हज़रत अल्लामा मुफ़्ती नक़ी अली खान

रईसुल अतकिया हज़रत अल्लामा मुफ़्ती नक़ी अली खान कादरी बरेलवी रदियल्लाहु अन्हु की ज़िन्दगी

विलादत शरीफ

सय्यदुल अतकिया, रईसुल मुता कल्लिमीन, ताजुल उलमा, रासुल फुज़्ला, हज़रत अल्लामा मुफ़्ती नक़ी अली खान बरेलवी रहमतुल्लाह अलैह! एक रजाबुल मुरज्जब 1246/ हिजरी बा मुताबिक़ 1830/ ईसवी ज़िला बरैली शरीफ के मोहल्ला ज़खीरा में हज़रत मौलाना रज़ा अली खान रहमतुल्लाह अलैह के घर पैदा हुए।

वालिद माजिद

सय्यदुल अतकिया हज़रत अल्लामा मुफ़्ती नक़ी अली खान कादरी बरेलवी रहमतुल्लाह अलैह! मुजद्दिदे आज़म आला हज़रत इमाम अहमद रज़ा मुहद्दिसे बरेलवी रदियल्लाहु अन्हु! के वालिद माजिद हैं, आप की अबकरि शख्सीयत नाबगाए रोज़गार थी, आप ज़बरदस्त आलिमे दीन, फकीहे अस्र, बहतीरिन मुसन्निफ़ (किताब लिखने वाला) और बड़े पाए के आशिके रसूल सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम थे, और हज़रत अल्लामा मुफ़्ती नक़ी अली खान कादरी रहमतुल्लाह अलैह! के वालिद माजिद इमामुल उलमा हज़रत मौलाना रज़ा अली खान रहमतुल्लाह अलैह! थे।

तालीमों तरबियत

आप ने जुमला उलूमो फुनून की तालीम अपने वालिद माजिद इमामुल उलमा हज़रत मौलाना रज़ा अली खान रहमतुल्लाह अलैह! थे से हासिल की, और इन्ही से दरसी उलूम से फरागत हासिल की, आप अय्यामे तिफ्ली बचपन से ही परहेज़गार और मुत्तक़ी थे, क्यों के आप इमामुल उलमा हज़रत मौलाना रज़ा अली खान रहमतुल्लाह अलैह! के ज़ेरे तरबियत रहे, जो नामवर और आरिफ़े बिल्लाह बुज़रुग! थे, जिन की परहेज़गारी का जोहर हज़रत अल्लामा मुफ़्ती नक़ी अली खान कादरी रहमतुल्लाह अलैह! को वर्से में मिला था, अल्लाह पाक ने आप को अपने हम असरों में मआशो मिआद में मुमताज़ फ़रमाया था, फ़ितरि शुजाअत के अलावा सखावत, तवाज़ोह, और इस्तगना, की सिफ़ात से मुत्तसिफ़ थे, अपनी उमरे अज़ीज़ को सुन्नत की इशाअत और बिदअत के रद्द में सर्फ़ किया, हज़रत अल्लामा मुफ़्ती नक़ी अली खान कादरी रहमतुल्लाह अलैह! के इल्मो फ़ज़्ल, इन की तबहहिर इल्मी और जामिईयत का अंदाज़ा मुजद्दिदे आज़म आला हज़रत इमाम अहमद रज़ा मुहद्दिसे बरेलवी रदियल्लाहु अन्हु! की इस हिदायत से लगाया जा सकता है, जो आप ने अपने शागिर्द मौलाना अहमद अशरफ किछौछवी को की थी, मुजद्दिदे आज़म आला हज़रत इमाम अहमद रज़ा मुहद्दिसे बरेलवी रदियल्लाहु अन्हु! बयान फरमाते हैं:
“रद्दे वहाबिया और इफ्ता ये दोनों ऐसे फन हैं के तिब की तरह ये भी सिर्फ पढ़ने से नहीं आते, इन में भी तबीब हाज़िक के मतब में बैठने की ज़रूरत है, में भी एक तबीब हाज़िक (हज़रत मौलाना नक़ी अली खान) के मतब में सात साल बैठा हूँ।

अख़लाक़ो आदात

मुजद्दिदे आज़म आला हज़रत इमाम अहमद रज़ा मुहद्दिसे बरेलवी रदियल्लाहु अन्हु! अपने वालिद माजिद के तज़किरे में तहरीर फरमाते हैं: फिरासते सादिका की ये हालत थी के जिस मुआमले में जो कुछ फ़रमाया वही ज़हूर में आया, अकले मआश व मिआद दोनों का बर वजह कमाले इज्तिमा बहुत कम सुना, यहाँ आँखों देखा, अलावा बरीं सखावत व शुजाअत व उलू हिम्मत व करम व मुरव्वत, व सद्काते ख़ुफ़िया व मुबराते जलीला बुलंद इकबाल व दबदबाए जलाल व मवालात फुकरा, और अम्र दीनी अदमे मबालात बा अगनिया, हुक्कमे उज़लत, रिज़्के मोरिस पर कनाअत वगेरा, फ़ज़ाइले जलीला व ख़ासाइले जमीला का हाल वही कुछ जानता है, जिस ने इस जनाब की बरकते सुहबत से शरफ पाया है।

आप का इश्के रसूल सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम

आप को हुज़ूर नबी करीम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम से कमाल दर्जे का इश्क था, एक बार बीमार हो गए, जिस की वजह नक़ाहत कमज़ोरी बहुत हो गई, महबूबे करीम हुज़ूर नबी करीम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने अपने फिदायी के जज़्बए मुहब्बत की लाज रखि और ख्वाब में ही एक प्याले में दवा इनायत फ़रमाई, जिस के पीने से इफ़ाक़ा (बिमारी के बाद ठीक होना) हुआ, और आप जल्द ही रू बा सेहत हो गए।

इजाज़तो खिलाफत

आप जमादीयुल आखिर 1294/ हिजरी में ख़ातिमुल अकाबिर हज़रत अल्लामा सय्यद शाह आले रसूल अहमदी ताजदारे मारहरा मुक़द्दसा रदियल्लाहु अन्हु की बारगाह में पहुचें, और इन से शरफ़े बैअत यानि मुरीदो खिलाफत से नवाज़ा गया और तमाम सलासिल जदीदह व क़दीमाह की इजाज़त व खिलाफत और सनादे हदीस! हासिल की।

ज़ियारते हरमैन शरीफ़ैन

26, शव्वालुल मुकर्रम 1295/ हिजरी को बावजूद शिद्दते अलालत व ज़ोफ़ नक़ाहत व कमज़ोरी खुद हुज़ूर नबी करीम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम के बुलाने के सबब (ख्वाब में आप को इशारा हुआ था) अज़्मे ज़ियारत व हज मुसम्मम फरमा लिया, हर चंद अर्ज़ की गई के अलालत की ये हालत है, आइंदा साल पर मुल्तवी फरमाईये, इरशाद फ़रमाया, मदीना तय्यबा के क़स्द से कदम दरवाज़े से बाहर रख लूँ फिर चाहे रूह उसी वक़्त परवाज़ कर जाए, मक्का शरीफ में हज़रत सय्यद अहमद ज़ैन दहलान मक्की रहमतुल्लाह अलैह! वगेरा उल्माए मक्का शरीफ से दोबारा इल्मे हदीस की सनद हासिल की।

आप की तसानीफ़

आप की 25/ क़ुतुब का ज़िक्र मुजद्दिदे आज़म आला हज़रत इमाम अहमद रज़ा मुहद्दिसे बरेलवी रदियल्लाहु अन्हु! ने फ़रमाया है, जिन में से चंद मशहूर ये हैं:

  1. अल कलामुल औज़ह तफ़्सीर सूरह अलम नशराह
  2. जवाहिरूल बयान
  3. एहसनुल वीआई फी आदाबे दुआ
  4. सुरुरुल क़ुलूब फी ज़िक्रे महबूब
  5. फज़लुल उलमा
हज़रत अल्लामा मुफ़्ती नक़ी अली रहमतुल्लाह अलैह! का निकाह

हज़रत अल्लामा मुफ़्ती नक़ी अली खान कादरी बरेलवी रहमतुल्लाह अलैह! की शादी मिर्ज़ा अस्फंद यार बेग लखनवी! की दुख्तर हुसैनी ख़ानम! के साथ हुइ थी, मिर्ज़ा अस्फंद यार बेग लखनवी! का आबाई मकान लखनऊ में था, मगर उन्होंने मआ अहलो अयाल बरैली में सुकूनत (रिहाइश) इख्तियार करली, और वो मस्लकन सुन्नी थे, मुन्दर्जा ज़ैल औलाद हज़रत अल्लामा मुफ़्ती नक़ी अली खान कादरी रहमतुल्लाह अलैह! की यादगार थीं:

  1. अहमदी बेगम ज़ौजाह मुहतरमा (बीवी) गुलाम दस्तगीर उर्फ़ मुहम्मद शेर खां खल्फ मुहम्मद इमरान खान
  2. मुजद्दिदे आज़म आला हज़रत इमाम अहमद रज़ा मुहद्दिसे बरेलवी रदियल्लाहु अन्हु!
  3. उस्ताज़े ज़मान हज़रत अल्लामा हसन रज़ा खान
  4. हिजाब बेगम ज़ौजाह मुहतरमा (बीवी) वारिस अली खान
  5. हज़रत मौलाना मुफ़्ती मुहम्मद रज़ा खां
  6. मुहम्मदी बेगम ज़ौजाह मुहतरमा (बीवी) किफ़ायतुल्लाह खान खल्फ अता उल्लाह खान रिद्वानुल्लाही तआला अलैहिम अजमईन

अहमदी बेगम

अहमदी बेगम मुजद्दिदे आज़म आला हज़रत इमाम अहमद रज़ा मुहद्दिसे बरेलवी रदियल्लाहु अन्हु से उमर में बड़ी थीं, जिन के दो फ़रज़न्द मौलाना अहमद अली खान! और मौलाना मुहम्मद अली खाना थे, और एक दुख्तर (बेटी) महमूदी जान! थीं, जिन का अक़्द निकाह मौलाना हश्मतुल्लाह खान तिलमीज़ अल्लामा मुफ़्ती नक़ी अली खान कादरी रहमतुल्लाह अलैह! के हमराह (साथ) हुआ था, मौलाना हश्मतुल्लाह खान अलीगढ़ में डिप्टी कलक्टर! थे, और रिटायर होने के बाद बरैली शरीफ में सुकूनत (रिहाइश) इख्तियार करली, थी, महमूदी जान! के एक बेटे मुहम्मद इस्हाक़ुल्लाह खान उर्फ़ प्यारे मियां बैरिस्टर पिरोफ़ैसर अली गढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी थे।

आला हज़रत इमाम अहमद रज़ा रदियल्लाहु अन्हु

हज़रत अल्लामा मुफ़्ती नक़ी अली खान कादरी बरेलवी रहमतुल्लाह अलैह! के फ़रज़न्दे अकबर इमाम अहमद रज़ा फाज़ले बरेलवी रदियल्लाहु अन्हु थे, जिन का निकाह शैख़ फ़ज़्ल हुसैन की दुख्तर (बेटी) “इरशाद बेगम” के हमराह हुआ था, शैख़ फ़ज़्ल हुसैन उस्मानी की ज़ौजाह मुहतरमा (बीवी) याकूति जान! थीं, जो गुलाम फरीद खान की दुख्तर (बेटी थीं, गुलाम फरीद खान गुलाम दस्तगीर खान के बेटे थे, और गुलाम दस्तगीर खान मुकर्रम खान! के बेटे थे, शहज़ादा मुकर्रम खान हज़रत मुअज़्ज़म खान के सब से छोटे भाई थे,

मुजद्दिदे आज़म आला हज़रत इमाम अहमद रज़ा मुहद्दिसे बरेलवी रदियल्लाहु अन्हु! के दो फ़रज़न्द थे, हुज़ूर हुज्जतुल इस्लाम हज़रत अल्लामा मुफ़्ती हामिद रज़ा खान रदियल्लाहु अन्हु, और दूसरे बेटे हुज़ूर सरकार मुफ्तिए आज़म हिन्द मुस्तफा रज़ा खान रदियल्लाहु अन्हु के नाम से यकताए रोज़गार हुए, हज़रत अल्लामा मुफ़्ती हामिद रज़ा खान रदियल्लाहु अन्हु, की शादी “कनीज़े आइशा” से हुई थी, जो हज़रत अल्लामा मुफ़्ती नक़ी अली खान कादरी रहमतुल्लाह अलैह! की दुख्तर (बेटी) थीं, इन की छेह 6/ औलादें हुईं:

  1. मुफ़स्सिरे आज़म हिन्द मौलाना इब्राहीम रज़ा उर्फ़ जिलानी मियां
  2. मौलाना हम्माद रज़ा खान उर्फ़ नोमानी मियां
  3. उम्मे कुलसूम ज़ौजाह मुहतरमा (बीवी) हक़ीम हुसैन रज़ा खान
  4. कनीज़े सुगरा ज़ौजाह मुहतरमा (बीवी) तक़द्दुस अली खान
  5. राबिया बेगम उर्फ़ नूरी ज़ौजाह मुहतरमा (बीवी) मशूहद अली खान
  6. (6)सलमा बेगम ज़ौजाह मुहतरमा (बीवी) मुशाहिद अली खान।

सरकार मुफ्तिए आज़म हिन्द मुस्तफा रज़ा खान रदियल्लाहु अन्हु

सरकार मुफ्तिए आज़म हिन्द मुस्तफा रज़ा खान रदियल्लाहु अन्हु का निकाह अपने चचा हज़रत मौलाना मुफ़्ती मुहम्मद रज़ा खान की दुख्तर “फातिमा बेगम” से हुआ था, जिन के एक फ़रज़न्द “अनवर रज़ा खान” 6/ जमादीयुल ऊला 1350/ हिजरी हफ्ते के दिन ज़ोहर के आखरी वक़्त में विलादत यानि पैदाइश हुई, एक साल आठ माह तीन दिन की उमर में 9/ मुहर्रमुल हराम 1352/ हिजरी की शब् में विसाल हुआ, और अपने दादा हज़रत अल्लामा मुफ़्ती नक़ी अली खान कादरी रहमतुल्लाह अलैह! की कदमो की जानिब दफ़न किए गए,

सरकार मुफ्तिए आज़म हिन्द मुस्तफा रज़ा खान रदियल्लाहु अन्हु की सात दुख्तर (बेटी) थीं, जिन में से एक “सफिय्या बेग़म” 1/ ज़िल हिज्जा 1348/ हिजरी को पैदा हुईं, और सात मुहर्रमुल हराम 1352, हिजरी में बरोज़ बुध बारह बजे दिन में इन्तिकाल हो गया, बकिया छेह 6/ साहबज़ादियों के असमाए गिरामी ये हैं: (1) निगार फातिमा (2) अनवार फातिमा (3) बरकाती बेगम (4) राबिया बेग़म (5) हाजरा बेग़म (6) शाकिरा बेगम।

आला हज़रत इमाम अहमद रज़ा रदियल्लाहु अन्हु की औलादे अमजाद

आला हज़रत इमाम अहमद रज़ा रदियल्लाहु अन्हु की पांच बेटियां थीं, मुस्तफ़ाई बेगम (2) कनीज़े हसन (3) कनीज़े हुसैन (4) कनीज़े हसनैन (5) मुर्तज़ाई बेगम

(1) मुस्तफ़ाई बेगम :- मुस्तफ़ाई बेगम का अक़्द निकाह हाजी शाहिद अली से हुआ था, जिन के बतन से अज़्ज़ो बीबी! थीं, जिन का अक़्द निकाह मौलाना सरदार अली खान उर्फ़ अज़्ज़ो मियां! से हुआ था, मुस्तफ़ाई बेग़म आला हज़रत इमाम अहमद रज़ा रदियल्लाहु अन्हु की हयात में ही फौत हो गईं थीं।

कनीज़े हसन :- कनीज़े हसन का अक़्द निकाह हमीदुल्लाह खान बिन अहमदुल्लाह खान बिन हाजी किफ़ायतुल्लाह खान रईसे आज़म पुराना शहर मुहल्लाह रोहिली टोला बरैली के साथ हुआ था, कनीज़े हसन की दो औलाद थीं, जिन में एक फ़रज़न्द अतीक़ुल्लाह खान उम्मीद ला वल्द फौत हुए, दुख्तर रिफ़अत बेगम का अक़्द खुर्शीद अली खान! वलद जमशेद अली खान वलद नवाब अहमदुल्लाह खान बिन हाजी किफ़ायतुल्लाह खान से हुआ था, रिफ़अत बेगम! की एक बेटी शफकत बेगम थीं।

कनीज़े हुसैन :- कनीज़े हुसैन का अक़्द निकाह हकीम हुसैन रज़ा खान इब्ने उस्ताज़े ज़मन हज़रत अल्लामा हसन रज़ा खान से हुआ था, हकीम हुसैन रज़ा खान की ज़िन्दगी का बेश्तर वक़्त अपनी खानदानी जाएदाद की देख भाल में गुज़रा, आप इंतिहाई हसीनो जमील शख्सीयत के मालिक थे, हकीम हुसैन रज़ा खान! के तीन बेटे थे, (1) मुर्तज़ा रज़ा खान, (2) इदरीस रज़ा खान, (3) जरजीस रज़ा खान।

कनीज़े हसनैन :- कनीज़े हसनैन का अक़्द निकाह मौलाना हसनैन रज़ा खान बिन उस्ताज़े ज़मन हज़रत अल्लामा हसन रज़ा खान के हमराह हुआ था, जिन से एक दुख्तर शमीम बनो पैदा हुईं, जिन का अक़्द जरजीस रज़ा खान इब्ने हकीम हुसैन रज़ा खान के हमराह हुआ था,

मुर्तज़ाई बेगम :- मुर्तज़ाई बेगम का अक़्द निकाह मजीदुल्लाह खान इब्ने अहमदुल्लाह खान इब्ने हाजी किफ़ायतुल्लाह खान रईसे आज़म पुराना शहर रोहेली टोला बरैली के हमराह हुआ, जिन के तीन फ़रज़न्द थे, (1) रईस मियां, (2) सईद मियां, (3) फरीद मियां, और दो बेटियां मुजतबाई बेगम, और मुक़्तदाई बेग़म थीं।

उस्ताज़े ज़मान हज़रत अल्लामा हसन रज़ा खान बरेलवी

हज़रत अल्लामा मुफ़्ती नक़ी अली खान कादरी बरेलवी रहमतुल्लाह अलैह! के फ़रज़न्दे औसत मंझले साहबज़ादे हज़रत अल्लामा हसन रज़ा खान बरेलवी रहमतुल्लाह अलैह! की शादी असगरी बेगम दुख्तर अलीमुल्लाह खान बिन शाह आज़म खान बिन बिन मुअज़्ज़म खान बिन सआदत यार खान बिन शुजाअत जंग मुहम्मद सईदुल्लाह खान के हमराह हुई थी, आप के बतन से तीन साहबज़ादे हुए, (1) हज़रत मौलाना हकीम हुसैन रज़ा खान (2) हज़रत मौलाना हसनैन रज़ा खान, (3) फारूक रज़ा खान पैदा हुए।

मौलाना हकीम हुसैन रज़ा खान

हज़रत मौलाना हकीम हुसैन रज़ा खान ने दो शादियां कीं थीं, पहली शादी मुजद्दिदे आज़म आला हज़रत इमाम अहमद रज़ा मुहद्दिसे बरेलवी रदियल्लाहु अन्हु! की दुख्तर कनीज़ हुसैन से हुई, जिन से तीन फ़रज़न्द (1) मुर्तज़ा रज़ा खान, (2) जरजीस रज़ा खान, (3) और इदरीस रज़ा खान, पैदा हुए, दूसरी ज़ौजाह मुहतरमा (बीवी) से उम्मे कुलसुम जो हज़रत अल्लामा मुफ़्ती हामिद रज़ा खान की साहबज़ादी थीं, जिन के बतन से एक बेटी गौसिया बेगम, और फ़रज़न्द यूनुस रज़ा खान पैदा हुए।

हज़रत मौलाना हसनैन रज़ा खान

हज़रत मौलाना हसनैन रज़ा खान रहमतुल्लाह अलैह! की पहली शादी मुजद्दिदे आज़म आला हज़रत इमाम अहमद रज़ा मुहद्दिसे बरेलवी रदियल्लाहु अन्हु! की दुख्तर कनीज़े हसनैन! से हुई, जिन से एक बेटी शमीम बनो पैदाई हुईं, पहली अहलिया मुहतरमा की वफ़ात के बाद हज़रत मौलाना हसनैन रज़ा खान रहमतुल्लाह अलैह! की शादी दूसरी बीवी मुनव्वरी बेगम! बिन्ते अब्दुल गनी खान बिन गरीब शाह खान के साथ हुई, जिन के बतन से तीन फ़रज़न्द और एक दुख्तर पैदा हुई,

फ़रज़न्दे अकबर अमीने शरीअत हज़रत मौलाना हकीम सिब्तैन रज़ा खान रहमतुल्लाह अलैह! थे, जो साहिबे औलाद थे, दावते रुश्दो हिदायत के सिलसिले में हिंदुस्तान के सूबा रायपुर छत्तीस गढ़! में मुकीम रहे, आप का शुमार अहले तक्वा तदय्युन परहेज़गारों में होता है।

हज़रत मौलाना हसनैन रज़ा खान रहमतुल्लाह अलैह! के फ़रज़न्दे औसत सदरुल उलमा मुहद्दिसे बरेलवी हज़रत अल्लामा मुफ़्ती तहसीन रज़ा खान रहमतुल्लाह अलैह! थे साहिबे औलाद थे, अपनी खानदानी रिवायात के अमीन व वारिस थे, इल्मो फ़ज़्ल में अपने अस्लाफ का नमूना थे, सरकार मुफ्तिए आज़म हिन्द मुस्तफा रज़ा खान रदियल्लाहु अन्हु ने अहले खानदान में सब से पहले आप को खिलाफत व इजाज़त से नवाज़ा था, आप के बेशुमार तलामिज़ाह आलिम, मुफ़्ती वगेरा हैं,
तीसरे फ़रज़न्द हज़रत मौलाना सूफी हबीब रज़ा खान रहमतुल्लाह अलैह! थे,

हिजाब बेगम

हज़रत अल्लामा मुफ़्ती नक़ी अली खान कादरी बरेलवी रहमतुल्लाह अलैह! की दूसरी बेटी हिजाब बेगम ज़ौजाह मुहतरमा (बीवी) वारिस अली खान के दो फ़रज़न्द और तीन बेटियां थीं, फ़रज़न्दे अकबर वाहिद अली खान थे, जिन की दुखतर कनीज़े रसूल का अक़्द निकाह मुज़फ्फर हुसैन बदायूनी से हुआ था, दूसरे फ़रज़न्द सरदार अली खान उर्फ़ अज़्ज़ो मियां, इनकी छेह 6/ औलादें हुईं, (1) इफ्तिखार अली खान, (2) सरशार अली खान, (3) रईसा बेगम, (4) ज़ाहिदा बेग़म, (5) और नजमा बेगम, (6) वाहिद अली खान, के बेटे माजिद अली खान थे, जो बरैली कॉलिज! में ऑफिस सुपरिन्टेन्डेन्ट थे,

हिजाब बेगम! की दुख्तर अव्वल कनीज़े खदीजा थीं, जिन का अक़्द निकाह अली अहमद खान इब्ने गुलाम दस्तगीर खान उर्फ़ शेर खान के हमराह हुआ था, ला वलद फौत हुईं, दूसरी बेटी कनीज़े आइशा! का अक़्द हज़रत मौलाना हामिद रज़ा खान खल्फ सरकार आला हज़रत इमाम अहमद रज़ा रहमतुल्लाह अलैह! से हुआ था, कनीज़े आइशा! के दो बेटे हुए, एक हज़रत अल्लामा इब्राहिम रज़ा खान उर्फ़ जिलानी मियां, और हम्माद रज़ा खान उर्फ़ नोमानी मियां ये पाकिस्तान चले गए।

मुफ़स्सिरे आज़म हिन्द इब्राहिम रज़ा खान

हज़रत मुफ़स्सिरे आज़म हिन्द इब्राहिम रज़ा खान रहमतुल्लाह अलैह! के पांच फ़रज़न्द और तीन बतियाँ थीं, (1) हज़रत मौलाना रेहान रज़ा खां (2) हज़रत तनवीर रज़ा खान आप मफ्कूदुल खबर हैं, (3) हुज़ूर ताजुश्शरिया मुफ़्ती अख्तर रज़ा खान रहमतुल्लाह अलैह! (4) हज़रत मौलाना डॉक्टर कमर रज़ा खां, (5) हज़रत मौलाना मन्नान रज़ा खान मन्नानी मियां,
बेटियों के नाम ये हैं: (1) सरफ़राज़ बेगम (2) सरताज बेगम (3) दिल शाद बेगम, हिजाब बेगम! की तीसरी बेटी कनीज़ फातिमा! का अक़्द निकाह सरदार वली खान इब्ने हकीम अली खान बिन तकी अली खान बिरादरे असगर इमामुल उलमा हज़रत अल्लामा रज़ा अली खान के साथ हुआ था, कनीज़ फातिमा! के चार बेटे और दो बेटियां थीं, फ़रज़न्दे अकबर हज़रत मौलाना तक़द्दुस अली खान थे, जिन की शादी हुज़ूर हुज्जतुल इस्लाम मुफ़्ती हामिद रज़ा खान रहमतुल्लाह अलैह! की बेटी से हुई थी, दूसरे साहबज़ादे हज़रत मुफ़्ती ऐजाज़ वली खान, तीसरे बेटे अब्दुल अली खान, और चौथे बेटे मुक़द्दस अली खान थे, कनीज़ फातिमा की दो बेटियां महबूब फातिमा, और हबीब फातिमा थीं।

मुफ़्ती मुहम्मद रज़ा खान उर्फ़ नंन्हे मियां

हज़रत अल्लामा मुफ़्ती नक़ी अली खान कादरी बरेलवी रहमतुल्लाह अलैह! के सब से छोटे शहज़ादे हज़रत मुफ़्ती मुहम्मद रज़ा खान उर्फ़ नंन्हे मियां थे, हज़रत मुफ़्ती मुहम्मद रज़ा खान उर्फ़ नंन्हे मियां की शादी सकीना बेगम! दुख्तर गुलाम अली खान साकिन ख्वाजा क़ुतुब बरैली से हुई हज़रत मुफ़्ती मुहम्मद रज़ा खान उर्फ़ नंन्हे मियां रहमतुल्लाह अलैह! की एक बेटी फातिमा बेगम! थीं, जिन का अक़्द निकाह सरकार मुफ्तिए आज़म हिन्द मुस्तफा रज़ा खान रदियल्लाहु अन्हु से हुआ ।

मुहम्मदी बेगम

हज़रत अल्लामा मुफ़्ती नक़ी अली खान कादरी बरेलवी रहमतुल्लाह अलैह! की सब से छोटी बेटी मुहम्मदी बेगम! थीं, चूंके बहनो में सब से छोटी थीं, इस लिए इन की परवरिश बड़े ही लाडो प्यार से हुई, दोनों बड़ी बहनें हिजाब बेगम, और अहमदी बेगम, इन से बहुत मुहब्बत करती थीं, मुहम्मदी बेगम बहुत शगुफ्ता मिजाज़ और मिलनसार थीं, शुरू ही से वालिदा और दोनों बहनो के नक़्शे कदम को इख्तियार किया, इन की शादी जनाब किफ़ायतुल्लाह खान खल्फ अताउल्लाह खान से हुई, मगर अभी कोई औलाद ना होने पाई थी के ऐन आलमे शबाब में अल्लाह को प्यारी हो गईं।

विसाल

हज़रत अल्लामा मुफ़्ती नक़ी अली खान कादरी बरेलवी रहमतुल्लाह अलैह! ज़िल क़ाइदा की आखरी तारिख 1297/ हिजरी बरोज़ जुमेरात ज़ोहर के वक़्त विसाल फ़रमाया।

मज़ार मुबारक

आप का मज़ार मुकद्द्स सिटी स्टेशन कब्रिस्तान सिविल लाइन ज़िला बरैली शरीफ यूपी इंडिया में ज़ियारत गाहे ख़ल्क़ है, ।

“अल्लाह रब्बुल इज़्ज़त की उन पर बेशुमार रहमत हो और उन के सदके में हमारी मगफिरत हो”

रेफरेन्स हवाला

  • तजल्लियाते ताजुश्शरिया
  • फ़ैज़ाने आला हज़रत
  • सीरते आला हज़रत
  • तज़किराए खानदाने आला हज़रत
  • तज़किराए जमील

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