हज़रत अल्लामा शाह अब्दुल अज़ीज़ मुहद्दिसे देहलवी नक्शबंदी रहमतुल्लाह अलैह

हज़रत अल्लामा शाह अब्दुल अज़ीज़ मुहद्दिसे देहलवी नक्शबंदी रहमतुल्लाह अलैह

हज़रत अल्लामा शाह अब्दुल अज़ीज़ मुहद्दिसे देहलवी नक्शबंदी रहमतुल्लाह अलैह

मुजद्दिदे वक़्त सिराजुल हिन्द हज़रत अल्लामा शाह मुफ़्ती अब्दुल अज़ीज़ मुहद्दिसे देहलवी नक्शबंदी रहमतुल्लाह अलैह! का शुमार उन मुकद्द्कस अज़ीम हस्तियों में होता है जिन्होंने बारवी सदी हिजरी में दीनो सुन्नत के अहया व तजदीद का अज़ीम कार नामा अंजाम दिया है, आप अपने दौर में उठने वाले तमाम गैर इस्लामी शोरिशों का ख़ातिमा कर के हक्को सदाकत रोज़ रोशन की तरह अयाँ (ज़ाहिर) किया, आप की ज़ाते बा बरकात से ऐसे ऐसे कारनामे पाए तकमील को पहुंचे, जो आबे ज़र से लिखने के काबिल हैं।

विलादत शरीफ

हज़रत अल्लामा शाह अब्दुल अज़ीज़ मुहद्दिसे देहलवी रहमतुल्लाह अलैह! की पैदाइश मुबारक 25/ रमज़ानुल मुबारक 1159, हिजरी मुताबिक 11, अक्टूबर 1746/ ईसवी बरोज़ मंगल दिल्ली में हुई।

इस्मे गिरामी व नसब

आप का तारीखी नाम “गुलाम हलीम” है, लेकिन आप “शाह अब्दुल अज़ीज़ मुहद्दिसे देहलवी! के नाम से ज़ियादा मशहूर हैं, और आप के वालिद मुकर्रम हज़रत शाह वलीउल्लाह मुहद्दिसे देहलवी रहमतुल्लाह अलैह! जिन्होंने दो निकाह किए थे, हज़रत शाह वलीउल्लाह मुहद्दिसे देहलवी रहमतुल्लाह अलैह! पहली ज़ौजाह मुहतरमा (बीवी) से एक साहबज़ादे हज़रत शैख़ मुहम्मद मुहद्दिस थे, और दूसरी ज़ौजाह मुहतरमा (बीवी) से चार फ़रज़न्द थे, जिन में सब से बड़े हज़रत अल्लामा शाह अब्दुल अज़ीज़ मुहद्दिसे देहलवी रहमतुल्लाह अलैह! थे।

तालीमों तरबियत

हज़रत अल्लामा शाह अब्दुल अज़ीज़ मुहद्दिसे देहलवी रहमतुल्लाह अलैह! ने इब्तिदाई तालीमों तरबियत अपने वालिद माजिद हज़रत शाह वलीउल्लाह मुहद्दिसे देहलवी रहमतुल्लाह अलैह के दो मुमताज़ शागिर्द हज़रत मौलाना ख्वाजा अमीनुद्दीन रहमतुल्लाह अलैह, हज़रत मौलाना आशिक फुलती रहमतुल्लाह अलैह से हासिल की, इस के बाद वालिद गिरामी के मदरसा रहीमिया! में दाखिल हुए, और आप ने वालिद साहब से इल्मे किरात व समाअत के ज़रिए पूरी तहक़ीक़ व दिरयात से इल्म हासिल किया, जिससे आप को इस्लामी उलूमो फुनून में मल्कए रासिखा हासिल हो गया,
जब आप सोला साल के थे, तो आप के वालिद माजिद का इन्तिकाल हो गया, इस के बाद आप ने हज़रत शैख़ नुरुल्लाह साहब, हज़रत शैख़ मुहम्मद अमीन कश्मीरी और हज़रत मौलाना आशिक फुलती रहमतुल्लाह अलैह जो आप के वालिद माजिद के तालीमों तरबियत याफ्ता थे, और इन हज़रात से उलूमो फुनून फ़ज़्लो कमालात में इस्तिफ़ादा और इन से इल्मे दींन की तकमील की, आप ने क़ुतुब अहादीस में मुअत्ता शरीफ, मिश्क़ातुल मसाबीह, हिसने हसीन, और शामाइले तिर्मिज़ी की तालीम अपने वालिद गिरामी हज़रत शाह वलीउल्लाह मुहद्दिसे देहलवी रहमतुल्लाह अलैह से हासिल की और इस तरह आप की अक्सर तालीम वालिद माजिद के पास ही पूरी हुई।

मसनदे दरसो तदरीस

हज़रत शाह वलीउल्लाह मुहद्दिसे देहलवी रहमतुल्लाह अलैह के विसाल के चंद साल बाद हज़रत अल्लामा शाह अब्दुल अज़ीज़ मुहद्दिसे देहलवी रहमतुल्लाह अलैह! ने तालीम से फरागत हासिल की, और मदरसा रहीमिया! में मसनदे दरसो तदरीस व तरीक़ए वलियुल्लाही के मसनदे इरशाद पर जलवा अफ़रोज़ हुए, और आठ साल तक अज़ीम तालीमी और रूहानी बिसात आरास्ता करते रहे, आप दर्स गाह में बाज़ाब्ता दर्स देते दूसरे औकात में भी लोगों के इल्मी व दीनी मसाइल हल करते, रोज़ाना फजर के बाद आप कुरआन पाक का ये सिलसिला जो आप के वालिद माजिद ने शुरू किया था, उसी सिलसिले का दर्स देना शुरू किया,
आप की इल्मी व दीनी शख्सीयत मरजए खासो आम थी, लोग इल्मी इस्तिफ़ादा के लिए हाज़िर होते, शायर व अदीब इस्लाह शेरो सुखन के लिए हाज़िर होते और ज़रुरत मंद लोग सिफारिश के लिए आते, मरीज़ इलाज दवा और दुआ के लिए हाज़िर होते, सालिकाने तरीकत आप से रहनुमाई हासिल करने की गर्ज़ से बारयाब होते थे।

सीरतो ख़ासाइल

ख़ित्तए हिन्द में उस्ताज़ुल असातिज़ा, बक़ीयतुस सलफ, हुज्जतुल खलफ, ख़ातिमुल मुफ़स्सिरीन वल मुहद्दिसीन, जामे उलूमे नकलिया व अकलिया, मजमउत तरीक़ैन, हिबरे शरीअत, बहरे तरीकत, हज़रत अल्लामा शाह अब्दुल अज़ीज़ मुहद्दिसे देहलवी रहमतुल्लाह अलैह! आप ज़ाहिरी व बातनी उलूम के जाअमे इल्मो अमल के पैकर और ज़ुहदो तक्वा के सच्चे नमूना थे, आप नरम तबियत खुश अख़लाक़, और हर चीज़ में सुथरा माज़ रखते थे, अपने वक़्त उल्माए किराम व मशाइखे उज़्ज़ाम आप ही की तरफ रुजू करते थे, तमाम उलूमे मुतादविला और गैर मुतादविला के अलावा बहुत से उलूमो फुनून में कामिल दस्तगाह रखते थे, हाफ़िज़ा आप का बहुत कवि था, हज़ारों अहादीस और अरबी अशआर अज़बर थे, ताबीरूर रूया, में बड़ा मलका था, आप का वाइज़ बड़ा पुर मगज़ और पुर असर होता था, इल्मे हदीस व फ़िक़्ह में और इल्मे तफ़्सीर में यकताए ज़माना थे, सब लोग किया मवाफ़िक़ और किया मुखालिफ आप की तारीफ में रतबुल लिसान थे,
तमाम उमर दरसो तदरीस और दीनी खिदमात इस्लाह में गुज़ारी, ख़ुसूसन हदीस का फैज़ान हिंदुस्तान में आम किया, हिंदुस्तान के अक्सर मुहद्दिसीन का सिलसिलए इस्नाद आप तक और आप के ज़रिए हज़रत शाह वलीउल्लाह मुहद्दिसे देहलवी रहमतुल्लाह अलैह तक पहुँचता है, कोई इल्म और फन ऐसा ना था, जिस में आप को मलका हासिल न हो।

इजाज़त व खिलाफत

हज़रत अल्लामा शाह अब्दुल अज़ीज़ मुहद्दिसे देहलवी रहमतुल्लाह अलैह! अपने वालिद माजिद से तमाम सलासिल में बैअत मुरीद हुए, और आप के वालिद माजिद हज़रत शाह वलीउल्लाह मुहद्दिसे देहलवी रहमतुल्लाह अलैह ने कई सारे मशाइखे किराम से फ़ैज़ो बरकात हासिल किए, और आप के वालिद माजिद मुरीद व खलीफा हैं, हज़रत मौलाना शाह अब्दुर रहीम देहलवी रहमतुल्लाह अलैह से, और आप
हज़रत सय्यद अब्दुल्लाह रहमतुल्लाह अलैह! के और आप, हज़रत शैख़ आदम बिनौरी नक्शबंदी रहमतुल्लाह अलैह के, और आप मुरीद व खलीफा हैं, इमामे रब्बानी हज़रत शैख़ अहमद मुजद्दिदे अल्फिसानी सरहिंदी रहमतुल्लाह अलैह के, और आप ने हज़रत शैख़ ख्वाजा बाकी बिल्लाह नक्शबंदी मुजद्दिदी देहलवी रहमतुल्लाह अलैह से फ़ैज़ो बरकात व खिलाफत पाई।

आप बारवी सदी के मुजद्दिद हैं

तेरवी सदी हिजरी के पुर आशोब दौर में दीनो सुन्नत की दीवारें मुन्हदिम हो रही थीं, तरह तरह के ऐतिक़ाद और अमली फ़ित्ने जन्म ले रहे थे बदमज़हबियत बिदअतों खुराफात बढ़ रही थी, ऐसे नाज़ुक दौर में हज़रत अल्लामा शाह अब्दुल अज़ीज़ मुहद्दिसे देहलवी रहमतुल्लाह अलैह! ने अपने कलम दरसो तदरीस मवाइज़ और फतवो, के ज़रिए दीने हक की जो नुसरत फ़रमाई और बढ़ते हुए फ़ितनो को जिस इस्तक़लाल और शुजाअत के साथ रोका लोगों की इस्लाह ईमानो अमल में जो सरगर्मियां दिखाईं यक़ीनन वो आप के अहम् तज्दीदी कारनामे हैं, यही वजह है के हिन्द और बेरूने हिन्द के उल्माए किराम का रुजू आम आप की तरफ हुआ,

मलिकुल उलमा हज़रत अल्लामा ज़फरुद्दीन बिहारी रहमतुल्लाह अलैह! फरमाते हैं के हज़रत अल्लामा शाह अब्दुल अज़ीज़ मुहद्दिसे देहलवी रहमतुल्लाह अलैह! 1158, हिजरी ता 1239, हिजरी में इस लिए के मुजद्दिद की सिफ़ात इन में पाई जाती हैं, इस लिए के आप बारवी सदी के आखिर में साहिबे इल्मो फ़ज़्ल व ज़ुहदो तक्वा मशहरो मारूफ दयार व अतराफ़ थे, और तेरवी सदी के आगाज़ में इन का तूती हिंदुस्तान में बोलता था, और सारी उमर दीनी खिदमात दरसो तदरीस इफ्ता व तस्नीफ़, वाइज़ व सनद, हिमायते दींन और रद्दे मुफ़सिदीन में मशग़ूलो मसरूफ रहे,
हिंदुस्तान में राफ़ज़ियत के बढ़ते हुए सैलाब को रोकने के लिए हज़रत अल्लामा शाह अब्दुल अज़ीज़ मुहद्दिसे देहलवी रहमतुल्लाह अलैह! ने “तुहफए इस्ना अशरिया” तस्नीफ़ फरमाकर अहम् तज्दीदी काम सर अंजाम दिया, जिस के ज़रिए अहले सुन्नत के अक़ाइद की हक्कानियत साबित की गई और राफ़ज़ियत के बातिल अक़ाइद की तरदीद की गई,
मुल्ला रशीदी मदनी ने आप को कुस्तुन्तुनिया से एक खत लिखा था जिससे आप की कुबूलियत आम का अंदाज़ा होता है, हज़रत अल्लामा शाह अब्दुल अज़ीज़ मुहद्दिसे देहलवी रहमतुल्लाह अलैह! आप का कुछ ऐसा असर बिलादे इस्लामिया में हो रहा है के जब कोई फतवा दिया जाता है और उल्माए किराम उस पर अपनी मुहर करते हैं तो हर शख्स फतवे में आप की मुहर तलाश करता है और वो फतवा जिस पर आप की मुहर सब्त न हो ज़ियादा वुक़अत की नज़र से नहीं देखा जाता आप यहाँ तशरीफ़ ले आएं तो हम लोगों के लिए बड़े फख्र की बात और सुल्तान तुर्की भी आप की बड़ी इज़्ज़त करेंगे।

आप तसानीफ़

हज़रत अल्लामा शाह अब्दुल अज़ीज़ मुहद्दिसे देहलवी रहमतुल्लाह अलैह! ने मुतअद्दिद किताबें तस्नीफ़ की हैं: उस में से चंद ये हैं:

  1. तुहफए इस्ना अशरिया
  2. बुस्तानुल मुहद्दिसीन
  3. मीज़ानुल अक़ाइद
  4. मलफ़ूज़ाते अज़ीज़ी
  5. सिर्ऱुश शहादतैन
  6. उजालए नाफिआ
  7. तफ़्सीर अज़ीज़ी
  8. हाशिया अल कोलुल जमील
  9. हाशिया मीर ज़ाहिद
  10. तहकीकुर रोया

तुहफए इसना अशरिया

हज़रत अल्लामा शाह अब्दुल अज़ीज़ मुहद्दिसे देहलवी रहमतुल्लाह अलैह! की बे नज़ीर किताब है, जिस ने राफ्ज़ीयत के ऐवानो में ज़लज़ला बरपा कर दिया, मुगलों के आखरी दौर में राफ्ज़ीयत पूरे तौर पर बरगो बहार लाने लगी थी, अहले सुन्नत के लिए अपने अक़ाइद का तहफ़्फ़ुज़ दुश्वार हो रहा था हज़रत अल्लामा शाह अब्दुल अज़ीज़ मुहद्दिसे देहलवी रहमतुल्लाह अलैह! ने सुन्नियत की बका के लिए और राफ्ज़ीयत के सैलाब को रोकने की गर्ज़ से ये मुदल्लल और मबसूत किताब तहरीर फ़रमाई एहकाके हक अबताले बातिल में सद्दे सकिंदरी की तरह मज़बूत है और आज तक बदमज़हब राफ्ज़ी उलमा इस किताब “तुहफए इस्ना अशरिया” का माकूल जवाब ना ला सके।

आप के तलामिज़ा शागिर्द

हज़रत अल्लामा शाह अब्दुल अज़ीज़ मुहद्दिसे देहलवी रहमतुल्लाह अलैह! के चंद अहम् तलामिज़ा शागिर्द के असमाए गिरामी ये हैं

  1. हज़रत मौलाना मख़सूसुल्लाह इब्ने शाह मौलाना रफीउद्दीन देहलवी
  2. हज़रत मौलाना अब्दुल हई बुढान्वी
  3. हज़रत अल्लामा शाह गुलाम अली नक्शबंदी मुजद्दिदी देहलवी
  4. हज़रत अल्लामा शाह अबू सईद मुजद्दिदी रामपुरी सुम्मा देहलवी
  5. हज़रत अल्लामा शाह अहमद सईद नक्शबंदी मुजद्दिदी देहलवी
  6. हज़रत मुफ़्ती इलाही बख्श कांधला यूपी
  7. हज़रत मौलाना क़ुत्बुल हुदा राए बरैली
  8. हज़रत अल्लामा हुसैन अहमद मुहद्दिसे मलीह आबादी यूपी
  9. हज़रत मौलाना हैदर अली रामपुरी
  10. हज़रत मौलाना सय्यद अहमद अली बिजनोरी
  11. ख़ातिमुल अकाबिर हज़रत अल्लामा सय्यद शाह आले रसूल अहमदी मारहरवी
  12. हज़रत अल्लामा मौलाना सलामतुल्लाह कश्फी बदायूनी सुम्मा कानपुरी
  13. हज़रत मौलाना सानउद्दीन बदायूनी
  14. मुजाहिदे जंगे आज़ादी हज़रत अल्लामा मौलाना फ़ज़्ले हक खैराबादी
  15. हज़रत मौलाना हाफ़िज़ अखुन्द देहलवी
  16. हज़रत हाफ़िज़ गुलाम अली चिरयाकोटि यूपी
  17. ओवैसे ज़माना हज़रत अल्लामा मौलाना फज़लुर रहमान गंज मुरादाबादी यूपी
  18. हज़रत मौलाना निजाबत हुसैन बांस बरैली शरीफ
  19. हज़रत अल्लामा मौलाना मुफ़्ती सदरुद्दीन आज़ुर्दाह देहलवी रिद्वानुल्लाही तआला अलैहिम अजमईन।

आप की औलादे अमजाद

हज़रत अल्लामा शाह अब्दुल अज़ीज़ मुहद्दिसे देहलवी रहमतुल्लाह अलैह! का निकाह शाह नूरुल्लाह सिद्दीकी बुढान्वी की साहबज़ादी से हुआ, जिन से एक साहबज़ादे की विलादत हुई, जो बचपन ही में इन्तिकाल कर गए, और आप की तीन साहबज़ादियाँ थीं, जिन से आप का नसब आगे चला।

आप के जानशीन

हज़रत अल्लामा शाह अब्दुल अज़ीज़ मुहद्दिसे देहलवी रहमतुल्लाह अलैह! के बाद इन की मसनदे हदीस! पर हज़रत मौलाना शाह मुहम्मद इसहाक देहलवी रहमतुल्लाह अलैह जलवा अफ़रोज़ हुए जो आप के चहीते नवासे शागिर्द थे, जिन्होंने हज़रत मौलाना अब्दुल हई बुढान्वी, हज़रत मौलाना अब्दुल कादिर से भी तालीमों तरबियत हासिल की थी।

मज़ार शरीफ

आप का मज़ार मुबारक दिल्ली अरबन हॉस्पिटल! के पीछे मेंहदियाँ कब्रिस्तान में मरजए खलाइक है।

“अल्लाह रब्बुल इज़्ज़त की उन पर बेशुमार रहमत हो और उन के सदके में हमारी मगफिरत हो”

रेफरेन्स हवाला

  1. मुहद्दिसीने उज़्ज़ाम हायतो खिदमात
  2. दिल्ली के बत्तीस 32, ख्वाजा
  3. दिल्ली के बाइस 22, ख्वाजा
  4. रहनुमाए मज़ाराते दिल्ली

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