हज़रत शैख़ शरफुद्दीन ख़य्यात बदायूनी रहमतुल्लाह अलैह की ज़िन्दगी

हज़रत शैख़ शरफुद्दीन ख़य्यात बदायूनी रहमतुल्लाह अलैह की ज़िन्दगी

सीरतो ख़ासाइल

साहिबे तक़वा, अहले करामत, हज़रत शैख़ शरफुद्दीन ख़य्यात बदायूनी रहमतुल्लाह अलैह साहिबे विलायत थे, ख़य्याती यानि दर्ज़ी का पेशा करते थे, इस लिए शरफुद्दीन ख़य्यात! के नाम से मशहूर थे, हज़रत सुल्तानुल आरफीन ख्वाजा हसन शैख़ शाही रहमतुल्लाह अलैह के मुरीद व खलीफा थे, पीरो मुर्शिद की मख़सूस तवज्जुह ने मरतबए कमाल को पंहुचा दिया, ज़ी इक्तिदार औलियाए किराम में शुमार किए जाते थे,
लेकिन किताब बाक़ियातुस सालिहात! में लिखा है के: हज़रत शैख़ शरफुद्दीन ख़य्यात बदायूनी रहमतुल्लाह अलैह 8/ रमज़ानुल मुबारक 662/ हिजरी लिखा है, और आप को मुरीद गौसे ज़मा हज़रत ख्वाजा बहाउद्दीन ज़करिया मुल्तानी रहमतुल्लाह अलैह का लिखा है, और आप को मुहिब्बे मख़सूस हज़रत सुल्तानुल आरफीन ख्वाजा हसन शैख़ शाही रहमतुल्लाह अलैह का लिखा है।

वफ़ात

8/ रमज़ानुल मुबारक 662/ हिजरी में आप का विसाल हुआ, बाज़ हज़रात इस का इंकार करते हैं के आप की तारीखे विसाल ये नहीं है कुछ और है बहरहाल जोभी हो अल्लाहो रसूल ज़ियादा बेहतर जानते हैं।

मज़ार शरीफ

आप का मज़ार मुबारक बदायूं में मगरिब की समत हज़रत शाहे विलायत रहमतुल्लाह अलैह व मज़ार हाजी जमाल मुल्तानी के पश्चिम की तरफ एक बहुत बड़ा हज़ीरा बुलंद मकाम पर मौजूद है, यूपी के ज़िला बदायूं शरीफ में मरजए खलाइक है।

“अल्लाह रब्बुल इज़्ज़त की उन पर बेशुमार रहमत हो और उन के सदके में हमारी मगफिरत हो”

रेफरेन्स हवाला

(1) मरदाने खुदा
(2) तज़किरतुल वासिलीन

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