हज़रत ख्वाजा सय्यद मुहम्मद किरमानी चिश्ती देहलवी रहमतुल्लाह अलैह

हज़रत ख्वाजा सय्यद मुहम्मद किरमानी चिश्ती देहलवी रहमतुल्लाह अलैह

नाम व नसब

आप सहीहुन नसब सय्यद, और आप के वालिद माजिद का नाम “सय्यद महमूद किरमानी” है, आप के आबाओ अजदाद मुल्के ईरान के शहर “किरमान” के रहने वाले थे, आप सुल्तानुल मशाइख सरकार महबूबे इलाही निज़ामुद्दीन औलिया देहलवी रहमतुल्लाह अलैह के गहरे दोस्तों में से हैं,

बैअतो खिलाफत

हज़रत ख्वाजा सय्यद मुहम्मद किरमानी चिश्ती देहलवी रहमतुल्लाह अलैह! के आबाओ अजदाद शहर “किरमान” में दुनियावी साज़ो सामान, गाऊं, बाग़ात, खेत, और ज़मीन बहुत रखते थे, आप के एक चचा, सय्यद अहमद किरमानी मुल्तान में टकसाल के उहदे पर फ़ाइज़ थे, हज़रत ख्वाजा सय्यद मुहम्मद किरमानी चिश्ती देहलवी रहमतुल्लाह अलैह! जब भी तिजारत की गर्ज़ से लाहोर आते तो वापसी में पाकपटन में शैखुल इस्लाम हज़रत बाबा फरीदुद्दीन मसऊद गंजे शकर रहमतुल्लाह अलैह की बारगाह में हाज़िर होकर कदम बोसी की सआदत हासिल करते हुए शहर मुल्तान में अपने चचा की खिदमत में आते, इसी आमदो रफ़्त से आप को शैखुल इस्लाम हज़रत बाबा फरीदुद्दीन मसऊद गंजे शकर रहमतुल्लाह अलैह से मुहब्बत हो गई, यहाँ तक के आप के शहर किरमान में अपने सारे मालो असबाब को छोड़ कर शहर मुल्तान में अपने चचा सय्यद अहमद के यहाँ रहने लगे, सय्यद अहमद ने अपनी बेटी बीबी रानी, का निकाह इन से कर दिया और इसी के साथ चचा ने उन को बहुत साज़ो सामान भी दिया, फिर जब आप शैखुल इस्लाम हज़रत बाबा फरीदुद्दीन मसऊद गंजे शकर रहमतुल्लाह अलैह से मुरीद होने के लिए पाकपटन रवाना होने लगे, तो आप के चचा ने फ़रमाया के गौसे वक़्त हज़रत बहाउद्दीन ज़करिया मुल्तानी सोहरवर्दी रहमतुल्लाह अलैह भी तो अज़ीम वलिये कामिल हैं, तो हज़रत ख्वाजा सय्यद मुहम्मद किरमानी चिश्ती देहलवी रहमतुल्लाह अलैह! ने चचा से फ़रमाया के सब से मुहब्बत नहीं हो सकती,
गर्ज़ के आप मआ अपनी बीवी और बाल बच्चों के सारे माल दौलत को छोड़ कर शहर पाकपटन आ गए और दोनों मियां बीवी शैखुल इस्लाम हज़रत बाबा फरीदुद्दीन मसऊद गंजे शकर रहमतुल्लाह अलैह के मुरीद हो गए।

दिल्ली शरीफ में आमद

हज़रत ख्वाजा सय्यद मुहम्मद किरमानी चिश्ती देहलवी रहमतुल्लाह अलैह! तकरीबन 18/ साल तक हज़रत बाबा फरीद रहमतुल्लाह अलैह की सुह्बते बा बरकत में रहे और खूब रियाज़तो मुजाहिदा किए, इस के बाद अपने बाल बच्चों के साथ दिल्ली शरीफ में तशरीफ़ ले आए और तकरीबन 12/ साल सुल्तानुल मशाइख सरकार महबूबे इलाही निज़ामुद्दीन औलिया देहलवी रहमतुल्लाह अलैह की सुह्बते मुबारिका से फैज़ हासिल किया।

करामत

एक दफा हज़रत ख्वाजा सय्यद मुहम्मद किरमानी चिश्ती देहलवी रहमतुल्लाह अलैह! किसी वजह से सुल्तानुल मशाइख सरकार महबूबे इलाही निज़ामुद्दीन औलिया देहलवी रहमतुल्लाह अलैह से कबीदाह खातिर यानि रंजीदह हो गए और खाने के लिए दस्तरख्वान पर नहीं आये, रात को सुल्तानुल मशाइख सरकार महबूबे इलाही निज़ामुद्दीन औलिया देहलवी रहमतुल्लाह अलैह ने ख्वाब में देखा के हुज़ूर नबी करीम सलल्लाहु अलैही वसल्लम एक कुब्बे, में रौनक अफ़रोज़ हैं और हज़रत ख्वाजा सय्यद मुहम्मद किरमानी चिश्ती देहलवी रहमतुल्लाह अलैह! इस कुब्बे के दरवाज़े पर खड़े हुए हैं, ख्वाब ही में ये वाक़िआ देख कर मेरे दिल में ख़याल गुज़रा के हज़रत ख्वाजा सय्यद मुहम्मद किरमानी चिश्ती देहलवी रहमतुल्लाह अलैह! मुझ से नाराज़ हैं, अल्लाह पाक जाने अब वो मुझे कुब्बे में जाने की इजाज़त देंगें या नहीं, अभी ये ख़याल मेरे दिल में आया ही था,

के हज़रत ख्वाजा सय्यद मुहम्मद किरमानी रहमतुल्लाह अलैह! ने मुझे आवाज़ दी मौलाना निज़ामुद्दीन! आओ, में गया तो उन्होंने मेरा हाथ पकड़ा और मुझे कुब्बे में हुज़ूर नबी करीम सलल्लाहु अलैही वसल्लम की बारगाहे अक़दस में ले गए और कदमबोसी की सआदत हासिल कराई, हुज़ूर नबी करीम सलल्लाहु अलैही वसल्लम ने इरशाद फ़रमाया मौलाना निज़ामुद्दीन मुहम्मद! तुम सही नसब के साथ हमारे फ़रज़न्दों में हो और सय्यद मुहम्मद! भी मेरे फ़रज़न्दों में से हैं, जब सुबह हुई तो सुल्तानुल मशाइख सरकार महबूबे इलाही निज़ामुद्दीन औलिया देहलवी रहमतुल्लाह अलैह, हज़रत ख्वाजा सय्यद मुहम्मद किरमानी चिश्ती रहमतुल्लाह अलैह! के घर तशरीफ़ लाए, तो लोगों ने हज़रत ख्वाजा सय्यद मुहम्मद किरमानी चिश्ती रहमतुल्लाह अलैह! को सुल्तानुल मशाइख सरकार महबूबे इलाही निज़ामुद्दीन औलिया देहलवी रहमतुल्लाह अलैह के आने की इत्तिला दी तो आप ने फ़रमाया के सरकार महबूबे इलाही रहमतुल्लाह अलैह भेजे हुए हैं, फिर हज़रत ख्वाजा सय्यद मुहम्मद किरमानी चिश्ती रहमतुल्लाह अलैह! अपने सेहन खाने में सरकार महबूबे इलाही निज़ामुद्दीन औलिया देहलवी रहमतुल्लाह अलैह के इस्तकबाल के लिए निकले और दोनों एक दूसरे के साथ निहायत तअज़ीमों तक़रीम से पेश आये,

वफ़ात

आप रहमतुल्लाह अलैह ने सुल्तान अलाउद्दीन खिलजी के दौरे हुकूमत में 711/ मुताबिक 1311/ ईसवी को शबे जुमा में वफ़ात पाई।

मज़ार मुबारक

आप का मज़ार शरीफ, सरकार महबूबे इलाही निज़ामुद्दीन औलिया देहलवी रहमतुल्लाह अलैह की दरगाह के अहाते में मरजए खलाइक है।

“अल्लाह रब्बुल इज़्ज़त की उन पर बेशुमार रहमत हो और उन के सदके में हमारी मगफिरत हो”

रेफरेन्स हवाला

रहनुमाए मज़ाराते दिल्ली

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