हज़रत सय्यद मुहम्मद अशरफ मियां कादरी मारहरवी मद्दा ज़िल्लूहुल आली

हज़रत सय्यद मुहम्मद अशरफ मियां कादरी मारहरवी मद्दा ज़िल्लूहुल आली

विलादत बसआदत

आप की पैदाइश 8/ जुलाई 1957/ ईसवी मुताबिक 14/ शाबानुल मुअज़्ज़म 1374/ हिजरी को ज़िला सीतापुर यूपी में हुई।

नाम व लक़ब

आप का नामे नामी व इस्मे गिरामी सय्यदुल उलमा हज़रत सय्यद आले मुस्तफा रहमतुल्लाह अलैह ने “सय्यद मुहम्मद अशरफ” रखा।

वालिद माजिद

आप के वालिद मुहतरम का नाम मुबारक “हुज़ूर अहसनुल उलमा मुस्तफा हैदर हसन मारहरवी रहमतुल्लाह अलैह है।

तालीमों तरबियत

बिस्मिल्लाह ख्वानी वालिद माजिद ने कराइ, आप की तालीम का आगाज़ मदरसा “कासिमुल बरकात” से हुआ, कुरआन शरीफ का दर्स हज़रत वालिद माजिद, फूफी साहिबा सय्यदा हाफ़िज़ा आईशा खातून! और सय्यदह हाफ़िज़ा ज़ाहिदाह खातून और हाफ़िज़ अब्दुर रहमान ने दिया, उर्दू की तालीम मुंशी सईदुद्दीन और मुंशी नसीर अहमद ने दी, क़स्बा से हाई स्कूल कर के अली गढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी! में दाखिल हुए जहाँ से बी, ऐ, ऑनर्स, और फिर एम, ऐ, गोल्ड मिडल के साथ पास किए, UPSC, मुकाबला जाती इम्तिहान में हिस्सा लिया, पहले IPS, के उहदे के लिए मुन्तख़ब हुए लेकिन वालिद माजिद की इस सर्विस में मर्ज़ी ना देखते हुए, IPS, में जॉइन नहीं किया, फिर सिविल सर्विस के इम्तिहान में शरीक हुए और दोबारा IRS, में आप का इंतिख्वाब हुआ,
हज़रत शरफ़े मिल्लत को ये शरफ़ भी हासिल है के सिविल सर्विस एग्जाम! को उर्दू मीडियम के साथ कामयाबी हासिल करने वाले आप पहले उम्मीद वार हैं, इंडियन रिवेनियो सर्विस IRS, में मुख्तलिफ आला उहदों पर रहते हुए फिलवक्त मिम्बर इनकम टेक्स सेटलमेंट कमीशन के उहदे पर फ़ाइज़ हैं।

बैअतो खिलाफत

ताजुल उलमा हज़रत सय्यद औलादे रसूल मुहम्मद मियां रहमतुल्लाह अलैह ने विलादत के बाद ही सीतापुर जा कर आप को मुरीद बैअत से मुशर्रफ किया, वालिद माजिद “हुज़ूर अहसनुल उलमा मुस्तफा हैदर हसन मियां मारहरवी रहमतुल्लाह अलैह और बड़े अब्बा जान सय्यदुल उलमा हज़रत सय्यद आले मुस्तफा रहमतुल्लाह अलैह और वारिसे पंजतन हुज़ूर याह्या हसन मियां रहमतुल्लाह अलैह ने तमाम सिलसिलों की खिलाफत व इजाज़त अता फ़रमाई लेकिन आप इंकिसारी के सबब लोगों को मुरीद नहीं फरमाते हैं।

आप का अक़्द

आप का निकाह पिरोफेसर सय्यद अली अशरफ साहब मरहूम, साबिक वाइस चांसलर जामिया मिल्लिया की साहबज़ादी सय्यदह निशात अशरफ साहिबा से हुआ, सय्यदह निशात अशरफ साहिबा, ने अली गढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी! गर्ल्स कॉलिज से M, SC, CHEMISTRY, की डिग्री हासिल की है, इन से आप को दो बेटे हैं सय्यद नबील अशरफ, सय्यद नाज़िम अशरफ और एक बेटी सय्यदह शिफा अशरफ, एक बेटा और एक बेटी अभी तालीम हासिल कर रहे हैं, बड़े साहबज़ादे सय्यद नबील मियां हाल ही में प्रोबेशनरी ऑफिसर के इम्तिहान में कामयाब हो कर इंडियन ओवरसीज बेंक में मेनिजर हैं।

आप की सीरत

दुनियावी एतिबार से बड़े मनसब पर फ़ाइज़ होने के बावजूद खानवादा के तमाम इम्तियाज़ात से भी आप को खूब हिस्सा मिला, दीनी मिजाज़, उलमा, व मशाइख का एहतिराम, इश्के रसूल सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम बुज़ुर्गाने दीन से मुहब्बत, तवाज़ोह व इंकिसारी, खुलूसो मुहब्बत, मुरव्वत और संजीदगी व बुर्दबारी जैसी अच्छी सिफ़ात आप की शख्सीयत व किरदार में रची बसी हैं, गरीबों की मदद के लिए हर वक़्त ख़ुशी से तय्यार रहना आप को सब से ज़ियादा अच्छा लगता है, हज़रत शरफ़े मिल्लत! बहुत तदबीर और हलीम शख्सीयत के हामिल हैं, छोटे छोटे जुमलों में बड़ी बड़ी नसीहतें कर देना आप की शख्सीयत का अहम् हिस्सा है।

आप की तसानीफ़

आप का शुमार बर्रे सगीर के मुमताज़ अफसाना निगारों में होता है, आप को उर्दू अदब और तस्नीफ़ व तालीफ़ से ख़ास शग़फ़ लगाओ है, अफ़साने, कहानिया, और नाविल लिखने के अलावा आप बुलंद शायर भी हैं, नातो मनकबत की तरफ खुसूसी तवज्जुह फरमाते हैं, आप की बहुत सी तस्नीफ़ात मन्ज़रे आम पर आ चुकी हैं, आप की इल्मी और अदबी खिदमात पर आप को हुकूमत हिन्द की जानिब से साहित्ये अकेडमी अवार्ड भी हासिल हो चूका है,
“सल्लो अलैही व आलिहि”
ये हम्द नात और मनाक़िब का मजमूआ है, ये किताब भी छप कर आशिकाने रसूल से दादो तहसीन वुसूल कर चुकी है,
“बादे सबा का इन्तिज़ार”
ये कहानियों का मजमूआ है जिस पर आप को सुबाई हुकूमत की तरफ से साहित्ये अकेडमी अवार्ड के साथ एक लाख नकद इनआम और तस्नीफी सनद पेश की गई है, ये 2001, में शाए हुआ था,
“डार से बछड़े” ये भी आप की तखलीकी कहानियों का पहला मजमूआ है जो अब कई कॉलिज के उर्दू के निसाब में शामिल है,
“नंबर दार का नीला” ये एक उम्दा नाविल है जिस में नीला किरदार के ज़रिए आप ने इंसानो के मुख्तलिफ किरदारों को पेश किया है, इस के बारे में हिंदुस्तान के एक बड़े अदीब और नक्काद शमशुर रहमान फारूकी ने कहा के “ऐसा नाविल तो अंग्रेज़ी ज़बान में भी नहीं पढ़ा”
“मीर अम्मन किस्सा सुनो”
ये भी आप की तखलीकी नाविल है जो चार हिस्सों पर मुश्तमिल है,
“आखरी सावरिया” ये नाविल हज़रत शरफ़े मिल्लत का गुज़िश्ता साल शाए हुआ, अल्हम्दुलिल्लाह इस नाविल को इस वक़्त अफसानवी अदब का बड़ा शाहकार तसव्वुर किया जा रहा है।

आप नाइब सदर हैं

इल्म की तरवीजो इशाअत का खानदानी वस्फ़ भी आप में खूब खूब मौजूद है अल बरकात ऐजुकेशनल सोसाइटी के आप नाइब सदर हैं और इस की मंसूबा साज़ी और इदारा साज़ी में आप हज़रत अमीने मिल्लत के कंधे से कन्धा मिला कर खिदमात अंजाम दे रहे हैं, जामिया अल बरकात! आप की फ़िकरो तदबीर, तामीरी ज़हन, इन्तिज़ामी सलाहियतों का हसीन अक्स है, इस के अलावा खानकाह व दरगाह शरीफ के तामीरी मुआमलात, इन्तिज़ामो इनसिराम, उर्स शरीफ की मुहाफ़िल व मजलिस की तरतीब, खानकाह शरीफ के पैगाम को आम करने के लिए मुसलसल काविशें आप की ज़ात की मरहूने मिन्नत हैं,
अल्लाह रब्बुल इज़्ज़त आप का साया सेहतो सलामती के साथ हमारे ऊपर कायम रखे, अमीन।

रेफरेन्स हवाला

(1) बरकाती कोइज़
(2) तज़किरा मशाइखे मारहरा

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