हज़रत अल्लामा शाह मसऊद मुहद्दिसे देहलवी रहमतुल्लाह अलैह की ज़िन्दगी

हज़रत अल्लामा शाह मसऊद मुहद्दिसे देहलवी रहमतुल्लाह अलैह की ज़िन्दगी

हज़रत अल्लामा शाह मसऊद मुहद्दिसे देहलवी रहमतुल्लाह अलैह

बदरुल उलमा, फखरुल अतकिया, नासिरे मिल्लत, ज़ुब्दतुल आरफीन, कुदवतुस सालीकीन, इमामुल आरफीन, वहीदे अस्र, हज़रत रहीम बख्श अल मुलक्कब ख्वाजा मुहम्मद मसऊद शाह नक्शबंदी मुजद्दिदी बानी व साबिक सज्जादा नशीन खानकाहे मसऊदिया, व साबिक इमामो खतीब मस्जिद शाही फतेहपुरी देहली शरीफ।
आप दिल्ली के आला दर्जे के फकीह और मुफ़्ती थे, साहिबे निस्बत, साहिबे दिल, आबिदो ज़ाहिद, आरिफ बिल्लाह, और निहायत ही तदय्युन परहेज़गार थे, आप की ज़ाते बा बरकात से बहुत फैज़ हुआ।

नाम मुबारक

आप का इसमें गिरामी रहीम बख्श, और लक़ब मसऊद, था, और आप लक़ब से ज़ियादा मशहूर हैं, आप के वालिद गिरामी का नाम इलाही बख्श! और जद्दे अमजद का नाम अहमद! था,
आप का सिलसिलए नसब कई वास्तों से हज़रत ख्वाजा जलालुद्दीन चिश्ती थानीसरी रहमतुल्लाह अलैह से मिलता है और वो हज़रते सय्यदना उमर फारूक आज़म रदियल्लाहु अन्हु तक पहुँचता है।

विलादत

आप रहमतुल्लाह अलैह! 1250/ हिजरी मुताबिक 1834/ ईसवी में अपने आबाई मकान बाज़ार सिरकी वालान दिल्ली में पैदा हुए और 1272/ हिजरी मुताबिक 1856/ ईसवी उलूमे अरबिया व रियाज़िया की तकमील फ़रमाई और वालिदैन का साया उठ जाने के बाद रोज़ी की तलाश में पंजाब तशरीफ़ ले गए और यहाँ क़ुत्बे पंजाब आरिफ़े कामिल हज़रत सय्यद इमाम अली शाह रहमतुल्लाह अलैह! से मुरीद हुए, और फिर एक साल के बाद शरफ़े खिलाफत व इजात से नवाज़े गए,
आप अपने पीरो मुर्शिद के हुक्म से दिल्ली तशरीफ़ लाए और शाही जमा मस्जिद फतेहपुरी में खानकाहे मसऊदिया की बुनियाद डाली और इल्मी व रूहानी फैज़ जारी किया।

इमामतो खिताबत

हज़रत अल्लामा शाह मसऊद मुहद्दिसे देहलवी रहमतुल्लाह अलैह के खुस्र (ससुर) हज़रत मुफ़्ती हैदर अली शाह रहमतुल्लाह अलैह बादशाह बहादुर शाह ज़फर के दौरे हुकूमत में जामा मस्जिद फतेहपुरी दिल्ली के शाही इमाम थे, आप के बाद इस उहदे पर आप के फ़रज़न्द हज़रत मौलाना मुफ़्ती मुहम्मद मुस्तफा रहमतुल्लाह अलैह फ़ाइज़ हुए, इन के बाद नसबी तअल्लुक़ और अहलियत की वजह से मंसबे इमामत व खिताबत हज़रत अल्लामा शाह मसऊद मुहद्दिसे देहलवी रहमतुल्लाह अलैह को दिया गया, और आप आखिर तक इस उहदे पर फ़ाइज़ रहे,

करामात

हज़रत अल्लामा शाह मसऊद मुहद्दिसे देहलवी रहमतुल्लाह अलैह जिस मरीज़ के ऊपर बातनी तवज्जुह डालते थे वो मरीज़ फ़ौरन शिफा पाजाया करता था।

आप की तसनीफ़

हज़रत अल्लामा शाह मसऊद मुहद्दिसे देहलवी रहमतुल्लाह अलैह तकरीबन 35/ साल मसनदे तब्लीग व इरशाद और दरसो तदरीस पर फ़ाइज़ रहे और ज़िन्दगी मुबारिका का अक्सर हिस्सा तस्नीफ़ व तालीफ़ में गुज़रा, कुछ किताबों के नाम ये हैं: (1) नूरुल इरफ़ान, (2) फीयूज़े मुहम्मदी, (3) मक्तूबाते मसऊदिया, (4) रिसाला वजदिया, (5) दारे समानिया।

विसाल

आप ने 10, रजाबुल मुरज्जब 1309/ हिजरी मुताबिक 1892/ ईसवी में दिल्ली में वफ़ात पाई।

मज़ार मुबारक

आप का मज़ार मुबारक दिल्ली में दरगाह हज़रत ख्वाजा बाकी बिल्लाह की मस्जिद से उत्तर की जानिब मरजए खलाइक।

“अल्लाह रब्बुल इज़्ज़त की उन पर बेशुमार रहमत हो और उन के सदके में हमारी मगफिरत हो”

रेफरेन्स हवाला

रहनुमाए माज़राते दिल्ली

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