हज़रत ख्वाजा मुज़क्किर बदायूनी रहमतुल्लाह अलैह की ज़िन्दगी

हज़रत ख्वाजा मुज़क्किर बदायूनी रहमतुल्लाह अलैह की ज़िन्दगी

सीरतो ख़ासाइल

हज़रत ख्वाजा मुज़क्किर बदायूनी रहमतुल्लाह अलैह! आप का नाम मुबारक “तकियुद्दीन सुबंकी” था, ख्वाजा मुज़क्किर! के नाम से मशहूर थे, अदन के बाशिंदा थे, वहीँ समंदर के किनारे अपनी किश्ती से सामान वगेरा ढोते थे, इस लिए सुबंकी कहलाते थे, बदायूं शरीफ का शुहरा ज़िक्र सुनकर तशरीफ़ लाए, और हज़रत शाहे विलायत बदरुद्दीन रहमतुल्लाह अलैह मोहल्ला सोथा में सुकूनत रिहाइश इख़्तियार की,
हज़रत पीर मक्का शाह रहमतुल्लाह अलैह के मुरीद हुए और खिलाफत हासिल की, रियाज़तो मुजाहिदा में आली मन्ज़िलत और अज़ीम मक़ाम रखते थे, हाफिज़े कुरआन थे, कुरआन मजीद निहायत खुश इल्हानी से पढ़ते थे,
सुल्तानुल मशाइख सरकार महबूबे इलाही निज़ामुद्दीन औलिया देहलवी रहमतुल्लाह अलैह! से मन्क़ूल: है के बदायूं में मुज़क्किर नाम के एक बुज़रुग थे, मिम्बर पर बैठ कर वाइज़ो नसीहत बयान करते थे, मिम्बर के मुत्तसिल दीवार थी और उस में कई ताक थे जिन में कोई शख्स ना बैठ सकता, मगर ये बुज़रुग पर जब वज्द की कैफियत तारी होती थी तो फ़ौरन किसी एक ताक में बैठ जाते।

विसाल

16/ रबीउल अव्वल 658/ हिजरी को हुआ, या कोई और दूसरी तारिख में हुआ है, वल्लाहु आलम।

मज़ार शरीफ

आप का मज़ार मुबारक बदायूं शरीफ ही में मरजए खलाइक है, या कहीं और दूसरी जगह है वल्लाहु आलम।

“अल्लाह रब्बुल इज़्ज़त की उन पर बेशुमार रहमत हो और उन के सदके में हमारी मगफिरत हो”

रेफरेन्स हवाला

(1) मरदाने खुदा
(2) तज़किरतुल वासिलीन

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