नामे मुबारक
सालिको मजज़ूब हज़रत ख्वाजा अज़ीज़ कोतवाल बदायूनी रहमतुल्लाह अलैह! साहिबबे जूदो नवाल थे, आप का नाम “अज़ीज़” था, और आप के मुर्शिदे करीम ने कोतवाल का लक़ब अता किया था, इस लिए “ख्वाजा अज़ीज़ कोतवाल” के नाम से मशहूर थे, और आप के वालिद माजिद का नाम “रशीद” नख्शबी था।
बैअतो खिलाफत
आप की विलादत मुल्के ईरान के शहर नखशब! में हुई थी, और वहीँ आप ने तालीमों तरबियत पाई थी, बा गरज़े सियाहत हिंदुस्तान तशरीफ़ लाए, और दिल्ली में क़याम किया था, और हज़रत ख्वाजा ज़ियाउद्दीन रहमतुल्लाह अलैह के मुरीद हुए थे, मुर्शिद के हुक्म से ही बदायूं आ कर बूदो बाश रिहाइश इख़्तियार की, मजज़ूब सिफ़त साहिबे इकान बुज़रुग थे ।
महबूबे इलाही निज़ामुद्दीन औलिया देहलवी रहमतुल्लाह अलैह
सुल्तानुल मशाइख सरकार महबूबे इलाही निज़ामुद्दीन औलिया देहलवी रहमतुल्लाह अलैह! से मन्क़ूल: है के: बदायूं में ख्वाजा अज़ीज़ कोतवाल बदायूनी रहमतुल्लाह अलैह! जो हज़रत ख्वाजा ज़ियाउद्दीन रहमतुल्लाह अलैह के मुरीद थे, आदमी सालेह थे, और दुरवेशों से नेक अकीदत रखते थे, कभी कभी दावत भी करते थे और सूफ़ियाए किराम के मकान पर जाते थे, और देर तक उन से गुफ्तुगू करते, अफ़सोस के जवानी के आलम में हज़रत ख्वाजा अज़ीज़ कोतवाल बदायूनी रहमतुल्लाह अलैह! शहीद हो गए,
एक मर्तबा सुल्तानुल मशाइख सरकार महबूबे इलाही निज़ामुद्दीन औलिया देहलवी रहमतुल्लाह अलैह! आम के बाग़ की तरफ गए, तो आप ने देखा के हज़रत ख्वाजा अज़ीज़ कोतवाल बदायूनी रहमतुल्लाह अलैह! चंद दोस्त अहबाब के साथ दस्तार ख्वान बिछाए हुए और उस पर लज़ीज़ खाने रखे बैठे हुए हैं, आप को देखते ही बुलाया के यहाँ आओ, में खफा डरा कहीं नुकसान न पहुचायें और डरते डरते इन के पास गया, मगर उन्होंने मेरी बहुत ताज़ीम की और साथ में खाना खिलाया और देर तक बाते करते रहे।
वफ़ात
8/ रबीउल अव्वल 688/ हिजरी में आप की वफ़ात हुई, बाज़ हज़रात इस का इंकार करते हैं के आप की तारीखे विसाल कुछ और है, वल्लाहु आलम।
मज़ार मुक़द्दस
आप का मज़ार शरीफ हज़रत पीर मक्का शाह! के मज़ार के कुछ फासले पर है, ज़िला बदायूं शरीफ यूपी इंडिया में मरजए खलाइक है।
“अल्लाह रब्बुल इज़्ज़त की उन पर बेशुमार रहमत हो और उन के सदके में हमारी मगफिरत हो”
रेफरेन्स हवाला
(1) मरदाने खुदा
(2) तज़किरतुल वासिलीन
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