हज़रत अल्लामा मुफ़्ती तक़द्दुस अली खान कादरी रज़वी रदियल्लाहु अन्हु की ज़िन्दगी

हज़रत अल्लामा मुफ़्ती तक़द्दुस अली खान कादरी रज़वी रदियल्लाहु अन्हु की ज़िन्दगी

विलादत शरीफ

याद गारे सल्फ उस्ताज़ुल उलमा, शैखुल हदीस, जामे माकूल व मन्क़ूल, हज़रत अल्लामा मुफ़्ती तक़द्दुस अली खान रहमतुल्लाह अलैह! बिन, अल हाज सरदार वली खान बिन, मौलाना हादी अली खान बिन, हकीम तकी अली खान बिन, हाफ़िज़ काज़िम अली खान, माहे रजब, 1325/ हिजरी मुताबिक 1907/ इस्वी बा मकाम आस्ताना आलिया रज़विया मुहल्लाह सौदागिरान बरैली शरीफ में पैदा हुए, हज़रत अल्लामा हसन रज़ा खान रदियल्लाहु अन्हु आप का तारीखी नाम “तक़द्दुस अली” रखा और आप इसी नाम से मश्हूरो मारूफ हुए।
आप तीन भाई थे, (1) क़ुत्बे लाहौर हज़रत मुफ़्ती ऐजाज़ वली रहमतुल्लाह अलैह (साबिक शैखुल हदीस जामिया नईमिया लाहौर) (2) अब्दुल अली खान, (3) मुक़द्दस अली खान और तीन बहनें थीं, भाइयों में आप सब से बड़े थे, आप की वालिदा माजिदह 1377/ हिजरी मुताबिक़ 1957/ ईसवी को विसाल कर गईं, और वालिद साहब का विसाल 1390/ हिजरी मुताबिक़ 1970/ ईसवी को हुआ।

वालिद माजिद

आप के वालिद माजिद का नाम मुबारक अल हाज “सरदार वली खान” है।

सरकार आला हज़रत फाज़ले बरेलवी से रिश्ता

मुजद्दिदे आज़म आला हज़रत इमाम अहमद रज़ा मुहद्दिसे बरेलवी रदियल्लाहु अन्हु! हज़रत अल्लामा मुफ़्ती तक़द्दुस अली खान रहमतुल्लाह अलैह! के वालिद माजिद के चचा ज़ाद भाई थे, और वालिदा माजिदा की तरफ से आप के नाना थे, हुज्जतुल इस्लाम मुफ़्ती हामिद रज़ा खान रदियल्लाहु अन्हु आप के मामू और ससुर थे।

तालीमों तरबियत

आप ने इब्तिदाई तालीम हज़रत मौलाना ख़लीलुर रहमान बिहारी, हज़रत मौलाना ज़हूर हुसैन फारूकी मुजद्दिदी (सदर मुदर्रिस मदरसा आलिया रामपुर, व “दारुल उलूम मन्ज़रे इस्लाम” बरैली शरीफ और इन के साहबज़ादे हज़रत मौलाना नूरुल हुसैन रामपुरी से हासिल की, मुतावसस्सित क़ुतुब दरसे निज़ामी हज़रत अल्लामा हसनैन रज़ा खान रहमतुल्लाह अलैह! से पढ़ीं, और आला तालीम हज़रत मौलाना रहमुल्लाह, हज़रत मौलाना अब्दुल मन्नान, हज़रत मौलाना अब्दुल अज़ीज़ खान, और सद रुश्शारिया हज़रत अल्लामा मुफ़्ती अमजद आली आज़मी रहमतुल्लाह अलैह! (मुसन्निफ़ बहारे शरीअत) से हासिल की, और मुकम्मल हुज्जतुल इस्लाम मुफ़्ती हामिद रज़ा खान रदियल्लाहु अन्हु से हासिल की, हुज्जतुल इस्लाम ने आप को दरसियात के अलावा “रद्दुल मुहतार” का मुकदमा भी पढ़ाया और फतवा नवेसी की मश्क भी कराइ,
1345/ हिजरी में आप ने “दारुल उलूम मन्ज़रे इस्लाम” बरैली शरीफ से सनादे फरागत दस्तारबंदी! हासिल की, मुजद्दिदे आज़म आला हज़रत इमाम अहमद रज़ा मुहद्दिसे बरेलवी रदियल्लाहु अन्हु! से हज़रत मुफ़्ती तक़द्दुस अली खान रहमतुल्लाह अलैह! ने शरहे जामी! का खुत्बा पढ़ा, चुनांचे मुजद्दिदे आज़म आला हज़रत इमाम अहमद रज़ा मुहद्दिसे बरेलवी रदियल्लाहु अन्हु! से बिल्वास्ता शरफ़े तलम्मुज़ शागिर्दी हासिल करने के लिए, मुनतहि तलबा! आप से शरहे जामी! का खुत्बा पढ़ते थे, मुहद्दिसे आज़म पाकिस्तान हज़रत अल्लामा मुफ़्ती सरदार अहमद गुरदासपुरी पाक्स्तान रदियल्लाहु अन्हु ने भी आप से खुत्बा पढ़ा, चुनांचे जब इस तदरीस का शोहरा हुआ तो इस का मद्दाह “तदरीस तक़द्दुस अली” इस्तिखराज किया गया ।

तदरीसी आगाज़

दौराने तालीम ही “दारुल उलूम मन्ज़रे इस्लाम” बरैली शरीफ के नाइब मोहतमिम मुकर्रर हुए, और हज़रत मुफ़्ती तक़द्दुस अली खान रहमतुल्लाह अलैह! की निगरानी में मशहूर उल्माए किराम की दस्तारबंदी हुई, जिन में हज़रत शैखुल कुरआन हज़रत अल्लामा अब्दुल गफूर हज़ारवि रहमतुल्लाह अलैह! काबिले ज़िक्र हैं, इलाहबाद यूनि वर्सिटी में आप ने उलूमे शर्किया के इम्तिहानात का सिलसिला जारी कराया, जामिया निज़ामिया हैदिराबाद दक्कन और इलाहबाद यूनि वर्सिटी के मुम्तहिन् (इम्तिहान लेने वाला) रहे।

दारुल उलूम मन्ज़रे इस्लाम का एहतिमाम

फरागत के बाद, “दारुल उलूम मन्ज़रे इस्लाम” में पढ़ना शुरू किया और बेशुमार उलमा फुज़्ला को फ़ैज़याब किया, हुज्जतुल इस्लाम हज़रत मुफ़्ती हामिद रज़ा खान रदियल्लाहु अन्हु के विसाल के बाद हज़रत मुफ़्ती तक़द्दुस अली खान रहमतुल्लाह अलैह! मोहतमिम मुकर्रिर हुए, इस तरह 25/ साल का अरसा बरैली शरीफ में पढ़ाने के बाद 1371/ हिजरी में पाकिस्तान तशरीफ़ ले गए,
बरैली शरीफ में मुजद्दिदे आज़म आला हज़रत इमाम अहमद रज़ा मुहद्दिसे बरेलवी रदियल्लाहु अन्हु! और हुज्जतुल इस्लाम मुफ़्ती हामिद रज़ा खान रहीमा हुमुल्लाह के उर्स और मुशाएरों का एहतिमाम भी आप के ज़िम्मे होता था।

मदरसा कादिरिया और जामिया राशिदिया

1372/ हिजरी हज़रत मुफ़्ती तक़द्दुस अली खान रहमतुल्लाह अलैह! ने पीर जोगोठ ज़िला खैरपुर पाकिस्तान में मदरसा कादिरिया काइम किया, उस वक़्त हज़रत पीर साहब पारगा लंदन में जिला वतनी की ज़िन्दगी गुज़ार रहे थे,
1952/ ईसवी में पीर साहब की ताज पोषी हुई और 5/ माई 1952/ ईसवी को जामिया राशिदिया का इफ्तिताह हुआ, आप इस जामिया के पहले शैखुल जामिया और पीर साहब पारगाह के अतालीक उस्ताज़ मुकर्रिर हुए, उस वक़्त से ताज़ीस्त हज़रत मुफ़्ती तक़द्दुस अली खान रहमतुल्लाह अलैह! जामिया राशिदिया! में पढ़ाते रहे, सैंकड़ों तलबा आप से पढ़कर मसाजिद, मदारिस, बिलख़ुसूस जामिया राशिदिया! की मुख्तलिफ शाखों में दीनी फ़राइज़ की अंजाम दही में मसरूफ हैं,
आप ने बीस साल से ज़ियादा अरसा मदीना मस्जिद पीर गोठ ज़िला खैरपुर पाकिस्तान में खिताबत और इमामत के फ़राइज़ अंजाम दिए।

तहरीके आज़ादी

हज़रत मुफ़्ती तक़द्दुस अली खान रहमतुल्लाह अलैह! ने तहरीके आज़ादी में भर पूर हिस्सा लिया, मुरादाबाद सुन्नी कॉन्फरेंस! में आप ने शिरकत की, जब के बनारस सुन्नी कॉन्फरेंस! में हज़रत मुफ़्ती तक़द्दुस अली खान रहमतुल्लाह अलैह! के छोटे भाई हज़रत अल्लामा मुफ़्ती ऐजाज़ वली खान रज़वी रहमतुल्लाह अलैह! शरीक हुए, हज़रत मुफ़्ती तक़द्दुस अली खान रहमतुल्लाह अलैह! ने तहरीके खत्मे नुबुव्वत में दीगर उल्माए किराम के शाना बाशना काम किया,
सुन्नी कॉन्फरेंस टूबा टेक संघ दारुल इस्लाम में हज़रत मुफ़्ती तक़द्दुस अली खान रहमतुल्लाह अलैह! ने पीर साहब पागारह की नुमाईंदिगी और इन का पैगाम पढ़कर सुनाया, कुल पाकिस्तान कॉन्फरेंस! मुल्तान 16/ अक्टूबर 1978/ ईसवी में आप पहले इजलास के महमानाने खुसूसी थे,
हज़रत मुफ़्ती तक़द्दुस अली खान रहमतुल्लाह अलैह! जमीयत उलमा पाकिस्तान पीर गोट सूबा सिंध! के सदर रह चुके हैं, 1960/ ईसवी में आप बुनियादी जम्हूरियत के इंतिख्वाब में कामयाब हुए, और छेह साल तक योनैन कमेटी के चेयरमैन की हैसियत से कोमो वतन की खिदमत करते रहे।

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तसानीफ़

हज़रत मुफ़्ती तक़द्दुस अली खान रहमतुल्लाह अलैह! की बाज़ कलमी तसानीफ़ हिंदुस्तान में रह गईं, पाकिस्तान आने के बाद आप ने क़ुतुब के तराजिम किए, इन में से “मुकाशिफतुल क़ुलूब” का तर्जमा छप चुका चुका है।

बैअतो खिलाफत

हज़रत मुफ़्ती तक़द्दुस अली खान रहमतुल्लाह अलैह! को 1322/ हिजरी में मुजद्दिदे आज़म आला हज़रत इमाम अहमद रज़ा मुहद्दिसे बरेलवी रदियल्लाहु अन्हु! से बैअत मुरीद हुए, और तमाम सलासिल में खिलाफत का शरफ़ हासिल हुआ, हुज्जतुल इस्लाम हज़रत अल्लामा मुफ़्ती हामिद रज़ा खान रदियल्लाहु अन्हु ने, आप को खानदाने कादिरिया के औरादो वज़ाइफ़ की इजाज़त दे कर अपना मजाज़ फ़रमाया और खिरकाए खिलाफत अता फ़रमाया, और अपने दस्ते मुबारक में आप का हाथ ले कर मुसाफा फरमाते हुए हदीस मुसाफ़ी सुनाई, जो सात वास्तों से हुज़ूर रह्मते आलम नबी करीम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम! तक पहुँचती है, और मज़ीद खिलाफ़तो इजाज़त शहज़ादए आला हज़रत हुज़ूर मुफ्तिए आज़म हिन्द मुस्तफा रज़ा खान बरेलवी रहमतुल्लाह अलैह! से भी हासिल है।

हज्जो ज़ियारत

1367/ हिजरी में हज़रत मुफ़्ती तक़द्दुस अली खान रहमतुल्लाह अलैह! ने बाग्दाद् शरीफ, काज़िमिया शरीफ, करबालए मुअल्ला, व नजफ़ अशरफ में हाज़री दी, और 1368/ हिजरी में पहला हज हिंदुस्तान से किया, पाकिस्तान से 1388/ हिजरी में दूसरा, और 1392, हिजरी में तीसरा हज किया, 1395/ से आप मुसलसल हर साल माहे रमज़ानुल मुबारक में उमराह व ज़ियारत की सआदत से बहरामन्द होते रहे ।

चंद मशहूर तलामिज़ा शागिर्द

  1. हज़रत अल्लामा मुफ़्ती इब्राहीम खुश्तर कादरी रज़वी, साउथ अफ्रीका
  2. हज़रत अल्लामा मुफ़्ती रजब अली रज़वी, मुफ्तिए नानपारा ज़िला बहराइच शरीफ यूपी
  3. हज़रत अल्लामा मुफ़्ती अशफाक हुसैन नईमी, मुफ्तिए आज़म जोधपुर
  4. हज़रत अल्लामा मुफ़्ती ऐजाज़ वली खान रज़वी, शैखुल हदीस जामिया नईमिया लाहौर पाकिस्तान
  5. हज़रत अल्लामा मुफ़्ती गुलाम कादिर, मुदर्रिस जामिया राशिदिया
  6. हज़रत अल्लामा मुफ़्ती मुहम्मद रहीम नाज़िमे आला जामिया राशिदिया
  7. हज़रत अल्लामा मुफ़्ती अब्दुल हमीद खतीब जामा मस्जिद
  8. हज़रत अल्लामा सालेह मोहतमिम जामिया राशिदिया पीर जो गोठ पाकिस्तान
  9. हज़रत अल्लामा मुफ़्ती अब्दुर रहीम मुदर्रिस शाहपुर चाकर
  10. हजऱत अल्लामा मुफ़्ती दर मुहम्मद शैखुल हदीस मदरसा सिब्गतुल इस्लाम सांखड़ा
  11. हजऱत मौलाना मुहम्मद हारुन, एम ऐ, ज़िला खैरपुर
  12. शैखुल हदीस हज़रत अल्लामा मुफ़्ती अब्दुल मुस्तफा आज़मी घोस्वी सुम्मा पाकिस्तान
  13. हजऱत पीर शाह मरदान शाह, सज्जादा नशीन दरगाह शरीफ हजऱत पीर साहब पारगा पीर जो गोठ


अक़्द मस्नून (निकाह)

आप की शादी हुज्जतुल इस्लाम हज़रत मुफ़्ती हामिद रज़ा खान रहमतुल्लाह अलैह की साहबज़ादी से हुई, आप की कई औलादें हुईं, मगर सब का तकरीबन बचपन ही में विसाल हो गया, मुसद्दिक अली खान! मुहम्मद अख्तर हामिद खान! मुनव्वर अली खान! जिन का बीस साल की उमर में विसाल हो गया, (1364, हिजरी से 1384) ऐजाज़ वली खान! मुनव्वर अली खान! (1365, हिजरी से 1368) और साहबज़ादियों में हलीमा बीबी! (1363, हिजरी से 1364) कनीज़े रेहाना! कनीज़े उज़रा! और कनीज़े फातिमा थीं, जिन में से कोई हयात नहीं।

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वफ़ात

हज़रत मुफ़्ती तक़द्दुस अली खान रहमतुल्लाह अलैह! 22/ फ़रवरी बरोज़ पीर 3/ रजाबुल मुरज्जब 1408/ हिजरी मुताबिक 1988/ ईसवी को विसाल फ़रमाया ।

मज़ार मुबारक

आप का मज़ार मुबारक मुल्के पाकिस्तान में ज़ियारत गाहे ख़ल्क़ है।

“अल्लाह रब्बुल इज़्ज़त की उन पर बेशुमार रहमत हो और उन के सदके में हमारी मगफिरत हो”

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रेफरेन्स हवाला

(1) तज़किराए खानदाने आला हज़रत
(2) मौलाना हसनैन रज़ा खान बरेलवी हयात और खिदमात
(3) मुफ्तिए आज़म हिन्द और उनके खुलफ़ा

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