विलादत
आप हज़रत ख़्वाजा बाक़ी बिल्लाह नक्शबंदी देहलवी रहमतुल्लाह अलैह! के हज़रत ख्वाजा उबैदुल्लाह उर्फ़ ख्वाजा कलां! बड़े साहबज़ादे हैं, हज़रत ख़्वाजा बाक़ी बिल्लाह नक्शबंदी देहलवी रहमतुल्लाह अलैह! के विसाल से दो साल क़ब्ल एक रबीउल अव्वल 1010/ हिजरी को बा वक़्ते असर पैदा हुए, आप की विलादत से पहले ख्वाब में हज़रत ख्वाजा उबैदुल्लाह अहरार नक्शबंदी रहमतुल्लाह अलैह ने बशारत दी के तुम्हारे यहाँ फ़रज़न्द पैदा होने वाला है, ये फ़रज़न्द इबादत व रियाज़त में यगानए रोज़गार होगा, इस का नाम मेरे नाम पर उबैदुल्लाह रखना, इसी नाम से बड़े साहबज़ादे ने शुहरत पाई, हज़रत ख्वाजा उबैदुल्लाह अहरार नक्शबंदी रहमतुल्लाह अलैह के बातनि फीयूज़ का इतना सर हुआ के इब्तिदाई उमर से ही तसव्वुफ़ और हालते सुक्र में रहा करते थे।
विलादत की बशारत
हज़रत ख्वाजा उबैदुल्लाह अल्मारूफ़ ख्वाजा कलां नक्शबंदी रहमतुल्लाह अलैह के बारे में कई किताबों में दर्ज है के:
हज़रत ख्वाजा उबैदुल्लाह रहमतुल्लाह अलैह! हज़रत ख़्वाजा बाक़ी बिल्लाह नक्शबंदी देहलवी रहमतुल्लाह अलैह! के बड़े साहबज़ादे हैं, आप हज़रत ख्वाजा बाकी बिल्लाह आप रहमतुल्लाह अलैह की वफ़ात से दो साल क़ब्ल पैदा हुए, आप की विलादत एक रबीउल अव्वल 1010/ हिजरी यानि 13/ नवम्बर 1601/ ईसवी में हुई, आस्ताना आलिया के एक दुर्वेश को ख्वाब में बशारत की बिना पर आप का नाम सिलसिलए आलिया नक्शबंदिया के मशहूर बुज़रुग हज़रत ख्वाजा उबैदुल्लाह अहरार नक्शबंदी रहमतुल्लाह अलैह के नाम पर उबैदुल्लाह! रखा गया लेकिन ज़ियादा तर ख्वाजा कलां के नाम से मशहूर हुए, आप की विलादत से हज़रत ख़्वाजा बाक़ी बिल्लाह नक्शबंदी देहलवी रहमतुल्लाह अलैह! को बड़ी ख़ुशी हुई, आप ने इनकी विलादत पर अज़ानों इक़ामत और तस्मिया की निस्बत से आप ने कई अशआर फ़ारसी ज़बान में हज़रत ख़्वाजा बाक़ी बिल्लाह नक्शबंदी देहलवी रहमतुल्लाह अलैह! ने आप की तारीखे विलादत पर कहे थे।
तालीमों तरबियत
हज़रत ख्वाजा उबैदुल्लाह अल्मारूफ़ ख्वाजा कलां नक्शबंदी रहमतुल्लाह अलैह ने सने बूलूग में सिलसिलए नक्शबंदिया के राहे सुलूक की मंज़िलें हज़रत ख्वाजा शैख़ अल्लाह दाद रहमतुल्लाह अलैह से हासिल किए, और आप की शफकत और आप की बदौलत फ़ज़ीलत और सलाहियत से बहरावर हुए, तो आप हज़रत ख्वाजा हुस्सामुद्दीन रहमतुल्लाह अलैह ही के इमा यानि इशारे पर हज़रत ख्वाजा शैख़ अल्लाह से सिलसिलए आलिया नक्शबंदिया का तरीका सीखा और बैअतो मुहब्बतों की सआदत हासिल की, अपने बुज़ुर्गों की निस्बत से कामयाब हुए,
हमेशा हज़रत इमामे रब्बानी मुजद्दिदे अल्फिसानी शैख़ अहमद सरहिंदी फारूकी रहमतुल्लाह अलैह! के मुहब्बत और खिदमत के आरज़ू मंद रहे,
ज़ुब्दतुल मक़ामात! में हज़रत हाशिम कश्मी रहमतुल्लाह अलैह तहरीर फरमाते हैं: ये मखदूम ज़ादे हज़रत ख्वाजा उबैदुल्लाह अल्मारूफ़ ख्वाजा कलां नक्शबंदी रहमतुल्लाह अलैह अपनी शक्लो शबाहत में पूरी तरह अपने वालिद मुहतरम से मिलते थे, आप ने कुरआन पाक हिफ़्ज़ कर लिया, उलूमे अकलिया व नकलिया हासिल किए, ज़िक्र औराद मुराकिबा की तालीम हज़रत इमामे रब्बानी मुजद्दिदे अल्फिसानी शैख़ अहमद सरहिंदी फारूकी रहमतुल्लाह अलैह! से हासिल की, कई मर्तबा दीवाना वार आप दिल्ली से पैदल और सवारी में हज़रत इमामे रब्बानी मुजद्दिदे अल्फिसानी शैख़ अहमद सरहिंदी फारूकी रहमतुल्लाह अलैह! के आस्ताने पर हाज़िर हुए, सरहिंद में कई कई दिन हज़रत इमामे रब्बानी मुजद्दिदे अल्फिसानी शैख़ अहमद सरहिंदी फारूकी रहमतुल्लाह अलैह! की खिदमत में गुज़ारे ख़ास इल्तिफ़ात व तवज्जुहात हासिल की, शरहे मवाक़िफ़ और इल्मुल कलाम जैसे इल्मे कलाम की किताबें और सूफ़ियाए किराम के रसाइल भी आप ने पड़े हैं, हज़रत के खवास असरारो रुमूज़ भी बहुत हासिल किए है, कई बार खल्वतों में हज़रत इमामे रब्बानी मुजद्दिदे अल्फिसानी शैख़ अहमद सरहिंदी फारूकी रहमतुल्लाह अलैह! की ज़बान मुबारक से साहबज़ादों की तारीफ करते थे, और आप फरमाते थे, अल हम्दुलिल्लाह हमारे मखदूम ज़ादों में वो तमाम औसाफ़ पाए जाते हैं जिन की इस ज़माने में हज़रत ख्वाजा बाकी बिल्लाह रहमतुल्लाह अलैह के जानशीन के लिए ज़रुरत है।
वफ़ात
“अल्लाह रब्बुल इज़्ज़त की उन पर बेशुमार रहमत हो और उन के सदके में हमारी मगफिरत हो”
मज़ार मुबारक
आप का मज़ार मुकद्द्स दिल्ली शरीफ में हज़रत ख्वाजा बाकी बिल्लाह नक्शबंदी रहमतुल्लाह अलैह के मज़ार पाक से पूरब की जानिब है।
रेफरेन्स हवाला
- रहनुमाए मज़ाराते दिल्ली
- औलियाए दिल्ली की दरगाहें
- ज़ुुब्दतुल मक़ामात
- सीरते ख्वाजा बाकी बिल्लाह