हज़रत ख्वाजा शैख़ मरूज़ी चिश्ती देहलवी रहमतुल्लाह अलैह

हज़रत ख्वाजा शैख़ मरूज़ी चिश्ती देहलवी रहमतुल्लाह अलैह

बैअतो खिलाफत

आप सरकार महबूबे इलाही निज़ामुद्दीन औलिया देहलवी रहमतुल्लाह अलैह के साथी और अव्वलीन मुरीदों में हैं, आप हाफिज़े कुरआन और निहायत तकवाओ तदय्युन परहेज़गारी के पैकर थे, आखरी उमर में आप सरकार महबूबे इलाही निज़ामुद्दीन औलिया देहलवी रहमतुल्लाह अलैह के पास ग्यासपुर में रहने लगे थे, हमेशा क़ुरआने पाक की किताबत कर के और उससे जो कुछ हासिल होता इस पर गुज़र औकात करते थे, निहायत बा अज़मत व बा करामत बुज़रुग थे, मर्दाने ग़ैब से भी आप की मुलाकात थी,

करामत

एक दफा आप ने सरकार महबूबे इलाही निज़ामुद्दीन औलिया देहलवी रहमतुल्लाह अलैह से अर्ज़ किया के एक मर्तबा मुझे बड़ी शिद्दत से प्यास लगी और उस वक़्त मेरे पास कोई नहीं था के उससे पानी मंगवाता, उसी दरमियान ग़ैब से भरा हुआ पानी का प्याला मेरे पास आ गया, में ने वो प्याला तोड़ दिया और पानी गिर गया, में ने अपने दिल में कहा के करामत से आया हुआ पानी नहीं पीयूंगा, ये सुनकर सरकार महबूबे इलाही निज़ामुद्दीन औलिया देहलवी रहमतुल्लाह अलैह ने फ़रमाया के पी लेना चाहिए था, करामत को रद्द नहीं करना चाहिए था, क्यों के अक्सरो बेश्तर ऐसा होता रहता है, फिर एक मर्तबा कहा के में एक दफा कंगा करना चाहता था मगर उस वक़्त भी मेरे पास कोई आदमी न था जो कंगा ले कर आता, उस मोके पर दीवार फटी और उससे एक कंगा बाहर को आया में ने उसे लेकर इस्तेमाल किया,

कुरआन शरीफ की किताबत

हज़रत ख्वाजा नसीरुद्दीन महमूद रोशन चिराग देहलवी रहमतुल्लाह अलैह फरमाते हैं के हज़रत ख्वाजा शैख़ मरूज़ी चिश्ती देहलवी रहमतुल्लाह अलैह जब कुरआन शरीफ की किताबत मुकम्मल कर लेते थे तो लोगों से मालूम करते के इस किताबत शुदा का क्या हदिया होगा? लोग कहते छेह, आप फरमाते इस का चार चीतल लूँगा, अगर कोई शख्स आप को चार चीतल से ज़ियादा देता तो न लेते, जब आप बूढ़े हो गए और लिख्नने से माज़ूर हो गए तो हज़रत क़ाज़ी हमीदुद्दीन नागोरी मलिकुत कुतज्जार ने सुल्तान अलाउद्दीनन खिलजी से इन् की सिफारिश करते हुए, कहा के वो ऐसे बुज़रुग हैं जो कुरआन शरीफ की किताबत से अपनी रोज़ी हासिल करते थे, अब वो बूढ़े हो गए, और किताबत नहीं कर सकते, लिहाज़ा बैतुल माल से उनका वज़ीफ़ा मुकर्रर होना चाहिए, चुनांचे सुल्तान अलाउद्दीन खिलजी ने रोज़ाना इनका एक बारह 12/ आने मुकर्रर कर दिया, आप ने इंकार करते हुए, फ़रमाया के बारह 12/ आने बहुत ज़ियादा है, बहुत इसरार करने पर बारह 12/ आने कबूल फ़रमाया।

वफ़ात

हज़रत ख्वाजा शैख़ मरूज़ी चिश्ती देहलवी रहमतुल्लाह अलैह! ने सुल्तान अलाउद्दीन खिलजी के दौरे हुकूमत 736/ हिजरी मुताबिक 1335/ ईसवी में वफ़ात पाई।

मज़ार मुबारक

आप का मज़ार शरीफ, सरकार महबूबे इलाही निज़ामुद्दीन औलिया देहलवी रहमतुल्लाह अलैह की दरगाह के अहाते में मरजए खलाइक है।

“अल्लाह रब्बुल इज़्ज़त की उन पर बेशुमार रहमत हो और उन के सदके में हमारी मगफिरत हो”

रेफरेन्स हवाला

रहनुमाए मज़ाराते दिल्ली

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