हज़रत शाह मुहम्मद जहिन्दा उर्फ़ शाह झंडा बदायूनी रहमतुल्लाह अलैह

हज़रत शाह मुहम्मद जहिन्दा उर्फ़ शाह झंडा बदायूनी रहमतुल्लाह अलैह

इस्मे गिरामी

साहिबे तजरीद हज़रत शाह मुहम्मद जहिन्दा उर्फ़ शाह झंडा बदायूनी रहमतुल्लाह अलैह आप का नाम मुबारक शैख़ मुहम्मद था, बाज़ लोग कहते हैं के पैर में लंग होने की वजह से कूद कर चलते थे इस लिए शाह जहिन्दा! कहलाते थे, और ये खिताब आप को आप के मुर्शिदे करीम ने अता फ़रमाया था, अवाम ने इस लफ्ज़ को बिगाड़ कर शाह झंडा! कर दिया, है, बाज़ हज़रात कहते हैं, के वज्द के वक़्त बेकरार हो जाते थे, और कूदने लगते थे, इस लिए शाह जहिन्दा! कहलाते थे, बाज़ लोगों का कहना है के “सूरह रहमान” और “तबाराकल ज़ी” का विर्द बहुत करते थे, और तिलावते कुरआन के दौरान वज्द फरमाते थे, इस लिए शाह जहिन्दा! कहलाते थे, बदायूं के बाशिंदे और फारूकी खानदान से तअल्लुक़ रखते थे।

बैअतो खिल्फ़त

हज़रत सय्यद बदीउद्दीन क़ुत्बुल मदार मकनपुरी रहमतुल्लाह अलैह से आप ने खिलाफत पाई थी, ज़ी इल्म मज़हरे अजाइबो गराइब वाक़िफ़े असरारे हक्कीकत साहिबे सज्जादा और आप का पेशा मुअल्लमी था, आप ने पूरी उमर तजरीद में गुज़ारी, बहुत लोग आप के मुरीद हो कर मरतबाए कमाल को पहुंचे जो कुछ शागिर्दों से मिलता था मकनपुर जा कर अपने मुर्शिदे करीम को पेश कर देते थे ।

वफ़ात

17/ जमादिउल अव्वल 849/ हिजरी में हुआ, या और कोई दूसरी तारिख में हुआ, वल्लाहु आलम।

मज़ार शरीफ

आप का मज़ार शरीफ यूपी के बदायूं शहर में मुत्तसिल तालाब चंदू खर जो पक्की सड़क बरैली शरीफ को जा रही है शुमाल की तरफ एक मकबरा गुम्बद के तौर पर बना हुआ है उस के अंदर ही आप का मज़ार शरीफ मरजए खलाइक है।

“अल्लाह रब्बुल इज़्ज़त की उन पर बेशुमार रहमत हो और उन के सदके में हमारी मगफिरत हो”

रेफरेन्स हवाला

(1) मरदाने खुदा
(2) तज़किरतुल वासिलीन

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