बैअतो खिलाफत
आप सरकार महबूबे इलाही निज़ामुद्दीन औलिया देहलवी रहमतुल्लाह अलैह के सेज भांजे के बेटे, और आप ही के मुरीदो खलीफा हैं, आप शुरू ही से बुज़ुर्गों के औसाफ़ से आरास्ता थे, सरकार महबूबे इलाही निज़ामुद्दीन औलिया देहलवी रहमतुल्लाह अलैह ने इन के बारे में अपने मुरीदों को नसीहत फ़रमाई थी के दोस्तों! इस को अज़ीज़ रखो के ये उन नेक लोगों में से है, जो कुरआन शरीफ का हाफ़िज़ है, और हर जुमे की रात को कुरआन मजीद ख़त्म करता है और सीखने सिखाने का हरीस है, इसने बहुत कुछ हासिल किया है, किसी की दोस्ती और दुश्मनी से इस को कोई मतलब नहीं,निहायत नेक है,
एक मर्तबा सरकार महबूबे इलाही निज़ामुद्दीन औलिया देहलवी रहमतुल्लाह अलैह बीमार हुए, इस बिमारी में आप ने हज़रत ख्वाजा शैख़ तकीउद्दीन नूह चिश्ती देहलवी रहमतुल्लाह अलैह को याद् फ़रमाया और अपने ख़ास मुरीदों के सामने इन को अपनी खिलाफत से सरफ़राज़ फ़रमाया, फिर इन से फ़रमाया जो कुछ तुम्हे मिले इस को इकठ्ठा मत रखना, सब खर्च कर देना, अगर तुम्हारे पास कुछ न हो तो अपने दिल पर मलाल ना लाना के खुदा तुम को बहुत देगा, किसी की बुराई न करना, और किसी के लिए बद दुआ न करना, ज़ुल्म का जवाब अता सखावत से देना, बादशाहों और हाकिमो की जानिब से गाँव या वज़ीफ़ा कबूल न करना के दुर्वेश अपने अपने इकरार का पाबंद होता है और वज़ीफ़े लेकर ज़लीलो ख्वार नन्ही होता, अगर तुमने बातों इन बातों पर अमल किया तो वक़्त के बादशाह तुम्हारे पास आएंगे,
वफ़ात
हज़रत ख्वाजा शैख़ तकीउद्दीन नूह चिश्ती देहलवी रहमतुल्लाह अलैह ने सरकार महबूबे इलाही निज़ामुद्दीन औलिया देहलवी रहमतुल्लाह अलैह की हयात ही में बुखार में मुब्तला रहकर सुलतान अलाउद्दीन खिलजी के दौरे हुकूमत में 699/ हिजरी में वाफत पाई।
मज़ार मुबारक
आप का मज़ार शरीफ, सरकार महबूबे इलाही निज़ामुद्दीन औलिया देहलवी रहमतुल्लाह अलैह की दरगाह के अहाते में मरजए खलाइक है।
“अल्लाह रब्बुल इज़्ज़त की उन पर बेशुमार रहमत हो और उन के सदके में हमारी मगफिरत हो”
रेफरेन्स हवाला
रहनुमाए मज़ाराते दिल्ली