हज़रत मौलाना शैख़ ख्वाजगी चिश्ती देहलवी रहमतुल्लाह अलैह की ज़िन्दगी

हज़रत मौलाना शैख़ ख्वाजगी चिश्ती देहलवी रहमतुल्लाह अलैह की ज़िन्दगी

विलादत

सुल्तानुल फुकहा अफ़सोस की आप की तारीखे पैदाइश ना मिल सकी, हज़रत मौलाना शैख़ ख्वाजगी बिन मुहम्मद चिश्ती देहलवी रहमतुल्लाह अलैह! दिल्ली में पैदा हुए और यहीं नशु नुमा पाई, हज़रत शैख़ मोईनुद्दीन उमरानी रहमतुल्लाह अलैह के सामने ज़ानूए तलम्मुज़ तह किया और इन से इल्मे फ़िक़्ह, व उसूल, और उलूमे अरबिया की तालीम हासिल की, इन तमाम उलूम में आप दर्जाए इज्तिहाद को पहुंचे, आप का शुमार नवी सदी हिजरी के जलीलुल क़द्र उल्माए किराम व मशाइखे तरीकत में होता था, आप मस्लकन हनफ़ी! थे,
तवील अरसे तक मुल्के हिन्द की राजधानी देहली! शरीफ में दरसो तदरीस व रुश्दो हिदायत की तब्लीग करते रहे, उस ज़माने में बेशुमार लोगों ने आप से इल्मे दीन हासिल किया उन में हज़रत मलिकुल उलमा काज़ी शहाबुद्दीन दौलत आबादी रहमतुल्लाह अलैह! का नामे नामी इस्मे गिरामी बहुत मश्हूरो मारूफ है।

खिलाफ़तो इजाज़त

हज़रत मौलाना शैख़ ख्वाजगी चिश्ती देहलवी रहमतुल्लाह अलैह! जहाँ आप एक जय्यद आलिमे दीन थे, वहीँ पर आप तसव्वुफो तरीकत व मारफत से भी कलबी लगाओ रखते थे, और आप ने हज़रत ख्वाजा नसीरुद्दीन महमूद रोशन चिराग देहलवी चिश्ती रहमतुल्लाह अलैह! से फ़ैज़ो बरकात हासिल कर के खिलाफ़तो इजाज़त हासिल की।

हिंदुस्तान पर हमला

हज़रत मौलाना शैख़ ख्वाजगी चिश्ती देहलवी रहमतुल्लाह अलैह! दिल्ली ही में थे के हज़रत सय्यद ख्वाजा बंदानवाज़ गेसूदराज़ चिश्ती गुलबर्ग्वी रहमतुल्लाह अलैह! ने ख्वाब देखा के अनक़रीब हिंदुस्तान पर मुग़ल हमला करेंगें जो खेती बड़ी को तबाह और मालो मवेशी को हलाक कर देंगें और बेशुमार लोगों को क़त्ल का देंगें,
तैमूर ने 801, हिजरी में हिंदुस्तान पर हमला किया और वही सब कुछ हुआ जो उन्होंने ख्वाब में देखा था, ख्वाब के अलावा मौलाना के लिए हालात भी कुछ ऐसे पैदा हो गए थे, ये ख्वाब उन्होंने हज़रत मौलाना शैख़ ख्वाजगी चिश्ती देहलवी रहमतुल्लाह अलैह! से बयान किया तो वो अपने तिलमीज़े रशीद हज़रत मौलाना शहाबुद्दीन दौलत आबादी रहमतुल्लाह अलैह को साथ ले कर दिल्ली से कालपी शरीफ चले गए, हज़रत मौलाना शैख़ ख्वाजगी चिश्ती देहलवी रहमतुल्लाह अलैह! तो कालपी शरीफ ही सुकूनत पज़ीर हो गए मगर हज़रत मौलाना शहाबुद्दीन दौलत आबादी रहमतुल्लाह अलैह जौनपुर तशरीफ़ ले गए, जौनपुर के तख़्त पर सुल्तान इब्राहीम शरकी मुतमक़्क़िन था जो बड़ा नेक दिल आदिल और इल्म व उल्माए किराम का अदबो एहतिराम करने वाला था,
इस ने हज़रत मौलाना शहाबुद्दीन दौलत आबादी रहमतुल्लाह अलैह की इल्मी लियाकत काबिलियत से मुतअस्सिर होकर इन को शहर जौनपुर! का क़ाज़ी! मुकर्रर कर दिया, इस ने कई बार हज़रत मौलाना शैख़ ख्वाजगी चिश्ती देहलवी रहमतुल्लाह अलैह! से मुस्तकिल तौर से जौनपुर में सुकूनत इख़्तियार करने की दरख्वास्त की, वो इन के कहने पर जौनपुर तो गए कुछ अरसा के बाद वापस कालपी शरीफ तशरीफ़ ले आए और बाकि ज़िन्दगी यहीं गुज़री।

देहली शरीफ में आप के मामूलात

हज़रत मौलाना शैख़ ख्वाजगी चिश्ती देहलवी रहमतुल्लाह अलैह! जिस ज़माने में दिल्ली में हज़रत मौलाना मोईनुद्दीन उमरानी से तालीम हासिल करते थे, आप के मामूलात थे के दर्स के बाद हज़रत ख्वाजा नसीरुद्दीन महमूद रोशन चिराग देहलवी चिश्ती रहमतुल्लाह अलैह! की खिदमत में जाते थे, लेकिन हज़रत मौलाना मोईनुद्दीन उमरानी इस आम मुखालिफत की वजह से जो उल्माए दीन को फुकरा व सूफ़ियाए किराम से होती है हज़रत ख्वाजा नसीरुद्दीन महमूद रोशन चिराग देहलवी चिश्ती रहमतुल्लाह अलैह! के माकामो मनसब के काइल ना थे।

हज़रत मौलाना उमरानी चिराग देहलवी के दरबार में

एक बार हज़रत मौलाना मोईनुद्दीन उमरानी को शदीद खांसी हुई के मुआलिजों तबीबों ने ला इलाज कह दिया और वो ज़िन्दगी से मायूस हो गए, ये सूरते हाल देख कर हज़रत मौलाना शैख़ ख्वाजगी चिश्ती देहलवी रहमतुल्लाह अलैह! ने उस्ताज़ से अर्ज़ की,
मख़्दूमे गिरामी: इस में क्या मुज़ाइका है के आप हज़रत ख्वाजा नसीरुद्दीन महमूद रोशन चिराग देहलवी चिश्ती रहमतुल्लाह अलैह! की मुलाकात के लिए तशरीफ़ ले चलें, उन से दुआ की दरख्वास्त की जाए, मुमकिन है के उन की नज़रे करम से सेहतयाब हो जाए, पहले तो मौलाना ने ये मश्वरा कबूल नहीं किया, मगर जब बीमारी ज़ियादा बढ़ी परेशान हुए तो रज़ा मंदी ज़ाहिर की और हज़रत ख्वाजा नसीरुद्दीन महमूद रोशन चिराग देहलवी चिश्ती रहमतुल्लाह अलैह! से मिलने के लिए रवाना हो गए, दरवाज़े से निकल कर अभी खानकाह ही में पहुंचे थे, के हज़रत ख्वाजा नसीरुद्दीन महमूद रोशन चिराग देहलवी चिश्ती रहमतुल्लाह अलैह! घर गए और खाना चावल और दही मंगवाया और मौलाना! के सामने रखा, ज़ाहिर है के ये दोनों चीज़ें खांसी के मरीज़ वाले शख्स के लिए मुज़िर नुकसान देती हैं, इस लिए मौलाना ने इंकार किया मगर हज़रत ख्वाजा नसीरुद्दीन महमूद रोशन चिराग देहलवी चिश्ती रहमतुल्लाह अलैह! ने सख्त इसरार के साथ खाना उनकी तरफ बढ़ाते हुए कहा बिस्मिल्लाह पढ़कर खाना खा लीजिए उन्होंने खाना शुरू किया मगर जब दस्तर ख्वान से उठे तो खांसी से बहुत ज़ोर पकड़ा शैख़ ने तशत मंगवाया और वो तमाम बलगमी माद्दा जिससे खांसी होती थी बाहर निकल आया और हज़रत मौलाना शैख़ ख्वाजगी चिश्ती देहलवी रहमतुल्लाह अलैह! के उस्ताज़ इस तौर से सेहतयाब हो गए,
इस वाकिए के बाद हज़रत मौलाना मोईनुद्दीन उमरानी का हज़रत ख्वाजा नसीरुद्दीन महमूद रोशन चिराग देहलवी चिश्ती रहमतुल्लाह अलैह! की मुलाकात से इंकार इरादत मंदी में बदल गया और हज़रत मौलाना मोईनुद्दीन उमरानी को शैख़! से बे इंतिहा अक़ीदतो मुहब्बत पैदा हो गई।

मकामो मनसब

हज़रत मौलाना शैख़ ख्वाजगी चिश्ती देहलवी रहमतुल्लाह अलैह! का शुमार नवी सदी हिजरी के बर्रे सगीर के उन मुमताज़ फुकहाए किराम में होता है, जिन का फैज़ान उन के सिलसिलए तलम्मुज़ से अबतक हो रहा है, वो उमर भर दरसो तदरीस में मशगूल रहे और तलबा को इल्मे फ़िक़्ह और दीगर उलूमे अरबिया की तालीम से बहरा मंद करते रहे,

विसाल

आप का विसाल 809, हिजरी में हुआ और शहर कालपी में वफ़ात पाई।

मज़ार शरीफ

आप का मज़ार मुबारक कालपी शरीफ ज़िला जालौन कानपूर यूपी में ज़ियारत गाहे ख़ल्क़ है।

“अल्लाह रब्बुल इज़्ज़त की उन पर बेशुमार रहमत हो और उन के सदके में हमारी मगफिरत हो”

रेफरेन्स हवाला

  • ख़ज़ीनतुल असफिया
  • मिरातुल असरार
  • अख़बारूल अखियार
  • आइनाए कालपी
  • तज़किरा शीराज़े हिन्द जौनपुर

Share this post