हज़रत अल्लामा शैख़ कमालुद्दीन चिश्ती रहमतुल्लाह अलैह की ज़िन्दगी

हज़रत अल्लामा शैख़ कमालुद्दीन चिश्ती रहमतुल्लाह अलैह की ज़िन्दगी

खानदानी हालात

हज़रत अल्लामा शैख़ कमालुद्दीन चिश्ती रहमतुल्लाह अलैह! कमाले तरीकत हैं, और जमाले हकीकत हैं,
आप हज़रत ख्वाजा नसीरुद्दीन महमूद रोशन चिराग देहलवी चिश्ती रहमतुल्लाह अलैह! के बहन के बेटे हैं, आप का खानदान ऊध! ज़िला फैज़ाबाद के इलाके में रहता था, और आप का नसब हज़रते सय्यदना इमामे हुसैन रदियल्लाहु अन्हु तक जा मिलता है।

वालिदैन

आप के वालिद माजिद का नाम “अब्दुर रहमान” है, और आप की वालिदा मुकर्रमा अपने वक़्त की नेक तदय्युन परहेज़गार थीं, और आप के एक भाई भी थे जिन का नाम “हज़रत ज़ैनुद्दीन अली” था।

विलादत शरीफ

अफ़सोस की आप की तारीखे पैदाइश न मिल सकी, आप की पैदाइश ऊध! ज़िला फैज़ाबाद में हुई।

नाम मुबारक

आप का नामे नामी इस्मे गिरामी “कमालुद्दीन” है, आप एक अज़ीम आलिमे दीन और कसरते इल्म की वजह से अल्लामा! के नाम से मशहूर हुए।

बैअतो खिलाफत

दिल्ली आ कर आप ने सरकार महबूबे इलाही निज़ामुद्दीन औलिया देहलवी रहमतुल्लाह अलैह! के मुरीद हुए और खिरकाए खिलाफत हासिल किया, और आप को हज़रत ख्वाजा नसीरुद्दीन महमूद रोशन चिराग देहलवी चिश्ती रहमतुल्लाह अलैह! से भी खिलाफत हासिल थी।

अहमदाबाद में क़याम

खिरकाए खिलाफत पहिनने के बाद आप अहमदाबाद तशरीफ़ ले गए, वहां आप रुश्दो हिदायत का पैगाम देते रहे, और बहुत से लोग आप के हल्काए इरादत में दाखिल हुए।

मुक़द्दस मक़ामात की ज़ियारत

हज़रत अल्लामा शैख़ कमालुद्दीन चिश्ती रहमतुल्लाह अलैह! ने सात 7, हज अदा फरमाए थे, मदीना मुनव्वरा ज़ादा हल्लाहु शरफऊं व तअज़ीमा में रोज़ाए रसूल सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम की ज़ियारत से मुशर्रफ हुए, बैतुल मुक़द्दस भी हाज़िर हुए, ईरान खुरासान होते हुए वापस दिल्ली शरीफ लाए इस सफर में बहुत से उमरा और सलातीन आप से मिले, उन्होंने आप की इज़्ज़त की,

फुतुहात नज़राना

जब आप वापस दिल्ली शरीफ लाए तो फुतुहात नज़राने में आप के साथ तीस ऊँट मालो असबाब से भरे हुए थे, जिस में तीस हज़ार अशर्फियाँ और रूपये भी थे, ये देख कर हज़रत ख्वाजा नसीरुद्दीन महमूद रोशन चिराग देहलवी चिश्ती रहमतुल्लाह अलैह! ने आप से फ़रमाया: के: शैख़ कमालुद्दीन! इस क़द्र दुनिया अपने साथ क्यों लाए? आप ने अर्ज़ किया,
मुझ को रास्ते में मालूम हुआ के सरकार महबूबे इलाही निज़ामुद्दीन औलिया देहलवी रहमतुल्लाह अलैह! की वफ़ात हो गई और उन की जगह आप सज्जादगी पर बैठे हैं, पस अगर खली हाथ जाऊँगा, मेरे अपने और गैर कुछ कहेंगें इस वजह से में असबाबे ज़ाहिर लाया हूँ, अब में इस को उल्माए किराम, सुल्हा, और मसाकीन में तकसीम कर दूंगा,
चुनांचे ऐसा ही हुआ, तातार खान ने आप को अस्सी रूपये नज़राना पेश करना चाहा और इस अम्र का परवाना लिख कर आप को पेश किया, आप वो परवाना ले कर हज़रत ख्वाजा नसीरुद्दीन महमूद रोशन चिराग देहलवी चिश्ती रहमतुल्लाह अलैह! की बारगाह में हाज़िर हुए, और अर्ज़ किया के इस बाब में क्या हुक्म है, हज़रत ख्वाजा नसीरुद्दीन महमूद रोशन चिराग देहलवी चिश्ती रहमतुल्लाह अलैह! ने फ़रमाया: चूंके बगैर तलब और क़स्द के तुम को वज़ीफ़ा मिला है इस लिए ये नज़राना कबूल करें, अपने पीरो मुर्शिद के फरमान के मुताबिक आप ने वज़ीफ़ा कबूल कर लिया।

सीरतो ख़ासाइल

आप एक बा करामात हस्ती थे, साहिबे इजाज़त दुर्वेश सिफ़त, आप एक बुलंद पाया आलिमे दीन थे, मुक़्तदाए अस्र थे, हज़रत ख्वाजा नसीरुद्दीन महमूद रोशन चिराग देहलवी चिश्ती रहमतुल्लाह अलैह! आप की बहुत इज़्ज़त करते थे, रास्ते में जहाँ कहीं भी आप मिल जाते हज़रत ख्वाजा नसीरुद्दीन महमूद रोशन चिराग देहलवी चिश्ती रहमतुल्लाह अलैह! रुक कर खड़े हो जाते, हज़रत सय्यद ख्वाजा बंदानवाज़ गेसूदराज़ चिश्ती गुलबर्ग्वी रहमतुल्लाह अलैह! ने आप के बहुत से मनाक़िब अपनी किताबों तहरीर फरमाएं हैं,
हज़रत ख्वाजा जलालुद्दीन बुखारी मखदूम जहानियाँ जहाँ गश्त रहमतुल्लाह अलैह! ने आप से “मशारिकुल अनवार” की शराह पढ़ी है, हज़रत मौलाना अहमद थानिसरि, हज़रत मौलाना आलम पानीपती, तातार खा और मौलाना संगरेज़ा मुल्तानी उन के शागिर्दों में हैं, सुल्तान फ़िरोज़ शाह, उमरा, वुज़रा, ख्वास, अवाम गर्ज़ सब ही आप के मोतक़िद मुहिब्बीन थे, हज़रत ख्वाजा जलालुद्दीन बुखारी मखदूम जहानियाँ जहाँ गश्त रहमतुल्लाह अलैह! को जो मंशूरे! खिलाफत हज़रत ख्वाजा नसीरुद्दीन महमूद रोशन चिराग देहलवी चिश्ती रहमतुल्लाह अलैह! से मिला था, वो हज़रत अल्लामा शैख़ कमालुद्दीन चिश्ती देहलवी रहमतुल्लाह अलैह! के हाथ का लिखा हुआ था।

अक़्द मस्नून

हज़रत अल्लामा शैख़ कमालुद्दीन चिश्ती रहमतुल्लाह अलैह! ने हज़रत ख्वाजा नसीरुद्दीन महमूद रोशन चिराग देहलवी चिश्ती रहमतुल्लाह अलैह! के हुक्म से शादी की, आप के तीन साहबज़ादे और एक बेटी थीं, आप के सब से बड़े बेटे शैख़ निजामुद्दीन का जवानी में इन्तिकाल हो गया, आप के दुसरे बेटे शैख़ नसीरुद्दीन आप की हयात में तहसील इल्म से फारिग हो गए थे, आप के तीसरे बेटे शैखुल मशाइख सिराजुद्दीन हैं, आप की बेटी की शादी, शैख़ बुरहानुद्दीन से हुई थी।

वफ़ात

आप का विसाल 27, ज़ीकाइदा 756, हिजरी में देहली शरीफ में हुआ।

मज़ार शरीफ

आप का मज़ार मुबारक शहर दिल्ली! के चिराग दिल्ली! गाऊं में हज़रत ख्वाजा नसीरुद्दीन महमूद रोशन चिराग देहलवी रहमतुल्लाह अलैह! के मज़ार के कदमो की जानिब ही मरजए खलाइक है।

“अल्लाह रब्बुल इज़्ज़त की उन पर बेशुमार रहमत हो और उन के सदके में हमारी मगफिरत हो”

रेफरेन्स हवाला

  • ख़ज़ीनतुल असफिया
  • दिल्ली की दरगाहें
  • अख़बारूल अखियार
  • दिल्ली के बाईस ख्वाजा

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