हज़रत शैख़ अहमद तख्ता बदायूनी रहमतुल्लाह अलैह

हज़रत शैख़ अहमद तख्ता बदायूनी रहमतुल्लाह अलैह

सीरतो ख़ासाइल

आप का नाम मुबारक “शैख़ अहमद” है, और आप तुफ्त के रहने वाले थे, इस लिए शैख़ अहमद तुफ्ता कहे जाते थे, बाद में अहमद तख्ता मशहूर हुए, आज हकीम जी के नाम से याद किए जाते हैं, जवानी के आलम में ही सेरो सियाहत करते हुए हिंदुस्तान तशरीफ़ लाये थे, और बदायूं! आ कर रिहाइश पज़ीर हुए, हज़रत शैख़ शरफुद्दीन ख़य्यात रहमतुल्लाह अलैह से खुसूसी तअल्लुक़ात थे, इन्हीं के यहाँ रहते थे, औरादो वज़ाइफ़ में मसरूफ रहते थे और मुजर्रद ज़िन्दगी गुज़ारी, हालांके आप हफ्त अहमद बदायूं में नहीं हैं, मगर जब से शैख़ अहमद माशूक का मज़ार शोत नदी में आ गया है, ज़ाएरीन आप के मज़ार पर हाज़री देते हैं और हफ्त अहमद में भी शुमार किये जाते हैं।

आप को तख्ता कहने की वजह

एक मर्तबा हज़रत ख्वाजा हसन शैख़ शाही रहमतुल्लाह अलैह के हमराह आप और हज़रत शैख़ शरफुद्दीन ख़य्यात रहमतुल्लाह अलैह कहीं जा रहे थे, बरसात का मौसम था, रास्ते में कीचड़ की छींटें हज़रत ख्वाजा हसन शैख़ शाही रहमतुल्लाह अलैह की चादर पर पड़ गईं, सोत नदी करीब में ही थी, आप फ़ौरन पानी के करीब पहुंचे और झुक गए, हज़रत शैख़ शरफुद्दीन ख़य्यात रहमतुल्लाह अलैह ने आप की पीठ पर मार मार कर चादर साफ की थी, यानी आप ने अपनी बीठ को सीधा बिछा कर तख्ते की तरह बना दिया था, ये देख कर हज़रत ख्वाजा हसन शैख़ शाही रहमतुल्लाह अलैह ने फ़रमाया: शैख़ अहमद तूने मेरी चादर निजासत ज़ाहिरी से पाक की में ने तेरे क्लब को निजासत बातनी से पाक किया, उसी दिन से आप का क्लब नूरे मारफत से रोशन हो गया था, और मरतबाए विलायत पर पहुंच गए थे, और बजाए अहमद तुफ्ता के अहम तख्ता! मशहूर हो गए, मर्दे बुज़रुग साहिबे विलायत थे।

मक़ामे तुफ्त

हज़रत शैख़ अहमद तख्ता बदायूनी रहमतुल्लाह अलैह! को मुअल्लिफ़ बाकियात! ने हज़रत अल्लामा सआदुद्दीन तफ़तज़ानि रहमतुल्लाह अलैह का हम वतन बताया है, के आप मक़ामे तुफ्त के रहने वाले थे।

वफ़ात

आप का विसाल 10/ रमज़ानुल मुबारक 635/ हिजरी को हुआ।

मज़ार शरीफ

आप का मज़ार मुबारक यूपी के ज़िला बदायूं शरीफ में हज़रत सुल्तानुल आरफीन रहमतुल्लाह अलैह की दरगाह से तख्मीनन अंदाज़े के मुताबिक सो कदम मगरिब की जानिब पुख्ता मज़ार मौजूद है, और इससे पहले इल्मी का दरख़्त मौजूद है, जो मरजए खलाइक है।

“अल्लाह रब्बुल इज़्ज़त की उन पर बेशुमार रहमत हो और उन के सदके में हमारी मगफिरत हो”

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रेफरेन्स हवाला

(1) मरदाने खुदा
(2) तज़किरतुल वासिलीन

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