हज़रत मौलाना कुतब आलम चिश्ती देहलवी रहमतुल्लाह अलैह

हज़रत मौलाना कुतब आलम चिश्ती देहलवी रहमतुल्लाह अलैह

हज़रत मौलाना कुतब आलम चिश्ती देहलवी रहमतुल्लाह अलैह

आप हज़रत ख्वाजा शैख़ अब्दुल अज़ीज़ शकर बार चिश्ती देहलवी रहमतुल्लाह अलैह के साहब ज़ादे हैं, आप आलिम, फ़ाज़िल, खुश अख़लाक़, खुश सीरत और सिद्क़ व अमानत में अपने वालिद मुहतरम के सच्चे जानशीन थे, अक्सरो बेश्तर इबादत में मशगूल रहते थे,

खिलाफ़तो इजाज़त

हज़रत मौलाना कुतब आलम चिश्ती देहलवी रहमतुल्लाह अलैह शुरू में सूफ़ियाए किराम के तौर तरीके पर ऐतिराज़ करते थे, एक मर्तबा ये अपने वालिद माजिद हज़रत ख्वाजा शैख़ अब्दुल अज़ीज़ शकर बार चिश्ती देहलवी रहमतुल्लाह अलैह की मजलिस मुबारक में बैठे हुए थे, तो आप ने इन पर तवज्जुह फ़रमाई तो हज़रत मौलाना कुतब आलम चिश्ती रहमतुल्लाह अलैह बे खुद हो गए, हाज़रीन ने अल्लाह पाक का शुक्र अदा किया के अब मौलाना सूफ़ियाए किराम पर ऐतिराज़ करना बंद कर देंगें, हज़रत मौलाना कुतब आलम चिश्ती रहमतुल्लाह अलैह ने फ़रमाया के अभी ये इंकार पर मज़बूत है और अभी इस की तलब का वक़्त नहीं आया है, जब हज़रत मौलाना कुतब आलम चिश्ती रहमतुल्लाह अलैह होश में आए तो हाज़रीन ने बेहोशी की कैफियत के बारे में पूछा तो आप ने बताया एक ख्वाब जैसा समा था इस का क्या ऐतिबार? जब वालिद माजिद हज़रत ख्वाजा शैख़ अब्दुल अज़ीज़ शकर बार चिश्ती देहलवी रहमतुल्लाह अलैह का विसाल हुआ तो हज़रत शैख़ नजमुल हक रहमतुल्लाह अलैह जो हज़रत के बड़े खलीफा थे अपने शैख़ के मज़ार की ज़ियारत और पसमंदिगान शैख़ से ताज़ियत के लिए आए,
जब ज़ियारत से फारिग हुए और बाहर निकले का इरादा किया तो देखा के हज़रत मौलाना कुतब आलम चिश्ती देहलवी रहमतुल्लाह अलैह सबक पढ़ा रहे हैं, इन पर नज़र कर के तसर्रुफ़ किया और सवार हो गए, अभी इन की पालकी थोड़ी दूर ही गई थी के हज़रत मौलाना! पर बेकरारी और बेचैनी की कैफियत तरी हो गई और ये कैफियत बढ़ती गई बढ़ती गई, यहाँ तक के गिरते पढ़ते नग्गे पैर हज़रत शैख़ नजमुल हक रहमतुल्लाह अलैह की तरफ चल पड़े और उन से मुरीद हो गए।

वफ़ात

आप रहमतुल्लाह अलैह ने 6/ जुमादीयुल उखरा 975/ हिजरी मुताबिक 1067/ ईसवी को बादशा अकबर के दौरे हुकूमत में वफ़ात पाई।

मज़ार मुबारक

आप का रहमतुल्लाह अलैह का मज़ार शरीफ, अर्बन हॉस्पिटल के पीछे मेंहदियाँ कब्रिस्तान दिल्ली 6/ में मक्की मस्जिद के सामने मरजए खलाइक है। ।

“अल्लाह रब्बुल इज़्ज़त की उन पर बेशुमार रहमत हो और उन के सदके में हमारी मगफिरत हो”

रेफरेन्स हवाला

रहनुमाए मज़ाराते दिल्ली

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