हज़रत क़ाज़ी ज़ियाउद्दीन उर्फ़ शैख़ जिया रदियल्लाहु अन्हु की ज़िन्दगी

खानए दिल को ज़िया दे रूए ईमा को जमाल
शाह ज़िया मौला जमालुल औलिया के वास्ते

आप की विलादत

आप की विलादत मुक़द्दसा “कस्बा नियुतिनी” ज़िला लखनऊ यूपी इण्डिया में 925, हिजरी मुताबिक 1519, ईसवी को हुई।

इस्म शरीफ

आप का इस्मे गिरामी “ज़ियाउद्दीन उर्फ़ शैख़ जिया” है।

आप के वालिद माजिद

आप के वालिद माजिद का नाम हज़रत सुलेमान बिन सलूनि रदियल्लाहु अन्हु है।

आप की तालीमों तरबियत

आप की इब्तिदाई शुरू की तालीम घर पर ही हुई, इस के बाद आप ने गुजरात का सफर इख़्तियार फ़रमाया और वहां हज़रत अल्लामा वजीहुद्दीन बिन नसरुल्लाह अल्वी रहमतुल्लाह अलैह की खिदमत में हाज़िर हुए और इन से उलूमे दीनिया हासिल फरमाए, और इसी दौरान तालीमी वक़्त में हज़रत अल्लामा वजीहुद्दीन अल्वी रहमतुल्लाह अलैह ने अपनी बेटी का निकाह आप से कर दिया जिस का वाक़िआ इस तरह है।

आप का निकाह

आप हज़रत अल्लामा वजीहुद्दीन अल्वी रहमतुल्लाह अलैह की बारगाह में तालीम हासिल करने लगे उस्तादे मुहतरम की दुख्तरे नेक अख्तर शदीद मर्ज़ में गिरफ्तार थी और तमाम अतिब्बा (डॉक्टर) इलाज करने से आजिज़ आ गए थे शैख़ की परेशानी देख कर आप को हंसी आ गई, तलबा ने हसने की वजह पूछी तो आप ने फ़रमाया: अगर उस्तादे मुहतरम मेरा सबक तुम लोगों के सबक से पहले मुअय्यन कर दें तो में इस “जिन्न” को हज़रत उस्ताद मुहतरम की दुख्तर (बेटी) और तमाम अहले खाना से दूर करदूँ! उस्ताज़ ने आप की दरख्वास्त मंज़ूर कर ली और आप ने दुआ फ़रमाई जिससे हज़रत शैख़ की दुख्तरे नेक अख्तर तंदुरुस्त व सेहत हो गई हज़रत उस्ताद ने खुश हो कर अपनी बेटी का निकाह आप से फ़रमा दिया, इस के बाद एक अरसे तक आप का क़याम गुजरात में रहा।

आप के उस्तादे मुहतरम की शानो अज़मत

हज़रत अल्लामा शैख़ वजीहुद्दीन अल्वी गुजरती रहमतुल्लाह अलैह के बारे में हज़रत अल्लामा अब्दुल कादिर बदायूनी (मुतवफ़्फ़ा 1004, हिजरी) “मुन्तखाबुत तवारिख” में फरमाते हैं के आप ने अपने इल्मों फ़ज़्ल का दरिया अहमदाबाद गुजरात में बहाया पूरी ज़िन्दगी दरस व तदरीस में गुज़ारी आप एक जय्यद आलिमे दीन थे, के शायद ही कोई दरसी किताब छोटी या बड़ी हो जिस की आप ने शरह, या हाशिया, न लिखा हो, जैसा के हाशिया तफ़्सीर बैज़ावी, हाशिया तलवीह, हाशिया शरह अक़ाइद तफ़ताज़ानि, हाशिया शर अक़ाइद, वगेरा वगेरा, लेकिन लोग इन्हें एक वली मानते थे।

आप के फ़ज़ाइलो कमाल

शहंशाए विलायत, ताजदारे अरबाबे विलायत, आज़में अस्हाबे हिदायत, सूफी कामिल, हज़रत क़ाज़ी ज़ियाउद्दीन उर्फ़ शैख़ जिया रदियल्लाहु अन्हु आप सिलसिलए आलिया क़दीरिया रज़विया के अठ्ठाईसवें 28, इमाम व शैख़े तरीकत हैं, आप मुरीद व खलीफा हज़रत शैख़ निज़ामुद्दीन शाह भिकारी बादशाह रहमतुल्लाह अलैह के हैं, आप अहवाले तौबा व इबादत व तसर्रुफ़ कसीरा रखते थे आप ने उलूमे ज़ाहिरी हज़रत अल्लामा शैख़ वजीहुद्दीन अल्वी गुजरती रहमतुल्लाह अलैह से हासिल फरमाए, और बातनि उलूम हज़रत शैख़ मुहम्मद बिन युसूफ करशी बुरहान पूरी रहमतुल्लाह अलैह से भी हासिल फरमाए, आप मशरब क़ादरी रखते थे और ये वास्ता आप का हज़रत सय्यदना गौसे आज़म रहमतुल्लाह अलैह तक पहुँचता है, हज़रत शाह तुराब अली कलन्दरी रहमतुल्लाह अलैह ने अपनी शुहराए आफ़ाक़ तस्नीफ़ “किशाफ़ुल मुतावारी” में आप के मुतअल्लिक़ तहरीर फ़रमाया है: आप साहिबे तहक़ीक़ व साहिबे बातिन व साहिबे कश्फ़े करामात थे, और आप हज़रत अल्लामा शैख़ वजीहुद्दीन अल्वी गुजरती रहमतुल्लाह अलैह के दामाद भी हैं |

हज़रत खिज़र अलैहिस्सलाम से आप ने फैज़ हासिल किया

हज़रत क़ाज़ी ज़ियाउद्दीन उर्फ़ शैख़ जिया रदियल्लाहु अन्हु आप कसबे इल्म की गरज़ से खुर्द साली में अपने वतन से निकले और अहमदाबाद गुजरात के जंगल में राह भूल गए, उस वक़्त हज़रत खिज़र अलैहिस्सलाम तशरीफ़ लाए और आप ने इरशाद फ़रमाया: तुम को चालीस रोज़ तक मेरी खिदमत में रहना होगा? चुनांचे बा रज़ा व ख़ुशी इस दावत को कुबूल फरमा लिया और चालीस दिन तक हज़रत खिज़र अलैहिस्सलाम की खिदमत बा बरकत में रहे और इन चालीस दिनों में आप को तमाम उलूम ज़ाहिरी व बातिन से आरास्ता फ़रमाया।

खिलाफत व इजाज़त

आप ने खिरकाए खिलाफत व इजाज़त हज़रत शैख़ मुहम्मद निज़ामुद्दीन उर्फ़ शाह भिकारी बादशाह रदियल्लाहु अन्हु से हासिल फ़रमाया और वही आप के पीरे तरीकत मुर्शिदे करीम व रूहानी पेशवाए आज़म हैं।

बारगाहे रिसालत से बशारत

आप ने ज़ियारते हरमैन तय्यैबैन भी फ़रमाई थी, चुनांचे आप ने तवाफ़ व ज़ियारत खाने काबा के बाद मदीना शरीफ का क़स्द फ़रमाया और बारगाहे रिसालत में हाज़री का शरफ़े अज़ीम हासिल फ़रमाया और एक रात जब हुज़ूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम के रोज़ाए मुनव्वराह पर क़याम किए हुए थे के इसी दौरान में नबी करीम हुज़ूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम की ज़ियारत से मुशर्रफ हुए, तो हुज़ूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने आप को अपनी नवाज़िशात से सरफ़राज़ फ़रमाया।

मसनदे रुश्दो हिदायत

आप ज़ियारते हरमैन तय्यैबैन के बाद हिंदुस्तान और अपने शहर में वापस आ कर उलूमो मआरिफ़ के दरिया बहाए, और आप की ज़ाते बा बरकात से तहसील उलूमे इस्लामिया के अलावा कसीर अफ़राद रुश्दो हिदायत हासिल कर के इस्लाम के सच्चे वफादार बनकर चमके।

आप की औलादे किराम

आप के साहब ज़ादों की तादाद चार है, जिन के नाम मुबारक ये हैं,

  1. हज़रत मुहम्मद फ़ुज़ैल
  2. हज़रत अबुल खैर
  3. हज़रत अब्दुल मुक्तदिर
  4. हज़रत मुहम्मद फ़ज़्लुल्लाह रिद्वानुल्लाही तआला अलैहिम अजमईन
आप के खुलफाए किराम

अफ़सोस के आप के खुलफाए किराम की कोई तफ्सील दस्तियाब न हो सकी “हज़रत शैख़ जमालुल औलिया रहमतुल्लाह अलैह” कोड़ा जहानाबादी का ही तज़किराह अक्सर जगहों क़ुतुब पर मिलता है।

आप के मुरीदीन

आप के मुरीदीन व मुतवस्सिलीन के बारे में मन्क़ूल है के सिर्फ गियारह 11, मख़सूस अश्ख़ास के अलावा आप ने किसी को मुरीद नहीं किया था, इन्ही 11, अफ़राद को आप ने अपनी गुलामी में दाखिल किया जिन्हों ने आगे चल कर अपने वक़्त के आफताब व महताब बनकर सारे आलम को अपने नूरे बातिन से रोशन व मुनव्वर और आलम को फ़ैज़याब फ़रमाया जिन के फैज़ के चश्मे आज भी जारी हैं।

विसाल व उर्स

आप का विसाल मुबारक 21, रजाबुल मुरज्जब 989, हिजरी मुताबिक 1581, ईसवी को क़स्बा “नीयूत्नी” ज़िला उन्नाओ यूपी इण्डिया में हुआ, और यही पर ही आप का मज़ार मुबारक है।

मज़ार मुबारक

आप का मज़ार पुर अनवार क़स्बा “नीयूत्नी” ज़िला उन्नाओ यूपी इण्डिया में मरजए खलाइक है,

“अल्लाह रब्बुल इज़्ज़त की उन पर बेशुमार रहमत हो और उन के सदके में हमारी मगफिरत हो”

रेफरेन्स हवाला:
  • तज़किराए मशाइखे क़ादिरिया बरकातिया रज़विया
  • सलासिलुल अनवार
  • बहरे ज़ख़्ख़ार
  • बरकाते औलिया

Share this post