हज़रत ख्वाजा शैख़ गदाई सोहरवर्दी देहलवी रहमतुल्लाह अलैह
आप हज़रत ख्वाजा शैख़ जमाली सोहरवर्दी देहलवी रहमतुल्लाह अलैह के बड़े शहज़ादे हैं, बुज़ुरगी और मकामो मरतबे में अपने वालिद माजिद के देश बदोश थे, अव्वल और आखिर में हमेशा बुज़ुरगी और शानो शौकत के दिलदादाह रहे, और इज़्ज़ते दुनिया के बावजूद आप बड़े अज़ीम बुज़रुग थे, और अकबर के दौरे हुकूमत में आप पहले शैखुल इस्लाम थे,
हज़रत ख्वाजा शैख़ गदाई सोहरवर्दी देहलवी रहमतुल्लाह अलैह
ने शुरू में नसीरुद्दीन मुहम्मद हुमायूँ के मुकर्रब और उस के साथियों के ज़ुमरे में मुलाज़मत की, इस के बाद जब शेर शाह सूरी ने दिल्ली के तख़्त पर हमला कर के इस पर कब्ज़ा कर लिया तो चूंकि आप हुमायूँ से तअल्लुक़ रखते थे, इस लिए आप ने दिल्ली को छोड़ दिया और गुजरात रवाना हो गए, वहां अपने बाल बच्चों के साथ हर मैन शरीफ़ैन ज़ादा हल्लाहू शफाऊं व तअज़ीमा की ज़ियारत के लिए तशरीफ़ ले गए, फिर बादशाह अकबर के दौरे हुकूमत में हिंदुस्तान तशरीफ़ लाए, मुहम्मद बैरम खान से आप के पुराने तअल्लुक़ात थे, इस लिए हुकूमत के बड़े बड़े बड़े उहदों पर फ़ाइज़ हुए, फिर अल्लाह पाक की मुहब्बत में दुनिया को छोड़ा और मदीना मुनव्वरा हरमैन शरीफ़ैन ज़ादा हल्लाहू शफाऊं व तअज़ीमा के लिए रवाना हो गए, ये सफर 978/ हिजरी में किया,
अभी आप रास्ते में ही थे के बाज़ दुश्मनो ने आप पर हमला कर के तकलीफ पहुंचाई, जिस की वजह से आगे को सफर न कर सके और जैसलमेर के पहाड़ों में रहने लगे लेकिन कुछ दिनों के बाद फिर दिल्ली तशरीफ़ ले आए, हुकूमत की जानिब से जो पेंशन आप को मिलती थी, उसी से आप की गुज़र औकात होती थी, अगरचे आप बूढ़े हो गए थे लेकिन ज़िन्दगी ज़िन्दगी के बाकी दिन राहतो आराम से गुज़ारे।
वफ़ात
आप ने बादशाह अकबर के दौरे हुकूमत में 976/ हिजरी में वफ़ात पाई।
मज़ार मुबारक
आप का मज़ार शरीफ क़ुतुब मीनार के करीब एग्री कल्चलर पार्क में महरोली शरीफ दिल्ली 30/ इंडिया में ज़ियारत गाहे खल्क है।
“अल्लाह रब्बुल इज़्ज़त की उन पर बेशुमार रहमत हो और उन के सदके में हमारी मगफिरत हो”
रेफरेन्स हवाला
रहनुमाए मज़ाराते दिल्ली