हुज़ूर नबी करीम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम की ज़िन्दगी (Part- 33)

हज़रते जुवैरिया रदियल्लाहु अन्हा

ये कबीलए बनी मुस्तलक़ के सरदारे आज़म हारिस बिन अबू ज़रार की बेटी हैं “ग़ज़वए मुरैसीआ” में जो कुफ्फार मुसलमानो के हाथों में गिरफ्तार हो कर कैदी बनाए गए थे उन ही कैदियों में हज़रते जुवैरिया रदियल्लाहु अन्हा भी थीं | जब कैदियों को लोंडी गुलाम बना कर मुजाहिदीन पर तकसीम कर दिया गया तो हज़रते जुवैरिया रदियल्लाहु अन्हा हज़रते साबित बिन कैसा रदियल्लाहु अन्हु के हिस्से में आईं | इन होने उन से मकातिबत कर ली यानि ये लिख कर दे दिया की तुम इतनी इतनी रकम मुझे दे दो तो में तुम को आज़ाद कर दूंगा, हज़रते जुवैरिया रदियल्लाहु अन्हा बारगाहे रिसालत में हाज़िर हुईं और अर्ज़ किया की या रसूलल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ! में अपने कबीले के सरदारे आज़म हारिस बिन अबू ज़रार की बेटी हूँ और मुस्लमान हो चुकी हूँ | साबित बिन कैसा ने मुझे मुकातबा बना दिया है मगर मेरे पास इतनी रकम नहीं है की में बदले किताबत अदा कर के आज़ाद हो जाऊं इस लिए आप इस वक़्त मेरी माली मदद फरमाएं क्यूंकि मेरा पूरा खानदान इस जंग में गिरफ्तार हो गया है और हमारे तमाम मालो सामान मुसलमानो के हाथों में माले गनीमत बन चुके हैं और में इस वक़्त बिलकुल ही मुफलिसी व बे कसी के आलम में हूँ |

हुज़ूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम को उन की फरयाद सुन कर उन पर रहम आ गया, आप हुज़ूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने इरशाद फ़रमाया की अगर में इससे अच्छा सुलूक तुम्हारे साथ करूँ तो क्या तुम इस को मंज़ूर कर लोगी? उन होने पूछा की या रसूलल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ! आप मेरे साथ इससे बेहतर सुलूक क्या फ़रमाएंगें? आप ने फ़रमाया की में ये चाहता हूँ की तुम्हारे बदले किताबत की पूरी रकम में खुद तुम्हारी तरफ से अदा कर दूँ और फिर तुम को आज़ाद कर के में खुद तुम से निकाह कर लूँ ताकि तुम्हारा खानदानी ऐजाज़ व वकार बर करार रह जाए | ये सुन कर हज़रते जुवैरिया रदियल्लाहु अन्हा की शादमानी व ख़ुशी की कोई इंतिहा न रही | उन्हों ने इस ऐजाज़ को ख़ुशी ख़ुशी मंज़ूर कर लिया | चुनांचे हुज़ूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने बदले किताबत की सारी रकम अदा फरमा कर और इन को आज़ाद कर के अपनी अज़्वाजे मुतह्हिरात रदियल्लाहु अन हुन्ना में शामिल फरमा लिया और ये उम्मुल मोमिनीन के ऐजाज़ से सरफ़राज़ हो गई | 

जब इस्लामी लश्कर में ये खबर फैली की हुज़ूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने हज़रते जुवैरिया रदियल्लाहु अन्हा से निकाह फरमा लिया तो तमाम मुजाहिदीन एक ज़बान हो कर कहने लगे की जिस खानदान में हुज़ूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने निकाह फरमा लिया उस खानदान का कोई फर्द लोंडी गुलाम नहीं रह सकता | चुनांचे उस खानदान के जितने लोंडी गुलाम मुजाहिदीने इस्लाम के कब्ज़े में थे फ़ौरन ही सब के सब आज़ाद कर दिए गए| 

यही वजह है की हज़रते आइशा रदियल्लाहु अन्हा ये फ़रमाया करती थीं की दुनिया में किसी औरत का निकाह हज़रते जुवैरिया रदियल्लाहु अन्हा के निकाह से बढ़ कर मुबारक नहीं साबित हुआ क्यूंकि इस निकाह की वजह से तमाम खानदाने बनी मुस्तलक़ को गुलामी से निजात हासिल हो गई |

हज़रते जुवैरिया रदियल्लाहु अन्हा का बयान है की हुज़ूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम के मेरे कबीले में तशरीफ़ लाने से तीन रात पहले में ने ये ख्वाब देखा था की मदीने की जानिब से एक चाँद चलता हुआ आया और मेरी गोद में गिर पड़ा में ने किसी से इस ख्वाब का तज़किरा नहीं किया लेकिन जब हुज़ूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने मुझ से निकाह फरमा लिया तो मै ने समझ लिया की ये उस ख्वाब की ताबीर है | 

इन का असली नाम “बर्रह” (नेकोकार) था लेकिन चूँकि इस नाम से बुज़ुरगी और बढ़ाई का इज़हार होता था इस लिए आप हुज़ूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने इन का नाम बदल कर “जुवैरिया” (छोटी लड़की) रख दिया ये बहुत ही इबादत गुज़ार औरत थीं नमाज़े फजर से नमाज़े चाशत तक हमेशा अपने विरदो वज़ाइफ़ मै मशगूल रहा करती थीं |

हज़रते जुवैरिया रदियल्लाहु अन्हा के दो भाई अम्र बिन अल हारिस और अब्दुल्लाह बिन हारिस और इन की बहन अमरह बिन्ते हारिस ये तीनो भी मुस्लमान हो कर शरफ़े सहाबीयत से सर बुलंद हुए | 

इन के भाई अब्दुल्लाह बिन हारिस के इस्लाम लाने का वाक़िआ बहुत ही तअज्जुब ख़ेज़ भी है और दिल चस्प भी, ये अपने कोम के कैदियों को छोड़ा ने के लिए दरबारे रिसालत मै हाज़िर हुए इन के साथ चंद ऊंटनियां और लोंडी थीं | उन्हों ने उन सब को एक पहाड़ की घाटी मै छुपा दिया और तनहा बारगाहे रिसालत मै हाज़िर हुए और असीराने जंग की रिहाई के लिए दरख्वास्त पेश की | हुज़ूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया की तुम कैदियों के फ़िदये के लिए क्या लाए हो? उन्हों ने कहा की मेरे पास तो कुछ भी नहीं है | ये सुन कर हुज़ूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया की तुम्हारी वो ऊंटनियां क्या हुईं? और तुम्हारी वो लोंडिं किधर गई? जिसे तुम फुला घाटी मै छुपा कर आए हो | ज़बाने रिसालत से ये इल्मे ग़ैब की खबर सुन कर अब्दुल्लाह बिन हारिस हैरान रह गए की आखिर हुज़ूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम को मेरी लोंडी और ऊंटनियो की खबर किस तरह हो गई एक दम इन के अँधेरे दिल मै हुज़ूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम की सदाकत और आप की नुबुव्वत का नूर चमक उठा और वो फ़ौरन ही कालिमा पढ़ कर मुशर्रफ बा इस्लाम हो गए | 

हज़रते जुवैरिया रदियल्लाहु अन्हा ने सात हदीसें, भी हुज़ूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम से रिवायत की हैं जिन मै दो हदीसें, बुखारी शरीफ मै और दो हदीसें, मुस्लिम शरीफ, मै हैं बाकी तीन हदीसें दूसरी किताबों मै मज़कूर हैं | और हज़रते अब्दुल्लाह बिन उमर, हज़रते उबैद बिन सबाक, और इन के भतीजे हज़रते तुफैल रदियल्लाहु अन्हुम, वगैरा ने इन से रिवायत की हैं |

सं. 50, हिजरी मै पैंसठ साल की उमर पा कर इन्हों ने मदीना शरीफ मै वफ़ात पाई और हाकिमे मदीना मरवान ने इन की नमाज़े जनाज़ा पढ़ाई और ये जन्नतुल बकी के कब्रिस्तान मै मदफ़ून हुई |

हज़रते सफिय्या रदियल्लाहु अन्हा

हज़रते सफिय्या रदियल्लाहु अन्हा इन का असली नाम “ज़ैनब” था | हुज़ूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने इन का नाम “सफिय्या” रख दिया | ये यहूदियों के कबीले बनू नज़ीर के सरदारे आज़म हुयी बिन अख्तब की बेटी है और इन की माँ का नाम “ज़राह” बिन्ते “समुईल” है | ये खानदाने बनी इसराइल मै से हज़रते मूसा अलैहिस्सलाम के भाई हज़रते हारुन अलैहिस्सलाम की औलाद मै से हैं और इन का शोहर किनाना बिन अबिल हुकैक भी बनू नज़ीर का रईसे आज़म था जो जंगे खैबर मै कत्ल हो गया | 

मुहर्रमुल हराम सं. 7, हिजरी मै जब खैबर को मुसलमानो ने फतह कर लिया और तमाम असीराने जंग गिरफ्तार कर के इकठ्ठा जमा किए गए तो उस वक़्त हज़रते दहिय्या बिन खलीफा कलबी रदियल्लाहु अन्हु बारगाहे रिसालत मै हाज़िर हुए और एक लोंडी तलब की, आप हुज़ूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने इरशाद फ़रमाया की तुम अपनी पसंद से इन कैदियों मै से कोई लोंडी ले लो | उन्हों ने हज़रते सफिय्या रदियल्लाहु अन्हा को ले लिया मगर एक सहाबी ने अर्ज़ किया की या रसूलल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ! हज़रते सफिय्या रदियल्लाहु अन्हा बनू क़ुरैज़ा और बनू नज़ीर की शहज़ादी हैं इन के खानदानी ऐजाज़ का तकाज़ा है की आप इन को अपनी अज़्वाजे मुतह्हिरात रदियल्लाहु अन हुन्ना मै शामिल फरमा लें, चुनांचे हुज़ूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने इन को हज़रते दहिय्य कलबी रदियल्लाहु अन्हु से ले लिया और इन के बदले मै उन होने एक दूसरी लोंडी अता कर दी फिर हज़रते सफिय्या रदियल्लाहु अन्हा को आज़ाद फरमा कर उन से निकाह फरमा लिया और जंगे खैबर से वापसी मै तीन दिनों तक मंज़िले सहबा मै इन को अपने खेमे के अंदर अपनी कुर्बत से सरफ़राज़ फ़रमाया और दावते वलीमा मै खजूर, घी, पनीर, का मालिदा सहाबए किराम रदियल्लाहु अन्हुम को खिलाया | हुज़ूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम हज़रते बीबी सफिय्या रदियल्लाहु अन्हा पर बहुत ही खुसूसी तवज्जुह और इंतिहाई करीमाना इनायत फरमाते थे | और इस कदर इन का ख़याल रखते थे की हज़रते बीबी आइशा रदियल्लाहु अन्हा पर गैरत सवार हो जाती थी | 

मन्क़ूल है की एक बार हज़रते आइशा रदियल्लाहु अन्हा ने हज़रते बीबी सफिय्या रदियल्लाहु अन्हा के बारे मे ये कह दिया की “वो तो पस्त क़द है” तो हुज़ूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया की ऐ आइशा ! तूने ऐसी बात कह दी की अगर तेरे इस कलाम को दरिया डाल दिया जाए तो दरिया मुतग़य्यर हो जाएगा | (यानि ये ग़ीबत है जो बहुत ही गंदी बात है) इसी तरह एक बार एक सफर मे  मे हज़रते सफिय्या रदियल्लाहु अन्हा का ऊँट ज़ख़्मी हो गया और हज़रते ज़ैनब  रदियल्लाहु अन्हा के पास एक फ़ाज़िल ऊँट था |  हुज़ूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया की ऐ ज़ैनब ! तुम अपना ऊँट सफिय्या को दे दो | हज़रते ज़ैनब ने तैश मे आ कर कह दिया की मे इस यहूदिया को अपनी कोई चीज़ नहीं दूँगी | ये सुन कर हुज़ूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम हज़रते ज़ैनब रदियल्लाहु अन्हा पर इस कदर नाराज़ हो गए के दो तीन महीने तक उन के बिस्तर पर आप ने कदम नहीं रखा |

तिर्मिज़ी शरीफ की रिवायत है की एक रोज़ नबी करीम हुज़ूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने देखा की हज़रते सफिय्या रदियल्लाहु अन्हा रो रही हैं आप ने रोने का सबब पूछा तो उन्हों  ने कहा की : या रसूलल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ! हज़रते आइशा और हज़रते हफ्सा ने ये कहा है की हम दोनों दरबारे रिसालत मे तुम से बहुत ज़ियादा इज़्ज़त दार हैं क्यूंकि हमारा खानदान हुज़ूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम से मिलता है | ये सुन कर हुज़ूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया की ऐ सफिय्या ! तुम ने उन दोनों से ये क्यूँ नहीं कह दिया तुम दोनों मुझ से बेहतर क्यूँ कर हो सकती हो | हज़रते हारुन अलैहिस्सलाम मेरे बाप हैं और हज़रते मूसा अलैहिस्सलाम मेरे चचा हैं और हज़रत मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम मेरे शोहर हैं |

इन्हों ने दस हदीसें भी हुज़ूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम से रिवायत की हैं जिन मे से एक हदीस बुखारी व मुस्लिम दोनों किताबों मे है और बाकी नो 9, हदीसें दूसरी किताबों मे लिखी हुई हैं |

इन की वफ़ात के साल मे इख्तिलाफ है वाक्दी का कौल है की सं. 50, हिजरी मे इन की वफ़ात हुई | और इब्ने साद ने लिखा है की सं. 52, हिजरी मे इन की वफ़ात हुई | विसाल के वक़्त इन की उमर साठ साल की थी ये भी मदीने के मशहूर कब्रिस्तान जन्नतुल बकी मे सुपुर्दे ख़ाक की गईं | 

ये हुज़ूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम की वो ग्यारह 11, अज़्वाजे मुतह्हिरात रदियल्लाहु अन हुन्ना हैं जिन पर तमाम मुअर्रिख़ीन का इत्तिफ़ाक़ है | इन मे से हज़रते खदीजा रदियल्लाहु अन्हा का तो हिजरत से पहले ही इन्तिकाल हो चुका था और हज़रते ज़ैनब बिन्ते खुज़ैमा रदियल्लाहु अन्हा जिन का लक़ब “उम्मुल मसाकीन” हैं | हम पहले भी लिख चुके हैं की निकाह के दो तीन महीने के बाद हुज़ूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम के सामने ही ये वफ़ात पा गईं थीं | हुज़ूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम की विसाल के वक़्त आप की नो 9, बीवियां मौजूद थीं | जिन मे से आठ की आप बारियाँ मुकर्रर फरमाते रहे क्यूँकि हज़रते सौदाह रदियल्लाहु अन्हा ने अपनी बारी का दिन हज़रते आइशा रदियल्लाहु अन्हा को हिबा कर दिया था | हुज़ूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम इन नो 9, मुकद्द्स बीवियों मे से हुज़ूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम की रेहलत के बाद सब से पहले ज़ैनब बिन्ते जहश रदियल्लाहु अन्हा ने वफ़ात पाई और सब के बाद आखिर मे सं. 62, हिजरी या सं. 63, हिजरी मे हज़रते बीबी उम्मेह सलमाह रदियल्लाहु अन्हा ने वफ़ात पाई इन की वफ़ात के बाद दुनिया “उम्महातुल मोमिनीन” से खाली हो गई |    

रेफरेन्स हवाला

शरह ज़ुरकानि मवाहिबे लदुन्निया जिल्द 1,2, बुखारी शरीफ जिल्द 2, सीरते मुस्तफा जाने रहमत, अशरफुस सेर, ज़िया उन नबी, सीरते मुस्तफा, सीरते इब्ने हिशाम जलिद 1, सीरते रसूले अकरम, तज़किराए मशाइख़े क़ादिरया बरकातिया रज़विया, गुलदस्ताए सीरतुन नबी, सीरते रसूले अरबी, मुदारिजुन नुबूवत जिल्द 1,2, रसूले अकरम की सियासी ज़िन्दगी, तुहफए रसूलिया मुतरजिम, मकालाते सीरते तय्यबा, सीरते खातमुन नबीयीन, वाक़िआते सीरतुन नबी, इहतियाजुल आलमीन इला सीरते सय्यदुल मुरसलीन, तवारीखे हबीबे इलाह, सीरते नबविया अज़ इफ़ादाते महरिया,  

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