हज़रत मौलाना तौसीफ रज़ा खान कादरी बरकाती बरेलवी मद्दा ज़िल्लू हुल आली की ज़िन्दगी

हज़रत मौलाना तौसीफ रज़ा खान कादरी बरकाती बरेलवी मद्दा ज़िल्लू हुल आली की ज़िन्दगी

नसब नाम

आलमी मुबल्लिगे इस्लाम, सय्याहे यूरपो एशिया, फखरे खिताबत, नाज़िशे सुन्नियत, नबीरए आला हज़रत, जानशीने रेहाने मिल्लत हज़रत मौलाना अल हाज अश्शाह मुहम्मद तौसीफ रज़ा खान कादरी बरकाती नूरी रज़वी हामिदी मुस्तफ़वी बिन, मौलाना रेहान रज़ा बिन, मुफ़स्सिरे आज़म हिन्द मौलाना इब्राहीम रज़ा खान जिलानी बिन, हुज्जतुल इस्लाम मुफ़्ती हामिद रज़ा खान बिन, इमाम अहमद रज़ा खान फाज़ले बरेलवी बिन, अल्लामा मुफ़्ती नकी अली खान बिन, अल्लामा रज़ा अली खान बिन, हाफ़िज़ काज़िम अली खान बिन, मुहम्मद आज़म खान बिन, सआदत यार खान बिन, शुजाअत जंग मुहम्मद सईदुल्ल्ह खान रिद्वानुल्लाही तआला अलैहिम अजमईन।

विलादत शरीफ

हज़रत मौलाना तौसीफ रज़ा खान कादरी बरकाती मद्दा ज़िल्लू हुल आली! मोहल्ला पुराना शहर! बरैली शरीफ यूपी में 5/ जून 1962/ ईसवी को पैदा हुए, और कालल्लाह व कालर रसूल की रूह अफ़ज़ा सदा में आप की परवरिश हुई, कुछ अय्याम वहां रह कर मुहल्लाह सौदागिरान आस्ताना मुक़द्दसा रज़विया आ गए, और यहीं मुस्तकिल रहने लगे, । नबीरए आला हज़रत,

तालीमों तरबियत

हज़रत मौलाना तौसीफ रज़ा खान कादरी बरकाती मद्दा ज़िल्लू हुल आली! ने अहदे तिफ्ली (बचपन) का ज़माना वालिदा माजिदा और वालिद मुहतरम हज़रत मौलाना रेहान रज़ा खान रहमतुल्लाह अलैह के आगोश में गुज़ारा, खानदाने रज़ा का इल्मो फ़ज़्ल शोकतो जलाल और दीनदारी मशहूर है, चौदवी सदी हिजरी से आज तक इसी खानदान के इल्म के चरचे हो रहे हैं, माँ पारसा, बाप, नबीरए आला हज़रत, रेहाने मिल्लत! इस लिए इन की ज़िन्दगी का असर होनहार फ़रज़न्द पर भी ज़ाहिरो बाहिर हुआ,

जब कुछ शऊर हुआ तो वालिद माजिद ने रस्मे बिस्मिल्लाह ख्वानी अदा कराइ, “दारुल उलूम मन्ज़रे इस्लाम” बरैली में दाखिला करा दिया, दर्जाए हिफ़्ज़ के मुदर्रिस हाफ़िज़ आबिद हुसैन रज़वी ने हज़रत मौलाना तौसीफ रज़ा खान कादरी बरकाती मद्दा ज़िल्लू हुल आली! की सलाहीयत देख कर बड़ी तवज्जुह और इनहिमाक के साथ तालीम दी, वालिद मुहतरम की राये के मुताबिक़ खत्मे कुरआन नाज़रा! के बाद दरसे निज़ामी! की तरफ माइल हो गए, हज़रत मौलाना तौसीफ रज़ा खान कादरी बरकाती मद्दा ज़िल्लू हुल आली! अपनी ज़हानत से थोड़े आरसे में आमद नामा! मिज़ानुस सर्फ़! और नुहमीर, वगेरा पढ़लीं, मदरसा “हश्मतुर रज़ा” पीलीभीत में हज़रत मौलाना तौसीफ रज़ा खान कादरी बरकाती मद्दा ज़िल्लू हुल आली! ने दरसे निज़ामी की मुख्तलिफ किताबें पढ़ीं, खास तौर से फन्ने तजवीद व किरात! मुकम्मल किया,

आला तालीम के लिए हज़रत मौलाना तौसीफ रज़ा खान कादरी बरकाती मद्दा ज़िल्लू हुल आली! “दारुल उलूम फैज़ुर रसूल” बराऊँ शरीफ यूपी तशरीफ़ ले गए, इस के बाद “दारुल उलूम गरीब नवाज़” इलाहबाद और मदरसा अंदर कोट मेरठ का भी सफर किया, हिंदुस्तान के मशाहीर अजल उलमाए किराम व फुज़्ला से इक्तिसाबे फैज़ किया।

दस्तार बंदी

हज़रत मौलाना तौसीफ रज़ा खान कादरी बरकाती मद्दा ज़िल्लू हुल आली! ने दौरए हदीस शरीफ के लिए “दारुल उलूम मन्ज़रे इस्लाम” के कुहना मश्क असातिज़ाए किराम के सामने ज़ानूए अदब तह किया, और 1980/ ईसवी को “दारुल उलूम मन्ज़रे इस्लाम” के जलसे के जलसए दस्तारे फ़ज़ीलत के अहम मौका पर उल्माए किराम व मशाइखे इज़ाम की मौजूदगी में दस्तारे फ़ज़ीलत से नवाज़ा गया।

असातिज़ाए किराम

  1. वालिद मुहतरम रेहाने मिल्लत हज़रत अल्लामा रेहान रज़ा खान कादरी रहमानियाँ
  2. इमामुन नोह हज़रत अलमा व मौलाना गुलाम जिलानी मेरठी
  3. मुनाज़िरे इस्लाम हज़रत अल्लामा मुफ़्ती मुहम्मद मुशाहिद रज़ा हशमती पीलीभीती
  4. उस्ताज़ुल असातिज़ह हज़रत मुफ़्ती बदरुद्दीन अहमद रज़वी गोरखपुरी
  5. शैखुल मुहद्दिसीन हज़रत अल्लामा सय्यद मुहम्मद आरिफ रज़वी नानपारा यूपी
  6. शैखुल माकुलात हज़रत अल्लामा मुहम्मद नईमुल्लाह खान रज़वी बस्तवी
  7. मम्बए इल्म हज़रत अल्लामा बहाउल मुस्तफा रज़वी अमजदी आज़मी
  8. हज़रत मौलाना अब्दुल खालिक रज़वी पूरनपुरी
  9. हज़रत मौलाना ख़लीलुर रहमान रज़वी
  10. हज़रत मौलाना अब्दुल गफूर रज़वी बिहारी
  11. हज़रत मौलाना इनामुल्लाह रज़वी बरेलवी
  12. फकीहे मिल्लत हज़रत मुफ़्ती जलालुद्दीन अहमद अमजदी बस्तवी

बैअतो खिलाफत

बहरे फसाहत के गोहर अबदार, मैदाने खिताबत के अज़ीम शहसवार, हज़रत मौलाना तौसीफ रज़ा खान कादरी बरकाती मद्दा ज़िल्लू हुल आली! ने हुज़ूर मुफ्तिए आज़म हिन्द मुस्तफा रज़ा खान रहमतुल्लाह अलैह! से खुसूसी निस्बते बैअत व खिलाफत का ज़िक्र कुछ इस तरह किया,

एक बड़े हाल में (गालिबन खानकाहे रजविया की छत) हुज़ूर मुफ्तिए आज़म हिन्द मुस्तफा रज़ा खान रहमतुल्लाह अलैह! और मशाइखे इज़ाम व दीगर उल्माए किराम एक तक़रीब में जमा थे, हुज़ूर मुफ्तिए आज़म हिन्द मुस्तफा रज़ा खान बरेलवी रहमतुल्लाह अलैह! की मौजूदगी में मुझे भी तकरीर करने का मौका मिला, अल्हम्दुलिल्लाह! फ़कीर ने इस मुबारक महफ़िल में तकरीबन चालीस मिनट तकरीर की, हुज़ूर मुफ्तिए आज़म हिन्द मुस्तफा रज़ा खान बरेलवी रहमतुल्लाह अलैह! ने तकरीर समाअत फरमा कर दुआओं से नवाज़ा, और बरसरे महफ़िल तमाम सलासिल सिलसिलए आलिया कादिरिया बरकातिया रज़विया में इजाज़त व खिलाफत अता की, हज़रत मौलाना तौसीफ रज़ा! बचपन ही से हुज़ूर मुफ्तिए आज़म हिन्द मुस्तफा रज़ा खान बरेलवी रहमतुल्लाह अलैह! के दस्ते हक परस्त पर बैअत हो चुके थे, मज़ीद आप को मुन्दर्जा ज़ैल मशाइखे इज़ाम से इजाज़त हासिल है,

  1. क़ुत्बे मदीना शैख़े अरब व अजम हज़रत अल्लामा मुफ़्ती ज़ियाउद्दीन रज़वी मदनी
  2. बुरहाने मिल्लत हज़रत अल्लामा मुफ़्ती अब्दुल बाकी बुहानुल हक रज़वी जबलपुरी
  3. अहसनुल उलमा हज़रत मौलाना सय्यद मुस्तफा हैदर हसन मियां बरकाती सज्जादा नशीन खानकाहे मारहरा मुक़द्दसा ऐटा
  4. रेहाने मिल्लत क़ाइदे आज़म हज़रत अल्लामा रेहान रज़ा कादरी उर्फ़ रहमानी मियां बरेलवी रिद्वानुल्लाही तआला अलैहिम अजमईन।

तब्लीगी अस्फार

हज़रत मौलाना तौसीफ रज़ा खान कादरी बरकाती मद्दा ज़िल्लू हुल आली! की सारी ज़िन्दगी सेरो सियाहत में गुज़री है, तबलीग़े अहले सुन्नत वल जमात, वाइज़ो तकरीर, तब्लीगी सफर, रुश्दो हिदायत, और पनदो नसाहे आप का महबूब मशगला है, हज़रत मौलाना तौसीफ रज़ा खान कादरी बरकाती मद्दा ज़िल्लू हुल आली! ने 1989/ में पाकिस्तान का पहला सफर किया, इस के बाद इसी सन में श्रीलंका का दौरा किया, इस के बाद सिंगापूर, थाई लेंड, मलेशिया, और जापान वगेरा का तवील सफर किया।

हज्जो ज़ियारत

1980/ में पहला हज किया, इस के साथ साथ मॉरीशस, रियोन, शीनतल, मूज़्बिक का दौरा करते हुए वापसी पर फिर दूसरे हज के फ़राइज़ अंजाम दिए, 1984/ ईसवी में उमरा! किया, और सिंगापूर तशरीफ़ ले गए, तीसरे हज के दौरान मुल्के ईराक, कर्बला, कोयत, दुबई, का तब्लीगी दौरा फ़रमाया,

1989/ ईसवी के दौरे में इंग्लैंड, होलेंड, नारवे, अमरीका, बैल जीयम, खिरमफट, सुरीनाम, और बंग्ला देश, के सफर किए, इन्ही मुल्के में हज़ारों की तादाद में लोगों ने अपना हाथ हज़रत मौलाना तौसीफ रज़ा खान कादरी बरकाती मद्दा ज़िल्लू हुल आली! के हाथ में दे कर शरफ़े बैअत हासिल किया, और उल्माए किराम ने सनादे खिलाफत भी हासिल की, आप पूरी दुनियाए सुन्नियत में एक अज़ीम सहाफी, फसीहुल बयान खतीब, मुमताज़ शायर के नाम से जाने पहचाने जाते हैं, हज़रत मौलाना तौसीफ रज़ा खान कादरी बरकाती मद्दा ज़िल्लू हुल आली! कई खूबियों के मालिक हैं।

शेरो शायरी

नात गोई अज़ीम सआदत है, और ये सआदत जिस को नसीब है वो बड़ा फ़िरोज़ मंद है, हज़रत मौलाना तौसीफ रज़ा खान कादरी बरकाती मद्दा ज़िल्लू हुल आली! शायरी से भी शग़फ़ रखते हैं, तौसीफ! तखल्लुस रखते हैं, हज़रत ने रिवायती क़दरों की पासदारी के साथ जदीद क़दरों से भी नात को हमकिनार किया है, जैसे उनका ये शेर तग़ज़्ज़ुल की कैफियत को बरक़रार रखते हुए नात के इम्तेयाज़ को वाज़ेह तौर पर बयान करता है,
फूल गुलशन में मुस्कुराने को आप का इन्तिज़ार करते हैं
ये शेर जिस में इन्होने नात पाक की इफ़ादियत पर रौशनी डालते हुए खूबसूरत पैराए में कहा है
सना ख्वानी के पाकीज़ह सफर में मुझे लफ़्ज़ों का लश्कर मिल गया
हज़रत मौलाना तौसीफ रज़ा खान कादरी बरकाती मद्दा ज़िल्लू हुल आली! मोजिज़ात के मज़ामीन भी खूबसूरती के साथ बांधने में कामयाब नज़र आते हैं, मुलाहिज़ा कीजिए ,

जो इक सागर में रख दें मुस्तफा दस्ते मुबारक
तो उबलें नूर के चश्मे हर इक सरशार हो जाए

अल्लाह रब्बुल इज़्ज़त गुलशने रज़वियत के हर फूल को तरो ताज़ा रखे, और रुश्दो हिदायत का सिलसिला मरकज़े अहले सुन्नत बरैली शरीफ से ता क़यामत जारी रहे, अमीन।

रेफरेन्स हवाला

  • तज़किराए खानदाने आला हज़रत

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