हज़रत शैख़ मिन्हाजुद्दीन बदायूनी रहमतुल्लाह अलैह की ज़िन्दगी

हज़रत शैख़ मिन्हाजुद्दीन बदायूनी रहमतुल्लाह अलैह की ज़िन्दगी

इस्मे गिरामी

साहिबे बातिन हज़रत शैख़ मिन्हाजुद्दीन बदायूनी रहमतुल्लाह अलैह आप का नामे मुबारक “मिन्हाजुद्दीन” था, आप के वालिद का इस्मे गिरामी मौलाना शैख़ बुरहानुद्दीन था, और दादा का नाम शैख़ मज्दुद्दीन था, हज़रत शैख़ मिन्हाजुद्दीन रहमतुल्लाह अलैह! बदायूं में पैदा हुए थे, यहीं तालीमों तरबियत पाई थी, इल्मे ज़ाहिरी व बातनी में कमाल हासिल था, अपने ज़माने के अज़ीम ज़बरदस्त आलिम, और शैख़ थे।

बैअतो खिलाफत

हज़रत सय्यद बदीउद्दीन क़ुत्बुल मदार मकनपुरी रहमतुल्लाह अलैह से आप ने खिलाफत पाई थी, पीरो मुर्शिद की इताअत में बहुत ज़ियादा रहते थे लोग समझते थे के आप ही हज़रत सय्यद बदीउद्दीन क़ुत्बुल मदार मकनपुरी रहमतुल्लाह अलैह के जानशीन होंगें मगर तकदीर की बात हज़रत सय्यद बदीउद्दीन क़ुत्बुल मदार मकनपुरी रहमतुल्लाह अलैह के विसाल के वक़्त मौजूद ना होने की वजह से महरूम रहे हज़रत शाह मुहम्मद जहिन्दा रहमतुल्लाह अलैह मौजूद थे, वो इस नेमत से सरफ़राज़ हुए, आज तक बदायूं में कहावत चली आ रही है, “कूट पीस मिन्हाज मरे करामत मिले” हज़रत शाह मुहम्मद जहिन्दा रहमतुल्लाह अलैह सोम की फातिहा कर के बदायूं चले आए थे, गोशा नाशिनी इख़्तियार कर ली थी, हर वक़्त ज़िक्रो विर्द में मशग़ूलो मसरूफ रहते थे ।

विसाल

3/ जुमादीउस सानी 845/ हिजरी को हुआ ।

मज़ार मुबारक

आप क मज़ार शरीफ क़ाज़ी होज़ हज़रत अल्लामा शाह ऐनुल हक अब्दुल मजीद रहमतुल्लाह अलैह को जो रास्ता जाता है उसी रास्ते पर जुनूब की तरफ जो कब्रिस्तान शैख़ उस्मानी के नाम से है वहीँ पर आम मज़ार है, लेकिन आप की कब्र की हालत बहुत खस्ता हो गई है।

“अल्लाह रब्बुल इज़्ज़त की उन पर बेशुमार रहमत हो और उन के सदके में हमारी मगफिरत हो”

रेफरेन्स हवाला

(1) मरदाने खुदा
(2) तज़किरतुल वासिलीन

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