हज़रत अल्लामा मुफ़्ती खालिद अली खान रज़वी कादरी बरेलवी रदियल्लाहु अन्हु की ज़िन्दगी

हज़रत अल्लामा मुफ़्ती खालिद अली खान रज़वी कादरी बरेलवी रदियल्लाहु अन्हु की ज़िन्दगी

विलादत बसआदत

नाज़िशे रज़वियत, नवासए मुफ्तिए आज़म हिन्द, व तिलमीज़ मुहसिने अहले सुन्नत हज़रत अल्लामा व मौलाना मुफ़्ती सूफी खालिद अली खान कादरी बिन, मौलाना साजिद अली खान बरेलवी मुहल्लाह ख्वाजा क़ुतुब बरैली शरीफ में 18/ शाबानुल मुअज़्ज़म 1355/ हिजरी मुताबिक़ 1936/ ईसवी को तवल्लुद (पैदा होना) हुए।

वालिद माजिद

आप के वालिद माजिद का नाम मुबारक “हज़रत अल्लामा व मौलाना साजिद अली खान रहमतुल्लाह अलैह” हैं। आप के वालिद माजिद हुज़ूर मुफ्तिए आज़म हिन्द बरेलवी रहमतुल्लाह अलैह के बड़े चहीते दामाद व खलीफा थे।

नसब नामा

फैज़ुल आरफीन हज़रत मुफ़्ती खालिद रज़ा खान इब्ने, मौलाना साजिद अली खान (दामाद हुज़ूर मुफ्तिए आज़म हिन्द) इब्ने हाफिज़ व मौलाना वाजिद अली खान इब्ने, मौलाना वारिस अली खान इब्ने, नेमत अली खान उर्फ़ बुज़रुग अली खान साहब मुहम्मद हयात खान उर्फ़ बन्दे अली खान,
मुहम्मद हयात खान उर्फ़ बन्दे अली खान, के निकाह में “ज़ीनत बेगम उर्फ़ मोती बेगम” थीं, जो दुख्तर हज़रत मौलाना काज़िम अली खान और ख्वाहर (बहन) इमामुल उलमा हज़रत मौलाना रज़ा अली खान (जद्दे अमजद इमामे अहले सुन्नत थीं)।

खानदानी हालात

हज़रत अल्लामा मुफ़्ती खालिद अली खान रज़वी रहमतुल्लाह अलैह! के वालिद मुहतरम हज़रत मौलाना साजिद अली खान रहमतुल्लाह अलैह! बड़े ही मुतावारे तदय्युन परहेज़गार शख्सीयत थे, इन के इंतिज़ाम ने “दारुल उलूम मज़हरे इस्लाम” बरैली को बामे उरूज तक पंहुचा दिया, जद्दे अमजद वाजिद अली खान बिन, मौलाना वारिस अली खान बहुत बड़े जमीनंदार थे, अमसतिया ज़िला बदायूं शरीफ में तकरीबन चार सौ बिगाह ज़मीन के माइलक थे।

तालीमों तरबियत

हज़रत अल्लामा मुफ़्ती खालिद अली खान रज़वी रहमतुल्लाह अलैह! की परवरिश व पर्दाख़त गहवारए इल्मो हिकमत, मख़्ज़ने फ़ैज़ो करामत, मरकज़े अहले सुन्नत के नूरानी माहौल में हुई, जब आप की उमर शरीफ 1359/ हिजरी मुताबिक 1940/ ईसवी में चार साल, चार महीने चार दिन की हुई तो हुज़ूर मुफ्तिए आज़म हिन्द मुस्तफा रज़ा खान बरेलवी रहमतुल्लाह अलैह! ने खानदानी रिवायात के मुताबिक़ “रस्मे बिस्मिल्लाह ख्वानी” कराइ, हज़रत अल्लामा मौलाना खालिद अली रज़वी रहमतुल्लाह अलैह! ने कुरआन शरीफ अपने वालिद माजिद और वालिदाह मुहतरमा से घर ही पर पढ़ा, और स्कूल की भी तालीम हासिल की, अरबी फ़ारसी की तालीम हासिल करने के लिए वालिद माजिद ने अपने मदरसा “दारुल उलूम मज़हरे इस्लाम” में 1365/ हिजरी मुताबिक 1946/ ईसवी में दाखिल करा दिया, और इब्तिदा से ले कर इंतिहा तक “दारुल उलूम मज़हरे इस्लाम” बरैली के माहिर असातिज़ाए किराम से इक्तिसाबे फैज़ हासिल करते रहे, और उलूमो इरफ़ान के गोहर समेटते रहे, आप की फरागत दस्तारबंदी! के साल हुज़ूर मुफ्तिए आज़म हिन्द मुस्तफा रज़ा खान बरेलवी रहमतुल्लाह अलैह! ने बुखारी शरीफ की आखरी हदीस पढ़ा कर ख़त्म कराइ, आप ने 1958/ ईसवी “दारुल उलूम मज़हरे इस्लाम” से “फरागत दस्तारबंदी” हुई, उल्माए किराम व मशाईखे इज़ाम के अलावा हुज़ूर मुफ्तिए आज़म हिन्द मुस्तफा रज़ा खान बरेलवी रहमतुल्लाह अलैह! ने “दस्तारबंदी” बाँधी।

असातिज़ाए किराम

  1. सद रूश्शरिया हज़रत अल्लामा मुफ़्ती अमजद अली आज़मी (मुसन्निफ़ बहारे शरीअत)
  2. हुज़ूर मुफ्तिए आज़म हिन्द मुस्तफा रज़ा खान बरेलवी रहमतुल्लाह अलैह!
  3. मुहद्दिसे आज़म पाकिस्तान हज़रत अल्लामा मुफ़्ती सरदार अहमद गुरदासपुरी पाकिस्तानी,
  4. शैखुल उलमा हज़रत अल्लामा मुफ़्ती गुलाम जिलानी रज़वी आज़मी
  5. बहरूल उलूम हज़रत अल्लामा मुफ़्ती सय्यद अफ़ज़ल हुसैन मूंगिरि
  6. हज़रत अल्लामा मुफ़्ती हसनैन रज़ा खान कादरी बरेलवी
  7. बक़ीयतुस सल्फ़ हज़रत अल्लामा मुफ़्ती हाजी मुबीनुद्दीन रज़वी मुहद्दिसे अमरोहा यूपी
  8. सदरुल उलमा मुहद्दिसे बरेलवी हज़रत अल्लामा मुफ़्ती तहसीन रज़ा खान कादरी
  9. हज़रत अल्लामा व मौलाना मुजीबुल इस्लाम नसीम रज़वी आज़मी
  10. हज़रत अल्लामा व मौलाना मुफ़्ती सनाउल्लाह रज़वी आज़मी
  11. शाहरे बुखारी हज़रत अल्लामा व मौलाना मुफ़्ती शरीफुल हक अमजादी

तदरीसो इफ्ता

हज़रत अल्लामा मुफ़्ती खालिद अली खान रज़वी रहमतुल्लाह अलैह! ने तकरीबन 16/ साल दर्स व तदरीस के ज़रिए चश्मए उलूमो इरफ़ान से तिश्निगाने उलूमे नबविया को सेराब करते रहे, और फतवा नवेसी के ज़रिए दीनी भाइयों की शरई हाजतों और मुश्किलों को हल फरमाते रहे,

अक़्द मस्नून (निकाह)

हज़रत अल्लामा मुफ़्ती खालिद अली खान रज़वी रहमतुल्लाह अलैह! के दो अक़्द यानि आप के दो निकाह हुए, अव्वल निकाह 1965/ ईसवी में हज़रत मौलाना इदरीस रज़ा खान उर्फ़ लाला मियां की साहबज़ादी यानि हुज़ूर मुफ्तिए आज़म हिन्द मुस्तफा रज़ा खान बरेलवी रहमतुल्लाह अलैह! की नवासी से हुई, जिन से कोई औलाद नहीं हुई, दूसरा निकाह 1973/ ईसवी में हकीम मौलाना मुहम्मद सालेह खान शाहजहांपुरी की दुख्तर (बेटी) नेक अख्तर “तय्यबा फातिमा साहिबा” से हुआ, जिन से आप की पांच औलादें हुईं, साहबज़ाद गान के नाम ये हैं:
(1) हज़रत मौलाना कारी मुजाहिद रज़ा खान रज़वी
(2) हज़रत मौलाना मुशाहिद रज़ा खान सेफी मियां
(3) हज़रत मौलाना अनस रज़ा खान रज़वी (मोहतमिम “दारुल उलूम मज़हरे इस्लाम” बरैली शरीफ।
दो साहबज़ादियाँ:
(1) ताहिरा फ़सातिमा (हिना फातिमा) ज़ौजाह मुहतरमा (बीवी) जनाब सय्यद रशीद अली बरैली शरीफ।
(2) हरीम फातिमा ज़ौजाह मुहतरमा (बीवी) जनाब मोहतशिम रज़ा खान बरैली शरीफ।

आप की दीनी खिदमात

हज़रत अल्लामा मुफ़्ती खालिद अली खान रज़वी रहमतुल्लाह अलैह! ने अपने वालिद माजिद के इन्तिकाल के बाद हुज़ूर मुफ्तिए आज़म हिन्द मुस्तफा रज़ा खान बरेलवी रहमतुल्लाह अलैह! के हुक्म पर “दारुल उलूम मज़हरे इस्लाम” बरैली शरीफ के एहतिमाम इनसिराम की बाग़ डोर संभाली, और तादमे हयात इसी इदारा जो के मुफ्तिए आज़म हिन्द मुस्तफा रज़ा खान बरेलवी रहमतुल्लाह अलैह! ने काइम फ़रमाया था, इस के मोहतमिम और नाज़िमे आला रहे, इस के अलावा मुन्दर्जा ज़ैल इदारों के सरपरस्त भी रहे:
(1) अंजुमन रज़ाए मुस्तफा, बिलारी, ज़िला मुरादाबाद
(2) रज़वी दारुल उलूम बरैली शरीफ
(3) रज़ाए मुस्तफा चंदौसी ज़िला मुरादाबाद

बैअतो खिलाफत

हज़रत अल्लामा मुफ़्ती खालिद अली खान रज़वी रहमतुल्लाह अलैह! के दस्ते हक परस्त पर ज़मानए तिफ्ली यानि बचपन में ही बैअत व मुरीद हो चुके थे,
जब आप की उमर 22/ साल हुई तो हुज़ूर मुफ्तिए आज़म हिन्द मुस्तफा रज़ा खान बरेलवी रहमतुल्लाह अलैह! ने सिलसिलए नक्शबंदिया, चिश्तिया सोहरवर्दिया, कादरिया बरकातिया रज़विया में इजाज़तो खिलाफत अता फ़रमाई, और बतौरे ख़ास अताए खिलाफत में ये एहतिमाम फ़रमाया के मुजद्दिदे आज़म आला हज़रत इमाम अहमद रज़ा मुहद्दिसे बरेलवी रदियल्लाहु अन्हु! का वो बाबरकत जुब्बा शरीफ जिस को मुजद्दिदे आज़म ने अपने शहज़ादे मुफ्तिए आज़म हिन्द को पहनाया था, वो ही आप को यानि हज़रत अल्लामा मुफ़्ती खालिद अली खान रज़वी रहमतुल्लाह अलैह! को ज़ेबेतन कराया।

चंद मशाहीर खुलफाए किराम के असमाए गिरामी

  1. हज़रत अल्लामा मुफ़्ती उबेदुर रहमान शैखुल हदीस “दारुल उलूम मज़हरे इस्लाम”, बरैली शरीफ,
  2. हज़रत अल्लामा जमाल रज़ा खान कादरी मोहल्ला सौदागरान बरैली शरीफ
  3. हज़रत अल्लामा मुफ़्ती अब्दुल वहीद शैखुल हदीस “अज़ीज़ुल उलूम नानपारा” यूपी
  4. हज़रत अल्लामा मुफ़्ती मुहम्मद अय्यूब खान साबिक मुदर्रिस “दारुल उलूम मज़हरे इस्लाम”, बरैली शरीफ,
  5. हज़रत मौलाना मुहम्मद मुशाहिद रज़ा उर्फ़ सैफ़ी मियां
  6. हज़रत मौलाना अनस रज़ा खान साहब क़िबला मद्दा ज़िल्लू हुल आली बरैली शरीफ,

इन्तिक़ाले पुरमलाल

मख़्ज़ने फियूज़ो बरकात मुहसिने अहले सुन्नत मेमारे कोमो मिल्लत हज़रत अल्लामा मुफ़्ती खालिद अली खान रज़वी रहमतुल्लाह अलैह! 19/ ज़िल हिज्जा 1427/ हिजरी मुताबिक 21/ जनवरी 2006/ ईसवी बरोज़ हफ्ता दारे फानी से दारे बका की तरफ कूच कर गए, इस्लामिया इंटर कॉलिज के गिराऊंड में नमाज़े जनाज़ा अदा की गई, आप के उस्ताज़े मुहतरम, खानंदाने रज़विया के गुले सरसबद! सदरुल उलमा मुहद्दिसे बरेलवी हज़रत अल्लामा मुफ़्ती खालिद अली खान रज़वी रहमतुल्लाह अलैह! ने पढ़ाई।

मज़ार मुबारक

आप का मज़ार मुबारक हुज़ूर मुफ्तिए आज़म हिन्द! रहमतुल्लाह अलैह! के मकान में “दारुल उलूम मन्ज़रे इस्लाम” दारुल इफ्ता के करीब मोहल्ला सौदागरान ज़िला बरैली शरीफ यूपी इंडिया में ज़ियारत गाहे ख़ल्क़ है।

“अल्लाह रब्बुल इज़्ज़त की उन पर बेशुमार रहमत हो और उन के सदके में हमारी मगफिरत हो”

Share Zarur Karein – JazakAllah Khaira

रेफरेन्स हवाला

  • तज़किराए खानदाने आला हज़रत
  • मुफ्तिए आज़म हिन्द और उनके खुलफ़ा

Share this post