शैख़ मुहम्मद युसूफ अबुल फराह तरतूसी रदियल्लाहु अन्हु की ज़िन्दगी

शैख़ मुहम्मद युसूफ अबुल फराह तरतूसी रदियल्लाहु अन्हु की ज़िन्दगी

बुल फराह का सदक़ा कर गम को फराह दे हुस्नो सअद

बुल    हसन   और   बू  सईदे  सअद    ज़ा   के   वास्ते 

विलादत बा सआदत

अफ़सोस अज़ हद तलाश के बाद भी आप की तारीखे पैदाइश व सन दस्तियाब न हो सके । 

नाम व कुन्नियत

आप का नामे नामी व इस्मे गिरामी “मुहम्मद युसूफ” है और कुन्नियत “अबुल फराह” है 

वालिद मुहतरम

आप के वालिद माजिद का नामे मुबारक “शैख़ अब्दुल्लाह” तरतूसी है । 

बैअतो खिलाफत

आप को बैअतो खिलाफत हज़रते अबुल फ़ज़्ल अब्दुल वाहिद तमीमी रदियल्लाहु अन्हु से हासिल थी यही आप के पीरो मुर्शिद हैं । 

आप के फ़ज़ाइल मुबारक

ज़ुबदाए मशाइख, शाने औलिया, कुदवतुल औलिया, “हज़रते शैख़ मुहम्मद युसूफ अबुल फराह तरतूसी रदियल्लाहु अन्हु” आप सिलसिलए आलिया क़ादरिया रज़विया के चौदवे 14, वे इमाम व शैख़े तरीकत हैं, आप वलिए कामिल और आलिम व फ़ाज़िल जामे यानि तमाम उलूमे ज़ाहिरी व बातनी के जामे थे, आप बहुत बड़े साहिबे करामात बुज़रुग थे और सब्र व तवक़्क़ल में आप का मकाम बहुत बुलंद है, ज़माने के उलमा व मशाइख ने आप को मुनफ़रिद वक़्त जाना और माना है, आप अज़ीम खूबियों के मालिक थे और अपने पीरो मुर्शिद के नक़्शे कदम पर रह कर खल्के खुदा की हिदायत का अज़ीम फ़र्ज़ अंजाम दिया और दीने मतीन की वो खिदमात अंजाम दीं के आज भी आप का नक्शे कदम फैज़े रूहानी का सर चश्मा है तजरीद व तफ़रीद में यगानए वक़्त थे, 

आप को तरतूसी क्यों कहा जाता है?

“कुतब सेर” से मालूम हुआ है के शहर “तरतूस” मुल्के शाम के उम्दा तिरीन शहरों में से एक बेहतरीन शहर था आप ने इस शहर को अपने क़याम के लिए मुन्तख़ब फ़रमाया और इसी शहर में बूद बाश इख्तियार फ़रमाई इस लिए आप तरतूसी, कह जाने लगे, इस शहर में आप ने क़याम फरमा कर सफ़हाते सेर पर इस के नाम को बुलंद फरमा दिया और इस के मजहूल नाम को ओजे सुरय्या पर पंहुचा दिया सच है के जो ज़मीन किसी मर्दे खुदा को मुक्तदाना तौर पर अपनी आगोश में ले लेती है तो वो ज़मीन बाइसे ताज़ीम व लाइके तक़्दीस हो जाती है । 

तारीखे विसाल और आप का उर्स

आप का विसाल 3, शाबानुल मुअज़्ज़म बरोज़ हफ्ता सनीचर 447, हिजरी खलीफा अल काइम बीअमरिल्लाह अब्बासी के दौरे खिलाफत में हुआ । 

आप के खुलफ़ा

आप के सिर्फ एक खलीफा का नाम क़ुतुब सेर में मिलता है जिन का नाम मुबारक “हज़रत शैख़ अबुल हसन अली हंकारि रदियल्लाहु अन्हु हैं । 

मज़ार मुबारक

आप का मज़ार मुकद्द्स बग़दाद शरीफ के शहर तरतूस में मरजए खलाइक है,

“अल्लाह रब्बुल इज़्ज़त की उन पर बेशुमार रहमत हो और उन के सदके में हमारी मगफिरत हो”                

रेफरेन्स हवाला                
  • तज़किराए मशाइख़े क़ादिरया बरकातिया रज़विया,
  • मसालिकुस सालिकीन जिल अव्वल,
  • ख़ज़ीनतुल असफिया जिल्द अव्वल,  

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