हज़रत सय्यद निजातुल्लाह कादरी चिश्ती बिलगिरामि रहमतुल्लाह अलैह! मारहरवी

हज़रत सय्यद निजातुल्लाह कादरी चिश्ती बिलगिरामि रहमतुल्लाह अलैह मारहरवी

विलादत बसआदत

शहज़ादए शाह बरकतुल्लाह, हज़रत सय्यद शाह निजातुल्लाह कादरी चिश्ती बिलगिरामि सुम्मा मारहरवी रहमतुल्लाह अलैह! हज़रत सय्यद शाह बरकतुल्लाह इश्कि मारहरवी रहमतुल्लाह अलैह! के छोटे साहबज़ादे हैं, आप की पैदाइश जुमादीयुल आखिर 1117/ हिजरी में क़स्बा बिलगिराम शरीफ ज़िला हरदोई यूपी में तवल्लुद हुए, और वहीँ पले बड़े।

वालिद माजिद

आप के वालिद माजिद का नामे नामी इस्मे गिरामी साहिबुल बरकात सुल्तानुल आशिक़ीन हज़रत सय्यद शाह बरकतुल्लाह इश्कि मरहरवी रहमतुल्लाह अलैह!

तालीमों तरबियत

हज़रत सय्यद निजातुल्लाह कादरी चिश्ती बिलगिरामि रहमतुल्लाह अलैह! ने अपने वालिद माजिद से तालीमों तरबियत हासिल की, वालिद माजिद के विसाल के बाद अपने भाई जान की मर्ज़ी से सज्जादा नशीन भी हुए, और अपनी सरकार अलग बनाई जो “छोटी सरकार” के नाम से जानी जाती थी और इस में मस्जिद व खानकाह भी बनाई।

सीरतो ख़ासाइल

हज़रत अल्लामा मीर सय्यद गुलाम अली आज़ाद बिलगिरामि रहमतुल्लाह अलैह! लिखते हैं के सय्यद शाह बरकतुल्लाह! के साहबज़ादे हज़रत सय्यद निजातुल्लाह कादरी चिश्ती बिलगिरामि रहमतुल्लाह अलैह! अपने अंदर बहुत से फ़ज़ाइल और कमालात को जमा करने वाले, अच्छी आदतों के मालिक, बड़े अख़लाक़ वाले और सखावत करने वाले थे, शुरू से आखिर तक मारफ़त के फल वालिद माजिद से लेते रहे, रूहानी ज़ोक से पूरा हिस्सा पाया, सय्यदुल आरफीन मीर सय्यद लुत्फुल्लाह शाह लुध्धा कादरी चिश्ती बिलगिरामी रहमतुल्लाह अलैह! की बारगाह में खत भेज कर खिलाफत मांगी, हज़रत ने अपनी अता से खिलाफत नामा और दस्तार मुबारक से नवाज़ा, हज़रत सय्यद निजातुल्लाह चिश्ती बिलगिरामि रहमतुल्लाह अलैह! ने मारहरा शरीफ में रुश्दो हिदायत रहनुमाई का झंडा बुलंद किया, दिलों को ज़िंदह करने में मसीहा थे, आप के लुत्फ़ो करम से टूटे दिलों को सुकून हासिल होता, अच्छी तबीयत और उम्दह ज़ोक रखते थे, और अच्छी शायरी करने में भी महारत हासिल थी, इस दयार की एक दुनिया आप से मुरीद हो कर फाइदा, फ़ैज़ो बरकात लेती रही।

अक़्द मस्नून (निकाह)

हज़रत सय्यद निजातुल्लाह कादरी चिश्ती बिलगिरामि रहमतुल्लाह अलैह! आप का निकाह! सय्यद लुत्फुल्लाह बिन सय्यद काफी, की तीसरी साहबज़ादी से हुआ, जिससे आप के दो साहबज़ादे (1) सय्यद शाह ईमान उर्फ़ शाह गदा और (2) सय्यद शाह मकबूल आलम उर्फ़ शाह सोंधा, और एक (3) साहबज़ादी बू बू साहिबा! थीं, जो अपने बड़े चचा के साहबज़ादे हज़रत सय्यद शाह हक्कानी रहमतुल्लाह अलैह! से मंसूब थीं, मगर मिकाह की कोई नौबत ना आई,
सय्यद शाह ईमान उर्फ़ शाह गदा! आप के बड़े साहबज़ादे थे, आप की पैदाइश 1138/ हिजरी में हुई, आप का निकाह सय्यद अज़ीमुद्दीन बिन, सय्यद निजाबत बिन, सय्यद अब्दुल्लाह की बेटी! से हुआ और साहबज़ादे सय्यद शाह बरकात बख्श भिकारी साहब और सय्यद शाह निजात बख्श फ़कीर साहब पैदा हुए,
सय्यद शाह मकबूल आलम उर्फ़ शाह सोंधा! आप के दूसरे साहबज़ादे हैं, आप की विलादत 1140/ हिजरी में हुई, और विसाल 19/ शाबानुल मुअज़्ज़म 1113/ हिजरी में हुआ, आप का निकाह सय्यद मुहम्मद याहया बिन, सय्यद महबूबुल्लाह की तीसरी बेटी से हुआ, जिन से एक साहबज़ादे सय्यद मखदूम आलम प्यारे साहब, और एक सहबज़ादी पैदा हुईं।

इन्तिक़ाले पुरमलाल

29/ शाबानुल मुअज़्ज़म 1190/ हिजरी में मारहरा शरीफ में हुआ, और अपने बड़े भाई हज़रत सय्यद शाह आले मुहम्मद रहमतुल्लाह अलैह के पहलू में दफ़न हुए।

मज़ार शरीफ

हज़रत सय्यद निजातुल्लाह कादरी चिश्ती बिलगिरामि रहमतुल्लाह अलैह! का मज़ार मुबारक मारहरा शरीफ ज़िला एटा यूपी, इण्डिया में मरजए खलाइक है,

“अल्लाह रब्बुल इज़्ज़त की उन पर बेशुमार रहमत हो और उन के सदके में हमारी मगफिरत हो”

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रेफरेन्स हवाला

  • बरकाती कोइज़
  • मासिरुल किराम तारीखे बिलगिराम
  • तारीखे खानदाने बरकात

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