हुज़ूर नबी करीम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम की ज़िन्दगी (Part- 37)

                                        "अहादीस में ग़ैब की खबरें"    

इस्लामी फुतूहात की पेंशन गोइयाँ

शुरू इस्लाम में मुसलम जिन आलामो मसाइब मुसीबत में गिरफ्तार और जिस बे सरो सामानी के आलम में थे उस वक़्त कोई इस को सोच भी नहीं सकता था की चंद निहत्ते, फाका कश और बे सरो सामान मुसलमान कैसरो किसरा की जाबिर हुकूमतों का तख्ता उलट देंगें | लेकिन ग़ैब जानने वाले पैग़म्बरे सादिक ने इस हालत में पूरे अज़्म व यकीन के साथ अपनी उम्मत को ये बशारत दीं की ऐ मुसलमानो तुम अनक़रीब कुस्तुन तुनिया को फतह करोगे और कैसरो किसरा के ख़ज़ानों की कुंजियाँ तुम्हारे हाथ में होंगीं | मिस्र पर तुम्हारी हुकूमत का परचम लहराएगा | तुम से तुर्को की जंग होगी जिन की आँखें छोटी छोटी और चेहरे चौड़े चौड़े होंगें और उन जंगों में तुम को फ़तेह मुबीन हासिल होगी | तारिख गवाह है की ग़ैब जानने वाले नबी हुज़ूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम की दी हुई ये सब ग़ैब की ख़बरें आलमे ज़हूर में आई |

कैसरो किसरा की खबर दी

ऐन उस वक़्त जब की कैसरो किसरा की हुकूमतों के परचम इंतिहाई जाहो जलाल के साथ दुनिया पर लहरा रहे थे और बा ज़ाहिर इन की बर्बादी का कोई सामान नज़र नहीं आ रहा था मगर ग़ैब जानने वाले नबी हुज़ूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने अपनी उम्मत को ये ग़ैब की खबर सुनाई की जब किसरा हलाक होगा तो इस के बाद कोई कैसर न होगा और उस ज़ात की कसम जिस के क़ब्ज़ए कुदरत में मुहम्मद की जान है ज़रूर इन दोनों के ख़ज़ाने अल्लाह की राह में मुसलमानो के हाथ से खर्च किये जाएंगें |

दुनिया का हर मुअर्रिख़ इस बात का गवाह है की हज़रते अमीरुल मोमिनीन फ़ारूके आज़म रदियल्लाहु अन्हु के दौरे खिलाफत में किसरा और कैसर की तबाही के बाद न फिर किसी ने सल्तनते फारस का ताजे खुसरवी देखा न रूमी सल्तनत का रूए ज़मीन पर कहीं वुजूद नज़र आया | क्यों न हो की ये ग़ैब दा नबी की वो ग़ैब की ख़बरें हैं जो अल्लाह पाक अल्लामुल गूयूब की वही से आप ने दी हैं भला क्यूंकर मुमकिन है की ग़ैब जानने वाले नबी की दी हुई ग़ैब की ख़बरें बाल के करोड़ वे हिस्से के बराबर भी खिलाफ वाके हो सके |

यमन, मुल्के शाम, इराक़ फ़तह होंगें

हुज़ूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने यमन, मुल्के शाम, इराक़ के फ़तह होने से बरसों पहले ये ग़ैब की खबर दी थी की यमन फ़तह किया जाएगा तो लोग अपनी सवारियों को हांकते हुए और अपने अहलो अयाल और मुत्ताबिईन को लेकर मदीने से यमन चले आयेंगें हालां की मदीने ही का क़ियाम उन के लिए बेहतर था काश वो लोग इस बात को जान लेते | फिर मुल्के शाम फ़तह किया जाएगा तो एक कौम अपने घर वालों और अपने पैरवी करने वालों को ले कर सवारियों को हांकते हुए मदीने से मुल्के शाम चली जाएगी हालां की मदीना ही उन के लिए बेहतर था काश ! वो लोग इस को जान लेते | फिर इराक़ फ़तह होगा तो कुछ लोग अपने घर वालों और जो उन का कहना मानेगा उन सब को ले कर सवारियों को हांकते हुए मदीने से इराक़ आ जाएंगें हालां की मदीना ही की सुकूनत उन के लिए बेहतर थी काश ! वो इस को जान लेते |यमन सं. 8, हिजरी में फ़तह हुआ और मुल्के शाम व इराक इस के बाद फ़तह हुए लेकिन ग़ैब जानने वाले मुख्तारे सादिक हुज़ूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने बरसों पहले ये ग़ैब की खबर दे दीं थीं जो हर्फ़ बा हेरफ पूरी हुईं |

फ़तहे मिस्र की बशारत

हज़रते अबू ज़र रदियल्लाहु अन्हु का बयान है की हुज़ूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने इरशाद फ़रमाया की तुम लोग अनक़रीब मिस्र को फ़तह करोगे और वो ऐसी ज़मीन है जहाँ का सिक्का “किरात” कहलाता है | जब तुम लोग उस को फ़तह करोगे तो उस के बाशिंदों के साथ अच्छा सुलूक करना क्यूंकि तुम्हारे और उन के बीच एक तअल्लुक़ और रिश्ता है | (हज़रते इस्माईल अलैहिस्सलाम की वालिदा हाजिरा रदियल्लाहु अन्हा मिस्र की थीं जिन की औलाद में सारा अरब है) और जब तुम देखना की वहां एक ईट भर जगह के लिए दो आदमी झगड़ा करते हों तो तुम मिस्र से निकल जाना | चुनांचे हज़रते अबू ज़र रदियल्लाहु अन्हु ने खुद अपनी आँख से मिस्र में ये देखा की अब्दुर रहमान बिन शुरहबील और उन के भाई रबीआ एक ईट भर जगह के लिए लड़ रहे हैं | ये मंज़र देख कर हज़रते अबू ज़र रदियल्लाहु अन्हु हुज़ूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम की वसीयत के मुताबिक मिस्र छोड़ कर चले आये |

बैतुल मुकद्द्स की फ़तह

बैतुल मुकद्द्स की फ़तह होने से बरसों पहले हुज़ूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने ग़ैब की खबर देते हुए अपनी उम्मत से इरशाद फ़रमाया की क़यामत से पहले छेह 6, चीज़े गिन के रखो :

  1. मेरी वफ़ात
  2. बैतुल मुकद्द्स की फ़तह
  3. फिर ताऊन की बवा जो बकरियों की गिल्टियों की तरह तुम्हारे अंदर शुरू हो जाएगी
  4. इस कदर माल की कसरत हो जाएगी की किसी आदमी को सौ दीनार देने पर भी वो खुश नहीं होगा |
  5. एक ऐसा फितना उठेगा की अरब का कोई घर बाकी नहीं रहेगा जिस में फितना दाखिल न हो |
  6. तुम्हारे और रूमियों के दरमियान एक सुलाह होगी और रूमी अहिद शिकनी करेंगें वो अस्सी झंडे ले कर तुम्हारे ऊपर हमला आवर होंगें और हर झंडे के नीचे बारह हज़ार फौज होगी |

खौफनाक रास्ते पुर अम्न हो जाएंगें

हज़रते अदी बिन हातिम रदियल्लाहु अन्हु का बयान है की में बारगाहे रिसालत में हाज़िर था तो एक शख्श ने आ कर फ़ाक़े की शिकायत की फिर एक दूसरा शख्स आया | उस ने रास्ते में डाका ज़नी का शिकवा किया ये सुन कर हुज़ूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया की ऐ अदी ! अगर तुम्हारी उम्र लम्बी होगी तो तुम यकीनन देखोगे की एक पर्दा नशीन औरत अकेली “हीरा” से चलेगी और मक्के आ कर काबे का तवाफ़ करेगी और उस को खुदा के सिवा किसी का कोई डर हो होगा | हज़रते अदी बिन हातिम रदियल्लाहु अन्हु कहते हैं की में ने अपने दिल में कहा की भला कबीले “तीआ” के वो डाकू जिन्हों ने शहरों में आग लगा रखी है कहाँ चले जाएंगें? फिर आप ने इरशाद फ़रमाया की अगर तुम ने लम्बी उम्र पाई तो यकीनन तुम देखोगे की किसरा के ख़ज़ानों को मुस्लमान अपने हाथों से खोलेंगें और ऐ ! अदी अगर तुम्हारी ज़िन्दगी दराज़ हुई तो तुम ज़रूर ज़रूर देखोगे की एक आदमी मुठ्ठी भर सोना या चाँदी ले कर तलाश करता फिरेगा की कोई उस के सदके को कुबूल करे (क्यूंकि हर शख्स के पास बहुत कसरत से माल होगा) और कोई फ़क़ीर न होगा) हज़रते अदी बिन हातिम रदियल्लाहु अन्हु कहते हैं की ऐ लोगों ! ये तो में ने अपनी आँखों से देखा है की वाकई “हीरा” से एक पर्दा नशीन औरत अकेली तफावे काबा के लिए चली आई है और वो खुदा के सिवा किसी से नहीं डरती और में खुद उन लोगों में से हूँ जिन्हों ने किसरा बिन हुर्मुज़ के ख़ज़ानों को खोल कर निकाला ये दो चीज़ें तो में ने देख लीं ऐ लोगों अगर तुम लोगों की उम्र दराज़ हो तो यकीनन तुम लोग तीसरी चीज़ भी देख लोगे की कोई फ़क़ीर नहीं मिलेगा जो सदका कबूल करे |

फ़ातेहे खबर कौन होगा ?

जंगे ख़ैबर के दौरान एक दिन गैब दां नबी हुज़ूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने ये फरमाया कि कल मैं उस शख़्स के हाथ में झण्डा दूंगा जो अल्लाह व रसूल से मोहब्बत करता है और अल्लाह व रसूल उससे मोहब्बत करते हैै और उसी के हाथ में ख़ैबर फतेह होगा । इस ख़ुश खबरी को सुन कर लश्कर के तमाम मुजाहिदीन ने इस इन्तिज़ार में निहायत ही बेकरारी के साथ रात गुजारी कि देखें कौन वो ख़ुश नसीब है जिस के सर पर बशारत का सेहरा बंधता है । सुबह को हर मुजाहिद इस उम्मीद पर बारगहे रिसालत में हाज़िर हुआ कि शायद वोही इस ख़ुश नसीबी का ताजदार बन जाए । हर शख्स गोश बर आवाज़ था कि ना गहां शहंशाहे मदीना हुज़ूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने इरशाद फरमाया कि अली बिन अबु तालिब कहां है ? लोगों ने कहा कि या रसूलल्लाह हुज़ूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम उनकी आंखो में आशोब है | इरशाद फ़रमाया कि क़ासिद भेज कर उन्हें बुलाओ | जब हजरते अली दरबारे रिसालत में हाज़िर हुए तो हुज़ूरे अकदस सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने उनकी आंखो में अपना लुआबे दहन लगा कर दुआ फरमा दी जिस से फिलफौर वो इस तरह शिफा याब हो गए कि गोया उन्हें कभी आशोबे चश्म हुआ ही नहीं था | फिर आप हुज़ूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने उनके हाथ में झण्डा अता फरमाया और ख़ैबर का मैदान उसी दिन उनके हाथों में सर हो गया |इस हदीस से साबित होता है कि हुज़ूर हुज़ूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने एक दिन पहले ही यह बता दिया कि कल हज़रत अली रदियल्लाहु अन्हु खैबर को फतह करेंगे | यानी “कल कौन क्या करेगा” का इल्म गैब है जो अल्लाह ताआला ने अपने रसूल सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम को अता फरमाया |

तीस साल खिलाफत फिर बादशाही

हज़रते सफीना रदियल्लाहु अन्हु कहते हैं की हुज़ूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया की मेरे बाद तीस साल तक खिलाफत रहेगी इस के बाद बादशाही हो जाएगी | इस हदीस को सुन कर हज़रते सफीना रदियल्लाहु अन्हु ने फ़रमाया की तुम लोग गिन लो ! हज़रते अबू बक्र की खिलाफत दो साल और हज़रते उमर की खिलाफत दस साल और हज़रते उस्मान की खिलाफत बारह साल और हज़रते अली की खिलाफत छेह 6, साल ये कुल तीस साल हो गए |

सं. 70, हिजरी और लड़कों की हुकूमत

हज़रते अबू हुरैरा रदियल्लाहु अन्हु रावी हैं की हुज़ूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने इरशाद फ़रमाया की सं. 70, हिजरी के शुरू में लड़कों की हुकूमत से पनाह मांगों |इसी तरह हुज़ूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया की मेरी उम्मत की तबाही कुरेश के चंद लड़कों के हाथों पर होगी | हज़रते अबू हुरैरा रदियल्लाहु अन्हु इस हदीस को सुनकर फ़रमाया करते थे की अगर तुम चाहो तो में उन लड़कों के नाम बता सकता हूँ वो फुलां के बेटे और फुलां के बेटे हैं | तारीखे इस्लाम गवाह है की सं. 70, हिजरी में बनू उमय्या के कम उमर हाकिमो ने जो फ़ित्ने बरपा किए वाकई ऐसे फ़ित्ने थे की जिन से हर मुसलमान को अल्लाह की पनाह मांगनी चाहिए | इन वाक़िआत के बरसों पहले हुज़ूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने खबर दी जो यकीनन ग़ैब की खबर हैं |

तुर्कों से जंग

हज़रते अबू हुरैरा रदियल्लाहु अन्हु कहते हैं की हुज़ूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने इरशाद फ़रमाया की उस वक़्त तक कयामत काइम नहीं होगी जबतक तुम लोग ऐसी कौम से न लड़ोंगे जिनके जूते बाल के होंगें और जब तक तुम लोग कोमे तुर्क से न लड़ोंगे जो छोटी आँखों वाले, सुर्ख चेहरे वाले चपटी नाको वाले होंगे, उनके चेहरे गोया हथोड़ों से पिटी हुई ढालों की मानिंद चौड़े चपटे होंगें और उन के जूते बाल के होंगें |और दूसरी रिवायत में हैं की तुम लोग “खूज़ व किरमान” के अजमियों से जंग करोगे जिन के चेहरे सुर्ख नाके, चपटी, आँखें छोटी होंगी |और तीसरी रिवायत में ये हैं की क़यामत से पहले तुम लोग ऐसी कौम से जंग करोगे जिन के जूते बाल के होंगे वो अहले “बारज़” हैं | (यानि सहराओं और मैदानों में रहने वाले हैं) ग़ैब दा नबी हुज़ूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने ये खबर उस वक़्त दी थीं जब इस्लाम अभी पूरे तौर पर ज़मीने हिजाज़ में भी नहीं फैला था | मगर तारिख गवाह हैं की मुखबिर सादिक हुज़ूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम की ये तमाम खबरें पहली ही सदी के आखिर तक पूरी हो गईं की मुजाहिदीन इस्लाम के लश्करों ने तुर्कों और सहराओं में रहने वालों बरबरियों से जिहाद किया और इस्लाम की फ़तेह मुबीन हुई और तुर्क व बरबरी अक़वाम दामने इस्लाम में आ गई |

हिंदुस्तान में मुजाहिदीन

हुज़ूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने हिंदुस्तान में इस्लाम के दाखिल और ग़ालिब होने की खुश खबरी सुनाते हुए ये इरशाद फ़रमाया की मेरी उम्मत के दो गिरोह ऐसे हैं की अल्लाह पाक ने उन दोनों को जहन्नम से आज़ाद फरमा दिया है | एक वो गिरोह जो हिंदुस्तान में जिहाद करेगा और एक वो गिरोह जो हज़रते ईसा बिन मरयम अलैहिस्सलाम के साथ होगा । हज़रते अबू हुरैरा रदियल्लाहु अन्हु कहा करते थे की हुज़ूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने हम मुसलमानो से हिंदुस्तान में जिहाद करने का वादा फ़रमाया था तो अगर में ने वो ज़माना पा लिया जब तो में उस की राह में अपनी जानो माल कुर्बान कर दूंगा और अगर में उस जिहाद में शहीद हो गया तो में बेहतरीन शहीद ठहरूंगा और अगर में ज़िंदा लोटा तो में दोज़ख से आज़ाद होने वाला अबू हुरैरा होऊंगा ।।

इमाम नसाई ने सन 303, हिजरी में वफ़ात पाई और उन्होंने ने अपनी किताब सुल्तान महमूद ग़ज़नवी के हमलए हिंदुस्तान सन 392, हिजरी से तकरीबन सौ साल पहले लिखी थी । तमाम दुनिया के मुअर्रिख़ीन गवाह हैं की ग़ैब दां नबी हुज़ूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने अपनी ज़बाने कुदसी बयान से हिंदुस्तान के बारे में सैंकड़ों साल पहले जिस ग़ैब की खबर का ऐलान फ़रमाया था वो हर्फ़ बा हर्फ़ पूरी हो कर रही की मुहम्मद बिन कासिम ने सर ज़मीने सिंध व मकरान पर जिहाद फ़रमाया और महमूद ग़ज़नवी व शहाबुद्दीन गौरी ने हिंदुस्तान के सोमनाथ व अजमेर वगैरा पर जिहाद कर के इस मुल्क में इस्लाम का परचम लहराया । यहाँ तक की सर ज़मीने हिन्द में नागालैंड की पहाड़ियों से कोहे हिन्दू काश तक और रास कुमारी से हिमालय की चोटियों तक इस्लाम का परचम लहरा चुका । हालां की हुज़ूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने ये पेशन गोई उस वक़्त दी थी जब इस्लाम सर ज़मीने हिजाज़ से भी आगे नहीं पहुंच पाया था । इन ग़ैब की खबरों को लफ्ज़ बा लफ्ज़ पूरा होते हुए देख कर मुजद्दिदे आज़म सय्यदी सरकार आला हज़रत इमाम अहमद रज़ा फाज़ले बरेलवी रहमतुल्लाह अलैह फरमाते हैं की :

सरे अर्श पर है तेरी गुज़र
दिल फर्श पर है तेरी गुज़र

मल्कूतो मुल्क में कोई शै
नहीं वो जो तुझ पे इया न हो

कौन कहाँ मरेगा ?

जंगे बद्र में लड़ाई से पहले ही हुज़ूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम सहाबए किराम रदियल्लाहु अन्हुम को ले कर मैदाने जंग में तशरीफ़ ले गए और अपनी छड़ी से लकीर खींच खींच कर बताया की ये फुलां काफिर की क़त्ल की जगह है । ये अबू जहल का मक्तल है । इस जगह कुरेश का फुलां सरदार मारा जाएगा । सहाबए किराम रदियल्लाहु अन्हुम का बयान है की हर सरदार कुरेश के क़त्ल हो ने के लिए आप ने जो जो जगहें मुकर्रर फरमा दी थीं उसी जगह उस काफिर की लाश खाको खून में लिथड़ी हुई पाई गई ।

हज़रते फातिमा की वफ़ात कब होगी

हुज़ूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने अपने मरज़े वफ़ात में हज़रते फातिमा रदियल्लाहु अन्हा को अपने पास बुला कर उन के कान में कोई बात कही तो वो रोने लगीं । फिर थोड़ी देर के बाद उन के कान में एक और बात कही तो वो हसने लगीं । हज़रते आइशा रदियल्लाहु अन्हा को ये देख कर बड़ा तअज्जुब हुआ । उन होने हज़रते फातिमा रदियल्लाहु अन्हा से इस रोने और हसने का सबब पूछा । तो उन होने साफ कह दिया की में हुज़ूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम का राज़ ज़ाहिर नहीं कर सकती । जब हुज़ूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम की वफ़ात हो गई तो हज़रते आइशा रदियल्लाहु अन्हा के दोबारा पूछने पर हज़रते फातिमा रदियल्लाहु अन्हा ने कहा की हुज़ूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने पहली मर्तबा मेरे कान में ये कहा था की में अपनी इसी बीमारी में वफ़ात पा जाऊंगा । ये सुन कर में गम से रो पड़ीं फिर फ़रमाया की ऐ फातिमा ! मेरे घर वालों में सब से पहले तुम वफ़ात पा कर मुझ से मिलोगी । ये सुन कर में हंस पड़ीं हुज़ूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम से मेरी जुदाई का ज़माना बहुत ही कम होगा । अहले इल्म जानते हैं की ये दोनों ग़ैब की खबरें हर्फ़ बा हर्फ़ पूरी हुईं की आप ने अपनी उसी बीमारी में वफ़ात पाई और हज़रते फातिमा रदियल्लाहु अन्हा भी सिर्फ छह 6, महीने के बाद वफ़ात पा कर हुज़ूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम से जा मिलीं ।

हुज़ूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने खुद अपनी वफ़ात की खबर दी

जिस साल हुज़ूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने इस दुनिया से तशरीफ़ ले जाने से पहले ही अपनी वफ़ात का ऐलान फरमाना शुरू कर दिया । चुनांचे हज्जतुल विदा से पहले ही हुज़ूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने हज़रते मुआज़ बिन जबल रदियल्लाहु अन्हु को यमन का हाकिम बना कर रवाना फ़रमाया तो उन को रुखसत करते वक़्त आप ने उन से फ़रमाया की ऐ मुआज़ ! अब इस के बाद तुम मुझ से न मिल सकोगे जब तुम वापस आओगे तो मेरी मस्जिद और मेरी कब्र के पास से गुज़रोगे । इसी तरह हज्जतुल विदा के मोके पर जब की अरफ़ात में एक लाख पच्चीस हज़ार से भी ज़ियादा मुसलमानो का इज्तिमाए अज़ीम था । आप हुज़ूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने वहां दौरान खुत्बा में इरशाद फ़रमाया की शायद आइंदा साल तुम लोग मुझ को न पाओगे ।

इसी तरह मरज़े वफ़ात से कुछ दिनों पहले हुज़ूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने इरशाद फ़रमाया की अल्लाह पाक ने एक बंदे को ये इख़्तियार दिया था की वो चाहे तो दुनिया की ज़िन्दगी को इख़्तियार कर ले और चाहे तो आख़िरत की ज़िन्दगी को कबूल कर ले तो उस बंदे ने आख़िरत को कबूल कर लिया । ये सुन कर हज़रते अबू बक्र सिद्दीक रदियल्लाहु अन्हु रोने लगे । हज़रते अबू सईद खुदरी रदियल्लाहु अन्हु कहते हैं की हम लोगों को बड़ा तअज्जुब हुआ की आप तो एक बंदे के बारे में ये खबर दे रहे हैं तो इस पर हज़रते अबू बक्र सिद्दीक रदियल्लाहु अन्हु के रोने का क्या मौका है? मगर जब हुज़ूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने इस के चंद ही दिनों के बाद वफ़ात पाई तो हम लोगों को मालूम हुआ की वो इख़्तियार दिया हुआ बंदा हुज़ूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ही थे और हज़रते अबू बक्र सिद्दीक रदियल्लाहु अन्हु हम लोगों में से सब से ज़ियादा इल्म वाले थे । क्यूंकि उन होने हम सब लोगों से पहले ये जान लिया था की वो इख़्तियार दिया हुआ बंदा खुद हुज़ूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ही हैं ।

हज़रते उमर व हज़रते उस्मान शहीद होंगें

हज़रते अनस रदियल्लाहु अन्हु का बयान है की हुज़ूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम एक बार हज़रते अबू बक्र व हज़रते उमर व हज़रते उस्मान रदियल्लाहु अन्हुम को साथ ले कर उहद पहाड़ पर चड़े । उस वक़्त पहाड़ हिलने लगा तो आप ने फ़रमाया की ऐ उहद ठहर जा और यकीन रख की तेरे ऊपर एक नबी है एक सिद्दीक है और दो उमर व उस्मान शहीद हैं । नबी और सिद्दीक को तो सब जानते थे लेकिन हज़रते उमर और हज़रते उस्मान रदियल्लाहु अन्हुमा की शहादत के बाद सब को ये भी मालूम हो गया की वो शहीद कौन थे ।

हज़रते अम्मार को शहादत मिलेगी

हज़रते अबू सईद खुदरी व हज़रते उम्मे सलमाह रदियल्लाहु अन्हुमा का बयान है की हज़रते अम्मार रदियल्लाहु अन्हु खंदक खोद रहे थे उस वक़्त हुज़ूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने हज़रते अम्मार रदियल्लाहु अन्हु के सर पर अपना दस्ते शफकत फेरा और फ़रमाया की अफ़सोस तुझे ! एक बागी गिरोह क़त्ल करेगा । ये पेशन गोई इस तरह पूरी हुई की हज़रते अम्मार रदियल्लाहु अन्हु जंगे सिफ़्फ़ीन के दिन हज़रते अली रदियल्लाहु अन्हु के साथ थे और हज़रते मुआविया रदियल्लाहु अन्हु के साथियों के हाथ से शहीद हुए। अहले सुन्नत का अक़ीदा है की जंगे सिफ़्फ़ीन में हज़रते अली रदियल्लाहु अन्हु यकीनन हक पर थे और हज़रते मुआविया रदियल्लाहु अन्हु का गिरोह यकीनन खता का मुर्तकिब था । लेकिन चूँकि इन लोगों की खता इज्तिहादि थी लिहाज़ा ये लोग गुनहगार न होंगे क्यूंकि हुज़ूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम का फरमान है की कोई मुजतहिद अगर अपने इज्तिहाद में सही और दुरुस्त मसले तक पहुंच गया तो उस को डबल सवाब मिलेगा और अगर मुजतहिद ने अपने इज्तिहाद में ख़ता की जब भी उस को एक सवाब मिलेगा । इस लिए हज़रते मुआविया रदियल्लाहु अन्हु की शान में लान तान हरगिज़ हर गिज़ जाइज़ नहीं क्यूंकि बहुत से सहाबए किराम रदियल्लाहु अन्हुम इस जंग में हज़रते मुआविया रदियल्लाहु अन्हु के साथ थे । फिर ये बात भी यहाँ ये भी ज़हन में रखनी ज़रूरी है की मिश्री बागियों का गिरोह जिन्हें ने हज़रते अमीरुल मोमिनीन उस्माने गानी रदियल्लाहु अन्हु का मुहासरा कर के उन को शहीद कर दिया था ये लोग जंगे सिफ़्फ़ीन में हज़रते अली रदियल्लाहु अन्हु के लश्कर में शामिल हो कर हज़रते मुआविया रदियल्लाहु अन्हु से लड़ रहे थे तो मुमकिन है की घमसान की जंग में इन्हीं बागियों के हाथ से हज़रते अम्मार रदियल्लाहु अन्हु शहीद हो गए हों । इस सूरत में हुज़ूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम का ये इरशाद बिलकुल सही होगा की “अफ़सोस ऐ अम्मार ! तुझ को एक बागी गिरोह क़त्ल करेगा” और इस क़त्ल की ज़िम्मेदारी से हज़रते मुआविया रदियल्लाहु अन्हु का दामन पाक रहेगा । बहर हाल हज़रते मुआविया रदियल्लाहु अन्हु की शान में लान तान करना राफ़ज़ियों का मज़हब है हज़राते अहले सुन्नत को इससे परहेज़ करना बचना लाज़िम व ज़रूरी है ।

हज़रते उस्मान रदियल्लाहु अन्हु का इम्तिहान

हज़रते अबू मूसा अशअरी रदियल्लाहु अन्हु कहते हैं की हुज़ूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम मदीने के एक बाग़ में टेक लगाए हुए बैठे हुए थे । हज़रते अबू बक्र सिद्दीक रदियल्लाहु अन्हु दरवाज़ा खुलवा कर अंदर आए तो आप ने उन को जन्नत की बशारत दी । हज़रते उमर रदियल्लाहु अन्हु आए तो आप ने उन को भी जन्नत की बशारत दी । इस के बाद हज़रते उसनाम रदियल्लाहु अन्हु आए तो आप ने उन को भी जन्नत की खुश खबरि सुनाई साथ में एक इम्तिहान और आज़माइश में मुब्तला होने की भी खबर दी । ये सुन कर हज़रते उसनाम गनी रदियल्लाहु अन्हु ने सब्र की दुआ मांगी और ये कहा की खुदा मददगार है ।

रेफरेन्स हवाला

शरह ज़ुरकानि मवाहिबे लदुन्निया जिल्द 1,2, बुखारी शरीफ जिल्द 2, सीरते मुस्तफा जाने रहमत, अशरफुस सेर, ज़िया उन नबी, सीरते मुस्तफा, सीरते इब्ने हिशाम जलिद 1, सीरते रसूले अकरम, तज़किराए मशाइख़े क़ादिरया बरकातिया रज़विया, गुलदस्ताए सीरतुन नबी, सीरते रसूले अरबी, मुदारिजुन नुबूवत जिल्द 1,2, रसूले अकरम की सियासी ज़िन्दगी, तुहफए रसूलिया मुतरजिम, मकालाते सीरते तय्यबा, सीरते खातमुन नबीयीन, वाक़िआते सीरतुन नबी, इहतियाजुल आलमीन इला सीरते सय्यदुल मुरसलीन, तवारीखे हबीबे इलाह, सीरते नबविया अज़ इफ़ादाते महरिया,

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