मुहम्मद हम्माद रज़ा उर्फ़ नोमानी मियां बरेलवी रदियल्लाहु अन्हु की ज़िन्दगी

मुहम्मद हम्माद रज़ा उर्फ़ नोमानी मियां बरेलवी रदियल्लाहु अन्हु की ज़िन्दगी

विलादत

हज़रत अल्लामा मुहम्मद हम्माद रज़ा उर्फ़ नोमानी मियां बरेलवी रहमतुल्लाह अलैह! आप हुज्जतुल इस्लाम हज़रत अल्लामा मुफ़्ती हामिद रज़ा खान रहमतुल्लाह अलैह! के छोटे साहबज़ादे हैं, आप की विलादत 1334/ हिजरी मुताबिक 1916/ ईसवी को जिला बरैली शरीफ मुहल्लाह सोदागिरान! में हुई, आप अपने बिरादिरे अकबर यानि बे भाई मुफ़स्सिरे आज़म हिन्द इब्राहीम रज़ा खान रहमतुल्लाह अलैह! से नो साल छूटे थे, और हुस्नेव ज़ाहिरी में बिरादिरे अकबर के मुशाबेह थे।

पैदाइश की बरकत

आप की पैदाइश बरैली वालों के लिए नेक फाल साबित हुई, के चंद महीनो के बाद वहां से वबाई अमराज़ ताऊन का खात्मा हो गया, अगरचे इस मुह्लिक बिमारी का असर आप पर भी हो गया था, लेकिन अल्लाह रब्बुल इज़्ज़त के करम से आप जल्द शिफायाब हो गए, मुजद्दिदे आज़म आला हज़रत इमाम अहमद रज़ा मुहद्दिसे बरेलवी रदियल्लाहु अन्हु! ने अपने एक महबूब खलीफा हज़रत अल्लामा शाह अब्दुस सलाम “ईदुल इस्लाम” रहमतुल्लाह अलैह के “वालिद माजिद हज़रत अल्लामा शाह बुरहानुल हक जबलपुरी रहमतुल्लाह अलैह! के नाम एक मकतूब (चिठ्ठी, खत वगेरा) में फ़रमाया: छोटा नबीरा (मुहम्मद हम्माद रज़ा उर्फ़ नोमानी मियां) बशिद्दत इस में मुब्तला हो गया था, लेकिन सब बिहम्दिल्लाह यकेबाद दीगरे शिफ़ायाब हो गए शुक्र है अल्लाह रब्बुल इज़्ज़त का।

तालीमों तरबियत

काशानए मुजद्दिदे आज़म आला हज़रत इमाम अहमद रज़ा मुहद्दिसे बरेलवी रदियल्लाहु अन्हु! के इल्मी तहज़ीबी, इस्लाही और पुरनूर माहौल में आप की परवरिश व पर्दाख़त हुई, दारुल उलूम मन्ज़रे इस्लाम! के मुअकक्कर काबिल असातिज़ाए किराम ने आप की तालीमों तरबियत का ख़ास ख्याल रखा, हज़रत अल्लामा मुहम्मद हम्माद रज़ा उर्फ़ नोमानी मियां बरेलवी रहमतुल्लाह अलैह! ने सफ़रो हज़र में अपने वालिद माजिद हुज्जतुल इस्लाम हज़रत अल्लामा मुफ़्ती हामिद रज़ा खान रहमतुल्लाह अलैह! से भी इस्तिफ़ादा फ़रमाया, और सबकन सबकन इल्मे तफ़्सीर, इल्मे फ़िक़्ह, अपने वालिद माजिद से पढ़।

आप का अक़्द मस्नून

आप का निकाह तेईस 23/ साल की उमर 1357/ हिजरी मुताबिक 1938/ ईसवी में आप की शादी मुबारक मुहल्लाह मुलूक़ पुर! बरैली की मशहूर शख्सीयत जनाब सय्यद हसन साहब की साहबज़ादी ताहिरा खातून! से हुई, जिससे आप के तीन लड़के और दो लड़कियां हुईं, आप के साहबज़ाद गान शहर कराची! पाकिस्तान में रहते हैं और मसलके आला हज़रत की तरवीजो इशाअत में हमातन मसरूफ हैं,

साहबज़ादों के नाम ये हैं:

  1. यज़दानी मियां
  2. रिज़वानी मियां
  3. नूरानी मियां
  4. नुसरत बीबी
  5. मुसर्रत बीबी

आप की वफ़ात

हुज्जतुल इस्लाम हज़रत अल्लामा मुफ़्ती हामिद रज़ा खान रहमतुल्लाह अलैह! की सुहबत व मईयत और निगाहें कीमिया साज़ ने आप की शख्सीयत को तारिख साज़ बना दिया था, आप हमेशा इन की खिदमत बा बरकत में रहते थे, वालिद माजिद के विसाल का सदमा आप बर्दाश्त ना कर सके, इस लिए हिजरत कर के आप शहर कराची पाकिस्तान तशरीफ़ ले गए और वहीँ मुस्तकिल सुकूनत इख़्तियार की थी, 1375/ हिजरी मुताबिक 1956/ ईसवी में आप का इन्तिकाल पुरमालाल हुआ।

मज़ार मुबारक

आप का मज़ार मुकद्द्स नीलके पाकिस्तान के शहर पाकिस्तान में ज़ियारत गाहे ख़ल्क़ है।

“अल्लाह रब्बुल इज़्ज़त की उन पर बेशुमार रहमत हो और उन के सदके में हमारी मगफिरत हो”

रेफरेन्स हवाला

  • तज़किराए खानदाने आला हज़रत

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