हज़रत ख्वाजा शैख़ वजीहुद्दीन यूसुफ सानी चिश्ती चंदेरी रहमतुल्लाह अलैह की ज़िन्दगी

हज़रत ख्वाजा शैख़ वजीहुद्दीन यूसुफ सानी चिश्ती चंदेरी रहमतुल्लाह अलैह की ज़िन्दगी

बैअतो खिलाफत

रुमूज़े दाने सुब्हानी, क़ुत्बे अकलीम, हज़रत मौलाना वजीहुद्दीन सानी रहमतुल्लाह अलैह! आप सरकार महबूबे इलाही निज़ामुद्दीन औलिया देहलवी रहमतुल्लाह अलैह! के हुक्म के मुताबिक़ क़स्बा चंदेरी! में सुकूनत पज़ीर थे, और आप के अकमल खुलफाए किराम! में से थे, साहिबे “सियरुल औलिया!” लिखते हैं के हज़रत मौलाना वजीहुद्दीन सानी चिश्ती रहमतुल्लाह अलैह! मुरीद होने और खिलाफत हासिल करने में अपने तमाम दोस्त अहबाब से सबक़त ले गए, और आप ज़ुहदो वरा, तक्वा तदय्युन परहेज़गारी, और दर्दे इश्क में बेनज़ीर थे, और तमाम अख़लाके हसना से आरास्ता पैरास्ता थे, गर्ज़के आप के महासिनो मनाक़िब तहरीर से बाहर हैं, हज़रत ख्वाजा बुरहानुद्दीन गरीब चिश्ती खुल्दाबादी रहमतुल्लाह अलैह आप की बदौलत सरकार महबूबे इलाही निज़ामुद्दीन औलिया देहलवी रहमतुल्लाह अलैह! की खिदमत में हाज़िर हुए थे,
साहिबे “सेरुल औलिया” ने ये भी लिखा है के हज़रत मौलाना वजीहुद्दीन सानी चिश्ती रहमतुल्लाह अलैह! को सरकार महबूबे इलाही निज़ामुद्दीन औलिया देहलवी रहमतुल्लाह अलैह! से काफी अक़ीदतो मुहब्बत थी, एक दिन आप सराए धारी से जो दिल्ली से सात कोस दूर है, सरकार महबूबे इलाही निज़ामुद्दीन औलिया देहलवी रहमतुल्लाह अलैह! की ज़ियारत के लिए रवाना हुए, चंद कदम चलने के बाद आप के दिल में ख़याल आया के पीर! की खिदमत में सर के बल जाना चाहिए, पस आप ने ग्यासपुरा की जानिब सर के बल चलना शुरू किया, चुनांचे ऐतिकाद की वजह से तीसरी कलाबाज़ी के बाद आप ने अपने आप को सरकार महबूबे इलाही निज़ामुद्दीन औलिया देहलवी रहमतुल्लाह अलैह! के दरवाज़े पर पाया, और ज़मीन बोस हुए,
इसी तरह एक दफा और क़स्बा चंदेरी! से सरकार महबूबे इलाही निज़ामुद्दीन औलिया देहलवी रहमतुल्लाह अलैह! की खिदमत भेज दिया, इस के बाद क़स्बा चंदेरी! से जो भी सरकार महबूबे इलाही निज़ामुद्दीन औलिया देहलवी रहमतुल्लाह अलैह! से मुरीद होने के लिए आता तो आप उसे हज़रत मौलाना वजीहुद्दीन सानी चिश्ती रहमतुल्लाह अलैह! के पास भेज देते थे के उन से जा कर बैअत हो जाओ, और यही ख़याल करना के मुझ से ही बैअत हो रहे हो,

लेकिन जो शख्स उन से मुरीद होने के लिए जाता था, तो आप फरमाते थे के जब तक सरकार महबूबे इलाही निज़ामुद्दीन औलिया देहलवी रहमतुल्लाह अलैह! मौजूद हैं, में किसी को मुरीद नहीं कर सकता, हाँ मेरे पास सरकार महबूबे इलाही निज़ामुद्दीन औलिया देहलवी रहमतुल्लाह अलैह! का कपड़ा है, वो तुम्हारे सामने रखता हूँ और तुम्हें बैअत! करता हूँ, तुम यही तसव्वुर करो के में सरकार महबूबे इलाही निज़ामुद्दीन औलिया देहलवी रहमतुल्लाह अलैह! मौजूद हैं, गर्ज़के आप इसी तरह लोगों को मुरीद करते रहे हत्ता के जब आखरी उमर में सरकार महबूबे इलाही निज़ामुद्दीन औलिया देहलवी रहमतुल्लाह अलैह! ने दस खुलफाए किराम! को खिलाफत अता फ़रमाई तो उन में से एक हज़रत मौलाना वजीहुद्दीन सानी चिश्ती रहमतुल्लाह अलैह! थे, जिन को दोबारा खिलाफत से नवाज़ा, हज़रत मौलाना वजीहुद्दीन सानी चिश्ती रहमतुल्लाह अलैह! बड़े मुकर्रम व मुअज़्ज़म थे और बड़े साहिबे कशफो करामात थे।

वफ़ात

आप का इन्तिकाल गालिबन 729, हिजरी में हुआ।

मज़ार मुबारक

आप का मज़ार मुबारक क़स्बा चंदेरी में मरजए खलाइक है।

“अल्लाह रब्बुल इज़्ज़त की उन पर बेशुमार रहमत हो और उन के सदके में हमारी मगफिरत हो”

रेफरेन्स हवाला

(1) मिरातुल असरार
(2) ख़ज़ीनतुल असफिया

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