हुज़ूर नबी करीम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम की ज़िन्दगी (Part- 32)

हज़रते बीबी उम्मे सलमाह रदियल्लाहु अन्हा का निकाह

ये दोनों मियां बीवी आफ़ियत के साथ मदीना शरीफ रहने लगे 4, हिजरी में जब इन के शोहर हज़रते अबू सलमा रदियल्लाहु अन्हु का इन्तिकाल हो गया तो बा वजूदे इन के चंद बच्चे थे मगर हुज़ूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने इन से निकाह फरमा लिया और ये अपने बच्चों के साथ काशानए नुबुव्वत में रहने लगीं और उम्मुल मोमिनीन के मुअज़्ज़ज़ लक़ब से सरफ़राज़ हो गईं |

हज़रते बीबी उम्मे सलमाह रदियल्लाहु अन्हा हुस्नो जसमाल के साथ साथ अक्लो फ़हम के कमाल का भी एक बे मिसाल नमूना थीं इमामुल हरमैन का बयान है की में हज़रते उम्मे सलमाह के सिवा किसी औरत को नहीं जानता की उस की राए हमेशा दुरुस्त साबित हुई हो | सुलेह हुदैबिया के दिन जब हुज़ूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने लोगों को हुक्म दिया की अपनी अपनी क़ुर्बानियां कर के सब लोग एहराम खोल दें और बगैर उमरा अदा किए सब लोग मदीने वापस चले जाएं इसी शर्त पर सुलेह हुदैबिया हुई है तो लोग इस कदर रंजो गम में थे की एक शख्स भी क़ुर्बानी के लिए तय्यार नहीं था | हुज़ूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम को सहाबए किराम रदियल्लाहु अन्हुम के इस तर्ज़े अमल से रूहानी कोफ़्त हुई और आप ने मुआमले का हज़रते बीबी उम्मे सलमाह रदियल्लाहु अन्हा से तज़किरा किया तो उन्हों ने ये राय दी की या रसूलल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ! आप किसी से कुछ भी न फरमाएं और खुद अपनी क़ुरबानी ज़बह कर के अपना एहराम उतार दें | चुनांचे हुज़ूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने ऐसा ही किया | ये देख कर की हुज़ूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने एहराम खोल दिया है सब सहाबए किराम रदियल्लाहु अन्हुम मायूस हो गए की अब हुज़ूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम सुलेह हुदैबिया के मुआहिदे को हरगिज़ हरगिज़ न बदलेंगें इस लिए सब सहाबा ने भी अपनी अपनी क़ुर्बानियां कर के एहराम उतार दिया और सब लोग मदीना शरीफ वापस चले गए| 

हुस्नो जमाल व अक्लो फ़ह्म के साथ साथ इल्मे फ़िक़्ह, व इल्मे हदीस, में भी इन की महारत खुसूसी तौर पर मुमताज़ थी | तीन सौ अठहत्तर हदीसें, इन्हों ने हुज़ूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम से रिवायत की हैं और बहुत से सहाबा व ताबईन इल्मे हदीस में इन के शागिर्द हैं और आप के शागिर्दों में हज़रते अब्दुल्लाह बिन अब्बास, और हज़रते आइशा रदियल्लाहु अन्हुम भी शामिल हैं | मदीना शरीफ में चौरासी साल की उमर में विसाल फ़रमाया, और आप की वफ़ात का साल सं. 53, हिजरी है हज़रते अबू हुरैरा रदियल्लाहु अन्हु ने इन की नमाज़े जनाज़ा पढ़ाई और ये जन्नतुल बकी में अज़्वाजे मुतह्हिरात रदियल्लाहु अन हुन्ना के कब्रिस्तान में मदफ़ून हुईं | बाज़ मुअर्रिख़ीन का कौल है की इन के विसाल का साल सं. 59, हिजरी है और इब्राहीम हर्बी ने फ़रमाया की सं. 62, हिजरी में इन का इन्तिकाल हुआ और बाज़ कहते हैं की सं. 63, हिजरी के बाद इन की वफ़ात हुई है |

हज़रते उम्मे हबीबा रदियल्लाहु अन्हा

इन का असली नाम “रमला” है ये सरदारे मक्का अबू सुफियान बिन हर्ब की साहब ज़ादी हैं और इन की वालिदा का नाम सफिय्या बिन्ते अबुल आस है जो अमीरुल मोमिनीन हज़रते उस्मान रदियल्लाहु अन्हु की फूफी हैं |

ये पहले उबैदुल्लाह बिन जहश के निकाह में थीं और मियां बीवी दोनों ने इस्लाम कबूल किया और दोनों हिजरत कर के हब्शा चले गए थे | लेकिन हब्शा पहुंच कर इन के शोहर उबैदुल्लाह बिन जहश पर ऐसी बद नसीबी सवार हो गई की वो इस्लाम से मुरतद हो कर नसरानी हो गया और शराब पीते पीते नसरानीयत ही पर वो मर गया |

इब्ने साद ने हज़रते उम्मे हबीबा रदियल्लाहु अन्हा से ये रिवायत की है की उन्हों ने हब्शा में एक रात ख्वाब देखा की उन के शोहर  उबैदुल्लाह बिन जहश की सूरत अचानक बहुत ही बदनुमा और बद शकल हो गई वो इस ख्वाब से बहुत ज़ियादा घबरा गईं | जब सुबह हुई तो उन्हों ने अचानक ये देखा की उन के शोहर उबैदुल्लाह बिन जहश ने इस्लाम से मुरतद हो कर नसरानी दीन कबूल कर लिया, हज़रते उम्मे हबीबा रदियल्लाहु अन्हा ने अपने शोहर को अपना ये ख्वाब डर कर सुनाया और इस्लाम की तरफ बुलाया मगर उस बद नसीब ने इस पर कान नहीं धरा और मुर्तद होने की हालत में मर गया | हज़रते उम्मे हबीबा रदियल्लाहु अन्हा अपने इस्लाम पर इस्तिक़ामत के साथ साबित कदम रहीं | जब हुज़ूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम को इन की हालत मालूम हुई कल्बे नाज़ुक पर बेहद सदमा गुज़रा और आप हुज़ूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने इन की दिल जुई किए लिए हज़रते अम्र बिन उमय्या ज़मरी रदियल्लाहु अन्हु को नज्जाशी बादशाह हब्श के पास भेजा और खत लिखा की तुम मेरे वकील बन कर हज़रते उम्मे हबीबा के साथ निकाह कर दो | नज्जाशी को जब ये फरमाने ने नुबुव्वत पंहुचा तो उसने अपनी एक ख़ास लोंडी को जिस का नाम “अबरहा” था हज़रते उम्मे हबीबा रदियल्लाहु अन्हा के पास भेजा और हुज़ूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम के पैगाम की खबर दी | हज़रते उम्मे हबीबा रदियल्लाहु अन्हा इस खुश खबरी को सुन कर इस कदर खुश हुईं की अपने कुछ ज़ेवरात इस बशारत के इनआम में अबराह लोंडी को इनआम के तौर पर दे दिए और हज़रते खालिद बिन सईद बिन अबिल आस रदियल्लाहु अन्हु को जो उन के मामू के लड़के थे अपने निकाह का वकील बना कर नज्जाशी के पास भेज दिया | नज्जाशी ने अपने शाही महल में निकाह की मजलिस मुनअकिद की और हज़रते जाफर बिन आबि तालिब और दूसरे सहाबए किराम रदियल्लाहु अन्हुम को जो उस वक़्त हब्शा में मौजूद थे इस मजलिस में बुलाया और खुद ही खुत्बा पढ़ा और सब के सामने हुज़ूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम का हज़रते उम्मे हबीबा रदियल्लाहु अन्हा के साथ निकाह कर दिया और चार सौ दीनार अपने पास से महर अदा किए जो उसी वक़्त हज़रते खालिद बिन सईद रदियल्लाहु अन्हु को दे दिए | जब सहाबए किराम रदियल्लाहु अन्हुम इस निकाह कि मजलिस से उठने लगे तो नज्जाशी बादशाह ने कहा की आप लोग ठहरो अम्बिया अलैहिमुस्सलाम का ये तरीका है की निकाह के वक़्त खाना खिलाया जाता है | ये कह कर नज्जाशी बादशाह ने खाना मंगाया और तमाम सहाबए किराम रदियल्लाहु अन्हुम शिकम सेर खाना खा कर अपने अपने घर तशरीफ़ ले गए | फिर नज्जाशी बादशाह ने हज़रते शुरहाबील बिन हसना रदियल्लाहु अन्हु के साथ हज़रते उम्मे हबीबा रदियल्लाहु अन्हा को मदीना शरीफ हुज़ूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम की खिदमत में भेज दिया और हज़रते उम्मे हबीबा रदियल्लाहु अन्हा ने हरमे नबवी में दाखिल हो कर उम्मुल मोमिनीन का मुअज़्ज़ज़ लक़ब पा लिया | 

हज़रते उम्मे हबीबा रदियल्लाहु अन्हा बहुत पाकीज़ा ज़ात व हमीदा सिफ़ात की जामे और निहायत ही बुलंद हिम्मत और सखी तबीअत की मालिक थीं और बहुत ही क़वीयुल ईमान थीं | इन के वालिद अबू सुफियान जब कुफ्र की हालत में थे और सुलेह हुदैबिया की तजदीद के लिए मदीना आए तो बे तकल्लुफ इन के मकान में जा कर बिस्तरे नबुव्वत पर बैठ गए | हज़रते उम्मे हबीबा रदियल्लाहु अन्हा ने अपने बाप की ज़रा भी परवा नहीं की और ये कह कर अपने बाप को बिस्तर से उठा दिया की ये बिस्तरे नुबुव्वत है | में कभी ये गवारा नहीं कर सकती की एक नापाक मुशरिक इस पाक बिस्तर पे बैठे | 

हज़रते उम्मे हबीबा रदियल्लाहु अन्हा ने पैंसठ हदीसें, हुज़ूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम से रिवायत की हैं जिन में दो हदीसें बुखारी व मुस्लिम दोनों किताबों में मौजूद हैं और एक हदीस वो है जिस को तनहा मुस्लिम ने रिवायत किया है | बाकी हदीसें हदीस की दूसरी किताबों में मौजूद हैं | इन के शागिर्दों में इन के भाई हज़रते अमीर मुआविया और इन की साहब ज़ादी हज़रते हबीबा और इन के भांजे अबू सुफियान बिन सईद रदियल्लाहु अन्हुम बहुत मशहूर हैं | 

सं. 44, हिजरी में मदिन शरीफ के अंदर इन की वफ़ात हुई और जन्नतुल बाकि में अज़्वाजे मुतह्हिरात रदियल्लाहु अन हुन्ना के हुजरे में मदफ़ून हुईं |

हज़रते ज़ैनब बिन्ते जहश रदियल्लाहु अन्हा

ये हुज़ूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम की फूफी हज़रते उमैमा बिन्ते अब्दुल मुत्तलिब की साहबज़ादी हैं | हुज़ूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने अपने आज़ाद करदा गुलाम ज़ैद बिन हारिसा रदियल्लाहु अन्हु से इन का निकाह कर दिया था मगर चूँकि हज़रते ज़ैनब बिन्ते जहश रदियल्लाहु अन्हा खानदाने कुरेश की एक बहुत ही शानदार खातून थीं और हुस्नो जमाल में भी ये खानदाने कुरेश की बे मिसाल औरत थी और हज़रते ज़ैद रदियल्लाहु अन्हु को हुज़ूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने आज़ाद कर के अपना मुतबन्ना यानि मुँह बोला बेटा बना लिया था मगर फिर भी चूँकि वो पहले गुलाम थे इस लिए हज़रते ज़ैनब बिन्ते जहश रदियल्लाहु अन्हा इन से खुश नहीं थीं और अक्सर मियां बीवी में अनबन रहा करती थी यहाँ तक की हज़रते ज़ैद रदियल्लाहु अन्हु ने इन को तलाक दे दी | | इस वाकिए से फ़ितरी तौर पर हुज़ूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम के कल्बे नाज़ुक पे सदमा गुज़रा | चुनांचे जब इन की इद्दत गुज़र गई तो महिज़ हज़रते ज़ैनब बिन्ते जहश रदियल्लाहु अन्हा की दिल जोई के लिए हुज़ूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने हज़रते ज़ैनब बिन्ते जहश रदियल्लाहु अन्हा के पास अपने निकाह का पैगाम भेजा | रिवायत है की ये पैगाम की बशारत सुन कर हज़रते ज़ैनब बिन्ते जहश रदियल्लाहु अन्हा ने दो रकअत नमाज़ अदा की और दुआ मांगी की ऐ अल्लाह पाक ! तेरे रसूल सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने मुझे निकाह का पैगाम दिया है अगर में तेरे नज़दीक उन की ज़ौजियत दाखिल होने के लाइक औरत हूँ तो या अल्लाह पाक ! तू उन के साथ मेरा निकाह फ़रमा दे इन की ये दुआ फ़ौरन ही कबूल हो गई और ये आयत नाज़िल हो गई पारा 22, सूरह अहज़ाब आयत 37, में अल्लाह पाक इरशाद फरमाता है की :

तर्जुमा कंज़ुल इमां :- जब ज़ैद ने उससे हाजत पूरी कर ली (ज़ैनब को तलाक दे दी और इद्दत गुज़र गई) तो हम ने उस (ज़ैनब) का आप के साथ निकाह कर दिया | 

इस आयत के नुज़ूल के बाद हुज़ूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने मुस्कुराते हुए फ़रमाया की कौन है जो ज़ैनब के पास जाए और उस को ये खुश खबरि सुनाए की अल्लाह पाक ने मेरा निकाह उस के साथ फ़रमा दिया है | ये सुन कर हुज़ूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम की एक ख़ादिमा दौड़ती हुई हज़रते ज़ैनब बिन्ते जहश रदियल्लाहु अन्हा के पास पहुंची और ये आयत सुना कर खुश खबरि दी | हज़रते ज़ैनब बिन्ते जहश रदियल्लाहु अन्हा इस बशारत से इस कदर खुश हुईं की अपना ज़ेवर उतार कर उस खादिमा को इनआम में दे दिया और खुद सजदे में गिर पड़ीं और इस नेमत के शुक्रिये में दो महीने तक लगातार रोज़े से रहीं | 

रिवायत है की हुज़ूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम इस के बाद अचानक हज़रते ज़ैनब बिन्ते जहश रदियल्लाहु अन्हा के मकान में तशरीफ़ ले गए उन्हों ने अर्ज़ किया की या रसूलल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ! बगैर खुत्बा और बगैर गवाह के आप ने मेरे साथ निकाह फरमा लिया? इरशाद फ़रमाया की तेरे साथ मेरा निकाह अल्लाह पाक ने कर दिया है और हज़रते जिब्रील अलैहिस्सलाम और दूसरे फ़रिश्ते इस निकाह के गवाह हैं | हुज़ूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने इन के निकाह पर जितनी बड़ी दावते वलीमा फ़रमाई इतनी बड़ी दावते वलीमा अज़्वाजे मुतह्हिरात रदियल्लाहु अन हुन्ना में से किसी के निकाह के मोके पर भी नहीं फ़रमाई | आप हुज़ूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने हज़रते ज़ैनब बिन्ते जहश रदियल्लाहु अन्हा के साथ निकाह की दावते वलीमा में तमाम सहाबाए किराम को नान व गोश्त खिलाया |

इन के फ़ज़ाइलो मनाक़िब में चंद हदीसें भी मरवी हैं: चुनांचे रिवायत है की एक दिन हुज़ूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया की मेरी वफ़ात के बाद तुम अज़्वाजे मुतह्हिरात रदियल्लाहु अन हुन्ना में से मेरी वो बीवी सब से पहले वफ़ात पा कर मुझ से मिलेगी जिस का हाथ सब से ज़ियादा लम्बा है | ये सुन कर तमाम अज़्वाजे मुतह्हिरात रदियल्लाहु अन हुन्ना ने एक लकड़ी से अपना हाथ नापा तो हज़रते सौदाह रदियल्लाहु अन्हा का हाथ सब से ज़ियादा लम्बा निकला जब हुज़ूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम के बाद अज़्वाजे मुतह्हिरात रदियल्लाहु अन हुन्ना में सब से पहले हज़रते ज़ैनब रदियल्लाहु अन्हा ने वफ़ात पाई तो उस वक़्त लोगों को पता चला की हाथ लम्बा होने से मुराद कसरत से सदका देना है | हज़रते ज़ैनब बिन्ते जहश रदियल्लाहु अन्हा अपने हाथ से कुछ दस्त कारी का काम करती थीं और उस की आमदनी से फ़क़ीरों मिस्कीनों पर सदका कर दिया करती थीं |

इन की वफ़ात की खबर जब हज़रते आइशा रदियल्लाहु अन्हा के पास पहुंची तो उन्हों ने कहा की हाए एक काबिले तारीफ औरत जो सब के लिए नफा बख्श थी और यतीमो और बूढ़ी औरतों का दिल खुश करने वाली थी आज दुनिया से चली गई | हज़रते आइशा रदियल्लाहु अन्हा का बयान है की में ने भलाई और सच्चाई में और रिश्तेदारों के साथ महरबानी के मुआमले में हज़रते ज़ैनब से बढ़ कर किसी औरत को नहीं देखा |

मन्क़ूल है की हज़रते ज़ैनब बिन्ते जहश रदियल्लाहु अन्हा अज़्वाजे मुतह्हिरात रदियल्लाहु अन हुन्ना से अक्सर ये कहा करती थीं की मुझ को अल्लाह पाक ने एक ऐसी फ़ज़ीलत अता फ़रमाई है जो अज़्वाजे मुतह्हिरात रदियल्लाहु अन हुन्ना में से किसी को भी नसीब नहीं हुई क्यूंकि तमाम अज़्वाजे मुतह्हिरात का निकाह तो उन के बाप दादाओ ने हुज़ूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम के साथ किया लेकिन हुज़ूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम के साथ मेरा निकाह अल्लाह पाक ने कर दिया | 

इन्हों ने ग्यारह 11, हदीसें हुज़ूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम से रिवायत की हैं जिन में से दो हदीसें बुखारी व मुस्लिम दोनों किताबों में मौजूद हैं बाकि नो 9, हदीसें दूसरी क़ुत्बे अहादीस में लिखी हुई हैं | 

मन्क़ूल है की जब हज़रते ज़ैनब बिन्ते जहश रदियल्लाहु अन्हा की वफ़ात का हाल अमीरुल मोमिनीन हज़रते उमर रदियल्लाहु अन्हु को मालूम हुआ तो आप ने हुक्म दे दिया की हर कूचा व बाज़ार में ये ऐलान कर दिया जाए की तमाम अहले मदीना अपनी मुकद्द्स माँ की नमाज़े जनाज़ा के लिए हाज़िर हो जाएं | अमीरुल मोमिनीन रदियल्लाहु अन्हु ने खुद ही इन की नमाज़े जनाज़ा पढ़ाई और ये जन्नतुल बाकि में दफन की गईं | सं. 20, हिजरी या सं. 21, हिजरी में  53, साल की उमर में मदीना शरीफ में दुनिया से तशरीफ़ ले गईं |

हज़रते ज़ैनब बिन्ते खुज़ैमा रदियल्लाहु अन्हा             

ज़मानए जाहिलियत में चूँकि ये गुरबा और मसाकीन को बहुत खाना खिलाया करती थीं इस लिए इन का लक़ब “उम्मुल मसाकीन” यानि मिस्कीनों की माँ है पहले इन का निकाह हज़रते अब्दुल्लाह बिन जहश रदियल्लाहु अन्हु से हुआ था मगर जब वो जंगे उहद में शहीद हो गए सं. 3, हिजरी में हुज़ूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने इन से निकाह फरमा लिया और ये हुज़ूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम से निकाह के बाद सिर्फ दो या तीन महीने ज़िंदा रहीं और रबिउल आखिर सं. 4, हिजरी में तीस साल की उमर पा कर विसाल फ़रमाया और जन्नतुल बाकि के कब्रिस्तान में दूसरी अज़्वाजे मुतह्हिरात रदियल्लाहु अन हुन्ना के साथ दफन हुईं ये माँ की जानिब से हज़रते उम्मुल मोमिनीन बीबी मैमूना रदियल्लाहु अन्हा की बहन हैं | 

हज़रते मैमूना रदियल्लाहु अन्हा

इन के वालिद का नाम हारिस बिन “हज़न” है और इन की वालिदा हिन्द बिन्ते ओफ़ हैं, हज़रते मैमूना रदियल्लाहु अन्हा का नाम पहले “बर्रह” था लेकिन हुज़ूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने इन का नाम बदल कर “मैमूना” (बरकत देने वाला) रख दिया | 

ये पहले अबू रूहम बिन अब्दुल उज़्ज़ा के निकाह में थीं मगर जब हुज़ूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम सं. 7, हिजरी में उमरतुल कज़ा के लिए मक्का शरीफ तशरीफ़ ले गए ते ये बेवा हो चुकी थीं हज़रते अब्बास रदियल्लाहु अन्हु ने इन के बारे में हुज़ूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम से गुफ्तुगू की और आप ने इन से निकाह फरमा लिया और उमरतुल कज़ा से वापसी पर मक़ामे “सरफ” में इन को अपनी सुहबत से सरफ़राज़ फ़रमाया | 

हज़रते मैमूना रदियल्लाहु अन्हा की सगी बहने चार हैं जिन के नाम ये हैं: 

  1. उम्मुल फ़ज़्ल लुबाबतिल कुबरा : ये हुज़ूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम के चचा हज़रते अब्बास रदियल्लाहु अन्हु की बीवी हैं और हज़रते अब्दुल्लाह बिन अब्बास रदियल्लाहु अन्हु इन ही के शिकम से पैदा हुए |
  2. लुबाबतिस सुगरा : ये हज़रते खालिद बिन वलीद सैफुल्लाह रदियल्लाहु अन्हु की वालिदा हैं |
  3. अस्मा : ये उबय्य बिन ख़लफ़ से बिहाई गई थीं | इन्हो ने इस्लाम कबूल किया और सहाबियत में इन का शुमार हैं | 
  4. ईज़्ज़ह : ये भी सहाबियत में हैं जो ज़ियाद बिन मालिक के घर में थीं | 

हज़रते मैमूना रदियल्लाहु अन्हा इन की सगी बहनो के अलावा वो बहने जो सिर्फ माँ की जानिब से हैं वो भी चार हैं जिन के नाम ये हैं:                

(1) अस्मा बिन्ते उमेस: ये पहले हज़रते जाफर बिन अबी तालिब रदियल्लाहु अन्हु के घर में थीं इन से अब्दुल्लाह व औन व मुहम्मद रदियल्लाहु अन्हुम तीन फ़रज़न्द पैदा हुए फिर जब हज़रते जाफर रदियल्लाहु अन्हु “जंगे मौता” में शहीद हो गए तो इन से हज़रते अबू बकर सिद्दीक रदियल्लाहु अन्हु ने निकाह कर लिया, और इन से मुहम्मद बिन अबू बक्र रदियल्लाहु अन्हु पैदा हुए फिर हज़रते अबू बकर सिद्दीक रदियल्लाहु अन्हु की वफ़ात के बाद हज़रते अली रदियल्लाहु अन्हु ने निकाह फरमा लिया, और इन से भी एक बेटे पैदा हुए जिन का नाम “यहया” था | 

(2) सलमा बिन्ते उमेस: ये पहले सय्यदुश्शुहदा हज़रते हम्ज़ा रदियल्लाहु अन्हु के निकाह में आई और इन से एक साहब ज़ादी पैदा हुई जिन का नाम “उम्मतुल्लाह” था हज़रते हम्ज़ा रदियल्लाहु अन्हु की शहादत के बाद इन से शद्दाद बिन अल हाद रदियल्लाहु अन्हु ने निकाह कर लिया और इन से अब्दुल्लाह व अब्दुर रहमान रदियल्लाहु अन्हुमा दो फ़रज़न्द पैदा हुए |       

(3) सलामह बिन्ते उमेस: इन का निकाह अब्दुल्लाह बिन काब रदियल्लाहु अन्हु से हुआ था | 

(4) उम्मुल मोमिनीन हज़रते ज़ैबन बिन्ते खुज़ैमा रदियल्लाहु अन्हा: जो उम्मुल मसाकीन के नाम से मशहूर हैं जिन का ज़िक्रे खेर ऊपर गुज़र चुका है|   

हज़रते मैमूना रदियल्लाहु अन्हा की वालिदा “हिन्द बिन्ते ओफ” के बारे में आम तौर पर ये कहा जाता था की दामादो के एतिबार से रूए ज़मीन पे कोई बुढ़िया इन से ज़ियादा खुश नसीब नहीं हुई क्यूंकि इन के दामादो की फहरिस्त में मुनदर्जाए ज़ेल हस्तियां हैं :

  1. हुज़ूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम
  2. हज़रते अबू बक्र  
  3. हज़रते अली  
  4. हज़रते हम्ज़ा  
  5. हज़रते अब्बास 
  6. हज़रते शद्दाद बिन अल हाद रदियल्लाहु अन्हुम ये सब के सब बुज़ुर्गवार “हिन्द बिन्ते ओफ” रदियल्लाहु अन्हा के दामाद हैं, 

हज़रते मैमूना रदियल्लाहु अन्हा से कुल छिहत्तर हदीसें, मरवी हैं जिन में से सात हदीसें, ऐसी हैं जो बुखारी व मुस्लिम, दोनों किताबों में मौजूद हैं और एक हदीस सिर्फ बुखारी में है और एक ऐसी हदीस है जो सिर्फ मुस्लिम में है और बाकी हदीसें अहादीस की दूसरी किताबों में मज़कूर हैं | 

ये हुज़ूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम की आखरी ज़ौजए मुबारका हैं इन के बाद हुज़ूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने किसी दूसरी औरत से निकाह नहीं फ़रमाया | इन के इन्तिकाल के साल में मुअर्रिख़ीन का इख्तिलाफ है | मगर कौले मशहूर ये है की इन्हों ने सं. 51, हिजरी में मक़ामे “सरफ” में वफ़ात पाई जहाँ हुज़ूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने इन से जिफाफ़ फ़रमाया था | इब्ने साद ने वाक्दी से नकल किया है की इन्हों ने सं. 61, हिजरी में वफ़ात पाई और इब्ने इसहाक का क़ौल है की सं. 63, हिजरी इन के इन्तिकाल का साल है | 

इन की वफ़ात के वक़्त इन के भानजे हज़रते अब्दुल्लाह बिन अब्बास रदियल्लाहु अन्हु मौजूद थे और उन्हों ने ही आप की नमाज़े जनाज़ा पढ़ाई और इन को कब्र में उतारा, मुहद्दिस अता का बयान है की हम लोग हज़रते अब्दुल्लाह बिन अब्बास रदियल्लाहु अन्हुमा के साथ हज़रते मैमूना रदियल्लाहु अन्हा के जनाज़े में शरीक थे | जब जनाज़ा उठ गया तो हज़रते अब्दुल्लाह बिन अब्बास रदियल्लाहु अन्हु ने बा आवाज़े बुलंद फ़रमाया की ऐ लोगों ! ये हुज़ूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम की बीवी हैं | तुम लोग इन के जनाज़े को बहुत आहिस्ता आहिस्ता ले कर चलो और इन की मुकद्द्स लाश को न हिलाओ | हज़रते यज़ीद बिन असम रदियल्लाहु अन्हु कहते हैं की हम लोगों ने हज़रते मैमूना रदियल्लाहु अन्हा को मक़ामे सरफ में उसी छप्पर की जगह में दफ़न  किया जिस में हुज़ूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने इन को पहली कुर्बत से सरफ़राज़ फ़रमाया था |  

रेफरेन्स हवाला

शरह ज़ुरकानि मवाहिबे लदुन्निया जिल्द 1,2, बुखारी शरीफ जिल्द 2, सीरते मुस्तफा जाने रहमत, अशरफुस सेर, ज़िया उन नबी, सीरते मुस्तफा, सीरते इब्ने हिशाम जलिद 1, सीरते रसूले अकरम, तज़किराए मशाइख़े क़ादिरया बरकातिया रज़विया, गुलदस्ताए सीरतुन नबी, सीरते रसूले अरबी, मुदारिजुन नुबूवत जिल्द 1,2, रसूले अकरम की सियासी ज़िन्दगी, तुहफए रसूलिया मुतरजिम, मकालाते सीरते तय्यबा, सीरते खातमुन नबीयीन, वाक़िआते सीरतुन नबी, इहतियाजुल आलमीन इला सीरते सय्यदुल मुरसलीन, तवारीखे हबीबे इलाह, सीरते नबविया अज़ इफ़ादाते महरिया,  

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