बैअतो खिलाफत
आप हज़रत ख्वाजा शैख़ हाजी लाल मुहम्मद चिश्ती रहमतुल्लाह अलैह! मुहिब्बुन नबी हज़रत मौलाना ख्वाजा फखरुद्दीन फखरे जहाँ चिश्ती देहलवी रहमतुल्लाह अलैह! के मुमताज़ मुरीदो खलीफा थे, आप के मुरीदीन व खुलफ़ा की तादाद बहुत ज़ियादा थी, पीरो मुर्शिद के बाद दिल्ली में आप की तालीमात को खूब खूब आम किया, मुहिब्बुन नबी हज़रत मौलाना ख्वाजा फखरुद्दीन फखरे जहाँ चिश्ती देहलवी रहमतुल्लाह अलैह! फ़रमाया करते थे के में ने अपने खुलफ़ा को आजिज़ कर के खिलाफत दी है मगर हज़रत ख्वाजा शैख़ हाजी लाल मुहम्मद चिश्ती रहमतुल्लाह अलैह! की आजिज़ी ने मुझ को आजिज़ कर के खिलाफत ली है
आप निहायत करीमुन नफ़्स और मुन्कसिरुल मिजाज़ बुज़रुग थे, आप कसरत के साथ इबादतों रियाज़त मुजाहिदा में मसरूफ रहते थे, बारह 12/ साल तक अताए रसूल, सुल्तानुल हिन्द, ख्वाजाए ख्वाजगान, हज़रत सय्यदना ख्वाजा गरीब नवाज़ मुईनुद्दीन चिश्ती अजमेरी रहमतुल्लाह अलैह! के मज़ार मुक़द्दस पर हाज़िर रहे, तीन मर्तबा हज किए, आप की रूहानी ताकत बहुत ही ज़बरदस्त थी, एक मर्तबा हज़रत शाह अब्दुल क़ादिर रहमतुल्लाह अलैह के एक मुरीद जामा मस्जिद में मुराकिबा कर रहे थे, जब आंख बंद करते आंख ख़ुल जाती, आखिर कार पूछने लगे क्या इस वक़्त मस्जिद में मुहिब्बुन नबी हज़रत मौलाना ख्वाजा फखरुद्दीन फखरे जहाँ चिश्ती देहलवी रहमतुल्लाह अलैह! के मुरीदों में से कोई मुरीद मौजूद है? मालूम हुआ के हज़रत ख्वाजा शैख़ हाजी लाल मुहम्मद चिश्ती रहमतुल्लाह अलैह! मस्जिद के गोशे में वज़ीफ़ा पढ़ रहे हैं,
वफ़ात
हज़रत ख्वाजा शैख़ हाजी लाल मुहम्मद चिश्ती रहमतुल्लाह अलैह! ने 12/ रमज़ानुल मुबारक 1239/ हिजरी में वफ़ात पाई।
मज़ार मुबारक
आप का मज़ार शरीफ दरगाह सरकार महबूबे इलाही निज़ामुद्दीन औलिया देहलवी रहमतुल्लाह अलैह के पूरवी दरवाज़े के अंदर दाखिल होते हुए बाएं हाथ को है है।
“अल्लाह रब्बुल इज़्ज़त की उन पर बेशुमार रहमत हो और उन के सदके में हमारी मगफिरत हो”
रेफरेन्स हवाला
रहनुमाए मज़ाराते दिल्ली