इस्मे गिरामी
आप का नाम मुबारक “सय्यद महमूद” था, आप के वालिद माजिद का इस्मे गिरामी सय्यद अलाउद्दीन था, ज़ैनुल आबिदीन के नाम से मशहूर थे, और आप इमामुल औलिया हज़रत शैख़ अब्दुल क़ादिर जिलानी गौसे आज़म बगदादी रदियल्लाहु अन्हु! की दसवीं पुश्त में थे।
आप का सिलसिलए नसब
सय्यद महमूद बिन, सय्यद अलाउद्दीन बिन, सय्यद मसीहुद्दीन बिन, सय्यद सदरुद्दीन बिन, सय्यद ज़हीरुद्दीन बिन, शम्सुल आरफीन बिन, सय्यद मोमिन बिन, सय्यद मुश्ताक बिन, सय्यद अली बिन, सय्यद सालेह बिन, सय्यद अब्दुर रज़्ज़ाक बिन, इमामुल औलिया हज़रत शैख़ अब्दुल क़ादिर जिलानी गौसे आज़म बगदादी रिद्वानुल्लाही तआला अलैहिम अजमईन,
बैअतो खिलाफत
आप हज़रत सय्यद महमूद सुर्ख पीर बदायूनी रहमतुल्लाह अलैह की विलादत बग़दाद शरीफ में हुई, वालिद माजिद की तरबियत में रहकर नशो नुमा यानि परवरिश हुई, और इल्मे ज़ाहिर व बातनी हासिल किया, इल्मे दीन की मुकम्मल तालीम हासिल करने के बाद अपने वालिद मुहतरम के मुरीद बने और खिरकाए खिलाफत हासिल किया, इन के विसाल के बाद कुछ दिन मसनदे सज्जादगी को रौनक बख्शी थी,
सियाहत करते हुए, हज़रत शैख़ बहाउद्दीन बहावल शेर कलंदर कादरी रहमतुल्लाह अलैह और आप की हमशीरा मुहतरमा के हमराह हिंदुस्तान तशरीफ़ लाए, और बदायूं आ कर बूदो बाश सुकूनत इख़्तियार की, और मुहल्लाह सोथा में खानकाह बना कर सिलसिलए रुश्दो हिदायत जारी किया था, कादरी मशरब वज़ा कलंदराना रखते थे, साहिबे तसर्रुफ़ औलियाए अस्र थे, ज़बान से जो कह देते थे, वो हो जाता, एक मर्तबा बारिश ना होने की वजह से वहां के काश्तकार बहुत परेशान थे, इन लोगों ने आप से दुआ के लिए कहा आप ने इन की परेशानी ख़त्म करने की वजह से धूप में खड़े हो कर दुआ की और अल्लाह पाक के करम से उसी वक़्त इतना पानी बरसा के तमाम खेत सेराब हो गए,
वफ़ात
19/ ज़िल हिज्जा 718/ हिजरी को आप का विसाल हुआ।
मज़ार मुबारक
आप का मज़ार मुबारक मुहल्लाह सोथा ज़िला बदायूं शरीफ यूपी इंडिया में मरजए खलाइक है।
“अल्लाह रब्बुल इज़्ज़त की उन पर बेशुमार रहमत हो और उन के सदके में हमारी मगफिरत हो”
रेफरेन्स हवाला
(1) मरदाने खुदा
(2) तज़किरतुल वासिलीन