उस्ताज़े ज़मन अल्लामा हसन रज़ा खान रदियल्लाहु अन्हु की औलादे अमजाद

उस्ताज़े ज़मन अल्लामा हसन रज़ा खान रदियल्लाहु अन्हु की औलादे अमजाद

उस्ताज़े ज़मन हज़रत अल्लामा हसन रज़ा खान रदियल्लाहु अन्हु

उस्ताज़े ज़मन हज़रत अल्लामा हसन रज़ा खान रहमतुल्लाह अलैह! रईसुल अतकिया हज़रत अल्लामा मुफ़्ती नक़ी अली खान रहमतुल्लाह अलैह! के दूसरे फ़रज़न्द हैं, हज़रत अल्लामा हसन रज़ा खान रहमतुल्लाह अलैह! अपने वक़्त के जलीलुल क़द्र आलिमो फ़ाज़िल होने के साथ साथ फ़िक्र अंगेज़ और कुहना मश्क शायर भी थे, आप की पैदाइश 22/ रबीउल अव्वल 1276/ हिजरी मुताबिक 19/ ऑक्टूबर 1869/ ईसवी को मुहल्लाह सौदागिरान बरैली में हुई,

आप की औलाद में तीन बेटे और एक बेटी हैं,

  1. हकीम हुसैन रज़ा खान
  2. हज़रत मौलाना हसनैन रज़ा खान
  3. फारूक रज़ा खान (जो जवानी में वफ़ात कर गए)

साहबज़ादी:

  1. अनवर फातिमा उर्फ़ अन्नो बी

हकीम हुसैन रज़ा खान

उस्ताज़े ज़मन हज़रत अल्लामा हसन रज़ा खान रदियल्लाहु अन्हु की औलाद में हकीम हुसैन रज़ा खान सब से बड़े 1306/ हिजरी मुताबिक 1818/ ईसवी में मुहल्लाह सौदागिरान बरैली में पैदा हुए, इब्तिदाई तालीम वालीदह माजिदा से हासिल की, आला तालीम भी घर पर वालिद माजिद और चचा मुहतरम से हासिल की, लखनऊ से इल्मे तिब की सनद से मुमताज़ हुए, हकीम हुसैन रज़ा खान मुजद्दिदे आज़म आला हज़रत इमाम अहमद रज़ा मुहद्दिसे बरेलवी रदियल्लाहु अन्हु! के खुसूसी मुआलिज थे, आप की दो शादियां हुईं थीं, पहली शादी मुजद्दिदे आज़म आला हज़रत इमाम अहमद रज़ा मुहद्दिसे बरेलवी रदियल्लाहु अन्हु! की मंझली साहबज़ादी “कनीज़े हुसैन” पहली ज़ौजाह मुहतरमा (बीवी) से तीन बेटे (1) मुर्तज़ा रज़ा खान, (2) इदरीस रज़ा खान, (3) और जरजीस रज़ा खान, दूसरी ज़ौजाह मुहतरमा (बीवी) उम्मे कुलसूम जो बेटी हज़रत अल्लामा मुफ़्ती हामिद रज़ा खान थी, जिन के बतन से एक बेटी गौसिया बेगम, और फ़रज़न्द यूनुस रज़ा खान पैदा हुए, आप 1956/ ईसवी में हिजरत कर के पाकिस्तान चले गए

मौलाना मुर्तज़ा रज़ा खान

आप की इब्तिदाई तालीम घर ही पर हुई, खानदान में “गौसी मियां” की उर्फियत से मशहूर थे, मोज़ा (गाऊं) जौहरपुर ज़िला परभनी! के साकिन इमदाद हुसैन खान की साहबज़ादी से निकाह हुआ, आप की औलाद में दो लड़के (1) बिलाल रज़ा खान, (2) ओवैस रज़ा खान, और दो बेटियां (1) तफन बीबी, (2) और ज़किय्या,

आप इल्मे हिसाब में माहिर थे 1950/ ईसवी के बाद आप का इन्तिकाल हुआ, आप के फ़रज़न्दे अकबर बिलाल रज़ा खान से सात औलादें हुईं, जिन में चार लड़कियां और तीन लड़के हुए, लड़कों के नाम ये हैं: (1) मुहम्मद जलाल रज़ा खान (2) मुहम्मद हिलाल रज़ा खान (3) शिहाब रज़ा (4) मुर्तज़ा रज़ा खान,

मौलाना मुर्तज़ा रज़ा खान रहमतुल्लाह अलैह! के छोटे फ़रज़न्द ओवैस रज़ा खान! से छेह 6, लड़के हुए, (1) मुहम्मद मोनिस रज़ा खान (2) मुहम्मद शोएब रज़ा खान (3) मुहम्मद मुज्तबा रज़ा खान (4) मुहम्मद रशीद रज़ा खान (5) मुहम्मद खबीर रज़ा खान (6) मुहम्मद जुबेर रज़ा खान बहेड़ी बरैली से मुत्तसिल ही रहते हैं,

मौलाना इदरीस रज़ा खान

हकीम हुसैन रज़ा खान के मंझले फ़रज़न्द मौलाना इदरीस रज़ा खान की इब्तिदाई तालीम घर पर हुई, और आला तालीम इन्होने हुज़ूर मुफ्तिए आज़म हिन्द मुस्तफा रज़ा खान बरेलवी रहमतुल्लाह अलैह! हज़रत अल्लामा हसन रज़ा खान, और हुज़ूर सद रुश्शारिया रहमतुल्लाह अलैह! से हासिल की, कुतुबे मुतादाविला के लिए “दारुल उलूम मोइनिया उस्मानिया” अजमेर शरीफ भी गए, आप बड़े जुर्रत व हिम्मत के आदमी थे, मुसलमानो के मसाइल पर गोरमेंट से रोबो दबदबे के साथ बात करते थे, कोमी व मिल्ली मफाद को हमेशा पेशे नज़र रखा, इन के खिलाफ कभी सौदे बाज़ी नहीं की, आप का रस्मुल खत बहुत खूबसूरत था, इन तमाम खुसूसियत के साथ आप ज़मीन्दारी में मसरूफ रहे, आप का इन्तिकाल हुज़ूर मुफ्तिए आज़म हिन्द के दौलत कदे पर 24, दिसम्बर 1965/ ईसवी में हुआ, खानदानी कब्रिस्तान सिटी कब्रिस्तान! बरैली में दफ़न हुए, याद रहे के खानदान में आप “लाला मियां” के नाम से पुकारे जाते थे,

आप की औलाद में फ़रज़न्द जनाब सिराज रज़ा खान हैं, और छेह 6, लड़कियां यादगार हैं,

(1) तस्नीम फातिमा, ज़ौजाह मुहतरमा (बीवी) हज़रत मौलाना खालिद अली खान, (2) मुहतरमा वसीम फातिमा साहिबा, ज़ौजाह मुहतरमा (बीवी) नबीरए उस्ताज़े ज़मन सूफी मुफ़्ती हबीब रज़ा खान, (3) फरहत बी, ज़ौजाह मुहतरमा (बीवी) मौलाना डॉक्टर कमर रज़ा खान, (4) निकहत बी, ज़ौजाह मुहतरमा (बीवी) सलीम अहमद मुंबई, (5) नुज़हत बी, ज़ौजाह मुहतरमा (बीवी) कलीम अहमद कराची, (6) नसीम फातिमा ज़ौजाह मुहतरमा (बीवी) मौलाना ज़हीर अहमद तिरसा पट्टी ज़िला बरैली, सिराज रज़ा खान से फैज़ रज़ा खान और दो लड़कियां शाज़ियाँ खान! और फ़ाइज़ा खान हुईं।

मौलाना जरजीस रज़ा खान

आप की इब्तिदाई अरबी उर्दू तालीम घर पर हुई, ज़मीन्दारी के कामो में मसरूफ हो जाने की वजह से मज़ीद तालीम हासिल न कर सके, आप का निकाह हज़रत मौलाना हसनैन रज़ा खान रहमतुल्लाह अलैह! की साहबज़ादी शमीम फातिमा! से हुआ, इन से एक लड़की तवल्लुद हुई, जो बचपन में ही फ़ोत हो गई, शादी के बाद सिर्फ सात साल बा हयात रहे, और 1946/ ईसवी में इन्तिकाल हो गया, अहलिया अभी हयात हैं।

मौलाना यूनुस रज़ा खान

आप की तालीम व तरबियत ख़ानदान में हुई, घहरेलू मसरूफियात में इनहिमाक की वजह से तालीमी सिलसिला मज़ीद आगे न बढ़ सका, आप पाकिस्तान चले गए, और हरिपुर हज़ारा! सूबा सरहद में मुस्तकिल रिहाइश इख़्तियार करली, आप का पूरा खानदान वहीँ आबाद है।

नोट

अब हम मौलाना हसनैन रज़ा खान रदियल्लाहु अन्हु जो उस्ताज़े ज़मन अल्लामा हसन रज़ा खान के दूसरे नंबर के साहबज़ादे हैं इन का ज़िक्र करेंगे।

रेफरेन्स हवाला

  • तज़किराए खानदाने आला हज़रत

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