हज़रत शैख़ अहमद नूरी बदायूनी रहमतुल्लाह अलैह की ज़िन्दगी

हज़रत शैख़ अहमद नूरी बदायूनी रहमतुल्लाह अलैह की ज़िन्दगी

सीरतो ख़ासाइल

हज़रत शैख़ अहमद नूरी बदायूनी रहमतुल्लाह अलैह! अपने ज़माने के कामिलीन बुज़ुर्गों में शुमार किए जाते थे, “शैख़ अहमद” नाम था, उम्मी और नूरी सिफ़ात के साथ मंसूब किए जाते थे, बदायूं शरीफ के हफ़्त अहमद में दाखिल हैं, नूरानी चेहरा था इसी लिए नूरी मशहूर थे, अहकामे शरआ की सख्त पाबंदी करते थे,
सुल्तानुल मशाइख सरकार महबूबे इलाही निज़ामुद्दीन औलिया देहलवी रहमतुल्लाह अलैह! से मन्क़ूल: है के बदायूं शहर में मेरे एक दोस्त “अहमद” नाम के थे, वो निहायत सालेह! आबिदो ज़ाहिद थे, अगरचे आप ने कुछ तालीम हासिल नहीं की, मगर रात दिन मसाइले शरीअत की जुस्तुजू तहक़ीक़ में लगे रहते थे, एक बार मुझ से मिलने दिल्ली भी आए थे, और मेरी वालिदा का हाल दरयाफ्त किया था, उन के इन्तिकाल के बारे में जब मालूम हुआ तो रंजीदा हुए, और उन के हक में दुआए मगफिरत की थी, और चंद रोज़ के बाद आप का विसाल हो गया, जब आप का इन्तिकाल हुआ तो एक रात बादे वफ़ात सुल्तानुल मशाइख सरकार महबूबे इलाही निज़ामुद्दीन औलिया देहलवी रहमतुल्लाह अलैह! ने आप को ख्वाब में देखा के इसी तरह से जैसा के हयात में सुल्तानुल मशाइख सरकार महबूबे इलाही निज़ामुद्दीन औलिया देहलवी रहमतुल्लाह अलैह! से मसाइल और अहकामे शरीअत मालूम करते थे, वैसे ही बादे वफ़ात, हज़रत से पूछते हैं, सुल्तानुल मशाइख सरकार महबूबे इलाही निज़ामुद्दीन औलिया देहलवी रहमतुल्लाह अलैह! ने फ़रमाया के जो मुझ से दरयाफ्त करते हो के ये ज़िन्दगी में कार आमद थीं और अब तुम वफ़ात पा चुके!
बात सुन कर हज़रत शैख़ अहमद नूरी बदायूनी रहमतुल्लाह अलैह! ने सुल्तानुल मशाइख सरकार महबूबे इलाही निज़ामुद्दीन औलिया देहलवी रहमतुल्लाह अलैह! से फ़रमाया तुम औलियाए किराम को मुरदाह कहते हो? फिर हज़रत शैख़ अहमद नूरी बदायूनी रहमतुल्लाह अलैह ने फ़रमाया हालांके अल्लाह पाक ने कुरआन शरीफ में औलियाए किराम को ज़िंदा फ़रमाया है, जैसा के अल्लाह रब्बुल इज़्ज़त कुरआन शरीफ में इरशाद फरमाता है: बल्के वो ज़िंदह हैं तुम्हें उनका शऊर नहीं”।

सरकार महबूबे इलाही रहमतुल्लाह अलैह

सुल्तानुल मशाइख सरकार महबूबे इलाही निज़ामुद्दीन औलिया देहलवी रहमतुल्लाह अलैह! से मन्क़ूल: है के हज़रत शैख़ अहमद नूरी बदायूनी रहमतुल्लाह अलैह! ने जब दिल्ली में मेरे आने की खबर सुनी तो वो मुझ से मुलाकात के लिए दिल्ली तशरीफ़ लाए और उन्होंने मेरी वालिदा की अलालत सुनी थी, मेरी वालिदा का हाल दरयाफ्त किया, उस वक़्त मेरी वालिदा माजिदा के इन्तिकाल का हाल शैख़ को मालूम नहीं था, में ने कहा मेरी वालिदा का इन्तिकाल हो गया, खुदा तुम को सलामत रखे इस खबर के सुनने से हज़रत शैख़ अहमद नूरी बदायूनी रहमतुल्लाह अलैह बहुत मुज़्तरिब हुए और उनका चेहरा मुतग़य्यर हुआ और बहुत रूए।

वफ़ात

आप का इन्तिकाल 10/ मुहर्रमुल हराम 700/ हिजरी को हुआ।

मज़ार शरीफ

मुहल्लाह चौधरी सराए पाकड़ के सामने ज़िला बदायूं शरीफ में मरजए खलाइक है।

“अल्लाह रब्बुल इज़्ज़त की उन पर बेशुमार रहमत हो और उन के सदके में हमारी मगफिरत हो”

रेफरेन्स हवाला

(1) मरदाने खुदा
(2) तज़किरतुल वासिलीन

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