हज़रत शैख़ अहमद पीर बूदला बदायूनी रहमतुल्लाह अलैह की ज़िन्दगी

हज़रत शैख़ अहमद पीर बूदला बदायूनी रहमतुल्लाह अलैह की ज़िन्दगी

सीरतो ख़ासाइल

हज़रत शैख़ अहमद पीर बूदला बदायूनी रहमतुल्लाह अलैह ने तजर्रुद की ज़िन्दगी बसर की, अबदल सिफ़त थे, समा सुनने से बेक़रार हो जाते थे, किताब सैरुल औलिया! में मज़कूर है के एक दिन में ने हज़रत शैख़ अहमद पीर बूदला बदायूनी रहमतुल्लाह अलैह से पूछा आप खुश हैं तो आप ने जवाब दिया ख़ुशी सिर्फ यही है के रोज़ाना पांच वक़्त की नमाज़ बा जमात अदा करता हूँ, ये थे अल्लाह वाले ऐसे होते हैं सूफ़िया औलियाए किराम, लेकिन आज के दौर में अपने आप को अल्लाह का वली कहने वाले बहुत हैं वो शरीअते मुस्तफा हुज़ूर रह्मते आलम नबी करीम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम की तालीमात से बहुत दूर हैं और नमाज़ नहीं पढ़ते, ऐसे लोग जाहिल हैं अल्लाह के वली कभी नहीं हो सकते।

हज़रत पीर बूदला अहमद बूदला

ये दोनों हज़रात पीर बूदला अहमद बूदला! हज़रत ख्वाजा हसन शैख़ शाही उर्फ़ बड़े सरकार रहमतुल्लाह अलैह के मुआसिरीन में से हैं, अफ़सोस के हमे आप के मुफ़स्सल हालात ना मिल सके, मगर तहक़ीक़ ये है के आप दोनों बुज़रुग मुताक़द्दिमीन औलियाए किराम से हैं।

वफ़ात

अफ़सोस के आप की तारीखे विसाल ना मिल सकी।

मज़ार मुबारक

तकिया पीर बूदला मुहल्लाह चौधरी गंज बाज़ार मैकल गंज दोनों मज़ार शरीफ पुख्ता बानी हुई हैं, ज़िला बदायूं शरीफ में मरजए खलाइक हैं।

“अल्लाह रब्बुल इज़्ज़त की उन पर बेशुमार रहमत हो और उन के सदके में हमारी मगफिरत हो”

रेफरेन्स हवाला

(1) मरदाने खुदा
(2) तज़किरतुल वासिलीन

Share Kare’n JazaKallh Khaira

Share this post