हज़रत मीर सय्यद अहमद तिरमिज़ी कालपवि रदियल्लाहु अन्हु की ज़िन्दगी

हज़रत मीर सय्यद अहमद तिरमिज़ी कालपवि रदियल्लाहु अन्हु की ज़िन्दगी

दे मुहम्मद के लिए रोज़ी कर अहमद के लिए
खाने फ़ज़्लुल्लाह से हिस्सा गदा के वास्ते

आप की विलादत

सुल्ताने औलिया इमामे तरीकत नकीबे अहले मुहब्बत हज़रत मीर सय्यद अहमद तिरमिज़ी कालपवि रदियल्लाहु अन्हु की पैदाइश कालपी शहर में हुई और वहीँ पर नशो नुमा परवरिश पाई, कालपी शरीफ की निस्बत से “काल्पवि” कहलाते हैं।

इस्म शरीफ

आप का नामे नामी व इस्मे गिरामी “मीर सय्यद अहमद तिरमिज़ी कालपवि रदियल्लाहु अन्हु” है।

आप के वालिद माजिद

आप के वालिद माजिद का नाम हज़रत मीर सय्यद मुहम्मद बिन अबू सईद हुसैनी तिरमिज़ी रदियल्लाहु अन्हु है।

आप की तालीमों तरबीयत

आप अरबी फ़ारसी के बे बदल थे चुनांचे इब्तिदाई शुरू की क़ुतुब अपने वालिद माजिद ही की बारगाह में पढ़ीं, इस के बाद आप के वालिद मुहतरम ने आप की तालीम व तरबीयत के लिए अपने “मुरीद व खलीफा” हज़रत सय्यद शाह अफ़ज़ल बिन अब्दुर रहमान इलाह आबादी रहमतुल्लाह अलैह को मुन्तख़ब फ़रमाया, जिन की खिदमत में आप ने “हिसामी से बैज़ावी शरीफ” तक जुमला उलूमो मुतादाविला की तकमील फ़रमाई उस्ताज़े मुहतरम आप से बहुत मुहब्बत रखते थे यहाँ तक के अपने वक़्त के बे मिसाल मुदर्रिस व मुसन्निफ़ बन कर चमके।

बैअतो खिलाफत

आप ने जुमला उलूमे दीनिया की तकमील पूरी करने के बाद अपने वालिद मुहतरम से बैअत का शरफ़ हासिल फ़रमाया और सिर्फ 24, साल की उमर में मसनदे वालिद माजिद पर रौनक अफ़रोज़ हुए और तल्कीनों इरशाद की महफ़िल को रौनक बख्शी।

आप के फ़ज़ाइल

शैखुल मशाइख, वाक़िफ़े असरारे हक़ाइक़, वारिसे इल्मे नबी, आफ़ताबे हिदायत, माहताबे विलायत, हज़रत मीर सय्यद अहमद तिरमिज़ी कालपवि रदियल्लाहु अन्हु आप सिलसिलए आलिया कादिरिया रज़विया के इकत्तीसवे 31, वे इमाम व शैख़े तरीकत हैं, आप जामे उलूमे ज़ाहिर व बातिन और शनावर हकीकतों मारफअत के पैकर थे, इबादतों रियाज़त में कामिल थे, अख़लाक़ व आदात में यगानाए अस्र थे और उलूमो मुआरिफ़ के उकदा कुशा थे, कशफो करामात व ख़वारिक आदात अक्सर आप से सरज़द हुए, यहाँ तक के उन फूआन शुरू जवानी ही से नूरे हिदायत आप की पेशानी से चमकता था अल्लाह पाक ने आप को जमाले सूरी व कमाले मानवी दोनों से मुमताज़ फ़रमाया था, चुनांचे हज़रत शाह खूबुल्लाह इलाह आबादी रहमतुल्लाह अलैह फरमाते हैं के मेरे शैख़ ने मुझ से फ़रमाया: पहली बार जब में पीर दस्तगीर की मुलाकात से मुशर्रफ हुआ, तो उन के अंदर सुर्खी जमाले इश्के हकीकी को इकठ्ठा पाया और उस की वजह से जो शुआ नूरानी से होती उस को देखने से मेरी आँखें खीरा हो जाती थी,

आप के अख़लाके करीमाना

आप के अख़लाक़ व आदात अपने अस्लाफ के क़दम बक़दम थे, रहमो करम, बख़्शिशो अता, अफ़्वो माफ़ी में अपने अस्लाफ के आईना दार थे, और आलमे शबाब में ही आप से रुश्दो हिदायत के चश्मे फूटने लगे और इल्मे नबवी और अख़लाके नबी हुज़ूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम की इशाअत में मिसालि कार नामे अंजाम दिए,

आदाते करीमाना

आप इबादतों रियाज़त में कामिल थे और बहुत पबन्द थे इस के अलावा आप का बेहतरीन मशगला रसाइल तौहीदे मकालात हज़रत शैख़े अकबर मुहीयुद्दीन इब्ने अरबी रहमतुल्लाह अलैह की तशरीह बयान करना और हर फ़र्ज़ नमाज़ के बाद सलाम के नो मर्तबा कलमाए तौहीद बा आवाज़े बुलंद कहते थे, मस्लए तौहीद की वज़ाहत पर कोई मुतआरिज़ होता तो उससे मुनाज़रे भी करते थे।

बारगाहे हिन्द के राजा हज़रत ख्वाज़ा गरीब नवाज़ अजमेरी रहमतुल्लाह अलैह में हाज़री

आप को ख्वाजाए ख्वाजगान हज़रत ख़्वाजा गरीब नवाज़ मुईनुद्दीन चिश्ती रहमतुल्लाह अलैह की बारगाह से ख़ास निस्बत व अकीदत थी, चुनांचे एक बार अपने वालिद मुहतरम हज़रत मीर सय्यद मुहम्मद तिरमिज़ी कालपवि रदियल्लाहु अन्हु के हमराह रोज़ाए मुबारक पर हाज़िर हुए और आप को बारगाहे ख़्वाजा से रूहानी फैज़ हासिल हुआ, और इमामा बुलंदी आप के सर पर रखा गया और फैज़े चिश्तिया से नवाज़ा और दूसरे सिलसिले की इजाज़त भी अता फ़रमाई।

आप का इल्मे कश्फ़

आप के कश्फ़ व तवज्जुह में गज़ब की तासीर थी, जिस शख्स पर तवज्जुह की नज़र करते वो बेखुद हो कर गिर पड़ता, चुनांचे हज़रत खूबुल्लाह शाह इलाह आबादी रहमतुल्लाह अलैह बयान फरमाते हैं के एक शख्स आप की खिदमत में हाज़िर हुआ और अर्ज़ किया: हुज़ूर! मेरे दिल की सख्ती और तंगी अपने शबाब पर है के मेरे कोई करीबी रिश्तेदार या लड़का भी विसाल कर जाए तो हालत रोने की नहीं हो पाती, इस लिए हुज़ूर से गुज़ारिश है के मेरी इस हालते ज़ार पर तवज्जुह फरमाएं? आप ने इस के दोनों हाथों को अपने दोनों हाथों में मज़बूती से पकड़ कर हिलाया मगर इस की कैफियत बदस्तूर बाकी रही, यहाँ तक के तीसरी बार में इस पर एक कैफियत तारी हुई और हाए हाए की सदा बुलंद करने लगा और इस की दोनों आँखों से आंसू जारी थे, इस के बाद जब होश में आया, आप के इस अज़ीम कश्फ़ को देख कर आप के दस्ते मुबारक पर बैअत हो गया और अकीदत मंदों में शामिल हो गया।

आप की इल्मी व तस्नीफी खिदमात

आप साहिबे तस्नीफ़ बुज़रुग गुज़रे हैं, आप की बाकियात सालिहात में आप की तसानीफ़ अपनी अहमियत की हामिल हैं, और इस दौर के अदबी, अख़लाक़ी और दीनी मसाइल को परखने का बहतिरिन सरमाया और तारीखी दस्ता वेज़ की हैसियत रखती है, आप की तसानीफ़ की मुख़्तसर फहरिस्त हमे जो दस्तियाब हो सकी दर्ज ज़ैल है:

  • जामे उल किलम फ़ारसी
  • शरह असमाउल हुस्ना
  • शरह बसीत अला अक़ाइदे नसफिया
  • रिसाला मआरिफ़
  • मुशाहिदातुस सूफ़िया
  • दीवाने शेर
आप की औलादे अमजाद

हज़रत मीर सय्यद अहमद तिरमिज़ी कालपवि रदियल्लाहु अन्हु को अल्लाह पाक ने तीन फ़रज़न्द अता फरमाए जो अपने वक़्त के बेहतीरिन आबिदो ज़ाहिद और शरीअतो तरीकत में कामिल थे, जिन होने आप के मिशन को खूब फरोग दिया और अज़मते सरवरे काइनात हुज़ूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम का गलगला बुलंद फ़रमाया और मज़हबे अहले सुन्नत की अज़ीम खिदमात अंजाम दीं जिन के नाम मुबारक ये हैं:

  1. हज़रत सय्यद शाह फ़ज़्लुल्लाह कुद्दीसा सिररुहुन नूरानी काल्पवि
  2. हज़रत सय्यद शाह सुल्तान मक़सूद कुद्दीसा सिररुहुन नूरानी काल्पवि
  3. हज़रत सय्यद शाह सुल्तान महमूद कुद्दीसा सिररुहुन नूरानी काल्पवि
विसाले पुर मलाल व उर्स

आप का विसाल 10, सफारुल मुज़फ्फर बरोज़ जुमेरात बा वक़्ते शाम 1084, हिजरी मुताबिक 25, मई 673, ईसवी बरोज़ पीर के दिन हुआ।

मज़ार शरीफ

आप का मज़ार मुबारक कालपी शरीफ यूपी इण्डिया में मरजए खलाइक है।

“अल्लाह रब्बुल इज़्ज़त की उन पर बेशुमार रहमत हो और उन के सदके में हमारी मगफिरत हो”

रेफरेन्स हवाला
  • तज़किराए मशाइखे क़ादिरिया बरकातिया रज़विया
  • बयाज़े शाह अजमल इलाह आबादी
  • माह नामा कलीम शाबान 1354, हिजरी इलाह आबादी
  • ख़ज़ीनतुल असफिया जिल्द अव्वल
  • मक्तूबात कलमी जिल्द अव्वल अज़ शाह खूबुल्लाह इलाहाबादी रहमतुल्लाह अलैह
  • क़ुत्बुल औलिया
  • आइनये कालपी
  • हयाते औलियाए कालपी

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