा लिया था इस वजह से हज़रते अबू बकर सिद्दीक रदियल्लाहु अन्हु ने गुस्से में भर कर ये कसम खा ली की अब में मिस्तह बिन अससा की कभी भी कोई माली मदद नहीं करूंगा, इस मोके पर अल्लाह पाक ने कुरआन शरीफ पारा 18, सूरह नूर आयत 22, में इरशाद फ़रमाया:

तर्जुमा कंज़ुल ईमान :- और कसम न खाएं वो जो तुम में फ़ज़ीलत वाले और गुंजाइश वाले हैं क़राबत वालों और मिस्कीनों और अल्लाह पाक की राह में हिजरत करने वालों को देने की और चाहिए की माफ़ करें और दरगुज़र करें क्या तुम इसे पसंद नहीं करते की अल्लाह पाक तुम्हारी बख्शिश करे और अल्लाह पाक बहुत बख्श ने वाला और बड़ा मेहरबान है |

इस आयत को सुन कर हज़रते अबू बकर सिद्दीक रदियल्लाहु अन्हु ने अपनी कसम तोड़ डाली और फिर हज़रते मिस्तह बिन असासा रदियल्लाहु अन्हु का खर्च बा दस्तूर पहले की तरह अता फरमाने लगे | 

फिर हुज़ूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने मस्जिदे नबवी में एक खुत्बा पड़ा और सूरह नूर की आयतें तिलावत फरमा कर आम मजमे में सुना दीं तोहमत लगाने वालों में से हज़रते हस्सान बिन साबित व हज़रते मिस्तह बिन असासा व हज़रते हमना बिन्ते जहश रदियल्लाहु अन्हुम और रईसुल मुनाफिक़ीन अब्दुल्लाह बिन उबय्य इन चारों को हद्दे क़ज़फ़ की सज़ा में अस्सी अस्सी दुर्रे यानि कोड़े मारे गए |

शारह बुखारी अल्लामा किरमानी रहमतुल्लाह अलैह ने फ़रमाया की हज़रते आइशा रदियल्लाहु अन्हा की बराअत और पाक दामनी कतई व यकीनी है जो कुरआन शरीफ से साबित है अगर कोई इस में ज़रा भी शक करे तो वो काफिर है |

आयते तयम्मुम का नुज़ूल

इब्ने अब्दुल बर व इब्ने साद व इब्ने हिब्बान वगैरा मुहद्दिसीन व उल्माए सीरत का कौल है की  तयम्मुम की आयात इसी ग़ज़वए मुरैसिया में नाज़िल हुई मगर रौज़तुल अहबाब में लिखा है की आयते तयम्मुम किसी दूसरे ग़ज़वे में उतरी है | 

बुखारी शरीफ में आयते तयम्मुम का शाने नुज़ूल जो मज़कूर है वो ये है की हज़रते आइशा रदियल्लाहु अन्हा का बयान है की हम लोग हुज़ूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम के साथ एक सफर में थे जब हम लोग मक़ामे “बैदा” या मक़ामे “ज़ातुल जैश” में पहुंचे तो मेरा हार टूट कर कहीं गिर गया | हुज़ूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम और कुछ लोग उस हार की तलाश में वहां ठहर गए और वहां पानी नहीं था तो कुछ लोगों ने हज़रते अबू बकर सिद्दीक रदियल्लाहु अन्हु के पास आ कर शिकायत की, के आप देखते नहीं की हज़रते आइशा रदियल्लाहु अन्हा ने क्या किया? हुज़ूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम और सहाबा रदियल्लाहु अन्हुम को यहाँ ठहरा लिया है हालां की यहाँ पानी मौजूद नहीं है ये सुन कर हज़रते अबू बकर सिद्दीक रदियल्लाहु अन्हु मेरे पास आए और जो कुछ खुदा ने चाहा उन्हों ने मुझ को (सख्त व सुस्त) कहा और फिर गुस्से में अपने हाथ से मेरी कोख में कोंचा मरने लगे उस वक़्त हुज़ूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम मेरी रान पर अपना सरे मुबारक रख कर आराम फरमा रहे थे इस वजह से (मार खाने के बावजूद) में हिल नहीं सकती थीं सुबह को जब हुज़ूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम बेदार हुए तो वहां कहीं पानी मोजोद नहीं था अचानक हुज़ूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम पर तयम्मुम की आयत नाज़िल हो गई चुनान्चे हुज़ूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम और तमाम सहाबा ने तयम्मुम किया और नमाज़े फजर अदा की इस मोके पर हज़रते उसैद बिन हुज़ैर रदियल्लाहु अन्हु ने खुश हो कर कहा की ऐ अबू बक्र की आल ! ये तुम्हारी पहली ही बरकत नहीं है | फिर हम लोगों ने ऊँट को उठाया तो उस के नीचे हमने हार को पा लिया | 

इस हदीस में किसी ग़ज़वे का नाम नहीं है मगर शरह बुखारी हज़रते अल्लामा इब्ने हजर रहमतुल्लाह अलैह ने फ़रमाया की ये वाक़िआ ग़ज़वए बनी अल मुस्तालिक का है जिस का दूसरा नाम ग़ज़वए मोरेसिया भी है

जंगे खंदक

सं. 5, हिजरी की तमाम लड़ाइयों में ये जंग सब से ज़ियादा मशहूर है और फैसला कुन जंग है चूँकि दुश्मनो से हिफाज़त के लिए शहर मदीना के गिर्द खन्दक खोदी गई थी इस लिए ये लड़ाई “जंगे खन्दक” कहलाती है और चूँकि तमाम कुफ्फारे अरब ने मुत्तहिद हो कर इस्लाम के खिलाफ ये जंग की थी इस लिए इस लड़ाई का दूसरा नाम “जंगे अहज़ाब” “तमाम जमातों की मुत्तहिद जंग” है, कुरआन शरीफ में इस जंग का तज़किरा इसी नाम के साथ आया है | 

जंगे खन्दक का सबब

 हम ये पहले लिख चुके हैं की “कबीलए बनू नज़ीर” के यहूदी जब मदीने से निकाल दिए गए तो उन में से यहूदियों के चंद रईस “खैबर” में जा कर आबाद हो गए और खैबर के यहूदियों ने उन लोगों का इतना ऐजाज़ो इकराम किया की सलाम बिन मश्कम व इब्ने अबिल हुकैक व हुयी बिन अख्तब व किनाना बिन अरबिअ को अपना सरदार मान लिया ये लोग चूँकि मुसलमानो के खिलाफ ग़ैज़ो गज़ब में भरे हुए थे और इंतिकाम की आग इन के सीने मो दहक रही थी इस लिए इन लोगों ने मदीने पर एक ज़बर दस्त हमले की इस्कीम बनाई, चुनान्चे ये तीनो इस मकसद के पेशे नज़र मक्का गए और कुफ्फारे कुरेश से मिल कर ये कहा की अगर तुम लोग हमारा साथ दो तो हम लोग मुसलमानो को सफ्हे हस्ती से नेस्तो नाबूद कर सकते हैं कुफ्फारे कुरेश तो इस के भूके ही थे फ़ौरन ही उन लोगों ने यहूदियों की हाँ में हाँ मिला दी कुफ्फारे कुरेश से साज़ बाज़ कर लेने के बाद इन तीनो यहूदियों ने “कबीलाए बनू गतफान” का रुख किया और खैबर की आधी आमदनी देने लालच दे कर उन लोगों की भी मुसलमानो के खिलाफ जंग करने के लिए तय्यार किया फिर बनू गतफान ने अपने साथी “बनू असद” को भी जंग के लिए तय्यार कर लिया इधर यहूदियों ने अपने हलीफ़ “कबीलाए बनू असद” को भी अपना हम नवा बना लिया और कुफ्फारे कुरेश ने अपनी रिश्तेदारियों की बिना पर “कबीलए बनू सुलैम” को भी अपने साथ मिला लिया गरज़ इस तरह तमाम कबाइले अरब के कुफ्फार ने मिलजुल कर एक लश्करे जर्रार तय्यार कर लिया जिस की तादाद दस हज़ार थी और अबू सुफियान इस पूरे लश्कर का सिपाह सालार बन गया | 

मुसलमानो की तय्यारी

जब क़बाइले अरब के तमाम काफिरों के गठ जोड़ और खौफनाक हमले की खबरें मदीने पहुंची तो हुज़ूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने अपने सहाबा को जमा फरमा कर मश्वरा फ़रमाया की इस हमले का मुकाबला किस तरह किया जाए? हज़रते सलमान फ़ारसी रदियल्लाहु अन्हु ने ये राय दी की जंगे उहद की तरह शहर से बाहर निकल कर इतनी बड़ी फौज के हमले को मैदानी लड़ाई में रोकना मस्लिहत के खिलाफ है लिहाज़ा मुनासिब ये है की शहर के अंदर रह कर इस हमले का दिफ़ाअ किया जाए और शहर के गिर्द जिस तरफ से कुफ्फार की चढाई का खतरा है एक खन्दक खोद ली जाए ताकि कुफ्फार की पूरी फौज बा यक वक़्त हमला न कर सके, मदीने के तीन तरफ चूँकि मकानात की तंग गलियां और खजूरों के झुण्ड थे इस लिए इन तीनो जानिब से हमले का इमकान नहीं था मदीने का सिर्फ एक रुख खुला हुआ था इस लिए ये तय किया गया की इसी तरह पांच गज़ गहरी खन्दक खोदी जाए, चुनान्चे 8, ज़ुल कादा  सं. 5, हिजरी को को हुज़ूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम तीन हज़ार सहाबए किराम रदियल्लाहु अन्हुम को साथ ले कर खन्दक खोदने में मसरूफ हो गए, हुज़ूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने खुद अपने दस्ते मुबारक से खन्दक की हदबंदी फ़रमाई और दस दस आदमियों पर दस दस गज़ ज़मीन तकसीम फरमा दी और तकरीबन बीस दिन में ये खन्दक तय्यार हो गई |

एक अजीब चट्टान

 हज़रते जाबिर रदियल्लाहु अन्हु ने बयान फ़रमाया की खन्दक खोदते वक़्त अचानक एक ऐसी चट्टान नमूदार हो गई जो किसी से भी नहीं टूटी जब हम लोग ने हुज़ूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम को ये माजरा बताया तो आप सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम उठे | तीन दिन का फ़ाक़ा था और शिकमे मुबारक पर पथ्थर बंधा हुआ था आप ने अपने दस्ते मुबारक से फावड़ा मारा तो वो चट्टान रेत के भुरभुरे टीले की तरह बिखर गई |और एक रिवायत है की आप सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने उस चट्टान पर तीन बार फावड़ा मारा | हर ज़र्ब पर उस में एक रौशनी निकल ती थी और उस रौशनी में आप ने शाम व ईरान और यमन के शहरों को देख लिया और इन तीनो मुल्कों के फतह होने की सहाबए किराम रदियल्लाहु अन्हुम को बशारत दी |और नसाई की रिवायत में है की आप सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने मदाइने किसरा व मदाइने कैसर व मदाइने हब्शा की फुतुहात का ऐलान फ़रमाया | 

हज़रते जाबिर की दावत

हज़रते जाबिर रदियल्लाहु अन्हु कहते हैं की फाकों से शिकमे अक़दस पर पथ्थर बंधा हुआ देख कर मेरा दिल भर आया चुनान्चे में हुज़ूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम से इजाज़त ले कर अपने घर आया और बीवी से कहा की मेने नबी करीम हुज़ूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम को इस क़द्र शदीद भूक की हालत में देखा है की मुझ को सब्र की ताब नही रही क्या घर में कुछ खाना है? बीवी ने कहा की घर में एक सअ जों के सिवा कुछ भी नहीं है | मेने कहा की तुम जल्दी से उस जों को पीस कर गूंध लो और अपने घर का पला हुआ एक बकरी का बच्चा में ने ज़बह कर के उस की बोटियाँ बना दीं और बीवी से कहा की जल्दी से तुम गोश्त रोटी तय्यार कर लो में हुज़ूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम को बुला कर लता हूँ, चलते वक़्त बीवी ने कहा की देखना सिर्फ हुज़ूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम और चंद ही असहाब को साथ में लाना | 

खाना कम ही है कहीं मुझे रुस्वा मत कर देना | हज़रते जाबिर रदियल्लाहु अन्हु ने खन्दक पर आ कर चुपके से अर्ज़ किया की या रसूलल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ! एक सअ आटे की रोटियां और एक बकरी के बच्चे का गोश्त मेने घर में तय्यार कराया है लिहाज़ा आप कुछ लोगों के साथ चल कर खाना तनावुल फरमा लें, ये सुन कर हुज़ूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया की ऐ ! खंदक वालों ! जाबिर ने दावत की है लिहाज़ा सब लोग इन के घर पे चल कर खाना खा लें फिर मुझ से कहा की जब तक में न आ जाऊं रोटी मत पकवान, चुनान्चे जब हुज़ूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम तशरीफ़ लाए तो गुंधे हुए आटे में अपना लुआबे दहन डाल कर बरकत की दुआ फ़रमाई और गोश्त की हांडी में भी अपना लुआबे दहन डाल दिया फिर रोटी पकाने का हुक्म दिया और ये फ़रमाया की हांडी चूल्ह से न उतारी जाए फिर रोटी पकनी शुरू हुई और हांडी में से हज़रते जाबिर रदियल्लाहु अन्हु की बीवी ने गोश्त निकाल निकाल कर देना शुरू किया एक हज़ार आदमियों ने आसूदा हो कर खाना खा लिया मगर गूंदा हुआ आटा जितना पहले था उतना ही रह गया और हांडी चूल्ह पर पहले की तरह जोश मरती रही |

रेफरेन्स (हवाला)

शरह ज़ुरकानि मवाहिबे लदुन्निया जिल्द 1,2, बुखारी शरीफ जिल्द 2, सीरते मुस्तफा जाने रहमत, अशरफुस सेर, ज़िया उन नबी, सीरते मुस्तफा, सीरते इब्ने हिशाम जलिद 1, सीरते रसूले अकरम, तज़किराए मशाइख़े क़ादिरया बरकातिया रज़विया, गुलदस्ताए सीरतुन नबी, सीरते रसूले अरबी, मुदारिजुन नुबूवत जिल्द 1,2, रसूले अकरम की सियासी ज़िन्दगी, तुहफए रसूलिया मुतरजिम, मकालाते सीरते तय्यबा, सीरते खातमुन नबीयीन, वाक़िआते सीरतुन नबी, इहतियाजुल आलमीन इला सीरते सय्यदुल मुरसलीन, तवारीखे हबीबे इलाह, सीरते नबविया अज़ इफ़ादाते महरिया,         

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