हज़रत सय्यद शाह मुहम्मद अमीन मियां कादरी मारहरवी मद्दा ज़िल्लूहुल आली

हज़रत सय्यद शाह मुहम्मद अमीन मियां कादरी मारहरवी मद्दा ज़िल्लूहुल आली

विलादत बसआदत

अमीने मिल्लत पिरोफेसर आप की पैदाइश 1371/ हिजरी मुताबिक 15/ अगस्त 1952/ ईसवी को कास गंज के मिशन हॉस्पिटल मारहरा मुक़द्दसा ज़िला एटा में हुई।

नाम व लक़ब

आप का नामे नामी व इस्मे गिरामी “सय्यद मुहम्मद अमीन मियां कादरी है, मद्दा ज़िल्लूहुल आली है।

आप के वालिद माजिद

आप के वालिद मुहतरम का नाम मुबारक “हुज़ूर अहसनुल उलमा मुस्तफा हैदर हसन मारहरवी रहमतुल्लाह अलैह है।

तालीमों तरबियत

हज़रत सय्यद मुहम्मद अमीन मियां कादरी मद्दा ज़िल्लू हुल आली ने दरगाहे मुअल्ला के “मदरसा कासिमुल बरकात” से तालीम की इब्तिदा की, मुंशी सईदुद्दीन साहब ने उर्दू पढाई, कुरआन शरीफ अपने वालिद माजिद और हाफ़िज़ अब्दुर रहमान साहब रहमतुल्लाह अलैह से पढ़ा, दीनी व रूहानी तालीम अपने वालिद माजिद हुज़ूर अहसनुल उलमा मुस्तफा हैदर हसन मारहरवी रहमतुल्लाह अलैह और अपने बड़े अब्बा हुज़ूर सय्यदुल उलमा हज़रत सय्यद शाह आले मुस्तफा सय्यद मियां रहमतुल्लाह अलैह से हासिल की, दस पारे हिफ़्ज़ किए, मारहरा शरीफ से हाई स्कूल कर के अली गढ़ मुस्लिम यूनि वर्सिटी से फर्स्ट डिवीज़न एम, ऐ, उर्दू किया, और वहीँ से मीर तकी मीर, पर पी एच डी, की डिग्री हासिल की, एम, ऐ, का रिजल्ट निकलने से पहले ही शोबए उर्दू अली गढ़ मुस्लिम यूनि वर्सिटी में बा हैसियत लेक्चरार तक़र्रुर हुआ, इस के बाद कुछ असातिज़ाए किराम की अक़रबा परवरी से बेज़ार हो कर “सेंट जोन्स कॉलिज” आगरा में लेक्चरार हो गए, लग भाग आठ साल दरसो तदरीस में गुज़ारे, मुस्लिम यूनि वर्सिटी के शोबए उर्दू में बा हैसियत रीडर वापस तशरीफ़ लाए और अब पिरोफेसर के उहदे पर फ़ाइज़ हैं जो यूनि वर्सिटी के आला तालीम की दरसो तदरीस का सब से बड़ा मनसब समझा जाता है।

बैअतो खिलाफत

ताजुल उलमा हज़रत सय्यद औलादे रसूल मुहम्मद मियां रहमतुल्लाह अलैह ने आप को बचपन ही में बैअतो खिलाफत! से नवाज़ा था, इन्होने अपनी हयाते मुबारिका में ही अपने जानशीन अहसनुल उलमा हज़रत सय्यद मुस्तफा हैदर हसन मियां रहमतुल्लाह अलैह की वफ़ात की सूरत में आप को सज्जादा नशीन और मतवल्ली खानकाहे बरकातिया का मुकर्रर कर दिया था, आप को अपने वालिद माजिद अहसनुल उलमा हज़रत सय्यद मुस्तफा हैदर हसन मियां रहमतुल्लाह अलैह ने आप की सज्जादा नाशिनी के दिन यानि 1956/ ईसवी में तमाम सलासिल की इजाज़तों खिलाफत से सरफ़राज़ किया उर्से रज़वी! के मोके पर हज़रत सय्यद मुहम्मद अमीन मियां कादरी मद्दा ज़िल्लू हुल आली हुज़ूर मुफ्तिए आज़म हिन्द मुस्तफा रज़ा खान बरेलवी रहमतुल्लाह अलैह! ने भी आप को अपने दौलत कदे पर और मिम्बरे रसूल पर एक ही दिन में बार बार खिलाफत अता फ़रमाई और लाखों के मजमे के सामने वो जुमला कहा जो मश्हूरे ज़माना हो गया,

जो कुछ सरकारे मारहरा मुक़द्दसा से मिला वही सब का सब आप को पेश कर रहा हूँ, इस के बाद हुज़ूर मुफ्तिए आज़म हिन्द मुस्तफा रज़ा खान बरेलवी रहमतुल्लाह अलैह! ने अपना जुब्बा इमामा और तहरीरी मुहर शुदाह खिलाफत नामा इनायत फ़रमाया, इस उर्से रज़वी! में हाज़िर होने वाले हज़रात आज भी इस मंज़र को याद कर के एक अजीब सुरूर पाते हैं,
अहसनुल उलमा हज़रत सय्यद मुस्तफा हैदर हसन मियां रहमतुल्लाह अलैह के विसाल के बाद आप मसनदे बरकाती पे जलवा अफ़रोज़ हो कर सज्जादा नशीन हुए, अब तक हज़ारों की तादाद में शरीअतो तरीकत की तलब रखने वाले आप के दस्ते हक परस्त पर बैअत हो चुके हैं।


सीरतो ख़ासाइल

अहसनुल उलमा हज़रत सय्यद मुस्तफा हैदर हसन मियां रहमतुल्लाह अलैह ने बतौरे खास हज़रत सय्यद मुहम्मद अमीन मियां कादरी मद्दा ज़िल्लू हुल आली को तावीज़ात लिखने की तालीम दी और मुख्तलिफ वज़ाइफ़ और अमलियात के तरीके तालीम फरमाए, अल्लाह पाक ने हज़रत सय्यद मुहम्मद अमीन मियां कादरी मद्दा ज़िल्लू हुल आली के हाथ में रूहानी शिफा का खज़ाना अता फ़रमाया है, जिस में लाखों बन्दगाने खुदा का अल्लाह पाक के फ़ज़्ल से भला हो रहा है, अल्हम्दुलिल्लाह!
आप अहले सुन्नत व जमात और सिलसिलए बरकातिया के फरोग में मशग़ूलो मसरूफ हैं, हज़ारों खल्के खुदा! आप के ज़रिए बरकाती सिलसिले में दाखिल हो चुके हैं और हो रहे हैं, बा हैसियत मतवल्ली व मिम्बर मुन्तज़िमा दरगाह कमेटी खानकाहे व दरगाहे आलिया बरकातिया की तामीरी, तब्लीगी व तौलियत की ज़िम्मेदारिया बाखूबी निभा रहे हैं,
हज़रत सय्यद मुहम्मद अमीन मियां कादरी मद्दा ज़िल्लू हुल आली अपनी सादा मिजाज़ी और दुरवेशाना सीरत के बाइस उलमा, व मशाइख, व मुरीदीन में बहुत मश्हूरो महबूब हैं मिलने वालों से इस तरह इंकिसारी और खुश मिजाज़ी से गुफ्तुगू फरमाते हैं के लोग इन के गरवीदह हैं, अली गढ़ मुस्लिम यूनि वर्सिटी के सुन्नी तलबा के तो आप सरपरस्त जैसे हैं, अली गढ़ में कोई भी दीनी जलसा हो तो सरपरस्ती के लिए तलबा की पहली पसंद हज़रत सय्यद मुहम्मद अमीन मियां कादरी मद्दा ज़िल्लू हुल आली होते हैं यूनि वर्सिटी के तलबा के छोटे से छोटे काम के लिए हज़रत फ़ौरन चलने को हमेशा तय्यार रहते हैं, आज अली गढ़ मुस्लिम यूनि वर्सिटी में जो इश्के नबी का गुलशन सजा है इसकी आब्यारी में आप की बहुत नवाज़िशें हैं।

मजलिसे बरकात

दरसी किताबों पर उल्माए अहले सुन्नत ही के हवाशी थे, इन किताबों की इशाअत, तिजारत की गर्ज़ से गैर मुस्लिम भी करते थे गैरों ने भी इन किताबों की इशाअत तिजारत के मकसद से शुरू की, 1419/ हिजरी मुताबिक 1999/ ईसवी में “जामिया अशरफिया” मुबारकपुर आज़म गढ़ में मजलिसे बरकात का क़याम अमल में आया, जिस का मकसद दरसे निज़ामी! की क़ुतुब पर उल्माए अहले सुन्नत के हवाशी की तहक़ीक़ कराके इन की इशाअत करना और नए अंदाज़ में इन के तर्जुमे व तफ़्सीर और जदीद हवाशी का इंतिज़ाम करना है, ये मजलिस आप के तअव्वुन से और आप की सरपरस्ती में अब तक तहक़ीक़ के साथ दर्जनों किताबों की इशाअत कर चुकी है।

मजलिस शरई की शुरुआत

19/ दिसंबर 1992/ ईसवी में “जामिया अशरफिया” मुबारकपुर आज़म गढ़ में मजलिस शरई का क़याम मसाइल का शरीअत की रौशनी में तशफ्फी बख्श हल तलाश करना था इस मजलिस के ज़रिए कई मसाइल हल किए गए लेकिन 1999/ ईसवी में कुछ असबाब की बुनियाद पर ये मजलिस बंद हो गई और पांच साल तक ये मजलिस मोकूफ रही, हज़रत अमीने मिल्लत! ने इस तरफ उल्माए किराम की तवज्जुह दिलाई और इस की शुरुआत के लिए हर तरह का तअव्वुन किया, और आप ही की सरपरस्ती में मजलिस शरई की शुरूआत 2004/ ईसवी में “जामिया अशरफिया” मुबारकपुर आज़म गढ़ में हुई, जिस के ज़रिए अब तक पचास से ज़ियादा मसाइल हल हो चुके हैं और करोड़ों मुस्लमान फ़ैज़याब हो रहे हैं, काफी मसरूफियात के बावजूद आप तहरीरों तस्नीफ़ के लिए वक़्त निकालते हैं जिस का सुबूत आप की बहुत सी तसानीफ़ है, आप की तसानीफ़ का एक जाइज़ाह पेश है।

सय्यद शाह बरकतुल्लाह हयात और इल्मी कार नामे

112/ सफ़हात पर मुश्तमिल इस किताब में आप ने सादा सहल ज़बान में सुल्तानुल आशिक़ीन हज़रत “सय्यद शाह बरकतुल्लाह इश्कि” मरहरवी रहमतुल्लाह अलैह के हलाते ज़िन्दगी और इल्मी कामो का जाइज़ाह लिया है, ख़ुसूसन पेम प्रकाश का तफ्सीली तआरुफ़ कराया है।

आदाबुस सालिकींन

ये शमशे मारहरा हज़रत सय्यद शाह आले अहमद अच्छे मियां मारहरवी कुद्दीसा सिररुहुन नूरानी की मशहूर तस्नीफ़ है, जिस का पहला तर्जुमा हज़रत ताजुल उलमा औलादे रसूल मुहम्मद मियां रहमतुल्लाह अलैह ने किया था और मतन फ़ारसी के साथ 1935/ ईसवी में शाए किए था, ये तर्जुमा अपनी ज़बान और अंदाज़ के साथ क़द्रे अजनबी हो गया है, इस लिए हज़रत अमीने मिल्लत ने असरि तक़ाज़ों और ज़बानो के पेशे नज़र इस का जदीद तर्जुमा किया है, जो चालीस सफ़हात पर मुश्तमिल है, उन्होंने मख़सूस इस्तिलाहात और मक़ामात की तशरीह भी की है, इस लिए इस की अहमियत बहुत बढ़ गई है।

चहार अन्वा

ये सुल्तानुल आशिक़ीन हज़रत “सय्यद शाह बरकतुल्लाह इश्कि” मरहरवी रहमतुल्लाह अलैह की तस्नीफ़ है जिसे हज़रत अमीने मिल्लत! ने शरीफ अहमद खान की मुआविनत से उर्दू जामा पहनाया है, इस में औलियाए किराम के मुख्तलिफ तबकों के मामूलात को बयान किया है, इस साल इस किताब की जदीद इशाअत हुई है,
मीर तकी मीर! ये आप का तहक़ीक़ी मकाला है जिस पर आप को PHD, की डिग्री मिली।

अदब अदीब, और अस्नाफ

उर्दू अदब की इस्तिलाहात व अस्नाफ पर ये आप का इल्मी कार नामा है।

काइम चांदपुरी

काइम चांदपुरी हालात और इल्मी कार नाम! उर्दू के नामवर शायर व अदीब काइम चांदपुरी के हालाते ज़िन्दगी और इनके इल्मी कारनामो, शायरी व तज़किरा निगारी पर आप ने भरपूर अंदाज़ में रौशनी डाली है।

शाह हक्कानी का उर्दू तर्जुमा व तफ़्सीर कुरआन मजीद

हज़रत सय्यद शाह हक्कानी रहमतुल्लाह अलैह ने तर्जुमा तफ़्सीरे कुरआन “इनायतेँ रसूल” के उन्वान से किया था, हज़रत सय्यद मुहम्मद अमीन मियां कादरी मद्दा ज़िल्लू हुल आली ने हज़रत मुफ़्ती मौलाना मुहम्मद इरशाद साहिल शहिसरामि की मुआविनत से इसे जदीद अंदाज़ में मुरत्तब कर के शाए किया है।

आलमे इस्लाम की चंद अहम् बा असर शखसियात में शुमार

बिलाशुबह आप खानदाने बरकात के चश्मों चिराग दरगाहे आलिया बरकातिया के सज्जादा नशीन वसाहिबे इजाज़त व खिलाफत बुज़रुग हैं, जार्ज टाऊन यूनि वर्सिटी अमरीका ने 2009/ ईसवी में एक सर्वे करा के आलमे इस्लाम की पांच सो बा असर और अहम् शख्सियत का इंतिख्वाब किया है, इस में हज़रत सय्यद मुहम्मद अमीन मियां कादरी मद्दा ज़िल्लू हुल आली को इन के असरो रुसूख़ और अहमियत व फ़ज़ीलत की बिना पर 44/ वे मकाम पर तस्लीम किया गया है, यही यूनि वर्सिटी अपने सर्वे में मुसलसल आठ साल तक हज़रत का नाम शामिल रखती रही, ये सर्वे रिपोर्ट बाज़ाते खुद बहुत अहमियत की हामिल और आप के मकाम बुलंद की मज़हर है, दरअसल ये आप की अज़ीम खिदमाते ख़ल्क़ का ऐतिराफ़ है जो अल्लाह रब्बुल का करम है।

तरवीजे इल्म

अपने खानवादे की देरीना रिवायत के ऐन मुताबिक हज़रत अमीने मिल्लत! को भी उलूमो फुनून की तरवीजो इशाअत का शग़फ़ जूनून की हद तक है और हकीकत ये है के जुनून के बगैर कोई भी काम मेराजे कमाल नहीं पहुँचता इस मकसद के लिए इन्होने अपने बिरादर अज़ीज़ सय्यद मुहम्मद अशरफ साहब, सय्यद मुहम्मद अफ़ज़ल साहब, सय्यद मुहम्म्म्द नजीब हैदर साहब, के अलावा सैंकड़ों मुख्लिस रुफ्क़ा अइज़्ज़ा की मुआविनत से 1995/ ईसवी में अल बरकात ऐजुकेशनल सोसाइटी रजिस्टिरेशन कराइ, इस के नाम पर अनूप शहर रोड अली गढ़ में वसीओ अरीज़ ज़मीन खरीद कर रजिस्टर्ड कराई और अल बरकात के इदारे की मंसूबा साज़ी की, 2002/ ईसवी में इस के इदारों और इन की इमारतों का संगे बुनियाद रखा गया है, तभी से तालीमों तामीर का सिलसिला जारी है,

इस सोसाइटी के ज़ेरे एहतिमाम फिलवक्त अल बरकात प्ले एंड लर्न सेंटर! अल बरकात सीनियर सेंकेंडरी स्कूल बॉयज! अल बरकात कादरिया स्कूल गर्ल्स! अल बरकात इंस्टीटूट ऑफ़ मैनिजमंट स्टीडीज़ बॉयज़! अल बरकात इंस्टीटूट ऑफ़ ऐजुकेशनल B, ED, इंस्टीटूट कॉलिज ऑफ़ गिरेजवेट स्टीडीज़! अल बरकात सय्यद हामिद कम्यूटि कॉलिज! हॉस्टल की सहूलियात के साथ तालीमी खिदमात अंजाम दे रहे हैं, समाज के कमज़ोर और गरीब बच्चों की तालीम व तरबियत के लिए 100, रूपये माहाना फीस पर अल बरकात आफ्टर नून स्कूल, जुलाई 2011/ ईसवी से शुरू किया गया है, तलबा को यूनिफार्म, किताबें, कापियां और दीगर ज़रूरी चीज़ें अल बरकात सोसाइटी की जानिब से मुहय्या की जाती हैं,
अल बरकात ऐजुकेशनल सोसाइटी ने एक और अहम् इदारा अल बरकात इस्लामिक रिसर्च एंड ट्रैनिग इंस्टीटूट, सय्यद मुहम्मद अमान मियां की ज़ेरे निगरानी दीनी मदारिस से फारिग उल्माए किराम की शख्सियत साज़ी के लिए खोला है जिस में इन की रिहाई वगेरा की सहूलियात के साथ महानामा वज़ीफ़ा भी दिया जाता है।

अक़्द मस्नून

आप का निकाह इलाहबाद के मशहूर सादात घराने में हज़रत सय्यद आबिद अली साहब मरहूम व मगफूर की साहबज़ादी सय्यदह आमिना खातून साहिबा! से हुआ जो फ़ारसी में एम, ऐ, और बी ऐड, की डिग्री याफ्ता हैं, हज़रत अमीने मिल्लत! के दो साहबज़ादे (1) हज़रत सय्यद मुहम्मद अमान, (2) हज़रत सय्यद मुहम्मद उस्मान, और एक साहबज़ादी सय्यदह ऐमन, हैं, सय्यद मुहम्मद अमान मियां ने मुस्लिम यूनिवर्सिटी से बी, ऐ, इंग्लिश और अल बरकात से MBA, की डिग्री हासिल की, फिर “जामिया अशरफिया” मुबारकपुर आज़म गढ़ से दरसे निज़ामी की तालीम हासिल कर के फ़िलहाल अल बरकात शुआबा इस्लामिया के डारेक्टर हैं,

आप के खुलफाए किराम

(1) रफ़ीके मिल्लत सय्यद नजीब हैदर नूरी
(2) सय्यद मुहम्मद अमान कादरी
(3) सय्यद मुहम्मद उस्मान कादरी
(4) सय्यद हसन हैदर नूरी
(5) गुलज़ारे मिल्लत सय्यद शाह गुलज़ार इस्माईल वास्ति साहिबे सज्जादा मसौली शरीफ बाराबंकी
(6) इमामो इल्मो फन हज़रत ख्वाजा मुज़फ्फर हुसैन रहमतुल्लाह अलैह
(7) बहरुल उलूम हज़रत अल्लामा मुफ़्ती अब्दुल मन्नान रहमतुल्लाह अलैह
(8) हज़रत मुफ़्ती निज़ामुद्दीन रज़वी शैखुल हदीस व सदर शोबए इफ्ता “जामिया अशरफिया” मुबारकपुर आज़म गढ़
(9) हज़रत अल्लामा मुहम्मद अहमद मिस्बाही “जामिया अशरफिया” मुबारकपुर आज़म गढ़
(10) हज़रत मुफ़्ती सय्यद आरिफ अली साहब
(11) हज़रत मौलाना शहाबुद्दीन साहब लखीमपुर खीरी
(12) हज़रत अल्लामा मुफ़्ती अब्दुल मुबीन नोमानी
(13) हज़रत मुफ़्ती अब्दुल हलीम साहब छपरा
(14) हज़रत मुफ़्ती हबीब यार खान इंदौर

(15) काइदे मिल्लत हज़रत अल्लामा मुफ़्ती असजद रज़ा खान सरबराहे आला जामियातुर रज़ा! बरैली शरीफ
(16) कारी मुहम्मद इसहाक इंजीनियर जोधपुर
(17) हज़रत मुफ़्ती वली मुहम्मद नागौर
(18) हज़रत अल्लामा मुफ़्ती अब्दुस सत्तर हमदानी पोरबंदर गुजरात
(19) हज़रत अल्लामा मुफ़्ती महमूद अख्तर मुंबई
(20) हज़रत मौलाना मुहम्मद हनीफ साहब नागौर
(21) हज़रत सय्यद नूरुल्लाह शाह बुखारी राजिस्थान
(22) हाजी मुहम्मद आरिफ
(23) बाबा अब्दुन नबी सिद्दीकी मुंबई।

फ़ैज़ाने मुर्शिद

अल्लाह रब्बुल इज़्ज़त मुर्शिद गिरामी की उमरो सेहत में बरकात अता फरमाए और फ़ैज़ाने शाह बरकतुल्लाह! आप के वसीले से हम गुलामो को हासिल होता रहे, अमीन।

Share Zaroor Karen Jazakallah

रेफरेन्स हवाला

(1) बरकाती कोइज़
(2) तज़किरा मशाइखे मारहरा

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